Report
कोविड महामारी में स्कूलबंदी: 63 करोड़ से अधिक बच्चों की शिक्षा हुई प्रभावित
कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में जिस तरह से पूर्ण या आंशिक रूप से स्कूल बंद करने पड़े हैं उससे दुनिया भर में करीब 63.5 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है. यह जानकारी हाल ही में यूनिसेफ द्वारा साझा नवीनतम आंकड़ों में सामने आई है. गौरतलब है कि पिछले करीब दो वर्षों से महामारी के कारण शिक्षा प्रभावित रही है.
इन व्यवधानों से बच्चों में बुनियादी जोड़-घटा और पढ़ने-लिखने के कौशल पर असर पड़ा है. वैश्विक स्तर पर शिक्षा में आए व्यवधान का मतलब है कि लाखों बच्चे उस स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए थे, जो उन्हें क्लास में होने पर मिलती. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे और कमजोर वर्ग से संबंध रखने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा हुआ है.
स्कूलों के बंद होने के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सीखने का जो नुकसान हुआ है उसे देखें तो जहां महामारी से पहले इन देशों में 10 वर्ष की उम्र के 53 फीसदी बच्चे अपने पाठ को पढ़ने या समझने में असमर्थ थे वो प्रतिशत अब बढ़कर 70 पर पहुंच चुका है. यदि इथियोपिया से जुड़े आंकड़ों को देखें तो वहां प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे व्यवधान के चलते सामान्य से केवल 30 से 40 फीसदी ही गणित सीख पाए थे.
इसी तरह महामारी से पहले जहां ब्राजील के कई राज्यों में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले आधे बच्चे पढ़ने में असमर्थ थे वो आंकड़ा बढ़कर 75 फीसदी पर पहुंच गया था. वहीं ब्राजील में 10 से 15 वर्ष की उम्र के हर 10वें बच्चे की मंशा स्कूल खुलने के बाद वापस स्कूल जाने की नहीं थी. यदि दक्षिण अफ्रीका से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मार्च 2020 से जुलाई 2021 के बीच करीब 4 से 5 लाख बच्चों ने कथित तौर पर स्कूल छोड़ दिया था.
समय बीतने के साथ-साथ स्कूलों के बंद होने का असर भी बढ़ता जा रहा है. सीखने समझने के नुकसान के साथ-साथ स्कूलों के बंद होने का असर बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. इसके कारण पोषण के नियमित स्रोत तक उनकी पहुंच कम हो गई है और उनके उत्पीड़न का खतरा भी बढ़ गया है.
कई बच्चों के लिए पोषण का एकमात्र स्रोत है स्कूलों में मिलने वाला भोजन
साक्ष्य बताते हैं कि कोविड-19 महामारी के चलते बच्चों और युवाओं में चिंता और अवसाद कहीं ज्यादा बढ़ गया है. पिछले अध्ययनों से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किशोरों और लड़कियों में अन्य की तुलना में यह समस्या कहीं ज्यादा होने की संभावना है.
गौरतलब है कि दुनिया भर में स्कूलों के बंद होने के कारण करीब 37 करोड़ बच्चे रोज मिलने वाले भोजन से वंचित हो गए हैं. दुर्भाग्य की बात है कि कुछ बच्चों के लिए यह भोजन उनके दैनिक पोषण का एकमात्र विश्वसनीय स्रोत था.
इस बारे में यूनिसेफ के शिक्षा प्रमुख रॉबर्ट जेनकिंस का कहना है कि इस साल मार्च में शिक्षा पर पड़ते कोविड-19 के प्रभाव को दो साल हो जाएंगे. यह स्कूली शिक्षा को होती ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई आसान नहीं है. इसके लिए केवल स्कूलों को दोबारा चालू करना काफी नहीं है, इसके कारण सीखने के मार्ग में जो व्यवधान आए हैं उन्हें दूर करना जरूरी है.
इस नुकसान को पूरा करने के लिए बच्चों को काफी मदद की जरूरत होगी. उनके अनुसार इस भरपाई के लिए स्कूलों को शिक्षा देने के साथ-साथ बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा. साथ ही उनके सामाजिक विकास और पोषण को भी ध्यान में रखना होगा.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
Also Read
-
No POSH Act: Why women remain unsafe in India’s political parties
-
Himanta family’s grip on the headlines via Northeast India’s biggest media empire
-
7 FIRs, a bounty, still free: The untouchable rogue cop of Madhya Pradesh
-
रिपोर्टर्स डायरी: धराली के मलबे में दबी असंख्य कहानियों को सामने लाने की दुर्गम यात्रा
-
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और करण थापर के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक लगाई