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उन्नाव में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान पत्रकारों के साथ मारपीट

उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के लिए मतदान के दौरान, शनिवार को उन्नाव जिले के मियागंज में पत्रकार कृष्णा तिवारी से मारपीट की गई. आरोप है कि मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) दिव्यांशु पटेल और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकार को पीटा गया. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. इस वायरल वीडियो में काली शर्ट में सीडीओ दिव्यांशु पटेल पत्रकार को थप्पड़ मारते नजर आ रहे हैं. इसके बाद, सफ़ेद कुर्ते में एक व्यक्ति पत्रकार को सड़क पर दौड़ाता और मारता देखा जा सकता है. बताया जा रहा है कि वह व्यक्ति भाजपा कार्यकर्ता है.

क्या थी पूरी घटना?

कृष्णा तिवारी 10 साल से मीडिया क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और फिलहाल इंडिया न्यूज़ में बतौर कैमरा मैन काम कर रहे हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने कृष्णा तिवारी से बात की. उन्होंने बताया, "शनिवार को मियागंज में दो घटनाक्रम हुए. दोनों में ही उन पर प्रहार करने की कोशिश की गई. हम सभी पत्रकार मतदान की कवरेज के लिए मियागंज गए थे. हमें खबर मिली थी कि भाजपा कार्यकर्ता पोलिंग बूथ से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर लोगों से ज़बरदस्ती कर रहे थे. हमने डीएम और एसपी को इसकी सूचना दी लेकिन वहां भगदड़ मचने की खबर मिली तो हम सभी पत्रकार पंकज यादव, भारत समाचार से अनु राज भारती आदि बाइक पर सवार घटना स्थल पर पहुंचे तब तक मार-पीट करने वाले वहां से चले गए."

खबर की तहकीकात जानने के लिए कृष्णा तिवारी और अमर उजाला के पत्रकार राजा राजपूत, पास के गांव में स्थित नहर की तरफ निकल गए. उन्हें बच्चों ने बताया कि वहां लोगों को मारा गया था लेकिन उन्होंने किसी का नाम बताने से मना कर दिया. दोनों पत्रकार वापस लौटने लगे तभी दो स्कॉर्पियो गाड़ियों ने उनकी बाइक को टक्कर मारकर गिरा दिया.

पत्रकार कृष्णा तिवारी

"हमारे सामने से दो स्कॉर्पिओ गाड़ियां आ रही थीं. दोनों गाड़ियों में करीब 30 लोग भरे हुए थे. हम उनका वीडियो शॉट बनाने लगे. हमें देखते ही गाड़ियों ने हमारी बाइक को टक्कर मारकर गिरा दिया. उन्होंने हमारे साथ हाथापाई की और मेरे दोनों मोबाइल तोड़ दिए और वहां से चले गए. शायद उन्हें लगा था कि उन्होंने गलत आदमियों को मार दिया. हमने एसपी को कॉल किया. उन्होंने पुलिस कर्मियों को भेजा तब हम वापस ब्लॉक पर लौटे." कृष्ण तिवारी बताते हैं.

पत्रकार पर हुआ दूसरी बार हमला

ब्लॉक पर वापस पहुंचने के बाद कृष्णा पर फिर से प्रहार हुआ. कृष्णा तिवारी बताते हैं, "ब्लॉक पर हमने देखा कि कुछ लोग वोट डालने आये एक आदमी को पोलिंग बूथ से जबरन उठाकर ले जा रहे थे. वहां भगदड़ मच गई. हम उसका वीडियो शॉट बनाने लगे. इस मामले में एक लड़के की गिरफ्तारी भी हुई. पुलिस उसे संभाल नहीं पा रही थी. हम बैरिकेडिंग के बाहर बैठे थे. पुलिस कहने लगी कि पत्रकारों की वजह से वो कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. पुलिस सभी हुड़दंग मचा रहे कार्यकर्ताओं को ले जाने लगी. मैं वीडियो बना रहा था. तभी सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने मुझे धक्का दिया. मैंने सीडीओ को कहा भी कि मैं पत्रकार हूं. सीडीओ के साथ सफ़ेद कपडे पहने एक नेता भी था. वो मुझे मारने लगे."

जगह-जगह क्यों लगाई गईं गाड़ियां

स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि ब्लॉक से दो प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे. धर्मेंद्र सिंह निर्दलीय और ऊषा यादव भाजपा से चुनव लड़ रही थीं. आरोप है कि समर्थकों को वोट डालने से रोकने के लिए एक दिन पहले से भाजपा कार्यकर्ताओं ने जगह- जगह गाड़ियां लगवा दी थी. बता दें चुनाव नतीजे आ गए हैं और यहां से निर्दलीय नेता धर्मेंद्र सिंह चुनाव जीते हैं.

