NL Tippani
एनएल टिप्पणी एपिसोड 82: लखीमपुर हिंसा पर खबरियां चैनलों का शीर्षासन और हर हर मोदी का नाद
इस हफ्ते बात उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की. आरोप है कि कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों ने गोरखपुर में हत्या कर दी. इसके बाद सरकार ने मामले को रफा दफा करने की गर्ज से मुआवजा देकर अपना पिंड छुड़ा लिया. लेकिन आरोपी पुलिस वाले जिन्होंने मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर में इस वीरता को अंजाम दिया वो फिलहाल फरार हैं.
आरोपियों पर लगाम की बात करने वाले राज्य में बीजेपी मंत्री के बेटे ने लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कथित तौर पर गाड़ी चढ़ा दी. लेकिन हमेशा की तरह हुड़कचुल्लू एंकर-एंकराओं ने अपनी तरफ से बहादुर सरकार के पक्ष में जमकर माहौल बनाया, सबने अपनी-अपनी थ्योरी इजाद की, अपने-अपने तीतर लड़ाए. किसानों को खालिस्तानी, उपद्रवी और हिंसक बताया गया. मंत्री और उनके पुत्र को शराफत का पुतला घोषित किया गया.
ये हुड़कचुल्लू बचाव में बेचैन हुए जा रहे थे जबकि सत्ताधारी दल के किसी नेता ने अपने मंत्री या मंत्री पुत्र के समर्थन में एक ट्वीट तक नहीं किया था. और फिर एक दिन बाद वह वीडियो सामने आ गया जिसने नीर-क्षीर का अंतर कर दिया.
अंत में बात टीटीएम यानी ताबड़तोड़ तेल मालिश. इस मौके पर शर्माजी का चैनल बाकियों से मीलों आगे निकल गया. बीस साल बेमिसाल टाइप घिसेपिटे जुमलो के जरिए शर्माजी ने खुद ताबड़तोड़ मोदीजी की मालिश की.
सरकारों के साथ मीडिया की इस बेशर्म मिलीभगत ने सिर्फ पत्रकारिता ही नहीं बल्कि इसके लोकतंत्र के हर हिस्से को गंभीर नुकसान पहुंचाया है. इसका इलाज सिर्फ यही है कि आप इस धूर्त मीडिया और सरकार के गठजोड़ को तोड़ने के लिए आगे आएं. सब्सक्रिप्शन आधारित मीडिया इसका एकमात्र इलाज है. अगर मीडिया सरकार के चंगुल से आजाद हो जाएगा तो वह आपकी बात भी करने लगेगा. तो मीडिया को आज़ाद करने में अपना योगदान दें, न्यूज़लॉन्ड्री को सबस्क्राइब करें और गर्व से कहें मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें.
Also Read
-
CEC Gyanesh Kumar’s defence on Bihar’s ‘0’ house numbers not convincing
-
Hafta 550: Opposition’s protest against voter fraud, SC stray dogs order, and Uttarkashi floods
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream