NL Charcha
एनएल चर्चा 167: डब्लूएचओ की रिपोर्ट, गंगा में तैरती लाशें और ग़ाज़ा पट्टी में हिंसा
एनएल चर्चा के 167वें अंक में कोरोना की कम टेस्टिंग, डब्लूएचओ द्वारा योगी आदित्यनाथ सरकार की कथित तारीफ वाली रिपोर्ट, सामाजिक और धार्मिक जमावड़े पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की टिप्प्पणी, उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में गंगा में तैरती हुई लाशें, भारत बायोटेक की वैक्सीन को दो से अठारह साल के बच्चों पर ट्रायल की मंज़ूरी, राज्यों में वैक्सीन की कमी और इजराइल और फिलस्तीन के बीच हिंसक झड़प जैसे विषयों का विशेष जिक्र हुआ.
इस बार चर्चा में प्रभात खबर के दिल्ली ब्यूरो के प्रमुख प्रकाश के रे, न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस और न्यूज़लॉन्ड्री के सह संपादक शार्दुल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
डब्ल्यूएचओ की उत्तर प्रदेश की तारीफ करने वाली कथित रिपोर्ट से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल कहते हैं, “इस रिपोर्ट में लिखा है की उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना आपदा से निपटने के लिए कई टीमों के जरिए गांवों में जाकर टेस्टिंग की, जिससे की कोरोना संक्रमण को रोका जा सके, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इससे बिलकुल जुदा है. पिछले दिनों गंगा में लाशें बहती हुई मिली है. तो ये दोनों बातें आपस में बहुत विरोधाभास पैदा करती हैं.”
प्रकाश कहते हैं, “यह पहली बार नहीं है की डब्लूएचओ ने यूपी सरकार की तारीफ की हो. पिछले साल ही उनके चीफ ने यूपी सरकार की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को लेकर प्रशंसा की थी. और इस बार भी आप देखेंगे की उन्होंने सरकार की डोर टू डोर जाकर टेस्टिंग करने की प्रक्रिया की ही प्रशंसा की है. साथ में डब्लूएचओ यह भी कह रहा है कि यूपी सरकार को वह इसके लिए ट्रेनिंग दे रहा है. तो मुझे तो ये लगता है डब्लूएचओ, यूपी सरकार की तारीफ कम कर रहा है और खुद की पीठ ज़्यादा थपथपाने की कोशिश कर रहा है.”
अतुल ने मेघनाद से पूछा, “बहस यह भी चल रही है की कोरोना वायरस के इस म्युटेंट को इंडियन म्युटेंट कहा जा रहा है. देखा जाए तो इसी डब्लूएचओ ने एक तरीके से चीन के सामने बिल्कुल सरेंडर कर दिया था जब इसे चीन या वुहान वायरस कहने की बात आई थी.”
मेघनाद कहते हैं “डब्लूएचओ का काम ही यही है की दुनिया को आगाह करना की इस महामारी से लड़ने के लिए हम क्या कदम उठा रहे है. और हमारे देश की सरकारों का तो ऐसा हाल है की डब्लूएचओ की किसी रिपोर्ट में उनका नाम आ जाए तो उसे तोड़ मरोड़ के इस तरीके से पेश किया जाता है जैसे उनकी कितनी तारीफ हुई हो. इससे पहले आप को याद होगा की टाइम्स मैगज़ीन में उत्तर प्रदेश सरकार ने विज्ञापन प्रकाशित करवाया था और उसको हमारे यहां के न्यूज़ चैनलों और अख़बारों ने इस तरह चला दिया की उत्तर प्रदेश सरकार की प्रशंसा टाइम मैगज़ीन ने की है. मुझे यह लगता है की पिछले कुछ सालों में ऐसा माहौल खड़ा किया गया है की किसी विदेशी अख़बार या मैगज़ीन में हमारे देश की सरकार के बारे में ज़रा सा भी कुछ छपता है, तो उसे यहां इस तरह से पेश किया जाता है की देखो हमारी तो बहुत तारीफ हो रही है.”
अतुल ने चर्चा में शार्दूल को शामिल करते हुए उनसे इस विषय पर उनकी टिप्पणी जाननी चाही.
शार्दूल कहते है, “मैं डब्लूएचओ की बात करने से पहले मेघनाद की बात पर आना चाहूंगा. आप देखिये कि किस तरह का मजाक किया गया. अभी हाल ही में कुछ मंत्रियों और बीजेपी के नेताओं ने मोदी सरकार की तारीफ करने वाली एक खबर शेयर की दी जो की दी डेली गार्डियन नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी. विदेश में तारीफ होने के नाम पर खबर शेयर करते हुए गार्डियन और डेली गार्डियन का अंतर भूल गए. आप इस प्रचार को बनाने वालों की बुद्धि को देखिये. मतलब असली गार्डियन उनकी बुराई कर रहा है तो इन लोगों ने डेली गार्डियन में तारीफ को छपवा दी. वे जनता को असल में मूर्ख समझते हैं, अभी भी मूर्ख समझ रहे है.”
वह आगे कहते हैं, “डब्लूएचओ की बात करें तो यह देखा गया है की वह कई मामलों में कुछ देशों के सामने झुकती भी है. स्वास्थ्य संगठन की टीम सरकार द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों पर निर्भर करती है, क्योंकि उनकी खुद की कोई जांच करने वाली टीम नहीं है जो सही आंकड़े निकल पाए. तो उन्हें सरकारों के हिसाब से ही काम करना पड़ता है.”
इस विषय के अलावा अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड
0:18 - इंट्रो
02:04 - हेडलाइन्स
10:00– गंगा में तैरती लाशें
14:09 – डब्लूएचओ की रिपोर्ट
41:17– गाज़ा पट्टी में हिंसा
1:10:20– सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
प्रकाश के रे
अल जज़ीरा की डाक्यूमेंट्री - द ग्रेट बुक रॉबरी
मेघनाथ एस
ट्रुमैन कपोट की किताब इन कोल्ड ब्लड
न्यूज़लॉन्ड्री का वीडियो - मेघनाद रियेक्टस टू आदरणीय मोदीजी
शार्दूल कात्यायन
डायचे वैले का हिंदी का आर्टिकल - पत्रकारों को दिखाया गया सुन्दर बनता शिनजियांग
रामधारी सिंह दिनकर की कविता - समर शेष है
पर्यावरण परिवर्तन से शहरों पर आने वाली आपदा का आकलन
पूरे देश में जिला स्तर पर कोविड के हालात पर इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट
अतुल चौरसिया
नेटफ्लिक्स की डाक्यूमेंट्री - बॉर्न इन गाज़ा
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स और आदित्य वारियर
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह
Also Read: जनाब, अपनों की लाशें बहुत भारी होती हैं
Also Read
-
The curious case of Kikki Singh: From poet photographed with president to FIR over CJI Gavai AI video
-
Will Delhi’s air pollution be the same this winter?
-
TMR 2025: Who controls the narrative on the future of media?
-
Oct 13, 2025: Delhi air is getting worse again
-
14 साल पहले के स्टिंग ऑपरेशन पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने मांगी माफी