Newslaundry Hindi
बिहार: पेपर लीक मामले में एक पत्रकार पर दर्ज एफआईआर में हमनाम दूसरे पत्रकार से भी पूछताछ
बिहार पुलिस ने बीते दिनों 10वीं क्लास का अंग्रेजी पेपर लीक होने की गलत सूचना फैलाने के मामले में एक एफआईआर दर्ज की. यह एफआईआर उत्कर्ष सिंह और राहुल यादव नाम के दो लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी. आईपीसी की धारा 417, 418, 419, 420 और 120( B) के तहत दर्ज यह एफआईआर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के प्रशाखा अधिकारी नरेंद्र कुमार सिन्हा की शिकायत पर दर्ज की गई.
जिन दो लोगों का नाम एफआईआर में दर्ज हुआ उसमें से एक उत्कर्ष सिंह टीवी- 9 भारतवर्ष से जुड़े हुए हैं. वहीं राहुल यादव कोई अननोन ट्विटर यूजर हैं. भले ही एफआईआर में दो लोगों का नाम है, लेकिन पटना की कोतवाली पुलिस एक तीसरे शख्स इंडिया टुडे के ‘बिहार तक’ के रिपोर्टर उत्कर्ष सिंह से भी पूछताछ कर रही है.
यह हैरान करने वाली बात है कि जिस शख्स के खिलाफ मामला दर्ज ही नहीं हुआ उससे पुलिस पूछताछ कर रही है. हालांकि इसके पीछे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा दी गई शिकायत में हुई एक भूल है. दरअसल शिकायत में उत्कर्ष सिंह के नाम पर दो ट्वीट साझा किए गए. दोनों ट्वीट अलग-अलग उत्कर्ष सिंह के है.
अपनी शिकायत में नरेंद्र कुमार सिन्हा ने लिखा है, “आज दिनांक 20 फरवरी को सोशल मीडिया पर ट्विटर के माध्यम से उत्कर्ष सिंह के द्वारा अंग्रेजी विषय (विषय कोड-113) के प्रश्न पत्र के लीक होने की सूचना देते हुए प्रश्न पत्र के पृष्ठों को अपलोड किया गया, जिसका साक्ष्य अनुलग्न- 1 और अनुलग्न 2 के रूप में संलग्न किया जा रहा है. साथ ही इस ट्वीट पर राहुल यादव द्वारा भी प्रश्न पत्र के लीक होने की सूचना फैलाई गई.”
शिकायत में सिन्हा आगे लिखते हैं, ‘‘इन दोनों व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किये गए अंग्रेजी विषय के प्रश्न पत्र के इन पृष्ठों की जांच समिति स्तर पर विभिन्न वर्षों के प्रश्न पत्रों से करने के उपरांत यह पाया गया कि यह प्रश्न पत्र साल 2020 के हैं. यानी इन्होंने 2020 के पश्न पत्र को इस साल का बताकर अफवाह फ़ैलाने एंव लोगों को धोखा देने का प्रयास किया. इससे स्पष्ट होता है कि उत्कर्ष सिंह एंव राहुल यादव द्वारा पश्न पत्र वायरल होने की गलत सूचना सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आमजनों, छात्रों एंव अभिभावकों के साथ धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़ा किया गया. साथ ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की भी छवि धूमिल की गई.
अपनी शिकायत में एक तरफ जहां सिन्हा साफ-साफ लिखते हैं कि इन दो व्यक्तियों ने अफवाह फैलाई, वहीं शिकायत में उत्कर्ष सिंह के नाम पर अधिकारी ने दो ट्वीट भी साझा किए हैं. जो कि दोनों अलग-अलग उत्कर्ष सिंह के हैं. न्यूजलॉन्ड्री ने जब नरेंद्र सिन्हा से इस बाबत जानकारी के लिए फोन किया तो वे कहते हैं, ‘‘मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. अधिकारियों ने मुझे बोला कि शिकायत दर्ज करा दो तो हमने करा दी.’’
