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विवादित कृषि कानून वापस करने के ऐलान पर क्या कहते हैं अखबार
विवादित कृषि कानूनों को सरकार से वापस कराने के लिए करीब एक साल से संघर्ष कर रहे किसानों के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा. शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. इसके बाद देशभर में किसानों की जश्न मनाते हुए तस्वीरें सामने आने लगीं. सोशल मीडिया पर भी दिनभर किसानों के संघर्ष की ही चर्चा होती रही. इस फैसले से जुड़ी खबरों को प्रिंट मीडिया ने कैसे प्रकाशित किया है, उस पर एक नजर...
अमर उजाला अखबार ने पहले पन्ने पर किसानों द्वारा जश्न मनाती हुई तस्वीर के साथ लिखा है- "उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के चुनावों से पहले पीएम मोदी का बड़ा ऐलान तीनों कृषि कानून वापस होंगे" साथ ही अखबार ने पीएम मोदी के उस हिस्से का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने कानून वापसी की बात कही है, "मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र ह्रदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी, जिसके कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य, कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए. हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे"
अखबार ने किसान नेता राकेश टिकैत के बयान को भी लिखा है जिसमें कहा गया है, "सरकार तीनों कृषि कानून संसद में वापस ले और एमएसपी पर गारंटी वाला कानून लेकर आए, तभी आंदोलन समाप्त होगा. अभी आधी मांग ही पूरी हुई है. दोनों मांगे पूरी होने के बाद ही हम जश्न मनाएंगे."
इसके अलावा अमर उजाला ने अंदर जय किसान नाम से भी अलग-अलग पेज प्रकाशित किए हैं जिसमें सिर्फ किसानों से जुड़ी हुई खबरें हैं. इस पन्ने पर किसान जश्न मानाते हुए देखे जा सकते हैं, साथ ही अन्य नेताओं के भी बयान दिए गए हैं. वहीं एक खबर में लिखा है कि "358 दिन से जाम झेल रहे दिल्लीवासी."
अमर उजाला के संपादकीय पेज पर "जीत और रणनीति" हेडिंग के साथ एक लेख है. इसके नीचे अश्विनी महाजन का लेख है जिसकी हेडिंग है- "कानून वापसी के बाद की चुनौतियां"
हिंदुस्तान
हिंदुस्तान अखबार ने पहले तीन पन्नों पर विज्ञापन के बाद किसानों की खबर को प्रकाशित किया है जिसमें मोमबत्ती जलाते और मिटाई बांटते हुए तस्वीरों के साथ लिखा है- "दिल्ली बॉर्डर पर आंसुओं के बीच मिठाइयां बंटी" इसके अलावा अखबार ने सिंघु, गाजीपुर, टीकरी, पलवल और रेवाड़ी में धरना दे रहे किसानों की खबरें छापी हैं.
5 स्थान रिपोर्टर नाम के कॉलम में लिखा है, "दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के फोन शुक्रवार सुबह अचानक बजने लगे. सामने की आवाज सुनकर किसी के आंसू छलक उठे तो कोई खुशी से झूमने लगा. खबर आग की तरह फैल गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों नए कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी है. इसके बाद सिंघु, गाजीपुर, टीकरी, पलवल और रेवाड़ी में बैठ आंदोलनकारियों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर अपनी खुशी जाहिर की. पेश है विभिन्न बॉर्डर से हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट..."
वहीं अगले मेन पन्ने पर किसानों की जश्न मनाते हुए तस्वीर और पीएम मोदी की तस्वीर के साथ हेंडिंग लिखी है "तीनों नए कृषि कानून वापस होंगे"
इसके अलावा हिंदुस्तान अखबार ने पेज 10 और 11 को अगल से किसानों के लिए प्रकाशित किया है, जिसमें ऊपर लिखा है "किसानों पर बड़ा फैसला". इन पन्नों पर किसानों की ही खबरें हैं. अखबार ने संपादकीय पर भी किसानों से ही जुड़े लेख प्रकाशित किए हैं.
दैनिक जागरण
दैनिक जागरण अखबार ने पहले पन्ने पर पीएम मोदी की हाथ जोड़े हुए तस्वीर के साथ लिखा है, "तीनों कृषि कानून वापस". उसके नीचे गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान प्रकाशित किए गए हैं. इन सभी नेताओं के बयान उनकी छोटी छोटी तस्वीरों के साथ प्रकाशित किए गए हैं. वहीं साइड में किसानों की तस्वीर के नीचे किसान नेता राकेश टिकैत की तस्वीर के साथ उनका बयान छापा गया है.
