Assembly Elections 2022
आजम खान का जेल में होना, रामपुर के चुनाव पर क्या असर डालेगा?
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान 26 फरवरी 2020 से जेल में बंद हैं. खान के साथ उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम भी जेल गए थे. हालांकि पत्नी और बेटे को जमानत मिल चुकी है.
रामपुर की राजनीति में खान की पकड़ लम्बे समय से मजबूत रही है. 2019 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बसपा से सारे गिले-शिकवे भुलाकर मैदान में थी लेकिन पार्टी को कुछ खास लाभ नहीं मिला. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव तक को हार का सामना करना पड़ा. मोदी लहर और सपा के खराब नतीजों के बीच भी आजम खान ने रामपुर से भाजपा की प्रत्याशी, फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया.
सांसद बनने से पहले, आजम खान रामपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. उनके सांसद बनने के बाद उपचुनाव हुए तो उनकी पत्नी तंजीम फातिमा भाजपा के उम्मीदवार को हराकर विधायक बनीं. वहीं अब्दुल्ला आजम, स्वार विधानसभा क्षेत्र से 2017 में विधायक बने थे. हालांकि 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता को अयोग्य करार दिया था.
इस बार फिर से समाजवादी पार्टी ने रामपुर विधासनभा क्षेत्र से आजम खान और स्वार से अब्दुल्ला आजम को मैदान में उतारा है. रामपुर की राजनीति में कदम रखने के बाद यह पहला मौका है, जब आजम खान के बिना चुनाव लड़ा जा रहा है.
आजम खान के बिना चुनाव
एक तरह जहां भारतीय जनता पार्टी के नेता आजम खान पर लगातार निशाना साध रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और उसके नेता, आजम खान और उनके परिवार को निर्दोष बताते नजर आते हैं. रामपुर में हमें समाजवादी पार्टी का एक पोस्टर मिला जिसमें खान को केंद्र और यूपी सरकार के साजिशों का शिकार बताया गया है. पोस्टर पर आजम खान को विकास पुरुष बताते हुए लिखा है, ‘‘आम आदमी की, आपकी दमदार आवाज को कमजोर करने, आपके हक के लिए हमेशा संघर्ष करने वाली मजबूत ताकत को तोड़ने और विकास एवं शिक्षा के लिए कराए गए एतिहासिक कामों को न केवल रोकने बल्कि बर्बाद करने का एक षड्यंत्र आपके दुश्मनों द्वारा रचा गया है.’’
आजम खान और उनका परिवार राजनीति के शिकार हैं, ऐसा रामपुर के ज्यादातर लोगों का भी मानना है. यहां रेलवे स्टेशन के सामने चाय की दुकान चलाने वाले तनवीर की मानें तो, “रामपुर में आपको जो भी विकास का काम दिख रहा है, वो आजम खान की देन है. यहां था ही क्या? यहां की सड़कों को बनाने हो या स्कूल का निर्माण करना हो. आजम खान ने सबकुछ किया. अब तो सबकुछ बर्बाद किया जा रहा है. उन्हें जेल में डालकर मारने की कोशिश की गई. इलाज का इंतजाम नहीं किया गया. अल्लाह की मर्जी थी तो वे बच गए. पिछली बार वो एक लाख वोट से जीते थे इस बार उससे ज्यादा से जीतेंगे.”
गोरखपुर के रहने वाले शिवाजी शुक्ला बीते 15 सालों से आजम खान के प्रचार के लिए रामपुर आते हैं. समाजवादी पार्टी के नेता शुक्ला, इस बार विंध्यवासिनी जायसवाल और अनुज सोनकर के साथ यहां आए हैं. शुक्ला के मुताबिक वे और विंध्यवासिनी जायसवाल पचरुखिया कांड के मुख्य गवाह रहे हैं. 10 फरवरी 1999 को हुए पचरुखिया कांड में पुलिस कांस्टेबल सत्य प्रकाश यादव की हत्या का आरोप योगी आदित्यनाथ पर लगा था. हालांकि 2018 में इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. शुक्ला और जायसवाल घटना के समय वहां मौजूद होने का दावा करते हैं.
शुक्ला अपनी टीम के साथ हिंदू बाहुल्य इलाकों में जाकर वोटरों के मन को पढ़ते हैं और खान के पक्ष में प्रचार करते हैं. वे अपने खर्च पर ऐसा करते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए शुक्ला कहते हैं, ‘‘जो नेताजी (आजम खान) के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता था. उन सारे रिकॉर्डों को यह चुनाव तोड़ रहा है. पहले के चुनावों की तुलना में 50 हजार से ज्यादा वोटों से इस बार वे चुनाव जीत रहे हैं.’’