आपने जिनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है उनके बारे में कुछ नहीं जानते हैं? इसका जवाब वे ना में देते हैं. किस अधिकारी ने आदेश दिया था, इस सवाल के जवाब में सिन्हा कहते हैं, ‘‘सचिव प्रमोद कुमार का आदेश आया कि ये शिकायत करा दो हमने वैसा ही किया.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश कि लेकिन हमारी उनसे बात नहीं हो पाई. अगर उनसे बात होती है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
फरवरी महीने में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा कराई जा रही थी. इस दौरान कई बार पेपर लीक होने की खबर सामने आई. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सामाजिक विज्ञान के पेपर को लीक होने को लेकर सवाल उठाया. सरकार ने इस मामले को संज्ञान में लिया और सामाजिक विज्ञान का पेपर रद्द कर दिया गया. इस मामले में जमुई जिले से एसबीआई झाझा ब्रांच के तीन कर्मियों को गिरफ्तार किया गया था.
पेपर के पहले दिन से ही पेपर लीक होने की खबरें आने लगी थीं. हालांकि ये शिकायत चौथे दिन यानी 20 फरवरी को होने वाले अंग्रेजी के पेपर के लीक होने को लेकर किए गए ट्वीट को लेकर की गईं.
टीवी 9 भारतवर्ष से जुड़े पत्रकार उत्कर्ष सिंह ने 20 फरवरी को सुबह दो ट्वीट किए. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इसमें से एक ट्वीट पर ऐतराज जताया. जिसमें उन्होंने लिखा, ‘‘कथित तौर पर (Allegedly) आज सुबह दस बजे अंग्रेजी का पेपर शुरू हुआ, लेकिन उससे पहले ही पेपर लीक हो गया था. बिहार शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्रालय को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.’’ बाद में इस ट्वीट को उत्कर्ष सिंह ने हटा दिया.
20 फरवरी को ‘बिहार तक’ से जुड़े दूसरे उत्कर्ष ने पेपर लीक होने को लेकर ही खबर ट्वीट की. जिसे शिकायत में अधिकारी ने भी साझा किया है. हालांकि इसमें कोई पेपर अटैच नहीं किया गया था. सिंह ने लिखा है, ‘‘बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा के लगातार चौथे दिन पेपर लीक की खबरें आ रही हैं, पेपर शुरू होने से काफी देर पहले ही व्हाट्सएप पर पेपर की फोटो वायरल हो गई. कल विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद पेपर रद्द कर दिया लेकिन लोग सवाल कर रहे हैं कि बाकी पेपर्स का क्या? बोर्ड को सफाई देनी चाहिए.’’
ये ट्वीट अभी भी मौजूद है. इसी ट्वीट के नीचे राहुल यादव नाम के एक शख्स ने रिप्लाई में वायरल अंग्रेजी का पेपर डालते हुए लिखा, ‘कथित तौर पर आज सुबह 10 बजे शुरू होने वाले अंग्रेजी का पेपर पहले ही लीक हो गया है.’ ऐसा लगता है कि राहुल ने टीवी-9 के उत्कर्ष सिंह का ही आधा ट्वीट कॉपी किया है.
खुद को सिविल इंजीनियर बताने वाले राहुल यादव ने अपनी डीपी में राष्ट्रीय जनता दल की तस्वीर लगाई हुई है. उनके सिर्फ 13 फॉलोवर हैं. वो खुद सिर्फ 47 लोगों को फॉलो करते है. ट्विटर पर साल 2020 के दिसंबर महीने में ही आए हैं.
ऐसा नहीं है कि इस वायरल पेपर को सिर्फ उत्कर्ष सिंह और राहुल यादव ने ही साझा किया. बल्कि इसको लेकर कई मीडिया संस्थानों ने खबर भी बनाई थी. ईटीवी बिहार ने ‘मैट्रिक परीक्षा का चौथा दिन: परीक्षा के कुछ घंटे पहले वायरल हुआ अंग्रेजी का पेपर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की. इस खबर में पेपर की वही तस्वीर लगी है जो राहुल यादव और उत्कर्ष सिंह ने साझा की है.
