Assembly Elections 2022
मथुरा: यूपी सरकार में मंत्री श्रीकांत शर्मा की विधानसभा के लोगों ने कहा, 'नहीं करेंगे वोट'
चुनावी कवरेज के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की टीम मथुरा में है. इस दौरान हमें हाईवे पर एक पोस्टर दिखा जिसमें लिखा था 'हम वोट का बहिष्कार करते हैं'. यह जानने के लिए हमने स्थानीय लोगों से बात की कि आखिर लोग वोट का बहिष्कार क्यों कर रहे हैं
मथुरा के विकास नगर निवासी रविंद्र इस सवाल पर कहते हैं, "यहां पर पिछले पांच साल से किसी तरह का कोई विकास नहीं हुआ है. चुनाव से पहले यहां के विधयक श्रीकांत शर्मा क्षेत्र का दौरा करने आए थे और कहा था कि हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन जीतने के बाद वो हमारे क्षेत्र में एक बार भी नहीं आए. यहां पर सड़कें बहुत खराब हैं. पानी का निकास नहीं होता है. घरों में भी पानी भरा हुआ है. गंदगी में रहने के कारण बच्चे, बूढ़े आए दिन बीमार रहते हैं."
बता दें कि श्रीकांत शर्मा भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और मथुरा से विधायक हैं. वह उत्तरप्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं.
वोट न देने पर कॉलोनी की एक वृद्ध महिला कहती हैं, "हमारी कॉलोनी में पांच हजार मतदाता हैं और हमने फैसला किया है कि हम किसी को वोट नहीं देंगे. हमारे घरों में पानी भरा हुआ है लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है. श्रीकांत शर्मा ने हमें आश्वस्त किया था कि हम यहां रोड बनवाएंगे लेकिन जीतने के बाद उन्होंने यहां आकर एक बार भी नहीं देखा. पानी भरा होने के कारण बीमारियां फैल रही हैं. मेरे घर में सब बीमार पड़ गए हैं. हम नहीं बता सकते कि हमारे साथ क्या हुआ है."
पानी के निकास की समस्या पर एक स्थानीय निवासी बताते हैं, "यहां पानी के निकास की कोई व्यस्वस्था नहीं है. पानी भरने से यहां डेंगू के मामलो में भी बढ़ोतरी हुई थी जिसके कारण कई लोगो की मौत भी हुई. उस समय हर घर में एक व्यक्ति बीमार था."
Also Read: यूपी चुनाव 2022: “राशन नहीं रोजगार चाहिए”
Also Read
-
‘Godi in Delhi, Didi media in WB’: Bengal journo Suman Chattopadhyay on Mamata, Modi, media
-
‘Defaming me’: Shiv Sena UBT’s Amol Kirtikar on ED notice, Hindutva, Sena vs Sena
-
Modi’s ‘Hindu-Muslim’ assertion amplified unchecked. Thanks to a media in coma
-
Unemployment a big issue, but will it dent Modi govt? Election charcha at Lucknow University
-
Prices, bills, and booze ban: What matters to Haryana’s women workers