शिवाजी शुक्ला आगे कहते हैं, ‘‘चूंकि हम हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में ही ज्यादा टहल रहे हैं. सरदार लोगों के यहां खाना खा रहे हैं. मारवाड़ी लोगों के होटल में रह रहे हैं. उनके यहां हम खुद को समाजवादी पार्टी का बताकर नहीं जाते हैं. उनसे बात करते हैं तो वे कहते हैं कि हम लोग बीजेपी को वोट देते, लेकिन जबसे आजम खान को जेल में बंद किया गया तब से बीजेपी ने रामपुर में एक कील या ईंट तक नहीं लगवाई है. उनका कहना है कि तुमको (भाजपा) को आजम खान से दुश्मनी थी, तुम उन्हें जेल भेज देते. लेकिन खान ने यहां जितने विकास के काम कराए थे उन्हें बर्बाद कर दिया. ऐसे में जिन्होंने इससे पहले कभी वोट नहीं दिया वे इस बार आजम खान को वोट कर रहे हैं. इस बार, यहां जनता चुनाव लड़ रही है.’’
भाजपा बार-बार अपने प्रचार में सपा शासन को गुंडाराज बताती है. ऐसे में क्या खान के जेल में होने का नकारात्मक असर नहीं होगा? इस सवाल के जवाब में विंध्यवासिनी जायसवाल कहते हैं, ‘‘इस सरकार में ही उन पर सारे मुकदमें दर्ज हुए हैं. इस सरकार से पहले तो कोई मुकदमे थे ही नहीं. ऐसे में जनता सब समझ रही है. किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने से वो मुजरिम हो जाएगा. बीजेपी सरकार से पहले उन पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं था. उन पर गलत आरोप लगे है. उन्हें रोकने के लिए ऐसा किया गया.’’
कई मीडिया रिपोर्ट जायसवाल की बातों की गवाही देती हैं. आज तक की खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद आजम खान पर 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं. वहीं हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक आजम खान पर पायल, बकरी, भैंस लूटने से लेकर सरकारी जमीन कब्जाने, नदी की जमीन पर कब्जा करने, शत्रु संपत्ति कब्जाने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, आचार संहिता उल्लंघन, अमर्यादित टिप्पणी करने सरीखी धाराओं में केस दर्ज हैं.
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता असद अली, आजम खान पर लगे आरोपों के जवाब में कहते हैं, ‘‘गुलाम भारत में भी किसी पर इतनी ज्यादती नहीं हुई होगी जितनी आजम खान साहब के साथ अब हो रही है. आजम खान साहब भैसें चुराएंगे, बकरियां चुराएंगे? आजम खान और उनके परिवार पर झूठे मुकदमे लगाए गए. हम जैसे कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे लगाए गए. हमें जेल भेजा गया. हम पर गुंडा एक्ट लगाया गया. जो ज्यादती रामपुर में हुई है, उसका बदला लेने के लिए रामपुर तैयार है. आम खान साहब को रामपुर जिला चुनाव लड़ा रहा है. उनके सामने तो कोई है ही नहीं. यहीं नहीं, यहां की पांचों सीटें हम जीत रहे हैं.’’
अमर उजाला की खबर के मुताबिक केशव प्रसाद मौर्य ने रामपुर में कहा कि जिसके कारण यूपी दंगे की आग में सुलगा, आज वो जेल में मिमिया रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो उनका इशारा आजम खान की तरफ था. हालांकि यहां के समाजवादी पार्टी के हिंदू कार्यकर्ता, खान को हिंदू मुस्लिम एकता की प्रतीक बताते हैं. रामपुर के समाजवादी पार्टी कार्यालय में मौजूद आनंद प्रकाश शर्मा कहते हैं, ‘‘यहां का हर कार्यकर्ता आजम खान है. वे हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं. मैं उनसे बीते 30 सालों से जुड़ा हूं. जहां तक रही ब्राह्मण समुदाय की बात तो इस बार ब्राह्मण समुदाय खुलकर समाजवादी पार्टी को वोट करेगा क्योंकि हम परशुराम जी को मानते हैं. उनकी जयंती पर छुट्टी देने का काम अखिलेश यादव और आज़म खान साहब की सरकार ने किया था.’’
एनडीटीवी से बात करते हुए अब्दुल्ला आजम भी बदले की राजनीति के तहत मामला दर्ज कराने की बात कहते हैं. ‘‘जिस परिवार के ऊपर कभी 151 के तहत भी मुकदमा नहीं था. उसके ऊपर तीन सालों में 350 मुकदमे दर्ज किए गए. मेरे ऊपर, मेरी वालिदा, मेरे वालिद पर, मेरी फूफी पर, मेरे ताऊ पर. आप यकीन नहीं मांगेगे मेरी वो दादी जिनका दस साल पहले इंतकाल हो गया, उन तक पर भी एफआईआर दर्ज कर दिए गए. यहां अगर कोई गुंडई होती, आतंक होता, तो ये प्यार मिलता?’’ अब्दुल्ला यह बात भीड़ की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं.
अब्दुल्ला आजम की बढ़ी व्यस्तता
न्यूज़लॉन्ड्री ने इंटरव्यू के लिए अब्दुल्ला आजम के करीबियों से संपर्क किया. इंटरव्यू के लिए समय नहीं होने की बात कहते हुए उनके एक करीबी ने बताया कि आजम खान के नहीं होने से दोनों क्षेत्रों में प्रचार की जिम्मेदारी अब्दुल्ला के ऊपर ही है. रामपुर और स्वार में प्रचार करने के साथ-साथ, अब्दुल्ला रामपुर की बाकी तीन विधानसभाओं में भी प्रचार करने जा रहे हैं.
भाजपा ने आज़म खान के खिलाफ रामपुर शहर से आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया है. आजम खान और उनके परिवार को जेल भिजवाने में सक्सेना का बड़ा हाथ माना जाता है. वहीं कांग्रेस ने काजिम अली खान को उम्मीदवार बनाया है. वहीं एनडीए गठबंधन की तरफ से अपना दल ने, नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां को स्वार से मैदान में उतारा है. हमजा आजम खान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे नवाब काजिम अली के बेटे हैं. 2017 के चुनाव में अब्दुला ने नवाब काजिम अली को हराया था. रामपुर नबाव परिवार और आजम परिवार में लंबे समय से राजनीतिक संघर्ष चल रहा है.
आजम खान की अनुपस्थिति में चुनाव लड़ने के सवाल पर क्विंट से बातचीत में अब्दुल्ला कहते हैं, ‘‘चुनाव से ज्यादा मेरे लिए हो या रामपुर की जनता के लिए हो, जीना ज्यादा मुश्किल है. शायद जंग के मैदान जैसा रामपुर का चुनाव है. हम भाजपा, कांग्रेस से नहीं लड़ रहे, हम लड़ रहे यहां के अधिकारियों से.’’
आजम खान की चुनाव में अनुपस्थिति पर अखिलेश यादव कहते हैं, ‘‘चुनाव में रहते तो बात अलग थी लेकिन जिस तरह का विकास, जिस तरह की आजम खान साहब की पहचान रही है कि उन्होंने रामपुर को तरक्की, खुशहाली से जोड़ा है. यहां पर यूनिवर्सिटी लाने काम किया. यहां पर विकास किए. बीते पांच सालों में रामपुर की जनता ने देखा कि उनके साथ धोखा हुआ है. उन पर छोटे-छोटे कई मुकदमे दर्ज हुए हैं. मुझे लगता है कि छोटी सोच के लोग ही ऐसा कर सकते हैं.’’
रामपुर में आजम खान का बनवाया मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी बेहद विवादों में रहा. 2019 में मदरसा आलिया ने शिकायत दर्ज कराई है कि उसके यहां रखे सैकड़ों साल पुराने ऐतिहासिक इस्लामिक ग्रंथ चोरी हो गए हैं. बाद में दावा किया गया कि छापेमारी में पुलिस ने उन किताबों को विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी से बरामद किया है. हालांकि आजम खान ने इसे गलत बताया था. इसके अलावा भी कई दूसरे आरोप यूनिवर्सिटी पर लगे.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम जब यूनिवर्सिटी पहुंची तो छात्र परीक्षा देकर लौट रहे थे. गेट में मिले गार्ड कहते हैं, ‘‘यहां हर मजहब के छात्र पढ़ने आते हैं. आप अंदर जाकर देखिए कितने अच्छे भवन बनाए गए हैं. दुनिया भर की यूनिवर्सिटी की इमारतों से सीखकर यहां निर्माण कराया गया. सरकार इसे बर्बाद करने पर तुली हुई है. किताब चोरी का आरोप लगाकर हंगामा किया गया. सब संस्थान को बदनाम करने की कोशिश थी. आजम खान जेल में हैं लेकिन सामने दिख रही सड़कें, ये यूनिवर्सिटी और रामपुर शहर में भव्य निर्माण, उनके विकास के कामों को याद दिला रहे हैं. पहले की तुलना से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतेंगे.’’
रामपुर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हों या नेता, वे आजम खान की बंपर वोटों से जीत के दावे करते हैं. हालांकि खान की अनुपस्थिति का एहसास भी सबको है.
जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम समाजवादी पार्टी के साथ रामपुर में मौजूद थी तो आजम खान के चुनाव में प्रचार करने को लेकर लोग आपस में बात कर रहे थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने खान को अंतरिम जमानत नहीं दी. आज तक की खबर के मुताबिक, ‘‘आजम खान ने विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत पर रिहाई मांगी थी. याचिका में आजम खान ने आरोप लगाया है कि यूपी सरकार जानबूझकर उनके मामले को लटका रही है ताकि वो अपने चुनाव प्रचार में भी भाग न ले सकें.’’
रामपुर में विधानसभा चुनाव, 14 फरवरी यानी दूसरे चरण में हैं. वहीं राज्य के चुनावों के नतीजे 10 मार्च को आएंगे.
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