खबर में लिखा गया है कि अंग्रेजी का पेपर वायरल, राज्य सरकार और प्रशासन के लाख दावे के बाद भी शिक्षा माफियाओं ने तमाम व्यवस्थाओं को ध्वस्त करते हुए परीक्षा से कुछ देर पहले पेपर वायरल कर दिया है. जिसके बाद से प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. वायरल हो रहे अंग्रेजी के पेपर को लेकर जब ईटीवी की टीम ने अफसरों से बात की तो उन्होंने इस तरह की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही.
न्यूज- 1 भारत नाम के हैंडल ने भी इस पेपर को साझा किया और लिखा, मैट्रिक परीक्षा के चौथे दिन अंग्रेजी का पेपर वायरल, जांच में जुटे अधिकारी.
करीब 16 हज़ार फ़ॉलोवर वाले बिहार के चर्चित न्यूज़ पोर्टल फर्स्ट बिहार झारखंड न्यूज ने भी इसको लेकर ट्वीट किया और लिखा, मैट्रिक परीक्षा के चौथे दिन अंग्रेजी का पेपर वायरल, जांच में जुटे अधिकारी. हालांकि बाद में इस खबर के शीर्षक को बदलकर ‘मैट्रिक परीक्षा: फर्जी निकला अंग्रेजी का वायरल पेपर’ कर दिया गया.
इस खबर के इंट्रो में लिखा गया है कि मैट्रिक परीक्षा के चौथे दिन भी पेपर शुरू होने से कुछ देर पहले अंग्रेजी का पेपर वायरल हो गया. जैसे ही यह खबर परीक्षार्थियों तक पहुंची पेपर लेने के लिए उनमें होड़ मच गई. लेकिन जैसे ही परीक्षा खत्म हुई पेपर मिलान किए जाने पर वायरल पेपर फर्जी निकला.
फर्स्ट बिहार ने अपनी खबर में अंग्रेजी के इस वायरल पेपर को लगाया जिसे उत्कर्ष और राहुल यादव ने साझा किया था.
बिहार पुलिस ने बीते दिनों 10वीं क्लास का अंग्रेजी पेपर लीक होने की गलत सूचना फैलाने के मामले में एक एफआईआर दर्ज की. यह एफआईआर उत्कर्ष सिंह और राहुल यादव नाम के दो लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी. आईपीसी की धारा 417, 418, 419, 420 और 120( B) के तहत दर्ज यह एफआईआर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के प्रशाखा अधिकारी नरेंद्र कुमार सिन्हा की शिकायत पर दर्ज की गई.
जिन दो लोगों का नाम एफआईआर में दर्ज हुआ उसमें से एक उत्कर्ष सिंह टीवी- 9 भारतवर्ष से जुड़े हुए हैं. वहीं राहुल यादव कोई अननोन ट्विटर यूजर हैं. भले ही एफआईआर में दो लोगों का नाम है, लेकिन पटना की कोतवाली पुलिस एक तीसरे शख्स इंडिया टुडे के ‘बिहार तक’ के रिपोर्टर उत्कर्ष सिंह से भी पूछताछ कर रही है.
यह हैरान करने वाली बात है कि जिस शख्स के खिलाफ मामला दर्ज ही नहीं हुआ उससे पुलिस पूछताछ कर रही है. हालांकि इसके पीछे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा दी गई शिकायत में हुई एक भूल है. दरअसल शिकायत में उत्कर्ष सिंह के नाम पर दो ट्वीट साझा किए गए. दोनों ट्वीट अलग-अलग उत्कर्ष सिंह के है.
अपनी शिकायत में नरेंद्र कुमार सिन्हा ने लिखा है, “आज दिनांक 20 फरवरी को सोशल मीडिया पर ट्विटर के माध्यम से उत्कर्ष सिंह के द्वारा अंग्रेजी विषय (विषय कोड-113) के प्रश्न पत्र के लीक होने की सूचना देते हुए प्रश्न पत्र के पृष्ठों को अपलोड किया गया, जिसका साक्ष्य अनुलग्न- 1 और अनुलग्न 2 के रूप में संलग्न किया जा रहा है. साथ ही इस ट्वीट पर राहुल यादव द्वारा भी प्रश्न पत्र के लीक होने की सूचना फैलाई गई.”
