Media
लखीमपुर खीरी: क्या कहते हैं अखबार? जागरण ने लिखा ‘अराजक किसानों का उपद्रव’
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में अभी तक किसानों समेत नौ लोगों के मारे जाने की खबर है. घटना के बाद से किसानों और नेताओं का लखीमपुर खीरी पहुंचना देर रात से ही जारी है.
घटना रविवार शाम की है, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के दौरे का विरोध कर रहे थे. उपमुख्यमंत्री इस दौरान गृह राज्यममंत्री अजय मिश्र टेनी के गांव में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे. इस दौरान आरोप है कि काफिले में शामिल मंत्री के बेटे आशीष मिश्र की गाड़ी किसानों पर चढ़ा दी. इसके बाद किसानों ने काफिले पर धावा बोल दिया और गाड़ियों में आग लगा दी.
रविवार का दिन वैसे मीडिया के लिए काफी व्यस्त रहा. एक ओर मुंबई में शाहरुख खान के बेटे की ड्रग्स के मामले में गिरफ्तारी हुई तो वहीं शाम को लखीमपुर में हिंसा हो गई. इन दोनों में से कौन सी खबर जनता के लिए अहम है इसका फैसला पाठक को करना है लेकिन अखबारों द्वारा की जा रही बेईमानी की एक झलक दैनिक जागरण में देखने को मिलती है जिसमें हिंसा का सारा दोष किसानों पर ही फोड़ दिया गया है.
दैनिक जागरण
दैनिक जागरण ने हिंसा की खबर पहले पेज पर शाहरुख खान के बेटे की गिरफ्तारी के नीचे दी है. अखबार ने शीर्षक दिया, “उत्तर प्रदेश में अराजक किसानों का उपद्रव, छह की गई जान”. शीर्षक पढ़ने पर लगता है मानों सबकुछ किसानों ने किया और उसी की वजह से किसानों की मौत भी हो गई.
खबर में लिखा गया है, दिल्ली सीमा पर जारी कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन की आग आखिरकार उत्तर प्रदेश आ पहुंची. इसके बाद बताया गया है कि किस तरह किसानों ने काफिले को रोककर पथराव किया और आग लगा दी. खबर में जागरण ने लिखा है कि केंद्रीय मंत्री का बेटा काफिले में मौजूद था, तो वहीं उसके ऊपर अजय मिश्र के लिखे एक बयान में बताया कि उनका बेटा घटना पर नहीं था.
अपनी खबर में जागरण ने लिखा, केशव प्रसाद मौर्य केंद्रीय मंत्री के गांव भी नहीं पहुंच सके, जबकि उसी की बगल में लिखे मंत्री के बयान में लिखा गया है कि आशीष मिश्र, उपमुख्यमंत्री के साथ कार्यक्रम में मौजूद थे.
बता दें कि जागरण अखबार में दो पेज का उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया विज्ञापन भी है.
अमर उजाला
अमर उजाला ने लखीमपुर में हुई हिंसा को पहले पेज पर प्रमुखता के साथ जगह दी है. अखबार ने शीर्षक लिखा, “मंत्री के बेटे की कार ने किसानों को रौंदा, चार मरे भीड़ के हमले में चालक व तीन भाजपाइयों की मौत”
खबर में अखबार ने घटना की पूरी जानकारी दी है. वहीं किसान नेताओं और अजय मिश्र का बयान भी छापा है. साथ ही बताया कि किसान अजय मिश्र का क्यों विरोध कर रहे है.
दरअसल 25 सिंतबर को अजय मिश्र ने एक बयान देते हुए कहा था कि, कृषि कानूनों के खिलाफ सिर्फ 10-15 लोग शोर मचा रहे हैं. सुधर जाओ, वरना हम सुधार देगें, दो मिनट लेंगे. किसान इस बयान के खिलाफ विरोध कर रहे थे.
हिंदुस्तान
हिंदुस्तान ने सपाट शीर्षक देते हुए लिखा, “लखीमपुर लहूलुहान, आठ की मौत”. अखबार ने आगे लिखा, चार को कार ने रौंदा और चार को भीड़ ने मारा.
इस खबर में अखबार ने अजय मिश्र, उनके बेटे आशीष मिश्र और राकेश टिकैत का बयान लिखा है. साथ ही मुख्यमंत्री का बयान भी लिखा है जिसमें कहा गया है कि, दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा.
अखबार ने लिखा, उपमुख्यमंत्री के दौरे का विरोध कर रहे किसानों पर बनवीरपुर की ओर से तेज गति से दो कारें आईं और किसानों को रौंदती हुई चली गईं. एक कार टेनी के बेटे आशीष मिश्र की बताई जा रही है. कार में जो मिला, भीड़ ने उसको पीटा. इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित कर दिया गया है.
अखबार ने नहीं बताया कि आशीष मिश्र घटना के वक्त मौजूद थे या नहीं. साथ ही घटना स्थल पर क्या हुआ इसको लेकर भी खबर में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है.
नवभारत
टाइम्स ग्रुप के हिंदी अखबार नवभारत ने एजेंसी की खबर को प्रकाशित किया है. अखबार ने शीर्षक में लिखा, “यूपी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा, 8 की मौत”. खबर में आगे अजय मिश्र, योगी आदित्यनाथ का बयान प्रकाशित किया गया है. साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के लखीमपुर दौरे के बारे लिखा गया है.
बता दें कि लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद घटना स्थल पर जा रहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, वहीं अखिलेश यादव पुलिस द्वारा घटना स्थल पर नहीं जाने देने के बाद अपने घर के बाहर ही धरने पर बैठ गए.
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंजाब के उपमुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को यूपी पुलिस ने उतारने से मना कर दिया.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes