Newslaundry Hindi
BJP में मिथुन: विधायक से मंत्री बन चुके फाटाकेष्टो की कहानी का स्वाभाविक अंत यहीं होना था!
मिथुन चक्रवर्ती की बंगला फिल्म ‘एमएलए फाटाकेष्टो’ का एक मशहूर डायलॉग है, ‘मारबो एखाने, लाश पोड़बे शशाने’. इसका मतलब है, ‘’यहां मारूंगा तो लाश श्मशान में जा के गिरेगी’’. बंगला में इस फिल्म के दो भाग बन के रिलीज हो चुके हैं. तीसरा अभी नहीं आया है. फिल्म का प्लॉट एक केंद्रीय किरदार मस्तान (दादा/गुंडा) के इर्द-गिर्द घूमता है जो अपराध जगत से राजनीति में प्रवेश करता है लेकिन वहां भी समस्याओं का हल मारपीट से ही करता है.
चुनाव के मुहाने पर खड़े पश्चिम बंगाल में रविवार को भारतीय जनता पार्टी के मंच से मिथुन चक्रवर्ती ने संयोग से यही डायलॉग मारा. जाहिर है, चुनावी राजनीति में प्रवेश करते वक्त इस डायलॉग के लिहाज से यह मंच उनके लिए बिलकुल मुफीद था क्योंकि बीते सात वर्षों में कई बार भाजपा के नेताओं को हमने श्मशान के बारे में बोलते सुना है और लाशें तो हम लगातार गिन ही रहे हैं. बस मस्तान की कमी थी, वो भी पूरी हो गयी.
वैसे, राज्य में पार्टी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने आज से दो-ढाई साल पहले बर्दवान की एक रैली में बिलकुल यही डायलॉग दुहराते हुए थोड़ा बदलाव कर के कहा था, ‘’मारबो एखाने, लाश पड़बो जेखाने सेखाने’’. घोष ने कहा था, ‘’बीजेपी के मारने के बाद कोई उठ के खड़ा हो जाएगा ऐसा नहीं है. बीजेपी के मारने के बाद कोई अस्पताल नहीं जाता, सीधे श्मशान जाता है.‘’ मिथुन चक्रवर्ती के डायलॉग से भाजपा की राजनीति को जोड़ने की कवायद जो दिलीप घोष ने तब की थी, उसकी स्वाभाविक परिणति रविवार को कोलकाता में हुई है.
ज्योति बसु आज जीवित होते तो क्या सोचते पता नहीं. गौरांगो चक्रवर्ती यानी अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने औपचारिक रूप से बीजेपी का भगवा चोला पहन लिया है. मिथुन चक्रवती को एक समय ज्योति बसु का ख़ास और प्यारा माना जाता था. खुद मिथुन ने एक बंगला चैनल को इन्टरव्यू देते हुए बताया था कि ‘ज्योति अंकल’ उन्हें खूब मानते हैं और उनसे उनका रिश्ता बहुत पारिवारिक और निजी है.
सुविधा ये है कि ज्योति बाबू अब रहे नहीं और अफ़सोस इस बात का कि राजनीति में नैतिकता और शर्म के लिए कोई जगह बची नहीं. इसीलिए मिथुन चक्रवर्ती ने तृणमूल कांग्रेस से अपने राजनीतिक रिश्ते का कोई भी लिहाज किये बगैर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया.
कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में रविवार को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मिथुन ने गरीबों के हक़ के लिए लड़ने की बात फ़िल्मी अंदाज में की. वो कहते हैं न कि संगत के हिसाब से मनुष्य की भाषा भी बदल जाती है, किन्तु इतनी जल्दी भाषा बदलती है यह सिर्फ मिथुन ने साबित किया.
मिथुन ने कहा- "मैं कोबरा हूं, जंग से पीछे नहीं भागता."
मिथुन ने कहा, "जो आपका हक छीनेगा हम उसके खिलाफ खड़े होंगे. आज का दिन मेरे लिए सपने जैसा है. इतने बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करूंगा, ऐसा मैंने कभी सोचा नहीं था.
ममता बनर्जी का नाम लिए बिना बाहरी बनाम भीतरी का जवाब देते हुए मिथुन ने कहा, "बंगाल में रहने वाला हर कोई बंगाली है. हम गरीबों के लिए काम करना चाहते हैं. गरीबों के लिए काम करना मेरा सपना है."
मिथुन बोले, "मैं जो बोलता हूं वो करता हूं. मैं पानी का सांप नहीं, कोबरा हूं."
मिथुन ने यह भी कहा, "वे जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते थे. किसे पता था आज से पहले कि वे इतना बड़ा करना चाहते थे! और क्यों ऐसा किया उन्होंने आज, इसकी वजहें भी कयास के लायक ही हैं."
फिलहाल लोग मिथुन की पत्नी और बेटे के खिलाफ एक मुकदमे को खोद लाए हैं और उसे बीजेपी ज्वाइन करने के साथ जोड़ रहे हैं. बीते साल अक्टूबर में मिथुन के बेटे महाअक्षय और पत्नी योगिता बाली के खिलाफ रेप केस में मामला दर्ज हुआ था.
