Khabar Baazi
लखीमपुर खीरी हिंसा: एफआईआर दर्ज करने को लेकर कोर्ट पहुंचे पत्रकार रमन कश्यप के परिजन
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में मृत पत्रकार रमन कश्यप के परिवार ने एफआईआर दर्ज करने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है.
पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने अपनी याचिका में 14 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. यह याचिका लखीमपुर खीरी के सीजेएम कोर्ट में दाखिल की गई है. जिन 14 लोगों का नाम याचिका में दिया गया है उसमें केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र का नाम भी शामिल है.
याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट तकुनिया थाने के पुलिस अधीक्षक को पत्रकार रमन कश्यप की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश दे.
पत्रकार के परिजनों ने याचिका में कहा है कि रमन कश्यप के पिता ने निघासन पुलिस को 4 अक्टूबर को रमन कश्यप की मौत मामले में केस दर्ज करने को लेकर आवेदन दिया था, तब पुलिस ने कहा कि इस मामले में पहले से ही एफआईआर दर्ज है. लेकिन दर्ज एफआईआर में पत्रकार का नाम नहीं है. बाद में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया.
बता दें कि 3 अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय मंत्री के बेटे की गाड़ियों ने रौंद दिया था. इस घटना में पत्रकार रमन कश्यप समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया है, वहीं सुप्रीम कोर्ट खुद भी इस मामले की स्वंत संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है.
9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस मामले की जांच पर कई गंभीर टिप्पणियां की थी. कोर्ट ने कहा, मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम पर भरोसा नहीं है, इसलिए जांच की निगरानी के लिए रिटायर्ड जज की नियुक्ति जरूरी है. साथ ही कोर्ट ने कहा जांच दल (एसआईटी) खास आरोपी के बचाव में सबूत जुटा रहा है.
***
न्यूज़लॉन्ड्री ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विस्तृत रिपोर्ट की है. पांच पार्ट में प्रकाशित इस हिंसा से जुड़े सभी लोगों से न्यूज़लॉन्ड्री ने बातचीत की. ग्राउंड से की जाने वाली इस तरह की विस्तृत रिपोर्ट्स के लिए समय और संसाधन की जरूरत होती है. इसलिए न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें मेरें खर्च पर आजाद हैं खबरें.
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away