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प्रसार भारती में अंधेरगर्दी: नियम के खिलाफ प्रसार भारती न्यूज़ सर्विस के प्रमुख दो-दो कंपनियों में बने हुए हैं निदेशक

भारत सरकार की प्रसारणकर्ता कंपनी प्रसार भारती ने अपने यहां काम करने वाले ‘गैर सरकारी कर्मचारियों’ के लिए कुछ दिशा-निर्देश बनाए हैं. इनके मुताबिक कोई भी कर्मचारी यहां काम करते हुए किसी भी दूसरे संस्थान से नहीं जुड़ सकता है, अगर कोई ऐसा करता है तो उसे बिना किसी नोटिस के हटा दिया जाएगा. हमारी जानकारी में आया है कि प्रसार भारती न्यूज़ सर्विस (पीबीएनएस) के प्रमुख समीर कुमार खुद इस नियम की अनदेखी कर रहे हैं.

भारत सरकार ने 2019 में पीबीएनएस की शुरुआत की थी. किन परिस्थियों में और क्यों पीबीएनएस को आनन-फानन में शुरू किया इसका जिक्र हम आगे करेंगे. इस न्यूज़ सर्विस का पहला प्रमुख समीर कुमार को बनाया गया है. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद दस्तावेज के मुताबिक कुमार दो निजी कंपनियों में निदेशक हैं. जो प्रसार भारती के नियमों के खिलाफ है.

भारत सरकार के कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में समीर कुमार का नाम रजिस्टर्ड है. उनकी निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन) नंबर 07718901 है. डीआईएन किसी व्यक्ति को दी जाने वाली आठ अंकों की एक विशिष्ट पहचान है. कोई व्यक्ति भले ही दो या दो से अधिक कंपनियों में निदेशक हो, उसे केवल एक डीआईएन मिलता है. डीआईएन नंबर 07718901 को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की वेबसाइट पर सर्च करने पर दो कंपनियों में समीर कुमार के निदेशक होने की जानकारी सामने आती है.

पहली कंपनी Parintek Innovations Private Limited है, इसमें कुमार 15 मार्च, 2017 से निदेशक हैं और दूसरी कंपनी Science Wience Pvt Ltd है, जिसमें वो 10 फरवरी, 2017 से निदेशक हैं.

प्रसार भारती ने अपने यहां काम करने वाले 'गैर सरकारी' कर्मचारियों को जो दिशा निर्देश दिए हैं, उसका 14वां पॉइंट कहता है- ‘‘अपने अनुबंध की अवधि के दौरान आप किसी अन्य व्यावसायिक इकाई या अन्य संगठन के व्यवसाय में सीधे स्वामित्व, प्रबंधन, नियंत्रण, परामर्श प्रदान करने, सेवा प्रदान करने या व्यवसाय में बिना लिखित इजाजत के संलग्न नहीं होंगे. ’’

इसको आगे और स्पष्ट करते हुए लिखा गया है- ‘‘आप मालिक, कर्मचारी, अधिकारी, निदेशक, एजेंट, भागीदार, सलाहकार या संविदात्मक असाइनमेंट, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, अंशकालिक या किसी भी रूप से नहीं जुड़ सकते हैं.’’

इसके बाद दिशा निर्देश के 16वें पॉइंट पर लिखा है- ‘‘यदि आप इस अनुबंध के खंड 12/13/14/15 की शर्तों का कोई उल्लंघन करते हैं, तो प्रसार भारती बिना कोई कारण बताए तत्काल प्रभाव से संविदात्मक अनुबंध को समाप्त करने के लिए स्वतंत्र होगा.’’

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय पर दी गई जानकारी के मुताबिक समीर कुमार 2017 से ही दोनों कंपनियों में निदेशक हैं. वहीं वे मार्च 2019 में पीबीएनएस से बतौर हेड जुड़े. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रसार भारती का नियम इन पर लागू नहीं होता है?

कुमार को लेकर एक पत्र सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को लिखा गया है. इस पत्र की प्रति न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद है. पत्र के विवरण के मुताबिक इसकी प्रतियां प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति, दूरदर्शन के डीजी मयंक अग्रवाल समेत प्रसार भारती के दूसरे कई जिम्मेदर लोगों को भेजी गई हैं.

इस पत्र में भी कुमार के अलग-अलग कंपनियों में निदेशक होने की जानकारी दी गई है. पत्र में लिखा है, ‘‘प्रसार भारती का यह कानून सिर्फ कमजोर कर्मचारियों पर लागू होता है, समीर कुमार पर नहीं. कुमार दो कंपनियों से अपनी जुड़ाव का आनंद ले रहे हैं.’’

