Report
बाघ और जगुआरों पर मंडरा रहा है गंभीर खतरा
दुनियाभर में जिस तरह से ऊर्जा सबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है उसके चलते बाघ और जगुआरों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. यह जानकारी हाल ही में जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है, जिसके अनुसार जलविद्युत परियोजनाओं के चलते इन दोनों प्रजातियों के आवास पर व्यापक असर पड़ा है.
देखा जाए तो इन जलविद्युत परियोजनाओं का उद्देश्य पर्यावरण को कम से कम प्रभावित करके दुनिया की ऊर्जा सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करना है. लेकिन बड़े दुख की बात है कि एक तरफ जहां हम जलविद्युत को ऊर्जा के साफ सुथरे विकल्प के रूप में देख रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इन परियोजनाओं ने दुनिया भर में बड़े पैमाने पर पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है. आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में ऊर्जा सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए 3700 से भी ज्यादा बांध निर्माणाधीन हैं, जिनकी क्षमता एक मेगावाट से ज्यादा है.
अध्ययन से पता चला है कि जलविद्युत परियोजनाओं के चलते इन जीवों के आवास स्थल पर जो नुकसान पहुंचा है उसका खामियाजा दुनिया के 20 फीसदी से ज्यादा बाघों और हर 200 में से एक जगुआर को उठाना पड़ा है.
यदि आईयूसीएन द्वारा जारी संकटग्रस्त प्रजातियों की सूचि में बाघों को खतरे में पड़ी प्रजातियों में शामिल किया गया है. इस सूचि के अनुसार दुनिया भर में अब केवल 3,159 वयस्क बाघ ही बचे हैं. यही नहीं इनकी आबादी भी लगातार कम हो रही है, जिसके लिए कहीं हद तक इनके आवास को हो रहा नुकसान जिम्मेवार है. वहीं यदि जगुआर की बात करें तो यह भी संकटग्रस्त प्रजाति है, जिसकी आबादी लगातार घट रही है.
इन जलविद्युत परियोजनाओं से बाघ और जगुआरों के आवास पर कितना प्रभाव पड़ रहा है उसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने उन देशों से आंकड़े प्राप्त किए हैं जहां वे रहते हैं. जानकारी मिली है कि इन परियोजनाओं ने बाघों के 13,750 वर्ग किलोमीटर और जगुआरों के 25,397 वर्ग किलोमीटर में फैले आवास स्थल को प्रभावित किया है.
बाघों के आवास को प्रभावित कर रहे 282 बांधों में से अकेले भारत में हैं 90.7 फीसदी बांध
शोध के मुताबिक 164 बांध ऐसे है जो जगुआरों के आवास और 421 बांध ऐसे हैं जो बाघों के आवास को प्रभावित कर रहे हैं. इनमें से 282 बांध ऐसे हैं जो बाघों की आबादी को प्रभावित कर रहे हैं, जिनमें से करीब 90.7 फीसदी बांध तो अकेले भारत में हैं. वहीं 139 बांध ऐसे क्षेत्रों में हैं जहां से अब बाघ पूरी तरह विलुप्त हो चुके हैं.
अनुमान है कि आने वाले कुछ दशकों के दौरान इन जलविद्युत परियोजनाओं और उससे जुड़े निर्माण में भारी इजाफा होने की सम्भावना है, जो इन जीवों को प्रभावित कर सकते हैं. यह निर्माण विशेषतौर पर जगुआरों के आवास को प्रभावित करेंगें. अनुमान है कि उनके आवास क्षेत्र में इन बांधों की संख्या बढ़कर चार गुनी हो जाएगी. जगुआरों के आवास क्षेत्र में जहां और 429 बांधों को बनाए जाने की योजना है वहीं बाघों के आवास क्षेत्र में और 41 बांधों के निर्माण की योजना है.
गौरतलब है कि इन जंगली जीवों को अपने रहने के लिए काफी ज्यादा स्थान की जरूरत पड़ती है. पर जिस तरह से इन जलविद्युत परियोजनाओं के लिए निर्माण किया जा रहा है उसका असर इनके आवास पर भी पड़ रहा है. अनुमान है कि कुल जंगली बाघों की करीब 20 फीसदी और जगुआरों की 0.5 फीसदी आबादी को इन परियोजनाओं के कारण विस्थापित होना पड़ा है. देखा जाए तो वर्तमान समय में दुनिया भर में बाघों को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद पिछली शताब्दी में वो अपने 90 फीसदी से ज्यादा मूल आवासों से विलुप्त हो चुके हैं.
शोधकर्ताओं ने ऐसे हजार से ज्यादा मौजूदा बांधों की पहचान की है जो बाघों और जगुआर की आवास स्थलों को प्रभावित कर रहे हैं. जिसका सीधे तौर पर असर इनकी आबादी पर पड़ रहा है. कहीं-कहीं तो इन बांधों के निर्माण से स्थानीय इलाकों में बाघों के विलुप्त होने की भी सम्भावना जताई गई है.
शोध के मुताबिक देखा अपेक्षाकृत रूप से जगुआरों की बहुत कम आबादी पर इन बांधों और जलविद्युत परियोजनाओं का असर देखा गया है. हालांकि देखा जाए तो जगुआरों की लगभग आधी आबादी ब्राजील के वर्षा वनों में बसती है, जहां बड़ी संख्या में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण की योजना है. अनुमान है कि ब्राजील में प्रस्तावित 319 जलविद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं जो जगुआरों के आवास को प्रभावित करेंगी.
ऐसे में इन बड़ी परियोजनाओं के निर्माण से पहले इस बात का पूरी तरह अध्ययन किया जाना जरुरी है कि इन विशाल परियोजनाओं का उस क्षेत्र में रहने वाले जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर भविष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा. यही नहीं जिन क्षेत्रों में इन जीवों को संरक्षित किया गया है वहां इन परियोजनाओं के निर्माण से बचना चाहिए.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
How good is the air near Delhi’s Safdarjung Tomb?
-
National Herald case: ED claims Sonia, Rahul paid Rs 50 lakh for assets worth Rs 2,000 crore
-
नेशनल हेराल्ड मामला: ईडी ने गांधी परिवार पर लगाए धोखाधड़ी के आरोप