Report
Exclusive: दिल्ली के विधायकों के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में 2018 के बाद से 73 शिकायतें लंबित
बीते दिनों न्यूज़लॉन्ड्री को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी में सामने आया था कि दिल्ली लोकायुक्त कार्यालय में 31 अगस्त 2021 तक 252 मामले लंबित हैं, जिसमें से 87 मामले दिल्ली के विधायकों के खिलाफ हैं. वहीं खेत्रपाल के रिटायर होने के बाद दिसंबर 2020 से 31 अगस्त 2021 तक 109 शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय में आई हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने लोकायुक्त कार्यालय से आरटीआई के जरिए इन 87 विधायकों के नाम और उनके खिलाफ दर्ज शिकायतों की जानकारी मांगी. विधायकों के नामों की जानकारी देने से इंकार करते हुए लोकायुक्त कार्यालय ने बताया कि प्रतिवादी या शिकायतकर्ता का विवरण नहीं दिया जा सकता क्योंकि इससे शिकायतकर्ता या व्हिसलब्लोअर का जीवन खतरे में पड़ सकता है, प्रतिवादी को ब्लैकमेल भी किया जा सकता है.
आगे जवाब में कहा गया है कि इसी कारण सभी अदालत/जांच, दस्तावेजों/सूचनाओं को गुप्त रखा जाता है. ये गोपनीयता दिल्ली लोकायुक्त और उप लोकायुक्त अधिनियम 1995 की धारा 14 और आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 8(जी) के तहत प्रदान की जाती है.
लोकायुक्त कार्यालय ने विधायकों के नाम और उनके खिलाफ शिकायत की प्रकृति तो साझा नहीं किया, लेकिन लंबित मामले कब आए इसकी जानकारी दी है. न्यूज़लॉन्ड्री को आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक ये तमाम शिकायतें साल 2014 के बाद दर्ज की गई हैं.
अगर साल दर साल के आंकड़ों को देखें तो विधायकों के खिलाफ, 2014 और 2015 में एक, 2016 में दो, 2017 में पांच, 2018 में पांच और 2019 में 26 शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय में लंबित है. 2020 में जब देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा था, उस दौरान भी दिल्ली में विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हुए. साल 2020 की 28 शिकायतें और 2021 में 13 अगस्त तक 19 शिकायतें लंबित है.
आरटीआई से मिली सूचना से पता चलता है कि लंबित शिकायतें दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार में आने के बाद की हैं. इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से अलग होकर केजरीवाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर साल 2013 में आम आदमी पार्टी (आप) का गठन किया था.
‘आप’ पहली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरी. इस चुनाव में भाजपा के 31, आप के 28 और कांग्रेस के आठ विधायक जीते. जिस कांग्रेस को केजरीवाल ने हराया था, उसी के समर्थन से पहली बार सरकार का गठन किया. यह सरकार 49 दिनों तक चली.
इसके बाद 2015 में एक बार फिर दिल्ली में विधानसभा का चुनाव हुआ. इस बार ‘आप’ के 67 और भाजपा के तीन विधायक जीते. कांग्रेस का खाता नहीं खुला और अरविंद केजरीवाल दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. बीते साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में ‘आप’ के 62 और भाजपा के आठ विधायक चुनाव जीते. इस बार भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला और केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे बताते हैं कि लोकायुक्त द्वारा जिन विधायकों के खिलाफ शिकायत है उनकी जानकारी साझा नहीं करना गलत है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ये सही है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक जांच रिपोर्ट नहीं दी जा सकती, लेकिन जिनके खिलाफ शिकायत है उनका नाम तो बताना ही चाहिए.’’
2014 से शिकायत लंबित होने के सवाल पर डे कहते हैं, ‘‘2014 में की गई शिकायत अगर अभी तक लंबित है तो यह हैरान करने वाली बात है. जांच के लिए समय निर्धारित होना चाहिए. जैसे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मामलों का निपटारा होता है.”
एक तरफ जहां दिल्ली लोकायुक्त कार्यालय में साल 2014 से मामले लंबित हैं, वहीं दिसंबर 2020 में रेखा खेत्रपाल के रिटायर होने के बाद से लोकयुक्त का पद भी खाली पड़ा हुआ है. यह पहली बार नहीं है जब लोकायुक्त का पद खाली पड़ा हुआ है. इससे पहले भी करीब दो साल तक लोकायुक्त का पद खाली रहा था. उस समय हाईकोर्ट के नाराज़गी के बाद 2015 के अप्रैल महीने में रेवा खेत्रपाल की नियुक्ति हुई थी.
क्या लोकायुक्त का पद खाली रहने की स्थिति में संस्थान का कोई महत्व बच जाता है? इसको लेकर लोकायुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ कर्मचारी गोपनीयता की शर्त पर बताते हैं, ‘‘दिल्ली लोकायुक्त एक्ट के मुताबिक किसी भी शिकायत पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार लोकायुक्त को ही है. पद खाली होने की स्थिति में जो शिकायतें आ रही हैं, उनकी जांच तो हम कर रहे हैं लेकिन फैसला नहीं सुना पा रहे हैं.’’
लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी और 2014 से लंबित शिकायतों के सवाल पर दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना कहते हैं, ‘‘हमें याद रखना चाहिए कि ‘आप’ की पहली सरकार लोकायुक्त के मुद्दे पर गिरी थी. आम आदमी पार्टी अपने निर्माण के समय से ही पारदर्शिता की बात कर रही है लेकिन आज लोकायुक्त का पद महीनों से खाली है. लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए कोई मीटिंग तक नहीं हुई क्योंकि उस मीटिंग में विपक्ष के नेता को भी बुलाया जाता है. ये बताता है कि ये अपने वादों को लेकर कितने गंभीर हैं.’’
खुराना आगे कहते हैं, ‘‘ये जो (जिनके खिलाफ शिकायतें आई हैं) विधायक है वो आम आदमी पार्टी के हैं. ये वो विधायक हैं जिनको ये (केजरीवाल) नगीना बुलाते थे. आज जब उनके खिलाफ शिकायत दर्ज है तो क्यों नहीं उन पर कोई कार्रवाई कर रहे हैं?’’
ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि जिन विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं, वे ‘आप’ के हैं? इस पर खुराना कहते हैं, ‘‘दिल्ली के 90 प्रतिशत विधायक इन्हीं के हैं. इनको तो पता होगा कि किनके खिलाफ शिकायत है. उन सब पर कार्रवाई करें.’’
इस पूरे मामले पर आम आदमी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज और राघव चड्डा से इस रिपोर्टर ने फ़ोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई. हमने उन्हें अपने सवाल भेज दिए हैं, जवाब आने पर खबर में जोड़ दिया जाएगा.
Also Read
-
Delhi’s ‘Thank You Modiji’: Celebration or compulsion?
-
Margins shrunk, farmers forced to switch: Trump tariffs sinking Odisha’s shrimp industry
-
DU polls: Student politics vs student concerns?
-
अडाणी पर रिपोर्टिंग रोकने वाले आदेश पर रोक, अदालत ने कहा- आदेश एकतरफा
-
Adani lawyer claims journalists funded ‘by China’, court quashes gag order