NL Charcha
एनएल चर्चा 173: जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक, टीकाकरण का रिकॉर्ड और धर्म परिवर्तन की बहस
एनएल चर्चा के 173वें अंक में जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठक, टीकाकरण का रिकॉर्ड, कोवैक्सीन के तीसरे चरण का डाटा जारी, डेल्टा प्लस वेरिएंट का खतरा, लक्षद्वीप प्रशासक के फैसले पर लगी रोक, उत्तर प्रदेश धर्मांतरण मामला, टीआरपी घोटाले में अर्णब गोस्वामी का नाम आदि इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय रहे.
इस बार चर्चा में बतौर मेहमान लेखक अशोक कुमार पाण्डेय शामिल हुए. न्यूज़लॉन्ड्री के सहसंपादक शार्दूल कात्यायन और एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस भी चर्चा का हिस्सा रहे. संचालन अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने अशोक पाण्डेय से जम्मू कश्मीर के गुपकार नेताओं की दिल्ली में पीएम से साथ हुई बैठक के अहम मुद्दों की चर्चा की.
अशोक पाण्डेय कहते हैं, “एक अंतरराष्ट्रीय दवाब जो भारत सरकार पर बन रह था कश्मीर को लेकर तो उसका कोई ना कोई हल ढूढ़ना था. ये उसी दिशा में बढ़ाया हुआ एक कदम है. जब पूर्ण राज्य का दर्जा छीना गया था तब वो कश्मीर को अपमानित करने का एक तरीका था. उस दौरान जब लोगों से बात की गई तब उनका कहना था कि झारखंड और उत्तराखंड जैसे छोटे-छोटे राज्य पूर्ण राज्य हैं और इतने बड़े जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया ये ठीक नहीं है.”
अशोक ने बताया कि परिसीमन 1996 के बाद नहीं हुआ है, इसमें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन अगर आप घाटी और जम्मू के लोगों से मिलेंगे तो आम लोगों में परिसीमन को लेकर जो समझ है वह यह है कि बीजेपी परिसीमन इसलिए कर रही है ताकि जम्मू की सीटें बढ़ जाए और घाटी की कम हो जाएं. अभी तक क्या था कि घाटी की जनसंख्या ज्यादा है इसलिए उसकी सीटें ज्यादा थी जिस वजह से विधानसभा में घाटी का प्रभुत्व रहता था. परिसीमन जम्मू का प्रभुत्व बढ़ाने के लिए है. इसलिए अन्य पार्टियां इसके खिलाफ हैं.
इसी मुद्दे पर मेघनाद कहते हैं, “ये सकारात्मक कदम जरूर है लेकिन इसमें बहुत देर हो गई है. साल 2019 में 370 को बिना किसी के परामर्श के हटा लिया गया था. जो भी नेता थे उन्हें हाउस अरेस्ट में डाल दिया गया. वो 15 महीनों तक हाउस अरेस्ट में थे.”
मेघनाद आगे कहते है, “कश्मीर का मामला संवेदनशील है लेकिन कश्मीर का मामला समझने वाले लोग भी कश्मीर में ही है. गुपकर गठबंधन के खिलाफ मीडिया ने पुरजोर विरोध किया था. यही गुपकर के नेता कश्मीर को समझते हैं, ये जानते हैं कि वहां के लोगों को क्या चाहिए. 1980 से ही ये दिखता है कि जम्मू कश्मीर में केंद्र की राजनीति का दबदबा रहता है. अगर वहां कोई चुनाव हो और वो दिल्ली के पक्ष में ना हो तो उसे गिराया जाए.”
इस चर्चा में शामिल होते हुए शार्दूल कहते हैं, “पीएम आवास पर गुपकर की बैठक की अंदर की जानकारी अभी बाहर नहीं आई है. लेकिन बीजेपी कश्मीर का इस्तेमाल हमेशा से ही चुनाव में करती रही है. कश्मीर को लेकर देश में अलग और वहां अलग भाषा. परिसीमन एक विवादित मुद्दा है सिर्फ कश्मीर में ही नहीं बल्कि बाहर भी. क्योंकि कई राज्य इस परिसीमन की प्रक्रिया से चिंतित हैं.”
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर बहुत विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए इस पूरे पॉडकास्ट को जरूर सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
00-1:47 - इंट्रो
1:47-8:15 - हेडलाइन
8:15-42:00 - कश्मीरी नेताओं की दिल्ली में बैठक
42:58-58:00 - उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण
58:00-1:09:00 - वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड
01:09:40-01:14:36 - क्या पढ़े क्या देखे
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
अशोक कुमार पांडे
1232 किलोमीटर- द लॉग जर्नी होम विनोद कापड़ी की किताब
फिलिस्तीन पर इलेन पापे की किताब
मेघनाद एस
स्क्रॉल पर सुप्रिया शर्मा की रिपोर्ट
एसएसआर कैंपेन चलाने वाले निलोतपल मृणाल पर न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित रिपोर्ट
शार्दूल कात्यायन
स्टीफन कैस्टल का न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लेख
अयोध्या राम मंंदिर ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीन पर न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट
अतुल चौरसिया
अशोक कुमार पाण्डेय की किताब - कश्मीरनामा
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स और आदित्य वारियर
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?