Newslaundry Hindi
अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे आईआईएमसी के छात्र, एबीवीपी ने फैलाया झूठ
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) के छात्र अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर 5 अप्रैल से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं. छात्रों की मांग है कि उनकी क्लास जल्द से जल्द ऑफलाइन माध्यम से शुरू की जाए. यदि कोरोना महामारी के चलते क्लासेस चलाना संभव न हो तो इस सेशन को आगे बढ़ा दिया जाय. इसके साथ ही छात्र फीस की समस्या को लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं.
आईआईएमसी से हिन्दी पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे छात्र दीपक गाज़ीपुरी कहते हैं, "पिछले सेमेस्टर में छात्रों से पूरी फीस ली गई जबकि छात्रों ने परिसर में कदम तक नहीं रखा. संस्थान ने न तो कोई प्रैक्टिकल क्लासेस ली और न ही मीडिया हाउस में इस्तेमाल होने वाले किसी उपकरण का प्रयोग किया. छात्रों ने परिसर की बिल्डिंग, पानी, बिजली, आदि का भी इस्तेमाल नहीं किया, तो फिर पूरी फ़ीस क्यों ली गई. हम मांग करते हैं कि पिछले सेमेस्टर में जो फीस ली गई है उसे अगले सेमेस्टर में एडजस्ट कर दिया जाय."
इस सबके बीच छात्र संगठन एबीवीपी की दिल्ली यूनिट के ट्विटर हैंडल ने 9 अप्रैल को एक ट्वीट कर आईआईएमसी के छात्रों को बधाई देते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी किया की
जिसमें लिखा गया कि आईआईएमसी के छात्रों की समस्या को देखते हुए 7 अप्रैल को एबीवीपी दिल्ली प्रांत के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीन, प्रोफेसर प्रमोद सैनी को ज्ञापन सौंपा और एबीवीपी के इस ज्ञापन की वजह से छात्रों की मांग मानते हुए आईआईएमसी प्रशासन ने 26 अप्रैल से ऑफलाइन प्रैक्टिकल क्लासेस शुरू करने पर हामी भर दी है. और इसका पूरा क्रेडिट एबीवीपी संगठन को जाता है.
बता दें कि एबीवीपी के इस प्रतिनिधिमंडल ने जिन प्रोफेसर प्रमोद सैनी को ज्ञापन सौंपा है वह आरएसएस की मैगज़ीन ऑर्गनाइज़र के संपादक रह चुके हैं.
आईआईएमसी से रेडियो एंड टेलीविजन की पढ़ाई कर रहे साजिद कहते हैं, "प्रशासन की तरफ़ से जो नोटिस जारी किया गया है जिसमें 26 अप्रैल से प्रैक्टिकल क्लासेस शुरू करने की बात कही गई है जो की टेंटेटिव बताया गया है जिसका मतलब यह केवल कोरोना की स्थिति पर निर्भर करेगा कि प्रैक्टिकल क्लासेस शुरू होंगी भी या नहीं."
आईआईएमसी से अंग्रेजी जर्नलिज्म की पढ़ रहीं पल्लवी कहती हैं, "नोटिस अपने आप में काफी उलझाऊ है. इसमें न ही फीस की समस्या पर और न ही छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल की बात की गई है. नोटिस में साफ़ लिखा गया है कि प्रैक्टिकल क्लासेस करने वाले छात्रों को अपने रहने खाने की व्यवस्था खुद करनी होगी, जबकि आईआईएमसी परिसर में हॉस्टल खाली पड़े हुए हैं.
कैंपस खुलवाने को लेकर धरने पर बैठे छात्रों ने एबीवीपी के इस झूठे दावे पर ऐतराज़ जताया है और कई छात्रों ने इसका जवाब ट्विटर के माध्यम से दिया है.
रिदम लिखते हैं, "झूठ मत बोलो. आईआईएमसी को राजनीति का केंद्र मत बनाओ. तुमने कुछ नहीं किया. इस ट्वीट को फौरन डिलीट करो. बड़ी सीधी और स्पष्ट बात है. यह हमारा और हमारे संस्थान का घरेलू मामला है. हम आपस में मिलकर बैठकर इसको हल कर लेंगे. हमें किसी की भी मध्यस्ता की जरूरत कतई नहीं है."
अदिति लिखती हैं "ये आपके एफर्ट्स नहीं थे. और, ये सर्कुलर आईआईएमसी के विद्यार्थियों को नहीं चाहिए. कुछ भी सही से क्लियर नहीं किया गया है. तो, आप क्रेडिट न लें."
वहीं प्रतीक राजपूत ने लिखा- "अरे पहले हमारी मांग तो पढ़ लेते... क्रेडिट के भूखे ...दूसरों के लेटर चुरा कर अपना नाम बनाने वाले.... ये बहुत गलत बात है. हमे मिला कुछ नहीं और क्रेडिट क्रेडिट खेलने वाले अपने काम शुरू कर दिए."
कुमार आशय ट्वीट करते हैं- "न तो @IIMC_India के छात्रों की मांगे पूरी हुई हैं और न ही उनका धरना खत्म हुआ है. छात्र अभी भी अपनी मांगो को लेकर डटे हैं. आपसे अनुरोध है कि अपने क्रेडिट के चक्कर में इस तरह की झूठी खबरों को ना फैलाएं और इस ट्वीट को यहां से हटाएं."
धरने में बैठे छात्रों का कहना है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों को नहीं मानेगा वे धरने पर बैठे रहेंगे.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
South Central 37: VS Achuthanandan’s legacy and gag orders in the Dharmasthala case
-
The Himesh Reshammiya nostalgia origin story: From guilty pleasure to guiltless memes