Khabar Baazi
क्या चुनाव के बाद प्रेस क्लब में कोरोना फैला?
प्रेस क्लब में 10 मार्च को हुए चुनाव का नतीजा अगले दिन आ गया, लेकिन राजनीति खत्म नहीं हो रही है. दरअसल अब पैनल के लोग एक-दूसरे पर कोरोना फैलाने का आरोप लगा रहे हैं.
चुनाव के अगले दिन इलेक्शन कमीशन के प्रमुख एमएमसी शर्मा की तबीयत बिगड़ गई. जांच कराने पर वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसके अलावा कई और नामों का जिक्र दोनों पैनल के लोग कर रहे हैं.
नए बने पैनल की एक सदस्य ने सनी डोगरा नाम के शख्स का ट्वीट साझा किया. सिर्फ दो फॉलोअर्स वाले इस हैंडल की शुरुआत बीते महीने मार्च में हुई है. अपने ट्वीट में सनी ने लिखा है, ‘‘उमाकांत लखेरा कोविड होने के बावजूद चुनाव के दिन वोट देने क्लब में आए थे. उन्होंने क्लब को कोविड को लेकर हॉट जोन बना दिया.’’
सनी ने अपने ट्वीट में निर्निमेष कुमार का पोस्ट साझा किया. इस पोस्ट में लखेड़ा को लापरवाह बताते हुए निर्निमेष कुमार ने लिखा है कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी उमाकांत लखेड़ा न वोट करने आए बल्कि यहां वोटरों से मिलकर प्रचार भी किया. यहां से तब गए जब लोग आपस में इसको लेकर बात करने लगे. लखेड़ा ने लापरवाही भरा काम किया जो एक आपराधिक हरकत है. इसको लेकर उनसे पूछताछ होनी चाहिए.
हाल ही में हुए चुनाव में उमाकांत लखेड़ा, संजय बसक को हराकर प्रेसिडेंट बने हैं.
क्या लखेड़ा कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद वोट करने आए और यहां प्रचार भी किया. इसको लेकर हमने लखेड़ा से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. लखेड़ा पैनल के जॉइंट सेक्रेटरी पद के लिए चुनाव जीतने वाले विनय कुमार ने हमसे बात की. कुमार खुद भी कोरोना पॉजिटिव हैं जिस कारण ये प्रचार और वोटिंग से भी दूर रहे.
न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कुमार कहते हैं, ‘‘मुझे आठ अप्रैल को परेशानी हुई जिसके बाद से मैंने खुद को क्वारंटाइन कर लिया. उससे पहले भी मैं प्रेस क्लब एक दो घंटे के लिए ही जा रहा था. मैं ना प्रचार करने आया, ना वोटिंग में शामिल हुआ और ना ही रिजल्ट वाले दिन गया.’’
कुमार आगे कहते हैं, ‘‘जहां तक लखेड़ा की बात है और जो कुछ उनके बारे में साझा किया जा रहा है वो गलत है. दरअसल प्रेस क्लब में विपिन धुलिया करके एक शख्स हैं. वे लगातार आ रहे थे. बाद में पता चला कि उनका कोरोना पॉजिटिव आया है. जिसके बाद लखेड़ा जी को बुखार हुआ और शरीर में दर्द शुरू हुआ. उन्होंने लाल पैथ वालों को टेस्ट के लिए बुलाया और टेस्ट कराया. वे सात अप्रैल से ही नहीं आ रहे थे. उनकी रिपोर्ट चुनाव वाले दिन दोपहर में आई. हालांकि जिस रोज चुनाव था उस दिन उन्होंने रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया जिसमें निगेटिव आया. इसीलिए वह आए वोट डाला और चले गए. घर लौटे तो लाल पैथ लैब की रिपोर्ट आ गई थी. उसमें वे पॉजिटिव हैं. तब से वे घर पर ही हैं.’’
नियम के मुताबिक टेस्ट कराने के बाद नतीजा आने तक खुद को आइसोलेशन में रखना होता है. हालांकि लखेड़ा पैनल के एक सदस्य की माने तो रैपिड एंटीजन में उनका निगेटिव आया था. लाल पैथ वालों की रिपोर्ट आई नहीं थी ऐसे में उन्हें लापरवाह कहना और सुपर स्प्रेडर कहना गलत है. अगर कोरोना होने के बावजूद आते तो गलत होता.
लेकिन सच में प्रेस क्लब में कोरोना विस्फोट हुआ है. करीब 1400 लोगों ने 10 अप्रैल को मतदान किया. प्रेस क्लब के एक सीनियर अधिकारी बताते हैं, ‘‘चुनाव वाले दिन भी हमारे ज्यादातर कर्मचारी काम पर थे. आज भी हैं. इसमें तो कोई पॉजिटिव नहीं आया. सबसे ज़्यादा तो मैं ही लोगों से मिलता हूं. मैं बिल्कुल ठीक हूं. यह अफवाह उड़ाई जा रही है कि लोग यहां पॉजिटिव आए हैं.’’
हालांकि प्रेस क्लब इलेक्शन कमीशन के प्रमुख एमएमसी शर्मा चुनाव के बाद कोरोना पॉजिटिव आए हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए शर्मा कहते हैं, ‘‘किसी पत्रकार से ही मुझे हुआ होगा. मैं मुख्य चुनाव अधिकारी था इसलिए सबसे ज़्यादा लोग शिकायत लेकर मेरे ही पास आ रहे थे. मेरी टीम में 10 लोग थे. मैं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर काम करा रहा था. चुनाव अधिकारी होने के कारण मैं प्रेस क्लब में घूमता भी नहीं था. हमारे लिए एक कार्यालय था वहीं बैठकर अपना काम करते थे. 11 अप्रैल को मुझे लक्षण आए. हल्का बुखार आया. जिसके बाद मैंने अपना टेस्ट कराया तो पॉजिटिव आया.’’
कुछ लोगों ने यह भी जानकारी साझा की है कि एमएमसी शर्मा की टीम के कई दूसरे लोग भी कोरोना पॉजिटिव आए हैं लेकिन उनकी टीम के सदस्यों से बात करने पर यह जानकारी गलत निकलती है.
द ट्रिब्यून अख़बार के पत्रकार संदीप दीक्षित के भी कोरोना पॉजिटिव होने की खबरें साझा की गईं. दीक्षित चुनाव तो नहीं लड़े लेकिन लखेड़ा पैनल के समर्थक हैं. उनके एक करीबी सहयोगी ने बताया की दीक्षित नहीं उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव हैं. न्यूजलॉन्ड्री ने जब दीक्षित से संपर्क किया तो वे हमें अपने घर पर खाने का न्योता देते हुए कहते हैं आइये और देख जाइये की मैं कैसा हूं.
दीक्षित कोई साफ जानकारी साझा नहीं करते हैं. दूसरी तरफ वो कहते हैं, आपको इस बात की जानकारी कैसे हुई? हमारे बताने पर की सोशल मीडिया पर साझा हो रहा है. इसके जवाब में वे कहते हैं कि मुझे तो जानकारी मिली है कि सेन (नए पैनल के सदस्य सुधीर रंजन सेन) के साथ के 10 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए. आप उनसे पूछिए?
न्यूज़लॉन्ड्री ने बीते दिनों प्रेस क्लब की राजनीति को लेकर एक रिपोर्ट की थी. जिसमें हमने पाया कि प्रेस क्लब का चुनाव भले ही पत्रकारों के बीच हो रहा हो लेकिन इसमें छल-कपट राष्ट्रीय राजनीति की होती है. हालांकि कुछ लोगों ने तब कहा था कि चुनाव खत्म होने के बाद सब दोस्त हो जाते हैं लेकिन नतीजे आने के बाद से जो कुछ हो रहा है वो हैरान करने वाला है. इस सबको लेकर विनय कुमार कहते हैं, ‘‘अभी जिस तरह की राजनीति प्रेस क्लब में हो रही है ऐसी राजनीति कभी नहीं हुई. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.’’
क्या चुनाव को टाला नहीं जा सकता था
हालांकि प्रेस क्लब का चुनाव उस वक़्त कराया गया जब कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है. भारत में हर दिन एक लाख से ज़्यादा कोरोना के मामले आ रहे हैं. एक तरफ जहां पत्रकार लगातार पश्चिम बंगाल समेत देश के अन्य राज्यों में पार्टियों द्वारा चुनावी रैली करने और भीड़ जुटाने को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं, उसी बीच प्रेस क्लब का चुनाव हुआ. जिस दिन प्रेस क्लब का चुनाव था उस दिन दिल्ली में 7897 कोरोना के नए मामले सामने आए थे और 39 लोगों की मौत हुई थी.
क्या चुनाव को टाला नहीं जा सकता था. चुनाव टालने को लेकर सोशल मीडिया पर कई पत्रकारों ने लिखा भी. वहीं इस सवाल के जवाब में बसक पैनल से मैनेजिंग कमेटी के एक उम्मीदवार बने और चुनाव जीतने वाले पत्रकार बताते हैं, “चुनाव से पहले हम लोग प्रमुख चुनाव अधिकारी के साथ बैठे हुए थे. वहां मैंने कहा, अगर कोरोना महामारी को देखते हुए चुनाव की तारीख आगे बढ़ायी जाती है तो ऐसे में मौजूदा कमिटी के बदले कुछ वरिष्ठ लोगों को क्लब चलाने की जिम्मेदारी दी जाए. मेरा ऐसा बोलना था कि मेरे ही पैनल के जनरल सेक्रेटरी पद के उम्मीदवार संतोष ठाकुर खफा होकर चिल्लाने लगे. उनका कहना था कि चुनाव कराया जाए.’’
हालांकि संतोष ठाकुर ने इस दावे को गलत ठहराया है. उन्होंने हमें एक मेल लिखकर इस दावे का खंडन किया है.
विजेता पैनल के एक सदस्य बताते हैं, ‘‘हमलोग लगातार मांग कर रहे थे कि चुनाव को आगे किया जाए लेकिन नए पैनल के लोग चुनाव लड़ने के लिए परेशान थे. चुनाव बाद में भी हो सकता था.’’ हालांकि यह अजीब बात है कि प्रेसिडेंट का चुनाव जीतने वाले उमाकांत लखेड़ा ने चुनाव से पहले न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहा था कि नए पैनल की कोशिश चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की है. उन्हें पता है कि वे हार रहे हैं.
चुनाव की तारीख बढ़ाने को लेकर किए जा रहे दावे को प्रमुख चुनाव अधिकारी सिरे से नकार देते हैं. एमएमसी शर्मा कहते हैं, ‘‘मेरे पास इसको लेकर एक भी चिट्ठी नहीं आई. कोई यह बता दे कि उन्होंने हमें चिट्ठी लिखी थी. चुनाव वाले दिन सबसे ज़्यादा भीड़ उस पैनल के लोगों की थी जो चुनाव हारे हुए हैं. भीड़ लगाकर खड़े थे.’’
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ना सिर्फ चुनाव कराया गया बल्कि चुनाव में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन भी किया गया. बिना मास्क लगाए लोग एक दूसरे से चिपकर खड़े नजर आए.
Also Read
-
Kamala Harris’s legacy as a ‘well-behaved woman’ who couldn’t make history
-
From satire to defiance: The political power of Abu Abraham’s cartoons
-
Another oran hurdle to a Rajasthan project. This time to Adani solar plant
-
विचाराधीन आपराधिक मामलों की रिपोर्टिंग को लेकर केरल हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
-
‘Media freedom not licence to interfere with justice system’: Kerala HC on media trials