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एनएल चर्चा 190: पेगासस जासूसी, पूर्व सीएजी विनोद राय की माफी और भारत-पाक क्रिकेट मैच
एनएल चर्चा के इस अंक में पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच कमेटी का गठन मुख्य विषय रहा. इसके अलावा डाबर के विज्ञापन पर विवाद, कोर्ट द्वारा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में हुए बदलाव पर जवाब, आर्यन खान की जमानत, फेसबुक की पैरेंट कंपनी के नाम में बदलाव, पाकिस्तान के खिलाफ विश्वकप में भारत की हार, पूर्व सीएजी विनेद राय द्वारा संजय निरुपम से माफ़ी और त्रिपुरा में हिंसा जैसे विषयों का जिक्र हुआ.
इस बार चर्चा में बतौर मेहमान पत्रकार सैकत दत्ता मौजूद रहे. सैकत टीप स्ट्रैट के संस्थापक सदस्य हैं. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और सह संपादक शार्दूल कात्यायन भी चर्चा में शामिल हुए. चर्चा का संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत टी-20 वर्ल्डकप में पाकिस्तान की भारत के खिलाफ जीत से हुई. अतुल सवाल करते हुए कहते हैं, "खेलों में देश की सीमाएं कोई महत्व नहीं रखती और अच्छे खेल के लिए किसी की भी तारीफ की जा सकती है. लेकिन भारत-पाकिस्तान के मैंच में अगर कोई पाकिस्तान की जीत पर खुशियां मना रहा है तो इसे क्या केवल अच्छे खेल की तारीफ के नजरिए से देखा जा सकता है या इसके पीछे ऐतिहासिक, धार्मिक और भारत-पाक का जुड़ा हुआ अतीत भी कोई भूमिका निभाता है?
जवाब में सैकत कहते हैं, "यदि संवैधानिक रूप से देखें तो भारत का संविधान पूरी आज़ादी देता है आप किसी को भी समर्थन दे सकते हैं और उसके बारे में बात कर सकते हैं. लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच बंटवारे और हिंदू-मुस्लिम का एंगल आ जाने से इस जीत का जश्न मानने पर बवाल हुआ. दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच को कहा जाता है, 'इट इज़ वॉर विदआउट ब्लड'. तो इस माहौल में पाकिस्तान की जीत की खुशियां मनाना काफी लोगों को आहच कर सकता है. यह मुद्दा राजनीतिक भी है और धार्मिक भी इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन यह भी सच है कि भारतीय संविधान के अनुसार यह पूरी तरह से नागरिकों के अधिकार क्षेत्र में आता है और साथ में इसके साथ उचित प्रतिबंध भी लागू होते हैं."
इस विषय पर मेघनाद कहते हैं, "सहवाग समेत कई लोगों ने ट्वीट कर पाकिस्तान की जीत का जश्न मना रहे हैं लोगों को देशद्रोही बोल दिया, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस दिन भारत-पाकिस्तान का मैच था उसी दिन करवाचौथ भी था और दिल्ली भर में बहुत से लोग इस पर्व पर भी पटाखे छुड़ा रहे थे. ऐसे में यह बहुत कन्फ्यूजिंग है कि यह पटाख़े किस उद्देश्य से फोड़े जा रहे थे."
मेघनाद आगे कहते हैं, "कश्मीर में छात्रों ने जो जश्न मनाया वह मामला थोड़ा समझना होगा. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. जब कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाया गया तब हमने चर्चा की थी कि जब आप एक बड़ी आबादी को तानाशाही तरीके से दबाते हैं तो वहां से कट्टरवाद पैदा होता है. यह हमने नक्सलवाद में देखा, अफ़ग़ानिस्तान में देखा और अब कश्मीर में 370 हटने के बाद नागरिकों की हत्याएं जारी हैं. राज्य पूरी तरह से खुला ही नहीं, ऐसे में जब गुस्सा लोगों का निकलकर आता है तो वह अथॉरिटी के खिलाफ होता है और यहां अथॉरिटी भारत की सरकार है. इस तरह देखें तो यह स्थिति चिंताजनक है."
शार्दूल कहते हैं, "किसी भी बारे में हम अपनी राय कई वजहों से बनाते हैं. चाहे वो धार्मिक हो राजनीतिक हो या कोई अन्य वजह. इस देश में अजीब से अजीब, सही या ग़लत विचार अलग-अलग परिभाषाओं से अपराध नहीं माने जाते. अगर वे अपराध में बदल जाते हैं जिससे दूसरों को फ़र्क़ पड़ रहा है तब वह संज्ञान में आता है. ऐसे में खेल में किसी टीम का समर्थन करना राजद्रोह नहीं हो सकता. अगर आपके पसंद के खिलाडियों की टीम आपके अपने देश की टीम से जीत रही है तो इसकी खुशी मनाना कम से कम राजद्रोह तो नहीं है."
अतुल ने इस परिस्थिति का एक और पहलू सामने रखते हुए कहा, “क्या आपका बढ़िया खेल, बढ़िया टीम या बढ़िया खिलाड़ी के प्रति प्रेम क्सी उदारवादी, प्रगतिशील सोच से पैदा हो रहा है या फिर यह क्सी संकीर्ण सोच के चलते सामने आ रहा है जिसे प्रगतिशीलता का आवरण दिया जा रहा है. इस स्थिति को इस नजरिए से देखना जरूरी होगा.”
इसके अलावा पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइमकोड
00-0:45 इंट्रो
0:46-3:20 जरूरी सूचना
3:25-11:00 हेडलाइंस
11:06 - 23:37 क्रिकेट में पाकिस्तान की भारत के खिलाफ जीत
23:39 - 54 :22 पेगासस जासूसी मामला
54 :33 - 1:07 :25 - विनोद राय की माफ़ी
1:07:30 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
सैकत दत्ता
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प्रोड्यूसर- लिपि वत्स
एडिटिंग - उमराव सिंह
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह /तस्नीम फातिमा
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