NL Tippani
एक्शन और मारधाड़ से भरपूर टीवी-9 का चाइना-शो और कश्मीरियत पर हावी चैनलों की मनहूसियत
महीने भर पहले देश में मचा कोहराम थम गया है. कोरोना की दूसरी लहर की सरकारी नाकामियां भुलाई जाने लगी हैं. खबरिया चैनलों पर एक बार फिर से मोदीजी की इवेंटबाजी, पाकिस्तान, हिंदू-मुसलमान का मौसम वापस आ गया है. बीते हफ्ते कश्मीर खबरिया चैनलों की मुख्य थीम रहा. रूबिका लियाक़त ने कश्मीर के मुद्दे पर आगे से मोर्चा संभाला, और बहस की शुरुआत उस मुकाम से हुई जिसके बाद कुछ कहने सुनने को शेष नहीं बचा. ज्ञान के उतुंग शिखर पर खड़े होकर उन्होंने ऐलान किया कि उन्हें ज्ञान देने की जरूरत नहीं है, उन्हें सब पता है.
टिप्पणी के एक एपिसोड में मैंने जिक्र किया था कि ये एंकर एंकराएं दरअसल रंगमंच की कठपुतलियां हैं. इनकी डोर एक अदृश्य शक्ति के हाथ में होती है. उसी के इशारे पर ये करतब दिखाते हैं. हमने जिस अदृश्य शक्ति का जिक्र किया वह कमाल की है. कभी इन्हें इतिहासकार बना देती है, कभी समाजशास्त्री बना देती है तो कभी अर्थशास्त्री बना देती है. उसने इस बार रूबिका लियाक़त को अर्थशास्त्री बनाने का निर्णय किया.
वैसे तो रूबिका ने बोल ही दिया था कि उन्हें ज्ञान की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ ऐसी बातें जिस पर थोड़ा सा ज्ञानवर्धन जरूरी है. उन्होंने कहा इस देश में एक विधान, एक कानून चलेगा क्योंकि देश एक है. यह संघ और भाजपा की शिक्षाओं का असर है. ज्यादातर एंकर एंकराएं इसी बीमारी से ग्रस्त हैं. इन्हें समझा दिया गया है कि भारत कोई एकरेखीय इकाई है. यहां एक धर्म, एक बोली, एक पहनावा, एक खानपान, एक संस्कृति, एक तरह के लोग रहते हैं. इन्हें भारत के संविधान और इसकी शासन व्यवस्था के संघीय ढांचे का रत्ती भर इल्म नहीं है.
धारा 370 को लेकर जो अधकचरा जानकारियां ये एंकर फैला रहे हैं वह इस देश के संविधान के मुताबिक नही है बल्कि वह एक राजनीतिक दल की विचारधारा है. यह देश अनगिनत सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक समूहों का समुच्चय है. और संविधान का दायित्व है कि सभी समूहों के बीच समरसता कायम करे, यह सुनिश्चित करे कि कोई भी ताकतवर समूह दूसरे समूह पर अपना मत न थोप सके. इसके लिए हमारा संविदान अलग अलग राज्यों को थोड़े-थोड़े अधिकार देता है. इसे स्वायत्तता या ऑटोनोमी कहते हैं.
पूर्वोत्तर के राज्यों को बिल्कुल कश्मीर की तर्ज पर स्वायत्तता मिली हुई है. टिप्पणी के इस एपिसोड में हम विस्तार से उन धाराओं और उसके तहत मिले अधिकारों का जिक्र कर रहे हैं. साथ ही कई और अहम मसलों पर एक देखिए ये व्यंग्यात्मक टिप्पणी.
Also Read
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग ने वापस लिया पत्रकार प्रोत्साहन योजना
-
The Indian solar deals embroiled in US indictment against Adani group