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कवरेज के लिए त्रिपुरा पहुंचीं दो महिला पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर

त्रिपुरा पुलिस ने राज्य में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर शनिवार को रिपोर्टिंग करने वाली एचडब्ल्यू न्यूज़ की दो पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक साजिश और विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) को बदनाम करने का मामला दर्ज किया है. यह प्राथमिकी उनाकोटी जिले के फोटिकराय पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है.

21 वर्षीय समृद्धि सकुनिया और 25 वर्षीय स्वर्णा झा एक स्वतंत्र समाचार वेबसाइट एचडब्ल्यू में काम करती हैं. इन दिल्ली स्थित पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की तीन धाराओं- 120 बी (आपराधिक साजिश), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

बता दें कि कंचन दास नाम के एक व्यक्ति ने यह शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि दोनों पत्रकारों ने 13 नवंबर को फोटिकराय में मुस्लिम घरों का दौरा करते हुए हिंदुओं और त्रिपुरा सरकार के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया. दास का आरोप है कि उन्होंने त्रिपुरा में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की जो कि एक आपराधिक साजिश का हिस्सा है.

पत्रकार सकुनिया और झा का आरोप है कि पुलिस उनके होटल में आई और उन्हें डराया धमकाया गया. उन्हें 21 नवंबर को अपने वकीलों के साथ फाटिकराय पुलिस स्टेशन आने को कहा गया है.

न्यूज़लॉन्ड्री से फ़ोन पर बात करते हुए सकुनिया ने कहा कि वे इस दौरान 15 पुलिस अधिकारियों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों से घिरे हुए थे, जिनमें से तीन महिलाएं थीं.

सकुनिया ने कहा, "मुझे कल शाम 7.30 बजे पुलिस से फोन आने लगे थे. कांता नाम की एक महिला अधिकारी मेरे आधार कार्ड की डिटेल्स और मैं कैसे यात्रा कर रही हूं और कहां जाने की योजना बना रही हूं, यह जानना चाहती थीं. मैंने यह कहते हुए मना कर दिया कि हम अपने संपादकों की अनुमति के बिना ऐसा नहीं कर सकते. अधिकारी ने हमें यह भी नहीं बताया कि वह यह जानकारी क्यों चाहती हैं."

वहीं इस पूरे मामले पर डीजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. डिजीपब ने त्रिपुरा पुलिस द्वारा दोनों पत्रकारों के उत्पीड़न की कड़ी निंदा की है. जिन्होंने उनके आधार नंबर और उनकी यात्रा के विवरण की मांग की और सुरक्षा प्रदान करने का हवाला देते हुए उनकी गोपनीयता पर हमला किया जो कि झूठा निकला. यह न केवल प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन है बल्कि निजता के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है.

यह पहली बार नहीं है जब पत्रकारों को इस देश में अपना काम करने के लिए धमकाया गया है. कई पत्रकारों को आपराधिक जांच, गिरफ्तारी और जेल की सजा का सामना करना पड़ता है, क्योंकि भारत प्रेस की स्वतंत्रता में तेजी से गिरावट का सामना कर रहा है. वो भी एक ऐसे देश में जहां मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है.

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