इसके बाद पेज नंबर तीन पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, किसान नेता डॉ. दर्शन पाल और स्वराज अभियान पार्टी के संस्थापक योगेंद्र यादव की तस्वीरों के साथ उनके बयान प्रकाशित किए गए हैं. इस खबर की हेडिंग है, "जिद बरकरार, जारी रहेगा आंदोलन".
दैनिक जागरण ने भी अपने संपादकीय में किसानों से संबंधित लेख को प्राथमिकता दी है. जागरण ने संपादकीय में लिखा है, "कृषि कानूनों की वापसी". वहीं एक दूसरे लेख को संदीप घोष द्वारा लिखा गया है, जिसकी हेडिंग है, "सुधारों को झटका देने वाला फैसला".
इसके अलावा सात नबंर पेज पर भी किसानों से जुड़ी खबर प्रकाशित की गई है. जिसकी हेडिंग है, "गुरु पर्व पर कृषि कानूनों की वापसी के बहाने कड़वाहट मिटाने का प्रयास".
जागरण ने 12 और 13 नंबर पेज "सुधारों को झटका" नाम से प्रकाशित किए हैं. 12 नंबर पेज पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्य अनिल घनवट के बयान को प्रकाशित किया है, जिसकी हेडिंग है, "अगर सुप्रीम कोर्ट जारी नहीं करेगा तो हम सार्वजनिक करेंगे रिपोर्ट: अनिल घनवट". साथ ही अखबार ने विपक्षी नेताओं की तस्वीरों के साथ उनके बयान प्रकाशित किए गए हैं.
वहीं एक और खबर में मोदी सरकार की तारीफ में एक लेख लिखा गया है, इसका शीर्षक है- "कानून वापसी से बदले सियासी समीकरण". इस लेख में बताया गया है कि कैसे इस फैसले के बाद विपक्ष कमजोर होगा.
इसके अगले पेज नंबर 13 को भी आधे पेज पर "सुधारों को झटका" नाम से प्रकाशित किया गया है. इस पेज की पहली खबर का शीर्षक है, "सरकार ने दिखाया रास्ता, अब 'राह' खोलें प्रदर्शनकारी"
नवभारत टाइम्स
नवभारत टाइम्स अखबार ने भी अन्य अखबारों की तरह किसानों द्वारा जश्न मनाते हुए तस्वीर के साथ खबर को प्रकाशित किया है. खबर का शीर्षक है, "खेती कानून वापस लेगी सरकार". वहीं अखबार ने विपक्ष के नेताओं के बयान भी प्रकाशित किए हैं. जिसका शीर्षक है, "किसानों की जीत, चुनावों में हार के डर से पलट गई सरकार" इसके अलावा पहले पन्ने पर ही किसान मोर्चा का बयान भी छापा गया है. जिसका शीर्षक है, "जब तक संसद निरस्त नहीं कर देती कानून, तब तक आंदोलन जारी रहेगा: किसान मोर्चा"
अखबार ने 10 नंबर पेज पर "अरदास हुई कबूल, लेकिन अभी डटे रहेंगे किसान” शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की है. इस खबर में आंदोलन कर रहे किसानों की तस्वीरों के साथ उनके बयान प्रकाशित किए गए हैं. इसके अलावा भी इसी पेज पर किसानों से जुड़ी कई अन्य खबरें भी छापी गई हैं.
अखबार का अगला 11 नंबर पेज भी किसानों से जुड़ी खबरों के नाम रहा. इस पेज पर अखबार ने शीर्षक दिया है, "केंद्र ने कहा था, खेती कानून वापस नहीं होंगे लेकिन..." इस शीषर्क के साथ आतिशबाजी और ढ़ोल के साथ नाचते किसानों की तस्वीरें लगाई गई हैं.
अन्य अखबारों की तरह एनबीटी ने भी संपादकीय में किसानों के विषय को प्राथमिकता दी है. अखबार ने संपादकीय में "सुधार न रोके सरकार" नाम से शीर्षक दिया गया है. वहीं दूसरा लेख पुरुषोत्तम शर्मा द्वारा लिखा गया है, जिसका शीर्षक है- "संघर्ष के जज्बे ने दिलाई यह जीत"
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