Report

ग्राउंड रिपोर्ट: आजमगढ़ में दलितों के साथ हुई बर्बरता का पूरा सच

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पलिया गांव में मरघटी सन्नाटा और रोती-बिलखती दलित महिलाओं का करुण क्रंदन है. कई दिलों से चीत्कार मारकर विलाप कर रही महिलाओं ने पुलिसिया बर्बरता की जो कहानी सुनाई है वह दिल दहला देने वाली है. पास के गांव बाजार में दो पक्षों के बीच हुई मामली झड़प के बाद पुलिसकर्मी बीते 29 जून की रात पलिया गांव की दलित बस्ती पहुंचे.

प्रधानपति के चाचा राजपत पासवान की भांजी गुड्डी का आरोप है, “पुलिस क्षेत्राधिकारी गोपाल स्वरूप वाजपेयी और सगड़ी के एसडीएम गौरव कुमार ने लूटमार की छूट दी तो खाकी वर्दी वालों ने नंगा नाच शुरू कर दिया. महिलाओं और बच्चों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया. इस दौरान इन्होंने लाखों के गहने और कीमती सामान लूटने शुरू कर दिए. महिलाओं के कपड़े फाड़े और गुप्तांगों पर हमले भी किए. कुछ महिलाओं और बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ किया गया. अफसर भद्दी-भद्दी गालियां सुनाते रहे और पुलिसकर्मी महिलाओं व लड़कियों पर जुल्म ढाते रहे.” पलिया दलित बस्ती की महिलाओं का कहना है कि अब किस तरह अपने मां-बाप, सास-ससुर, पति और परिवार वालों को हम मुंह दिखाएंगे?

गुड्डी की मानें तो पुलिस वालों ने लाखों के आभूषण, कीमती सामन और बच्चों के लैपटाप तक लूट लिए. जो महिलाएं अपने शरीर पर गहने पहनी हुई थीं, उसे भी बर्बरतापूर्वक लूट लिया. इसके बाद पुलिस ने जेसीबी से चार मकानों को जमींदोज कर दिया. पुलिस वाले अपने साथ हथौड़े के अलावा तमाम घातक औजर लेकर आए थे.

खौफजदा गुड्डी रुधे गले से बताती हैं, “अगले दिन 30 जून को दोबारा रौनापार थाने के प्रभारी तारकेश्वर राय के नेतृत्व में बड़ी संख्या में अर्ध-सैनिक बल के जवान आए. पुलिस के साथ इन जवानों ने मिलकर दलित बस्ती में दोबारा कहर बरपाना शुरू कर दिया. जो जहां मिला, सभी को बुरी तरह पीटा. चाहे बच्चे हों, बूढ़े हों या फिर महिलाएं. जिन लोगों का विवाद से कोई मतलब भी नहीं था, उन्हें भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया. दलित बस्ती के पुरुष पहले दिन ही गांव छोड़कर भाग गए थे. गांव में वीरानी और सन्नाटा है. जिन घरों को पुलिस ने ढहाया है, वहां खाने-पीने का कोई सामान सही-सलामत नहीं बचा है."

वहीं आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह के निर्देश पर कई थानों की पुलिस छापेमारी में जुटी है. आसपास के गांवों में दबिश दी जा रही है. ग्रामीण बताते हैं कि सभी को धमकाया जा रहा है. पुलिस दलितों पर रासुका लगाने की तैयारी में है. बनारस में मौजूद एडीजी पुलिस और आईजी इसे मामूली घटना मान रहे हैं. पुलिस के उच्चाधिकारी अभी तक मौके पर नहीं पहुंचे हैं. कांग्रेस महासिचव प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद आजमगढ़ में सियासत गरम हो गई है. पलिया गांव की दलित बस्ती में नेताओं का जमावड़ा लगाने लगा है.

ऐसे शुरू हुआ विवाद

आजमगढ़ जिले के भीमबर कस्बे से करीब दो किमी के फासले पर है पलिया गांव. दलितों की बस्ती अलग है. पुलिस ने जिन दलितों के घरों पर हमला बोला है वह काफी संपन्न लोग हैं. इस गांव की प्रधान मंजू भी दलित हैं. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रौनापार थाना पुलिस इनके पति मुन्ना पासवान और उनके कुनबे को सबक सिखाने यहां पहुंची थी. इससे पहले पास के मंगरी बाजार में मऊ कुतुबपुर के झोलाछाप डॉ. आनंद विस्वास का पुत्र लिट्टन विस्वास और पलिया गांव के लोगों के बीच विवाद हुआ था. विवाद की जड़ में लिट्टन था, जिसने पलिया गांव की एक लड़की का आपत्तिजनक वीडियो बना लिया था.

इसी वीडियो के जरिये वह लड़की को ब्लैकमेल कर रहा था. परेशन होकर लड़की ने अपने घर वालों से शिकायत कर दी. प्रधानपति के नेतृत्व में हो रही पंचायत के बीच मारपीट शुरू हो गई. सूचना मिलते ही सिपाही विवेक त्रिपाठी और मुखराम यादव मौके पर पहुंचे. बीच-बचाव का प्रयास कर रहे प्रधानपति मुन्ना पासवान को पुलिसकर्मियों ने कई तमाचे जड़ दिए. पुलिस की पिटाई से प्रधानपति की नाक पर काफी चोट आ गई और खून रिसने लगा. प्रधानपति को पिटते देख भीड़ उग्र हो गई और लोगों ने पुलिसकर्मियों की भी पिटाई कर दी. मुन्ना पासवान का कुनबा लगातार तीन बार से प्रधान का चुनाव जीतता आ रहा है. इस बार इनकी पत्नी मंजू विजयी हुई हैं.

सिपाहियों पर हमले की खबर मिलते ही पुलिस क्षेत्राधिकारी गोपाल स्वरूप वाजपेयी और रौनापार थाना प्रभारी तारकेश्वर राय मौके पर पहुंचे. घायल सिपाहियों को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया. आरोपितों की धरपकड़ शुरू होती, इससे पहले ही दलित बस्ती के पुरुष फरार हो गए.

दलित महिलाओं ने पुलिस पर लूटपाट और अभद्रता करने का आरोप लगाया है. ग्राम प्रधान मंजू, पूनम, संध्या और सुनीता ने बताया, “हम सोए थे तभी अचानक रात में भारी पुलिस फोर्स आ गई. साथ में कई अफसर भी थे. वो जेसीबी लेकर आए थे. हमारे घर को ढहाया जाने लगा. घरों में घुसकर पुलिस वालों ने अलमारियों को तोड़कर हमारे जेवर लूटने शुरू कर दिए. विरोध करने पर मार-पीट शुरू हो गई. वे गाली-गलौच भी दे रहे थे. खाकी वालों ने सभी महिलाओं के गहने और कीमती मोबाइल फोन तक लूट लिए. बच्चों के लैपटाप भी उठे ले गए. पुलिसिया कार्रवाई से पूरा गांव दहला हुआ है. दहशत के चलते गांव के ज्यादतर घरों में ताले लटके हुए हैं."

रौनापार थाना पुलिस ने प्रधानपति समेत 28 नामजद समेत 143 लोगों के खिलाफ तीन रिपोर्ट दर्ज कराई है. पुलिस ने खुद दो मुकदमों में दलितों को आरोपित बनाया है. एक मामला हेड कांस्टेबल मुखराम यादव और एक अन्य मामला झोलाछाप बंगाली डॉक्टर आनंद विस्वास के पुत्र लिट्टन विस्वास की तहरीर पर दर्ज किया गया है. दलित बस्ती के लोगों ने बताया कि लिट्टन विस्वास ने पासी समाज की एक लड़की को आपत्तिजनक तस्वीरों के जरिए कई दिनों से अवैध संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल कर रहा था.

पलिया के प्रधानपति मुन्ना के भाई बृजभान की पत्नी चंपा देवी ने बताया, "उनकी बेटी संध्या की शादी इसी साल जून महीने में हुई थी. घर में उसका सारा आभूषण पड़ा था. पुलिस वालों ने लॉकर तोड़ डाले और सारे गहने लूटकर ले गए."

बृजभान की बेटी संध्या ने बताया, "पुलिस ने सबसे पहले चाचा राजपत पासवान के घर पर धावा बोला. राजपत के तीन बच्चे हैं- मिंटू, सरवन और बेटी प्रियंका. राजपत की पत्नी के भाई का देहांत हो गया है. इसलिए वह दोनों वहां गए हुए थे. सरवन अपने बेटे की रिपोर्ट लेने आजमगढ़ चला गया था. मिंटू दिल्ली में नौकरी करता है. घर पर सिर्फ सरवन की पत्नी मंजू और उसका छह महीने का दुधमुंहा बेटा उत्कर्ष और बहन प्रियंका थे. पुलिस वालों ने बेटे को छीनकर जमीन पर पटक दिया. बच्चे की हालत गंभीर है. आजमगढ़ के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है."

प्रियंका बताती हैं, “खाकी वालों ने उसे बुरी तरह मारा-पीटा. जब उसकी इज्जत पर हमला करने की कोशिश की तो वह उनसे भिड़ गई. बाद में पुलिस का दस्ता स्व. श्यामदेव के पुत्र इंजीनियर सूर्यभान और स्वतंत्र के घर पर पहुंचा. दमा की मरीज इनकी मां मौनी देवी को भी पुलिस वालों ने नहीं बख्शा. इन पर लाठियां तोड़ी गईं. घंटों लूटपाट की गई. इनके घर की इमारत का अगला हिस्सा जेसीबी से ढहा दिया. सारा कीमती सामान लूट लिया गया और जरूरी सामनों को तहस-नहस कर दिया गया.”

इंजीनियर सूर्यमान की पत्नी सुनीता ने न्यूजलांड्री को बताया, “जब हम लोगों ने विरोध किया तो पुलिसकर्मियों और उनके साथ सादी वर्दी में आए लोगों ने घर की महिलाओं को डंडे से बुरी तरह पीटा.” सुनीता अपने फटे हुए ब्लाउज को दिखाते हुए कहती हैं, “सड़क पर हमारा चीरहरण किया गया. शरीर के नाजुक अंगों पर न जाने कितनी लाठियां बरसाई गईं. हम तो अब मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहे.”

सुनीता ने यहां तक कहा, "हम लोगों की इज्जत उतर चुकी है. हमारे अंदरूनी घावों को देखन चाहें तो हम दिखा सकते हैं. सुनीता ने अपने पास खड़ी 85 वर्षीया फुफिया सास पर पुलिस के डंडों के चोट के निशान दिखाए और कहा कि योगी सरकार की पुलिस ने हमारे साथ जो घिनौना कृत्य किया है उसका कलंक अब आजमगढ़ के माथे पर चस्पा है जो अब मिटने वाला नहीं है."

योगी नहीं आए तो फांसी लगा लूंगी

पुलिसिया जुल्म की शिकार सुनीता ने कहा, "योगी खुद को महंत होने का दावा करते हैं और उनकी पुलिस ने घर में रखे भगवान के मंदिर को तहस-नहस कर डाला. मूर्तियों को लातों से मार-मार कर तोड़ा. हम सबकी इज्जत उतार दी. हम परिवार को मुह दिखाने लायक नहीं बचे हैं. अगर योगी-मोदी सचमुच बेटियों की सुरक्षा करना चाहते हैं तो वो यहां आएं और हमारे शहर के जख्मों को देखें. अगर वह नहीं आए तो फांसी के फंदे गले में डालकर बच्चों के साथ हम सभी सुसाइड कर लेंगे. योगी के राज में अब कानून से भरोसा उठ गया है. दलित तो बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं. जब तक योगी नहीं आते तब तक मैं यहीं अपने परिवार के साथ सड़क पर रहूंगी. पुलिस ने वैसे भी हमारा घर ढहा दिया है. राशन में जहर मिला दिया है. जीने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं."

मुश्किल से हुआ मेडिकल

पुलिसिया जुल्म के बाद जब दलित महिलाएं अपना उपचार कराने सरकारी अस्पताल में पहुंचीं तो डाक्टरों ने उन्हें भगा दिया. साथ ही यह भी कहा कि जब तक पुलिस नहीं आएगी, वो मेडिकल मुआयना नहीं कर पाएंगे. बाद में बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और जिलाध्यक्ष प्रवीन सिंह के नेतृत्व में अस्पताल में धरना देना शुरू किया तब जाकर सरकारी डॉक्टर झुके. काफी जद्दोजह के बाद चोटिल लोगों का इलाज और जघन्यता की शिकार महिलाओं का मेडिकल हो सका.

एसपी ने कहा, रासुका लगाएंगे

आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह पलिया कांड पर मीडिया से बातचीत करने से कतरा रहे हैं. इस मामले में उनकी ओर से दो वीडियो जारी किए गए हैं. वह कहते नजर आ रहे हैं कि गांव अथवा आसपास के लोग अगर उन परिवारों की मदद के लिए यदि आगे बढ़ेंगे तो उन पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई की जाएगी. एसपी द्वारा जारी वीडियो में बताया जा रहा है कि 29 जून की शाम 6.30 बजे पलिया बाजार में मुन्ना पासवान और उनके साथियों ने लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की. लिट्टन विस्वास नामक युवक उनका वीडियो बना रहा था. इसी बात पर पहले विवाद हुआ और फिर मारपीट. रौनापार थानाध्यक्ष को सूचना मिली तो कांस्टेबल मुखराम यादव और विवेक त्रिपाठी को मौके पर भेजा. एसपी का कहना है कि बीच बचाव के दौरान मुन्ना पासवान और उनके साथी एक पुलिसकर्मी को मारने लगे. इस घटना की वीडियो बनाने वाले दूसरे पुलिसकर्मी विवेक को भी मारा-पीटा गया. इसे भी गंभीर चोटें आई हैं. घर की महिलाओं को आगे करके अभियुक्त अपना बचाव करना चाहते हैं. सभी आरोपी फरार हैं. सभी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में लिट्टन पासवान और पुलिस की ओर से रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है. सभी पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल सभी आरोपी फरार हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस दबिश दे रही है.

रौनापार थानाध्यक्ष तारकेश्वर राय कहते हैं, "मुकदमे से बचने के लिए ग्रामीणों ने खुद ही जेसीबी मंगाई और अपने घर में तोड़फोड़ की. लूटपाट का झूठा नाटक रच डाला. पुलिस तो दलितों की बस्ती में झांकने भी नहीं गई."

प्रियंका के ट्वीट से गरमाई सियासत

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पांच जून को अपने ट्विटर हैंडल से दलितों पर अत्याचार की तस्वीरें ट्वीट कीं तो सियासी हलकों में तूफान आ गया. तमाम नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता कांग्रेस के प्रदेश संगठन मंत्री अनिल यादव के नेतृत्व में मौके पर पहुंचे. अब वहां रात-दिन धरना चल रहा है. बड़ी संख्या में महिलाएं भी धरने पर बैठी हैं. पुलिस आसपास के गांवों में पहुंचकर लोगों को धरना में शामिल न होने के लिए कह रही है. चेतावनी दे रही है कि जो लोग धरने में शामिल होंगे, उनका नाम इस कांड से जोड़ दिया जाएगा.

इस मामले में आजमगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह कहते हैं, “यूपी के इतिहास में इतनी जघन्य वारदात पहली बार हुई है, जब पुलिस दलित बस्ती उजाड़ने के लिए बकायदा बुल्डोजर लेकर पहुंची. कानून के रक्षकों ने भक्षक बनकर उत्पात मचाया है. पुलिसिया हैवानियत का रूप इतना भयावह होगा, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती. योगी सरकार को सोचना चाहिए कि क्या यही उनका सुशासन है अथवा पुलिस ने उनसे ऊपर अब जंगलराज कायम कर लिया है.”

Also Read: मनरेगा में दलित-आदिवासी के लिए न रहेगा फंड, न मिलेगा रोजगार!

Also Read: दलित बच्चों पर कहर बन रहा है फूलों की खेती का जहर: रिपोर्ट में खुलासा