हर पत्रकार को बनाया गया निशाना

शनिवार को क्षेत्र में कवरेज कर रहे हर पत्रकार को निशाना बनाया जा रहा था. न्यूज़लॉन्ड्री ने भारत समाचार के पत्रकार अनु राज से बात की. उन्होंने बताया, "हम लोग मियागंज से दूसरे ब्लॉक जा रहे थे. मेरे साथ कार में ईटीवी भारत और एबीपी न्यूज़ के पत्रकार भी मौजूद थे. उस दौरान हमें कॉल आता है कि मियागंज वोट डालने आ रहे लोगों को रोक कर मारा जा रहा है. वहां 15 -20 गाड़ियां लगी हुई हैं. मामला बड़ा था इसलिए हम वापस पलट गए. गांव में हमने देखा खेतों में 25 -30 लोग दौड़ रहे हैं. हम उनका पीछा करने लगे लेकिन क्योंकि हम रोड के रास्ते थे वो लोग हमसे कहीं छूट गए. हम गांव वालों से रास्ता पूछकर वापस लौट रहे थे. रास्ते के बीच हमारे सामने से कुछ लोगों ने हमारी गाड़ी के आगे अपनी ब्रीज़ा गाड़ी लगा दी और हमारा रास्ता रोक कर खड़े हो गए. उनके हाथ में डंडे और पत्थर थे. हमने बहुत डर से उनका फोटो ज़रूर ले लिया था. डीएम और एसपी को खबर दी लेकिन वो घटना स्थल पर नहीं गए बल्कि वहां से 50 मीटर दूर से चले गए और कार्रवाई का आश्वासन दिया. हमें पता चला कृष्णा के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस दिन पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा था."

भाजपा कार्यकर्ताओं पर मारपीट का आरोप

डर के कारण सभी पत्रकार पुलिस के पास बैठ गए. अनु राज आगे बताते हैं, "उस दिन भाजपा के कई कार्यकर्ता अलग-अलग जगह रास्ता रोककर लोगों को पकड़ रहे थे ताकि वो पोलिंग बूथ तक न पहुंच सकें. हमने देखा भाजपा का झंडा लगी वहां एक गाडी रुकी. जबकि नियम के मुताबिक चुनाव के दिन इसकी इजाज़त नहीं होती है. कृष्णा को शक था कि यह वही गाड़ी है जिसने उनपर गाड़ी चढाने की कोशिश की थी. मैंने उस गाड़ी की फोटो ली. गाड़ी से भाजपा का गमछा ओढ़े दो लोग गाड़ी से निकले. इतने में दो गाड़ियां और आ गईं और भीड़ जमा हो गई. वहां तुरंत ही भगदड़ और हंगामा मच गया. लोग भागने लगे. कृष्णा मेरा मोबाइल लेकर वीडियो बनाने लगा. जो आदमी सफ़ेद कपड़ों में वीडियो में दिखाई दे रहा है वो पूरा समय सीडीओ साहब के साथ चल रहा था. सफ़ेद कपड़े में यह आदमी भाजपा कार्यकर्ता अंकुर यादव है."

सीडीओ के खिलाफ प्रदर्शन पर बैठे पत्रकार

मौके पर मौजूद एसएचओ ने कैमरामैन को बचाया. इस घटना में कृष्णा तिवारी को चोटें आई हैं. पत्रकार के समर्थन और सीडीओ की दबंगई के खिलाफ करीब 40 पत्रकार मियांगंज ब्लॉक कलेक्ट्रेट गेट पर धरने पर बैठ गए.

धरने पर बैठे पत्रकार

कृष्णा कहते हैं, "नेता मतदान करने आ रहे लोगों को उठाकर ले जा रहे हैं उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और पत्रकारों को पकड़कर मारा जा रहा है. हम धरने पर बैठ गए. डीएम ने माफ़ी मांगी है. लेकिन सीडीओ अभी भी अड़े हैं और कह रहे हैं हमने उनको गाली दी. मेरा वीडियो कैमरा ऑन था. मैं 10 साल से काम कर रहा हूं. सभी अधिकारी मुझसे परिचित हैं. मैंने पूरा वीडियो दिखा दिया. साफ़ दिखाई दे रहा है मैंने किसी भी अपशब्द का प्रयोग नहीं किया. डीएम उन्नाव रविंद्र कुमार व एसपी उन्नाव सुरेशराव ए. कुलकर्णी ने पत्रकारों से सीडीओ की तरफ से माफी मांगने के साथ ही बात खत्म करने की बात रखी मगर हमारी मांग है कि सीडीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. सीडीओ के सस्पेंड होने तक हम विरोध करेंगे."

न्यूज़लॉन्ड्री ने सीडीओ दिव्यांशु पटेल से बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन बंद है. न्यूज़लॉन्ड्री ने एसपी उन्नाव सुरेशराव ए. कुलकर्णी से बात की. उन्होंने बताया, "चुनाव बिलकुल निष्पक्ष रूप से संपन्न हुआ है. डीएम ने एप्लीकेशन जारी की है. साथ ही मामले की जांच के आदेश दिए हैं. कहीं भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. चुनाव के दिन धर्मेंद्र सिंह और उषा यादव, दोनों के समर्थक पोलिंग बूथ पर मौजूद थे. उन दोनों के बीच छुट-पुट लड़ाइयां हुईं लेकिन प्रशासन ने मामला संभाल लिया था. पत्रकार के साथ जो हुआ है वह गलत है. हम आश्वस्त करते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी और कार्रवाई की जाएगी.

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