शिकायत में सिन्हा आगे लिखते हैं, ‘‘इन दोनों व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किये गए अंग्रेजी विषय के प्रश्न पत्र के इन पृष्ठों की जांच समिति स्तर पर विभिन्न वर्षों के प्रश्न पत्रों से करने के उपरांत यह पाया गया कि यह प्रश्न पत्र साल 2020 के हैं. यानी इन्होंने 2020 के पश्न पत्र को इस साल का बताकर अफवाह फ़ैलाने एंव लोगों को धोखा देने का प्रयास किया. इससे स्पष्ट होता है कि उत्कर्ष सिंह एंव राहुल यादव द्वारा पश्न पत्र वायरल होने की गलत सूचना सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आमजनों, छात्रों एंव अभिभावकों के साथ धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़ा किया गया. साथ ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की भी छवि धूमिल की गई.
अपनी शिकायत में एक तरफ जहां सिन्हा साफ-साफ लिखते हैं कि इन दो व्यक्तियों ने अफवाह फैलाई, वहीं शिकायत में उत्कर्ष सिंह के नाम पर अधिकारी ने दो ट्वीट भी साझा किए हैं. जो कि दोनों अलग-अलग उत्कर्ष सिंह के हैं. न्यूजलॉन्ड्री ने जब नरेंद्र सिन्हा से इस बाबत जानकारी के लिए फोन किया तो वे कहते हैं, ‘‘मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. अधिकारियों ने मुझे बोला कि शिकायत दर्ज करा दो तो हमने करा दी.’’
आपने जिनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है उनके बारे में कुछ नहीं जानते हैं? इसका जवाब वे ना में देते हैं. किस अधिकारी ने आदेश दिया था, इस सवाल के जवाब में सिन्हा कहते हैं, ‘‘सचिव प्रमोद कुमार का आदेश आया कि ये शिकायत करा दो हमने वैसा ही किया.’’
न्यूजलॉन्ड्री ने प्रमोद कुमार से बात करने की कोशिश कि लेकिन हमारी उनसे बात नहीं हो पाई. अगर उनसे बात होती है तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
फरवरी महीने में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा कराई जा रही थी. इस दौरान कई बार पेपर लीक होने की खबर सामने आई. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सामाजिक विज्ञान के पेपर को लीक होने को लेकर सवाल उठाया. सरकार ने इस मामले को संज्ञान में लिया और सामाजिक विज्ञान का पेपर रद्द कर दिया गया. इस मामले में जमुई जिले से एसबीआई झाझा ब्रांच के तीन कर्मियों को गिरफ्तार किया गया था.
पेपर के पहले दिन से ही पेपर लीक होने की खबरें आने लगी थीं. हालांकि ये शिकायत चौथे दिन यानी 20 फरवरी को होने वाले अंग्रेजी के पेपर के लीक होने को लेकर किए गए ट्वीट को लेकर की गईं.
टीवी 9 भारतवर्ष से जुड़े पत्रकार उत्कर्ष सिंह ने 20 फरवरी को सुबह दो ट्वीट किए. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इसमें से एक ट्वीट पर ऐतराज जताया. जिसमें उन्होंने लिखा, ‘‘कथित तौर पर (Allegedly) आज सुबह दस बजे अंग्रेजी का पेपर शुरू हुआ, लेकिन उससे पहले ही पेपर लीक हो गया था. बिहार शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्रालय को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.’’ बाद में इस ट्वीट को उत्कर्ष सिंह ने हटा दिया.
20 फरवरी को ‘बिहार तक’ से जुड़े दूसरे उत्कर्ष ने पेपर लीक होने को लेकर ही खबर ट्वीट की. जिसे शिकायत में अधिकारी ने भी साझा किया है. हालांकि इसमें कोई पेपर अटैच नहीं किया गया था. सिंह ने लिखा है, ‘‘बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा के लगातार चौथे दिन पेपर लीक की खबरें आ रही हैं, पेपर शुरू होने से काफी देर पहले ही व्हाट्सएप पर पेपर की फोटो वायरल हो गई. कल विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद पेपर रद्द कर दिया लेकिन लोग सवाल कर रहे हैं कि बाकी पेपर्स का क्या? बोर्ड को सफाई देनी चाहिए.’’
