Report
अब बच्चों पर मंडरा रहा है कोरोना वायरस का खतरा
एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) वाले बच्चों में आमतौर पर लक्षणों के दिखने के बावजूद गंभीर कोविड-19 संक्रमण होने का खतरा कम होता है.
महामारी की पहली लहर के 16 सप्ताह की अवधि के दौरान, साउथेम्प्टन के शोधकर्ताओं ने लगभग 1500 कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज) बच्चों का एक अवलोकन अध्ययन किया. कमजोर प्रतिरक्षा का पता इस बात से लगाया गया कि इन बच्चों को साल में इन्फ्लूएंजा के टीकाकरण की आवश्यकता पड़ती है. बच्चों और उनके माता-पिता या अभिभावकों ने उनके द्वारा अनुभव किए गए किसी भी लक्षण, कोविड-19 के परीक्षा परिणाम और उनके दैनिक जीवन पर महामारी के प्रभाव के बारे में जानकारी देने के लिए साप्ताहिक प्रश्नावली पूरी की.
बीएमजे ओपन में प्रकाशित शोध के परिणामों से पता चला कि कोविड-19 के संक्रमण के लक्षण कई बच्चों में सामान्य थे. दो तिहाई, 922 (67.4 फीसदी) से अधिक प्रतिभागियों में कम से कम एक लक्षण था और एक तिहाई 476 (34.8 फीसदी) में तीन या उससे अधिक लक्षण दिखाई दिए. लक्षणों के साथ 110 रोगियों ने संक्रमित पीसीआर परीक्षण किया, जिनमें से कोई भी कोविड-19 के परीक्षण में पॉजिटिव नहीं पाया गया.
साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के डॉ. हंस डी ग्रेफ जिनकी अगुवाई में यह शोध किया गया, ने कहा हम भाग लेने वाले बच्चों में कोविड-19 के प्रसार के बारे में पक्का नहीं कह सकते हैं, क्योंकि परीक्षण तब किया गया था जब रोगियों को भर्ती किया गया था और इन बच्चों को सख्त नियमों का पालन करने के लिए कहा गया था, हम यह मान सकते हैं कि संक्रमण के हल्के मामले हो सकते हैं, क्योंकि इन अधिक गंभीर रोगियों में से किसी को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं थी.
आधे से अधिक (62 फीसदी) रोगियों या उनके माता-पिता ने अध्ययन की शुरुआत में बहुत अधिक घबराहट, चिंता के बारे में बताया और गंभीर लक्षण न होने के बावजूद, पूरे अध्ययन की अवधि में इसका स्तर लगातार अधिक रहा.
शोधकर्ताओं का मानना है कि इन परिणामों से पता चलता है कि कोविड-19 की शुरुआती पहचान के लिए लक्षणों के व्यापक जांच करने से कोई फायदा नहीं होने वाला है, हो सकता है बच्चों को लगातार सांस लेने के ऊपरी मार्ग प्रणाली की समस्या हो, जिसका कोविड-19 के लक्षणों से कोई लेना देना न हो.
डॉ. डी ग्रेफ ने कहा यह अध्ययन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों पर महामारी के प्रभाव का निरीक्षण करने के लिए किया गया था. महामारी की पहली लहर के दौरान, कई लोगों ने अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने की कोशिश की होगी, इसलिए हमारे परिणाम बताते हैं कि या तो प्रतिरक्षा उपाय प्रभावी थे या स्वस्थ बच्चों की तरह ही बच्चों की तुलना में कोविड-19 से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चे कम प्रभावित होते हैं.
शोध में यह भी निष्कर्ष निकला है कि प्रतिभागियों के बीच निरंतर घबराहट, चिंता बनी रही, बच्चों और युवाओं में कोविड-19 के खतरे को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने और संवाद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, विशेष रूप से लॉकडाउन के दौरान.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read
-
A conversation that never took off: When Nikhil Kamath’s nervous schoolboy energy met Elon Musk
-
Indigo: Why India is held hostage by one airline
-
2 UP towns, 1 script: A ‘land jihad’ conspiracy theory to target Muslims buying homes?
-
‘River will suffer’: Inside Keonjhar’s farm resistance against ESSAR’s iron ore project
-
Who moved my Hiren bhai?