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करनाल लाठीचार्ज: परिवार का आरोप- पुलिस के पीटने से हुई किसान सुशील की मौत
करनाल जिले के गांव रायपुर जाटान के किसान सुशील काजल जब 28 अगस्त की रात अपने घर पहुंचे तो उनके कपड़े खून और मिट्टी से सने हुए थे. उस दिन करनाल पुलिस ने जिन किसानों पर लाठीचार्ज किया, उनमें वह भी एक थे. अगली सुबह यानी 29 अगस्त को वह अपनी खाट पर मृत पाए गए.
30 अगस्त की सुबह जब हम सुशील काजल के घर पहुंचे तो उनकी पत्नी सुदेश घर के आंगन में गुमसुम बैठी हुई थीं. गांव की अनेकों औरतें उनको घेरे हुए थीं और उनको सांत्वना दे रही थीं.
घर के बगल में गांव और आसपास के किसान जमा थे, उनके बेटे साहिल भी वहां जमा किसानों के बीच शांत, अडोल और नज़र झुकाए बैठे थे.
साहिल से वहां जमा एक किसान ने पूछा, “उस रात क्या हुआ था.”
साहिल ने बहुत धीमी आवाज़ में जवाब दिया, “जब वह आये तो मैं उनको खाना देने गया. उन्होंने खाना नहीं खाया. मैंने उनकी हालत देखी तो उनको अस्पताल चलने के लिए कहा. लेकिन उन्होंने ये कहकर मना कर दिया कि वह दूसरे किसानों के साथ अस्पताल जाने के लिए करनाल गए थे लेकिन पुलिस ने पूरे करनाल शहर को जाम कर रखा था. पुलिस किसानों को देखते ही मारने दौड़ती थी इसलिए वह वापस घर आ गए.”
साहिल इतना कहकर एकदम शांत पड़ गए. एक किसान ने उनके कंधे पर हाथ रखा. चुप्पी तोड़ते हुए साहिल ने बताया, “उनकी गर्दन और शरीर पर डंडों के निशान थे. इस जिद्द में वह सो गए कि सुबह डॉक्टर को दिखा लेंगे. सुबह जब देखा तो वह बुरी तरह अकड़े पड़े थे और उनका पेट फुला हुआ था.”
सुशील सिर्फ डेढ़ एकड़ के किसान थे और इस आंदोलन में पिछले दस महीने से सक्रिय थे. वह करनाल के बसताड़ा टोल पर हर दिन जाते थे.
उनकी पत्नी सुदेश ने हमें बताया, “पुलिस ने उन किसानों की पहचान पहले ही कर रखी थी जो इस आंदोलन में ज्यादा सक्रिय थे. लाठीचार्ज हुआ तो वह ठोकर खाकर गिर गए थे. पुलिस ने उस वक्त उनको बहुत मारा.”
सुदेश के पास बैठी गांव की अन्य औरतें भी बार-बार पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रही थीं.
करनाल जिले के भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष जगदीप औलख से भी हमने इस मामले में बातचीत की. जगदीप उस समय बसताड़ा टोल टैक्स पर ही थे जब पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया.
जगदीप ने हमें बताया, “सुशील की मौत पुलिस लाठीचार्ज की वजह से हुई है. जिस दिन पुलिस ने हम किसानों पर लाठीचार्ज किया, उस दिन पुलिस ने किसानों को अस्पतालों तक भी नहीं पहुंचने दिया. करीब 300 किसानों पर पुलिस ने चार बार लाठीचार्ज किया था. पुलिस के डर की वजह से सिर्फ 50-60 किसानों ने मेडिकल चेकअप करवाया है और वो भी लाठीचार्ज के अगले दिन यानी 29 अगस्त को करवाया है. अगर पुलिस उसी दिन मेडिकल चेकअप करवाने देती तो शायद सुशील को बचाया जा सकता था.”
हमने जगदीप से मृतक किसान का पोस्टमार्टम करवाए जाने को लेकर भी सवाल किया. जिसके जवाब में जगदीप ने बताया, “29 अगस्त को हम लोग किसानों के मेडिकल चेकअप करवाने में उलझ गए. हम वहां पहुंच पाते उससे पहले ही प्रशासन के लोगों ने बिना पोस्टमार्टम करवाए अंतिम संस्कार करवा दिया. इतनी तानाशाही चल रही है कि किसानों को पहले बुरी तरह पीटा, फिर मेडिकल चेकअप नहीं करवाने दिया और जब एक किसान मर गया तो उसका पोस्टमार्टम तक नहीं होने दिया.”
इस मामले को लेकर हमने करनाल के डीसी निशांत यादव से भी बात करने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया है.
हालांकि, करनाल पुलिस ने लाठीचार्ज के दौरान लगी चोटों के कारण सुशील काजल की मौत के दावे का खंडन किया है. करनाल के एसपी गंगा राम पुनिया ने एएनआई को बताया, “वह किसी अस्पताल नहीं गया. वह घर गया तो बिल्कुल सही था और उसकी नींद में मृत्यु हुई है. कुछ लोग कह रहे हैं कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ है. पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए बल के दौरान लगी चोटों के कारण उनकी मौत की खबरें झूठी हैं.”
करनाल में हुए लाठीचार्ज के विरोध में घरौंडा की अनाज मंडी में किसान पंचायत आयोजित की गई है. हरियाणा और पंजाब के करीब दस हज़ार किसान इस पंचायत में जमा हुए हैं.
पंचायत में स्टेज से किसान नेताओं ने निम्नलिखित प्रस्ताव पास किए गए हैं.
1. एसडीएम आयुष सिन्हा को तुरंत बर्खास्त किया जाए, लाठीचार्ज से शहीद हुए किसान सुशील काजल की मौत के लिए 302 का मुकदमा दर्ज हो.
2. किसानों पर लाठीचार्ज करने वाले हरेक अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किए जाएं.
3. शहीद किसान के परिवार को 25 लाख रुपये और परिवार में एक नौकरी दी जाए.
4. छह सितंबर तक मांग न माने जाने पर 7 सितंबर को करनाल में अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा.
5. जिन-जिन पुलिस वालों ने किसानों पर लाठियां चलाई हैं उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाए.
(साभार- गांव सवेरा)
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