ये ट्वीट अभी भी मौजूद है. इसी ट्वीट के नीचे राहुल यादव नाम के एक शख्स ने रिप्लाई में वायरल अंग्रेजी का पेपर डालते हुए लिखा, ‘कथित तौर पर आज सुबह 10 बजे शुरू होने वाले अंग्रेजी का पेपर पहले ही लीक हो गया है.’ ऐसा लगता है कि राहुल ने टीवी-9 के उत्कर्ष सिंह का ही आधा ट्वीट कॉपी किया है.
खुद को सिविल इंजीनियर बताने वाले राहुल यादव ने अपनी डीपी में राष्ट्रीय जनता दल की तस्वीर लगाई हुई है. उनके सिर्फ 13 फॉलोवर हैं. वो खुद सिर्फ 47 लोगों को फॉलो करते है. ट्विटर पर साल 2020 के दिसंबर महीने में ही आए हैं.
ऐसा नहीं है कि इस वायरल पेपर को सिर्फ उत्कर्ष सिंह और राहुल यादव ने ही साझा किया. बल्कि इसको लेकर कई मीडिया संस्थानों ने खबर भी बनाई थी. ईटीवी बिहार ने ‘मैट्रिक परीक्षा का चौथा दिन: परीक्षा के कुछ घंटे पहले वायरल हुआ अंग्रेजी का पेपर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की. इस खबर में पेपर की वही तस्वीर लगी है जो राहुल यादव और उत्कर्ष सिंह ने साझा की है.
खबर में लिखा गया है कि अंग्रेजी का पेपर वायरल, राज्य सरकार और प्रशासन के लाख दावे के बाद भी शिक्षा माफियाओं ने तमाम व्यवस्थाओं को ध्वस्त करते हुए परीक्षा से कुछ देर पहले पेपर वायरल कर दिया है. जिसके बाद से प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. वायरल हो रहे अंग्रेजी के पेपर को लेकर जब ईटीवी की टीम ने अफसरों से बात की तो उन्होंने इस तरह की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही.
न्यूज- 1 भारत नाम के हैंडल ने भी इस पेपर को साझा किया और लिखा, मैट्रिक परीक्षा के चौथे दिन अंग्रेजी का पेपर वायरल, जांच में जुटे अधिकारी.
करीब 16 हज़ार फ़ॉलोवर वाले बिहार के चर्चित न्यूज़ पोर्टल फर्स्ट बिहार झारखंड न्यूज ने भी इसको लेकर ट्वीट किया और लिखा, मैट्रिक परीक्षा के चौथे दिन अंग्रेजी का पेपर वायरल, जांच में जुटे अधिकारी. हालांकि बाद में इस खबर के शीर्षक को बदलकर ‘मैट्रिक परीक्षा: फर्जी निकला अंग्रेजी का वायरल पेपर’ कर दिया गया.
इस खबर के इंट्रो में लिखा गया है कि मैट्रिक परीक्षा के चौथे दिन भी पेपर शुरू होने से कुछ देर पहले अंग्रेजी का पेपर वायरल हो गया. जैसे ही यह खबर परीक्षार्थियों तक पहुंची पेपर लेने के लिए उनमें होड़ मच गई. लेकिन जैसे ही परीक्षा खत्म हुई पेपर मिलान किए जाने पर वायरल पेपर फर्जी निकला.
फर्स्ट बिहार ने अपनी खबर में अंग्रेजी के इस वायरल पेपर को लगाया जिसे उत्कर्ष और राहुल यादव ने साझा किया था.
Also Read
-
Two years on, ‘peace’ in Gaza is at the price of dignity and freedom
-
4 ml of poison, four times a day: Inside the Coldrif tragedy that claimed 17 children
-
Delhi shut its thermal plants, but chokes from neighbouring ones
-
Hafta x South Central feat. Josy Joseph: A crossover episode on the future of media
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians