शिवराज सिंह चौहान
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मध्यप्रदेश में लगातार हो रहे हैं पेपर लीक, क्या व्यापम से नहीं लिया कोई सबक?

मध्यप्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (एमपीपीईबी) ने 10 और 11 फरवरी 2021 को आयोजित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी (एसएडीओ) और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (आरएईओ) भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, “परीक्षाओं को रद्द करने का निर्णय लिया गया है. एसएडीओ, आरएईओ के प्रश्न पत्र लीक हो गए थे, जिसके बाद परिणाम घोषित नहीं किए गए. मामले की जांच की गई और परीक्षा रद्द कर दी गई.”

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के 791 और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के 72 पदों समेत कुल 863 पदों के लिए यह परीक्षा हुई थी. मध्यप्रदेश के 13 शहरों के 57 परीक्षा केन्द्रों पर हुई इस परीक्षा में करीब 25 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे.

मध्यप्रदेश सरकार के कृषि कल्याण और कृषि विकास विभाग में हजारों पद खाली है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कृषि विभाग में 14572 स्वीकृत पद हैं, जिसमें 8132 भरे है. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, कृषि विभाग में खाली हजारों पद कोई एक दो साल से नहीं है बल्कि 31 सालों से है. विभाग में साल 1990 से कोई सीधी भर्ती नहीं हुई है.

2021 में 863 पदों की भर्ती को छोड़ दिया जाए तो फिर भी कई हजार पद खाली हैं, जिनपर कई सालों से भर्ती नहीं हुई. इस बीच प्रदेश के युवाओं की परीक्षा में शामिल होने की उम्र खत्म होती जा रही है. साल 2021 में आयोजित परीक्षा में अधिकतम उम्र 40 वर्ष रखी गई थी. हजारों की संख्या में कई ऐसे उम्मीदवार हैं जिनकी उम्र 35 से 40 के बीच है. इस उम्र में भी वह अपने माता-पिता का सहारा बनने की बजाय सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं और जब इतने सालों बाद परीक्षा हुई तो अंत में सरकार ने उसे भी रद्द कर दिया.

परीक्षा रद्द होने पर क्या कहते हैं उम्मीदवार

34 वर्षीय संदीप करोडे 6 साल से इंदौर में रहकर कृषि परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इनका परिवार खरगोन जिले के महेश्वरी गांव में रहता है. घर में सिर्फ मां ही नौकरी करती हैं, पिता को लकवा होने के कारण वह कोई काम नहीं कर पाते. परीक्षा रद्द होने पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “अब मेरी स्थिति नहीं है कि मैं फिर से इंदौर जाकर तैयारी कर सकूं. पिछली बार भी बहुत मुश्किल से परिवार ने तैयारी करने के लिए भेजा था. इस बार किस मुंह से उनसे बोलूंगा.”

साल 2015 में बीजेपी सरकार ने कृषि विभाग में भर्ती निकाली थी. लेकिन उस समय विरोध होने के बाद सरकार ने कहा कि 6 महीने बाद संशोधन कर यह परीक्षा फिर से होगी. लेकिन वह 6 महीने, 6 साल में बीत गए.

संदीप आगे कहते है, “आंसर शीट जो जारी हुई थी. उसमें मुझे 164 नंबर आए थे. इस बार उम्मीद थी कि परीक्षा पास कर लूंगा, लेकिन सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी. उन्होंने (सरकार) दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय परीक्षा को ही रद्द कर दिया. दोषी तो सभी बच गए लेकिन मेरे जैसे अन्य छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया.”

संदीप अब प्राइवेट नौकरी देख रहे हैं. क्योंकि उन्हें अब भरोसा नहीं है कि अगली परीक्षा कब होगी और उस समय भी समय पर भर्ती हो पाएगी या नहीं.

कृषि परीक्षा की आंसर शीट 17 फरवरी 2021 को जारी की गई. इस शीट के जारी होने के बाद छात्रों ने विरोध शुरू किया. छात्रों का कहना है कि व्यापम ने ब्लैक लिस्टेड कंपनी एनएसईआईटी को परीक्षा के आयोजन के लिए चुना. यह वही कंपनी है जिसे यूपी में 2017 में सब इंस्पेक्टर के लिए हुई परीक्षा में पेपर लीक की वजह से ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था.

मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में से अलिराजपुर के सोदंवा गांव की रहने वाली ज्योति साल 2018 से इस परीक्षा की तैयारी कर रही थीं. ज्योति एग्रीकल्चर में एमएससी करने के बाद इंदौर में रहकर तैयारी कर रही थीं. उनके परिवार में कुल आठ लोग है जिनकी जिम्मेदारी उनकी मां पर है. पिता का निधन कुछ साल पहले हो गया.

ज्योति न्यूज़लॉन्ड्री से कहती हैं, “सरकार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने परीक्षा रद्द तो कर दी लेकिन हमें पता ही नहीं चला कि पेपर लीक करने वाले लोग कौन थे और किन छात्रों के पास पेपर पहुंचा.”

परीक्षा होने के बाद जब पीईबी ने आंसर शीट जारी कि तो, उसमें टॉप आए 10 छात्रों को ना सिर्फ सामान्य ज्ञान की परीक्षा में बराबर नंबर मिले हैं, बल्कि उन्होंने एक जैसी गलतियां भी की. अन्य उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि 90 से अधिक अंक लाने वाले अधिकांश उम्मीदवार चंबल संभाग से आते है, जिन सभी का सेंटर ग्वालियर रखा गया था. साथ ही इनमें से कुछ छात्रों के नाम व्यापम के द्वारा आयोजित प्री एग्रीकल्चर टेस्ट (पीएटी) के फर्जीवाड़े में भी सामने आ चुका है.

भिंड जिले के हलचुरा गांव के रहने वाले 33 साल के भीम सिंह धाकड़, 2015 में एमएससी करने के बाद से परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे है. बड़े भाई और पिता गांव में रहकर मजदूरी करते हैं. जिससे उनका पूरा परिवार चलता है.

भीम कहते हैं, “अब सरकार पर भरोसा नहीं है कि कब परीक्षा होगी और कब नहीं. इस परीक्षा को लेकर इतने साल तैयारी की. अब अगर सरकार ने परीक्षा नहीं करवाई तो मैं भी अपने भाई और पिता की तरह ही मजदूरी करूंगा और कोई भविष्य नहीं है मेरे सामने.”

सरकार ने कृषि परीक्षा को फिर से जल्द करवाने के लिए कहा है. कृषि मंत्री कमल पटेल ने मीडिया को बताया कि "बहुत से छात्रों के नंबर एक जैसे होने से शंका हुई, इसलिए ही जांच के आदेश दिए गए. हमारी सरकार की नीयत और नीति स्पष्ट है. पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं. किसी को नहीं छोड़ेंगे."

भीम न्यूज़लॉन्ड्री से कहते है, “सरकारी नौकरी के लिए इतने साल लगा दिए. परिवार को उम्मीद है कि सरकारी परीक्षा निकाल लूंगा इसलिए तैयारी कर रहा था. इस बार 145 नंबर आए थे, परीक्षा में पास हो जाता लेकिन सरकार ने परीक्षा ही रद्द कर दी.”

सरकार से उम्मीद पर भीम बताते हैं, “सरकार पर भरोसा तो नहीं है लेकिन एक-दो साल में चुनाव होने वाले हैं. इसलिए उम्मीद है कि सरकार जल्द परीक्षा कराएगी.”

बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जून महीने में कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में कहा था कि हर महीने में एक लाख युवाओं को रोजगार दिए जाएंगे. इसके अलावा एक अन्य सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने युवाओं से कहा था, “मध्य प्रदेश के बेटे-बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के कार्य निरंतर जारी रहेंगे, इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा. यदि सरकारी नौकरी न मिले तो प्रदेश की प्रतिभाएं निराश और हताश न हों, उनके लिए अवसर, ट्रेनिंग सरकार उपलब्ध कराएगी. हर महीने एक लाख लोगों को राजगार देना हमारा लक्ष्य है.”

इन तमाम वादों और दावों के बाद भी सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी. “व्यापम जैसा फर्जीवाड़ा इसी सरकार के समय में हुआ था. अगर यह सरकार युवाओं को लेकर चिंतित होती तो वह परीक्षा रद्द नहीं करती. दोषियों पर कार्रवाई करती.” भीम ने कहा.

एमपीपीईबी ने अपने बयान में बताया, छात्रों की शिकायत मिलने के बाद हमने मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलमेंट कॉरपोरेशन से इसकी जांच कराई. एमपीएसईडी ने डिजिटल फुट प्रिंट जांच में पाया कि सर्वर लॉग से पता चलता है कि 10 फरवरी को अनाधिकृत रूप से परीक्षा का प्रश्न पत्र डाउनलोड हुआ है.

बयान में आगे कहा गया है कि, परीक्षा में मात्र किसी एक शहर विशेष के अभ्यार्थियों द्वारा अधिक अंक प्राप्त किया जाना शंका का आधार हो सकता है, लेकिन परीक्षा को निरस्त किए जाने का आधार नहीं हो सकता. परीक्षा में मानक एसओपी का पालन नहीं हुआ और यह परीक्षा निरस्त किए जाने का आधार भी है.

गौरतलब है कि जिन टॉप 10 उम्मीदवारों के नंबर सबसे ज्यादा आए, उनमें से अधिकांश उम्मीदवार चंबल संभाग से आते हैं जिन सभी का सेंटर ग्वालियर था. परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि यह संयोग ही है कि 10 में से 9 छात्र एक ही जाति के हैं. और इन सभी ने चार साल की डिग्री को पांच या अधिक सालों में पूरा किया. कुछ छात्रों ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का इसमें शामिल होने का आरोप लगाया था. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी वीडी शर्मा को लेकर कहा था कि बीजेपी अध्यक्ष चंबल क्षेत्र में मुरैना जिले के हैं और उनके पास भी बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री है. इसलिए शक की सुई उन पर भी घूमती है. हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री इन आरोपों की जांच नहीं पाया.

छात्रों के बढ़ते विरोध के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जांच के आदेश दे दिए थे.

भोपाल के स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अनीस न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “सरकार को लगा कि व्यापम का नाम बदलकर पीईबी कर देने से नकल होना बंद हो जाएगा. लेकिन जमीन पर कोई बदलाव नहीं आया. सबकुछ पहले जैसा ही है. नकल माफिया अभी भी राज्य में पहले की तरह ही एक्टिव हैं.”

छात्रों के मुद्दे पर सरकार के वादों पर जावेद कहते हैं, “सरकार नौकरी देने और युवाओं को लेकर तो बहुत बातें करती है लेकिन कोई वादा पूरा नहीं करती. मध्यप्रदेश में आए दिन एजुकेशन को लेकर अलग-अलग फील्ड के लोग विरोध कर रहे हैं. सरकार ध्यान नहीं दे रही है. रही बात कृषि परीक्षा की तो, सरकार का जो लीपापोती वाला रवैया पहले का रहा है वही अभी भी है. वह मुद्दे का हल करने के बजाय मुद्दे को ही खत्म कर देती है.”

बता दें कि पीईबी का पहले नाम मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) था. व्यापम शिक्षा जगत के अबतक के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता है. साल 2009 में फर्जीवाड़े का आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद इसमें कुल 55 केस दर्ज हुए. 2530 लोग आरोपी बनाए गए, जबकि 1980 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस स्कैम के बाद इससे ताल्लुक रखने वाले करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है.

न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में पीईबी के पीआरओ जेपी गुप्ता कहते हैं, “जांच के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई है. जल्द ही निरस्त हुई परीक्षा को फिर से करवाया जाएगा.” परीक्षा कब तक करवाई जाएगी और दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई इस पर वह कहते हैं, “इसके बारे में चेयरमैन से बात कीजिए” कहकर फोन काट देते हैं.

हमने चेयरमैन ऑफिस फोन किया लेकिन उनके सहायक ने कहा "वह अभी बाहर है". वहीं जब हमने निदेशक शनमुगा प्रिया मिश्रा से संपर्क करने की कोशिश की तो उनके दफ्तर से कहा गया कि वह अभी दफ्तर में नहीं हैं. और मेल मांगने पर फोन काट दिया गया.

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