सीपीएम के नेता मोहम्मद सलीम ने 2014 का मिथुन का एक वीडियो ट्वीट किया है. मजेदार है. सुनिए-
मिथुन चक्रवर्ती की बंगला फिल्म ‘एमएलए फाटाकेष्टो’ का एक मशहूर डायलॉग है, ‘मारबो एखाने, लाश पोड़बे शशाने’. इसका मतलब है, ‘’यहां मारूंगा तो लाश श्मशान में जा के गिरेगी’’. बंगला में इस फिल्म के दो भाग बन के रिलीज हो चुके हैं. तीसरा अभी नहीं आया है. फिल्म का प्लॉट एक केंद्रीय किरदार मस्तान (दादा/गुंडा) के इर्द-गिर्द घूमता है जो अपराध जगत से राजनीति में प्रवेश करता है लेकिन वहां भी समस्याओं का हल मारपीट से ही करता है.
चुनाव के मुहाने पर खड़े पश्चिम बंगाल में रविवार को भारतीय जनता पार्टी के मंच से मिथुन चक्रवर्ती ने संयोग से यही डायलॉग मारा. जाहिर है, चुनावी राजनीति में प्रवेश करते वक्त इस डायलॉग के लिहाज से यह मंच उनके लिए बिलकुल मुफीद था क्योंकि बीते सात वर्षों में कई बार भाजपा के नेताओं को हमने श्मशान के बारे में बोलते सुना है और लाशें तो हम लगातार गिन ही रहे हैं. बस मस्तान की कमी थी, वो भी पूरी हो गयी.
वैसे, राज्य में पार्टी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने आज से दो-ढाई साल पहले बर्दवान की एक रैली में बिलकुल यही डायलॉग दुहराते हुए थोड़ा बदलाव कर के कहा था, ‘’मारबो एखाने, लाश पड़बो जेखाने सेखाने’’. घोष ने कहा था, ‘’बीजेपी के मारने के बाद कोई उठ के खड़ा हो जाएगा ऐसा नहीं है. बीजेपी के मारने के बाद कोई अस्पताल नहीं जाता, सीधे श्मशान जाता है.‘’ मिथुन चक्रवर्ती के डायलॉग से भाजपा की राजनीति को जोड़ने की कवायद जो दिलीप घोष ने तब की थी, उसकी स्वाभाविक परिणति रविवार को कोलकाता में हुई है.
ज्योति बसु आज जीवित होते तो क्या सोचते पता नहीं. गौरांगो चक्रवर्ती यानी अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने औपचारिक रूप से बीजेपी का भगवा चोला पहन लिया है. मिथुन चक्रवती को एक समय ज्योति बसु का ख़ास और प्यारा माना जाता था. खुद मिथुन ने एक बंगला चैनल को इन्टरव्यू देते हुए बताया था कि ‘ज्योति अंकल’ उन्हें खूब मानते हैं और उनसे उनका रिश्ता बहुत पारिवारिक और निजी है.
सुविधा ये है कि ज्योति बाबू अब रहे नहीं और अफ़सोस इस बात का कि राजनीति में नैतिकता और शर्म के लिए कोई जगह बची नहीं. इसीलिए मिथुन चक्रवर्ती ने तृणमूल कांग्रेस से अपने राजनीतिक रिश्ते का कोई भी लिहाज किये बगैर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया.
कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में रविवार को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मिथुन ने गरीबों के हक़ के लिए लड़ने की बात फ़िल्मी अंदाज में की. वो कहते हैं न कि संगत के हिसाब से मनुष्य की भाषा भी बदल जाती है, किन्तु इतनी जल्दी भाषा बदलती है यह सिर्फ मिथुन ने साबित किया.
मिथुन ने कहा- "मैं कोबरा हूं, जंग से पीछे नहीं भागता."
मिथुन ने कहा, "जो आपका हक छीनेगा हम उसके खिलाफ खड़े होंगे. आज का दिन मेरे लिए सपने जैसा है. इतने बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करूंगा, ऐसा मैंने कभी सोचा नहीं था.
ममता बनर्जी का नाम लिए बिना बाहरी बनाम भीतरी का जवाब देते हुए मिथुन ने कहा, "बंगाल में रहने वाला हर कोई बंगाली है. हम गरीबों के लिए काम करना चाहते हैं. गरीबों के लिए काम करना मेरा सपना है."
मिथुन बोले, "मैं जो बोलता हूं वो करता हूं. मैं पानी का सांप नहीं, कोबरा हूं."
मिथुन ने यह भी कहा, "वे जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते थे. किसे पता था आज से पहले कि वे इतना बड़ा करना चाहते थे! और क्यों ऐसा किया उन्होंने आज, इसकी वजहें भी कयास के लायक ही हैं."
फिलहाल लोग मिथुन की पत्नी और बेटे के खिलाफ एक मुकदमे को खोद लाए हैं और उसे बीजेपी ज्वाइन करने के साथ जोड़ रहे हैं. बीते साल अक्टूबर में मिथुन के बेटे महाअक्षय और पत्नी योगिता बाली के खिलाफ रेप केस में मामला दर्ज हुआ था.
सीपीएम के नेता मोहम्मद सलीम ने 2014 का मिथुन का एक वीडियो ट्वीट किया है. मजेदार है. सुनिए-
Also Read
-
‘Media is behaving like BJP puppet’: Inside Ladakh’s mistrust and demand for dignity
-
In coastal Odisha, climate change is disrupting a generation’s education
-
Bogus law firm and fake Google notices: The murky online campaign to suppress stories on Vantara
-
Happy Deepavali from Team NL-TNM! Thanks for lighting the way
-
Bearing witness in Leh: How do you report a story when everyone’s scared to talk?