Lakhimpur Kheri
लखीमपुर खीरी: मृतक पत्रकार रमन कश्यप के परिवार पर एफआईआर बदलने का दबाव!
"भाजपा पूरे मामले को बदलना चाहती है. पुलिस दबाव बना रही है कि मेरे भाई की मौत लाठी-डंडों से पीटकर हुई है. जबकि वीडियो में दिखाई दे रहा है कि तेज रफ्तार से तीन गाड़ियां आती हैं और मेरे भाई को टक्कर मरती हुई आगे बढती हैं. रमन के शरीर पर भी सड़क से रगड़ के निशान थे." पत्रकार रमन कश्यप के छोटे भाई पवन कश्यप ने कहा.
पवन का कहना है कि रमन कश्यप की मौत को मोहरा बनाकर अब राजनीति की जा रही है.
तिकुनिया पुलिस ने रमन कश्यप का मामला उस एफआईआर में दर्ज किया है जिसमे कहा गया है कि किसानों की मौत आशीष मिश्रा की गाड़ियों से कुचलकर हुई है और आशीष मिश्रा उनमें से एक गाड़ी में थे. वहीं पवन कश्यप का आरोप है कि पुलिस परिवार पर दबाव डाल रही है कि रमन का नाम किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में डाला जाए.
बता दें इस पूरे मामले में दोनों पक्षों की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई हैं. एक एफआईआर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र के ऊपर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 279, 338, 302 और 120 बी के तहत दर्ज की गई है. वहीं दूसरी एफआईआर सुमित जायसवाल नामक व्यक्ति द्वारा अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दंगा करने, लापरवाही से मौत का कारण बनने और हत्या के आरोप में दर्ज की गई है.
35 वर्षीय पत्रकार रमन कश्यप पास के एक निजी स्कूल में पढ़ाया करते थे. साथ ही वो पिछले छह महीने से साधना न्यूज़ के लिए रिपोर्टिंग भी कर रहे थे. तीन अक्टूबर रविवार को वे अपने मित्र योगेश दीक्षित के साथ किसान आंदोलन की कवरेज के लिए सुबह 12 बजे घर से निकले थे. करीब 1 बजे दोनों योगेश की गाड़ी से ही तिकुनिया पहुंचे थे.
इस दौरान दोपहर तीन बजे के आस पास प्रदर्शन मार्च कर रहे किसानों पर तीन तेज रफ्तार गाड़ियां चढ़ा दी गईं. ये गाड़ियां आशीष मिश्र की थीं. हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि अजय मिश्र का बेटा आशीष इन गाड़ियों में मौजूद था या नहीं. हादसे के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में चार किसान, तीन बीजेपी कार्यकर्ता और पत्रकार रमन कश्यप का नाम शामिल है.
रमन के पिता राम दुलारे का कहना है कि उन्हें सुबह तीन बजे पुलिस का कॉल आया जिसके जरिए उन्हें अपने बेटे की मौत की जानकारी मिली.
रमन कश्यप के परिवार का आरोप है कि रमन की मौत गाड़ी के चढ़ने से हुई है. शिकायत पत्र के अनुसार राम दुलारे आरोप लगाते हैं कि आशीष मिश्रा के कार्यकर्ताओं ने तेज रफ्तार से गाड़ी रमन के ऊपर चढ़ा दी जिसके कारण रमन की मृत्यु हो गई. वहीं परिवार एक अलग एफआईआर की मांग कर रहा है. परिवार चाहता है कि एफआईआर इन तीन गाड़ियों के मालिक और गाड़ी के अंदर बैठे लोगो पर हो जिसके कारण रमन की सड़क पर रगड़कर मौत हो गई. लेकिन पुलिस प्रशासन ऐसा नहीं चाहता है.
"पुलिस दिखाना चाहती है कि मेरे भाई की हत्या की गई है. उसे लाठियों से मारा गया. वो चाहते हैं कि हम किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में रमन का नाम लिखवाएं. बीजेपी मेरे भाई को अपने साथ इसलिए जोड़ रही है ताकि दिखा सके कि चार किसानों के साथ चार बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी मौत हुई है और क्रॉस- केस बन जाए. अगर पत्रकार का नाम बीजेपी की तरफ से की गई एफआईआर में आ जाता है तो बाकि पत्रकार बीजेपी के खिलाफ नहीं बोलेंगे." पवन न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं.
वहीं रमन कश्यप की पत्नी 32 वर्षीय अराधना सदमे में हैं. उनके दो बच्चे 11 वर्षीय वैष्णवी और ढाई वर्षीय अभिनव अब अपने पिता को कभी नहीं देख पाएंगे. रमन के छोटे भाई रजत बताते हैं, "रमन एक निडर और सत्यवादी पत्रकार था. वो सच दिखाना चाहता था. उसने पत्रकारिता को सामाजिक कल्याण के लिए हथियार की तरह बना लिया था. कुछ महीनों पहले इलाके की एक बच्ची गायब हो गई थी. रमन ने उस न्यूज़ को कवर किया था. उस कवरेज के बाद वो बच्ची मिल गई. निघासन के पत्रकार 100-200 रुपए में बिक जाते हैं. लेकिन रमन भैया दलाली नहीं किया करते थे."
रमन कश्यप के परिवार को अब तक पुलिस ने एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी भी नहीं दी है.
तिकुनिया थाने के एसएचओ बलेंद्र गौतम ने न्यूज़लॉन्ड्री से पुष्टि की है कि एफआईआर की कॉपी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक परिवार को नहीं दी गई है. “यह आज शाम को दी जाएंगी. इस क्षेत्र में शव का परीक्षण नहीं किया गया था इसलिए उसे लाने में देरी हो रही है.” उन्होंने कहा.
यह पूछे जाने पर कि रमन का नाम किस एफआईआर में शामिल किया गया है, वह कहते हैं, “रमन का नाम किसानों द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में दर्ज किया गया है. और परिवार भी यही चाहता है."
रमन कश्यप का नाम भाजपा द्वारा दाखिल एफआईआर में शामिल करने के लिए दबाव बनाने के परिवार के आरोपों के बारे में, एसएचओ ने कहा, “कोई दबाव नहीं है. यह गलत सूचना है."
लेकिन रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप कहते हैं, “मेरा भाई किसान नहीं है. वह बीजेपी के कार्यकर्ता भी नहीं हैं. वह एक पत्रकार थे. प्रशासन अपनी राजनीतिक सुविधा के अनुसार रमन के नाम का इस्तेमाल कर रहा है."
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away