जब न्यूज़लॉन्ड्री ने समीर कुमार से इन दोनों कंपनियों से जुड़ाव को लेकर सवाल किया तो वो कहते हैं, ‘‘यह आपने डीआईएन नंबर से निकाला है. यह जानकारी निकालना कोई रॉकेट साइंस नहीं है.’’

हमने उनसे पूछा कि प्रसार भारती के नियम के मुताबिक आप यहां काम करते हुए किसी दूसरे संस्थान से नहीं जुड़ सकते, फिर भी आप दो कंपनियों में निदेशक हैं. क्या यह नियमों का उल्लंघन नहीं है? इस पर कुमार कहते हैं, ‘‘अगर आप प्रसार भारती के नियम को लेकर बात कर रहे हैं तो आप प्रसार भारती से बात कीजिए. बाकी यहां किसी भी तरह नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा है. मैं इन दोनों संस्थानों का सह संस्थापक हूं. यह स्टार्टअप है. जिसमें मैं इन्वेस्टर हूं और समय-समय पर सलाह देकर इसे सहयोग करता हूं. यह सबकी जानकारी में है. वैसे भी यह तब का है जब मैं प्रसार भारती में आया नहीं था.’’

क्या आपने इन दोनों कंपनियों से जुड़ाव की जानकारी प्रसार भारती को दी है? इस सवाल का जवाब कुमार 'हां' में देते हैं.

कुमार जिस गाड़ी से ऑफिस जाते हैं वह भी इनमें से एक कंपनी के नाम पर दर्ज है. कुमार ऑफिस आने के लिए गाड़ी (UP-14 EA0151) का इस्तेमाल करते हैं. इस पर ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ का लोगो लगा हुआ है. जबकि इस गाड़ी का मालिकाना हक Parintek Innovations Private Limited के नाम से है.

कुमार न्यूज़लॉन्ड्री से स्वीकार करते हैं कि मैं उस गाड़ी का इस्तेमाल करता हूं. हालांकि देखना होगा कि यह मेरे नाम पर है. वैसे मैं इस्तेमाल करता हूं इसलिए उस पर ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ लिखा हुआ है.’’

पीबीएनएस की शुरुआत और कैसे बने कुमार इसके प्रमुख

समीर कुमार के खिलाफ सूचनामंत्री को लिखे गए पत्र में बताया गया है कि उनका पत्रकारिता में कोई अनुभव नहीं रहा है. यह सच भी है. आईआईटी और आईआईएम से पढ़े कुमार, मई 2018 तक सिंगापुर में ड्यूक बैंक में निदेशक थे. वहां से नौकरी छोड़कर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के सीईओ के रूप में मई 2019 में जुड़े. यहां से कुमार की पत्रकारिता में जुड़ने का सिलसिला शुरू होता है.

अब यहां हम आपको पीबीएनएस के बनने और समीर कुमार की भूमिका के बारे में बताते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने इसको लेकर पूर्व में विस्तृत रिपोर्ट की है. अपनी न्यूज़ एजेंसी खोलने की बड़ी वजह सरकार का पीटीआई पर कब्जा करने में असफल होना था. 2014 में पहली दफा भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने मीडिया के तमाम महत्वपूर्ण हिस्सों पर प्रत्यक्ष-परोक्ष तरीके से अपना नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश की. इन कोशिशों में एक अहम कोशिश थी पीटीआई पर नियंत्रण स्थापित करने की.

26 फरवरी, 2016 को पीटीआई निदेशक मंडल की एक आपात बैठक बुलाई गई. गौरतलब है कि पीटीआई के निदेशक मंडल में देश के 98 महत्वपूर्ण अखबारी घरानों के सदस्य हैं. आशा के विपरीत बैठक में सदस्यों को जानकारी दी गई कि मोदी सरकार पीटीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करना चाहती है. अपनी पसंद का संपादक लाना चाहती है. लेकिन निदेशक मंडल ने बहुमत से तय किया कि वह सरकार की तरफ से होने वाले ऐसे किसी हस्तक्षेप का विरोध करेगी और पीटीआई की स्वायत्तता को कायम रखने का काम करेगी.

उस वक्त पीटीआई बोर्ड के चेयरमैन होरमुसजी एन कामा ने साफ शब्दों में बयान जारी किया, “हमने हमेशा अपनी स्वतंत्रता को महत्व दिया है. मैं इस मौके पर आप सबको भरोसा देना चाहता हूं कि हम पीटीआई में किसी तरह के राजनीतिक प्रभाव या हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देंगे.”

पीटीआई के 16 सदस्यीय बोर्ड के बाकी सदस्यों ने भी उस मीटिंग में चेयरमैन के विचार को पूरा समर्थन दिया. इस तरह से पीटीआई पर कब्जे की मोदी सरकार की पहली पहल नाकाम रही. यहां से मोदी सरकार की पीटीआई से अदावत का सिलसिला शुरू हो गया.

इसके बाद सरकार ने विकल्प के तौर पर अन्य समाचार एजेसियों से खबर लेना शुरू कर दिया. इसमें 'हिन्दुस्थान समाचार' भी था. 'हिन्दुस्थान समाचार' का स्वामित्व बीजेपी नेता आरके सिन्हा के पास है. उस वक्त समीर कुमार ‘हिन्दुस्थान समाचार’ में सीईओ थे.

हालांकि ‘हिन्दुस्थान समाचार’ और प्रसार भारती के बीच चीजें तय नहीं हो पायीं और यह करार रुक गया. इसके बाद ही पीबीएनएस की शुरुआत हुई. और जो समीर कुमार पहले 'हिन्दुस्थान समाचार' के लिए सरकार से बात कर रहे थे वे खुद पीबीएनएस के पहले प्रमुख बन गए.

कुमार पर कर्मचारियों से दुर्व्यवहार का आरोप

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सहायक निदेशक कार्यक्रम पद पर आसीन एक अधिकारी ने समीर कुमार की लिखित रूप से शिकायत की.

प्रसार भारती के अपर महानिदेशक को लिखे पत्र में कर्मचारी ने लिखा, ‘‘मानसिक प्रताड़ना की स्थिति में मैं बेहद मानसिक तनाव से गुजर रहा हूं. मैं हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की दवाएं लेता हूं. आज के कठिन दौर में मेरी मृत्यु हो जाती है तो इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी डीडीजी मैडम नवनीत कौर और श्री समीर कुमारजी की होगी.’’

इस कर्मचारी ने एक मार्च 2021 को ही पीबीएनएस ज्वाइन किया था. अपनी शिकायत में उन्होंने लिखा है, ‘‘1 मार्च, 2021 को पीबीएनएस कार्यालय में अपनी जॉइनिंग दी. जहां हेड समीर कुमार ने कहा कि यहां एडीपी की आवश्यकता नहीं है. डीडीजी नवनीत कौर भोपाल से आएंगी तब वो निर्णय करेंगी. आप पीबीएनएस ऑफिस पर नहीं आएंगे.’’

इसके बाद शोषण का सिलसिला शुरू हुआ. उक्त कर्मचारी के मुताबिक उन्हें दूरदर्शन के कंटेंट हेड राहुल महाजन के खिलाफ शिकायत लिखने का दबाव बनाया गया. नवनीत कौर उन्हें अपने ऑफिस के बाहर किसी दिन दो घंटे तो किसी दिन चार घंटे बैठाकर कहतीं कि जाओ कोई काम नहीं है. उन्हें बैठने की जगह नहीं दी गई. इसके बाद मजबूर होकर उन्होंने पत्र लिखा और जीवनदान मांगा.

इस मामले से जुड़े एक कर्मचारी ने हमें बताया कि अभी इस मामले की जांच चल रही है. हमने पत्र लिखने वाले कर्मचारी से फोन पर बात की तो उन्होंने कुछ भी कहने से साफ इंकार कर फोन काट दिया.

इसके अलावा जो पत्र अनुराग ठाकुर को लिखा गया है उसमें भी कुमार पर अपने मन से कर्मचारी लाने, दूसरे कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने जैसी जानकारियां दी गई हैं. वहीं पहले भी इस तरह की खबरें आती रही हैं. इस पर जब हमने कुमार से सवाल किया तो वे हमसे हमारे सोर्स की जानकारी मांगने लगे. सोर्स की जानकारी साझा नहीं करने पर कुमार कहते हैं, ‘‘यह जानकारी आपने आरटीआई से लिया है? आपके पास इंटरनल जानकारी कैसे आई. आप इसके लिए अपर महानिदेशक एचआर से बात कीजिए.’’

इस विवाद में समीर कुमार पर लगे आरोप और दो कंपनियों में बतौर निदेशक उनकी भूमिका को समझने के लिए हमने प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति से बात करने की कोशिश की. वेम्पति ने यह कहते हुए फोन काट दिया कि वे न्यूज़लॉन्ड्री से कोई बात नहीं करना चाहते हैं. हालांकि हमने इस स्टोरी के संबंध में कुछ जरूरी सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो उसे खबर में अपडेट कर दिया जाएगा.

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