Report
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: बागपत में जो हुआ वह कभी नहीं हुआ!
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव चल रहे हैं. अभी तक राज्य के 75 जिलों में से 22 जिलों के नतीजे आ गए हैं. इनमें 21 पर भारतीय जनता पार्टी और एक पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा जमाया है. यह सभी निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. भाजपा पर सपा, बसपा सहित सभी विरोधी पार्टियां धनबल, गुंडागर्दी और पुलिस का इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही हैं. कई दिनों से भाजपा के ऊपर सत्ता का दुरुपयोग करके अपने लोगों को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का आरोप लग रहा है.
शाहजहांपुर, पीलीभीत में सपा प्रत्याशी आखिरी वक्त में भाजपा में शामिल हो गए और निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बन गये. वहीं मंगलवार को जो बागपत में हुआ वह हैरान करने वाला है. इस सीट पर एक तरफ भाजपा और दूसरी तरफ सपा और लोकदल ने अपना संयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतारा है. 26 जून को सपा, रालोद की प्रत्याशी ममता किशोर ने अपना नामांकन किया था. इस के बाद से वह बाहर हैं. 29 जून को एक अन्य महिला जो अपने आप को ममता जय किशोर बता रही थीं, वह पर्चा वापिस लेने पहुंच गईं. इसकी भनक सपा रालोद के नेताओं को लग गई. इसके बाद शहर में देर रात तक हंगामा हुआ.
इस बारे में हमने बागपत के डीएम राजकमल यादव से बात की. उन्होंने कहा, “यहां पर आज कोई फर्जी ममता बनकर आई थीं. इस बात का मौके पर ही पता चल गया. जांच के बाद जब मामला फर्जी पाया गया तो पर्चा वापिस नहीं हुआ. अब यहां रालोद और भाजपा के बीच मुकाबला होगा."
बता दें कि नामांकन के दिन सुबह ममता किशोर भाजपा में शामिल हो गई थीं. लेकिन दोपहर में वह फिर से रालोद में लौट आई थीं.
लोकदल पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व राज्यमंत्री रहे कुलदीप उज्ज्वल न्यूजलॉन्ड्री से कहते हैं, "ममता किशोर लोकदल और सपा गठबंधन की बागपत से जिला पंचायत अध्यक्ष पद की प्रत्याशी हैं. मंगलवार को नामांकन वापसी का आखिरी दिन था. कोई व्यक्ति दो-तीन महिलाओं को लेकर ममता किशोर के नाम से फर्जी एफिडेविट बनवाकर डीएम के सामने पेश कर दिया कि मैं ममता किशोर हूं और अपना नॉमिनेशन फॉर्म वापस ले रही हूं. इस बात का जैसे ही हम लोगों को पता चला, हमारे कार्यकर्ता भारी संख्या में पहुंच गए. हमें किसी ने फोन करके बताया कि आपका तो नामांकन ही वापस हो गया है. तब हम वहां पहुंचे."
वह आगे कहते हैं, "यह सब अंदर बैठे अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ. उस समय अंदर खुद डीएम मौजूद थे. डीएम ने मौके पर जांच करना भी जरूरी नहीं समझा और वह महिलाएं वहां से भाग गईं. जबकि उन्हें वहीं पकड़ा जाना चाहिए था. हमने विरोध किया, तब जाकर इस मामले की जांच हुई. मामला फर्जी पाए जाने के बाद हमारा नामांकन बना रहा. हमने इस मामले में जांच और मुकदमे की मांग की है."
वे कहते हैं, "इस घटनाक्रम के दौरान ममता किशोर ने डीएम से फोन पर लाइव बातचीत भी की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं यहां हूं, वहां कोई फर्जी ममता पहुंची है. मैंने कोई पर्चा वापिस नहीं लिया है. जिन लोगों ने ऐसा किया है उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए. अगर आज हम नहीं होते तो मिलीभगत करके भाजपा प्रत्याशी को निर्विरोध जिता दिया जाता. यह सब बीजेपी के नेताओं ने किया है."
हमने सपा लोकदल गठबंठन की प्रत्याशी ममता किशोर से संपर्क किया. उनके पति जय किशोर ने हमें बताया, "मेरी पत्नी सपा लोकदल गठबंधन की प्रत्याशी हैं. हमने 26 जून को पर्चा दाखिल किया था. उसी दिन से हम लोग अपने जीते हुए जिला पंचायत सदस्यों को लेकर बाहर हैं. क्योंकि वहां हमारे सदस्यों और उनके परिवार को परेशान किया जा रहा था. उन पर फर्जी मुकदमे लगाए जा रहे थे. मंगलवार को नॉमिनेशन का आखिरी दिन था इस बात का मौका उठाकर लोगों ने एक फर्जी एफिडेविट बनवा कर, फर्जी हस्ताक्षकर करके एक फर्जी ममता बागपत कलेक्ट्रेट पहुंच गई. एडीएम सहित अधिकारियों की मिलीभगत से हमारा नॉमिनेशन वापिस कराने की साजिश रची गई."
वह आरोप लगाते हैं, "इस मामले में सारी मिलीभगत एडीएम की है. जब मैंने एडीएम से बात की तो उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी पत्नी आई थीं और पर्चा वापस लेकर चली गईं. फिर मैंने कहा कि मेरी पत्नी तो मेरे साथ है. और हम लोग 26 तारीख से ही बाहर आए हुए हैं. इस बात पर एडीएम ने कहा कि हमने तो फोटो और साइन दोनों का मिलान किए थे. इसके बाद हमें डीएम ने वीडियो कॉल की. हमने उन्हें यहां से सीसीटीवी फुटेज, लाइव लोकेशन और यहां के थाने और डीएम से मिलकर पुष्टि कराई कि हम राजस्थान में हैं. डीएम ने मेरी पत्नी से पूछा कि आपने एफिडेविट दिया था तो मेरी पत्नी ने कहा कि मैं तो 26 तारीख से बाहर हूं ना मैंने कोई एफिडेविट दिया और ना ही मैं वहां गई. इस दौरान हमने डीएम से मामले में जांच कर दोषी को सजा देने की बात भी कही है."
न्यूजलॉन्ड्री ने जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रत्याशी ममता किशोर से भी बात की. उन्होंने कहा, “हम लोग 26 तारीख से ही अपने सदस्यों के साथ भरतपुर में हैं. वहां कोई ममता नाम की फर्जी महिला पहुंची हैं. मैंने डीएम से वीडिओ कॉल पर बात करके पुष्टि करा दी है."
हमने बागपत के एडीएम अमित सिंह से भी बात की. पहले तो उन्होंने बात करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि प्रेस रिलीज जारी कर दी गई है. जो मामला था उस बारे में मीडिया में बयान दे दिया है. आप अपने किसी साथी से प्रेस रिलीज लेकर पढ़ लीजिए. लेकिन जब हमने उनसे सवाल किया कि क्या इस घटना के वक्त आप वहां मौजूद थे? इस पर वह कहते हैं, "हां मैं और डीएम साहब दोनों ही वहां मौजूद थे. बार-बार पूछने के बाद भी वह महिला आपने आप को ममता बताती रही. यह सब कैमरे के सामने हुआ. लेकिन जब लोगों ने हमें बताया कि यह ममता नहीं है तब हमने इस मामले में जांच कराई और मामला फर्जी पाया गया. वह एक पन्ने पर लिखकर लाई थीं जिस पर लिखा था कि मैं ममता नामांकन वापिस ले रही हूं. महिला कौन थीं इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली हैं. हम सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मामले की जांच करा रहे हैं."
बता दें कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनावों में लगातार बीजेपी पर धांधली का आरोप लग रहा है. सत्ता द्वारा कई जिलों में दबंगई और धनबल का प्रयोग कर चुनाव जीतने की खबरें सुर्खियों में हैं. हाल ही में अमरोहा से प्रत्याशी सकीना बेगम ने भी भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अधिकारियों ने सत्ता के दबाव में आकर उनका पर्चा खारिज करवा दिया. यहां भाजपा ने पूर्व सासद कंवर सिंह तंवर के पुत्र ललित तंवर जिला पंचायत अध्यक्ष चुन लिए गए.
Also Read
-
‘They find our faces disturbing’: Acid attack survivor’s 16-year quest for justice and a home
-
From J&K statehood to BHU polls: 699 Parliamentary assurances the government never delivered
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy