Newslaundry Hindi
‘कौन हैं भारत माता?’ जावेद अख्तर और पुरुषोत्तम अग्रवाल की बतकही
गुरुवार को दिल्ली के जवाहर भवन में लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा संपादित किताब ‘कौन हैं भारत माता?’ का विमोचन हुआ. किताब का विमोचन प्रसिद्ध शायर-विचारक जावेद अख़्तर ने किया. इस दौरान उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को याद किया और उनसे जुड़े किस्से साझा किए.
उन्होंने कहा, "मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे नेहरूजी से ऑटोग्राफ लेने का मौका मिला. जब मैं 14-15 साल का था तब मेरे तीन हीरो हुआ करते थे- नेहरू, कृष्ण चंदर और दिलीप कुमार. 1963 में तीन मूर्ति भवन में जब उनका आखिरी जन्मदिन मनाया गया तब मुझे वहां जाने का मौका मिला था. आज भी नेहरू बहुतों को बहुत पसंद हैं और कुछ को नापसंद हैं. लेकिन वह लगातार प्रासंगिक हैं.”
इस दौरान प्रो पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा, "जवाहरलाल नेहरू को जानने-समझने की कोशिश मैं पिछले 15-20 सालों से करता रहा हूं. इसी का नतीजा यह पुस्तक है. नेहरू ने जिस हिन्दुस्तान का सपना देखा था और उसे संभव करने के जो प्रयास उन्होंने किए उसकी आलोचना की जा सकती है. उसमें भूलें भी हुईं लेकिन मेरा मानना है कि अपनी संकल्पना में वह बिल्कुल सही थे. नेहरू वास्तव में आलोचनात्मक विवेक से संपन्न समाज बनाना चाहते थे. उनका यह सपना आज और ज़्यादा प्रासंगिक है.”
बता दें कि यह किताब पहले अंग्रेजी में भी छप चुकी है. अब इसका हिंदी वर्जन आया है. किताब को राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है.
पुस्तक में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकों- आत्मकथा, विश्व इतिहास की झलकें और भारत की खोज से चयनित अंश दिए गए हैं. उनके निबन्ध, भाषण, पत्र और साक्षात्कार भी इसमें शामिल हैं. वहीं पुस्तक में महात्मा गांधी, भगत सिंह, सरदार पटेल, मौलाना आजाद समेत देश-विदेश की अनेक दिग्गज हस्तियों के नेहरू के बारे में आलेख शामिल किए गए हैं.
गुरुवार को दिल्ली के जवाहर भवन में लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा संपादित किताब ‘कौन हैं भारत माता?’ का विमोचन हुआ. किताब का विमोचन प्रसिद्ध शायर-विचारक जावेद अख़्तर ने किया. इस दौरान उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को याद किया और उनसे जुड़े किस्से साझा किए.
उन्होंने कहा, "मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे नेहरूजी से ऑटोग्राफ लेने का मौका मिला. जब मैं 14-15 साल का था तब मेरे तीन हीरो हुआ करते थे- नेहरू, कृष्ण चंदर और दिलीप कुमार. 1963 में तीन मूर्ति भवन में जब उनका आखिरी जन्मदिन मनाया गया तब मुझे वहां जाने का मौका मिला था. आज भी नेहरू बहुतों को बहुत पसंद हैं और कुछ को नापसंद हैं. लेकिन वह लगातार प्रासंगिक हैं.”
इस दौरान प्रो पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा, "जवाहरलाल नेहरू को जानने-समझने की कोशिश मैं पिछले 15-20 सालों से करता रहा हूं. इसी का नतीजा यह पुस्तक है. नेहरू ने जिस हिन्दुस्तान का सपना देखा था और उसे संभव करने के जो प्रयास उन्होंने किए उसकी आलोचना की जा सकती है. उसमें भूलें भी हुईं लेकिन मेरा मानना है कि अपनी संकल्पना में वह बिल्कुल सही थे. नेहरू वास्तव में आलोचनात्मक विवेक से संपन्न समाज बनाना चाहते थे. उनका यह सपना आज और ज़्यादा प्रासंगिक है.”
बता दें कि यह किताब पहले अंग्रेजी में भी छप चुकी है. अब इसका हिंदी वर्जन आया है. किताब को राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है.
पुस्तक में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुस्तकों- आत्मकथा, विश्व इतिहास की झलकें और भारत की खोज से चयनित अंश दिए गए हैं. उनके निबन्ध, भाषण, पत्र और साक्षात्कार भी इसमें शामिल हैं. वहीं पुस्तक में महात्मा गांधी, भगत सिंह, सरदार पटेल, मौलाना आजाद समेत देश-विदेश की अनेक दिग्गज हस्तियों के नेहरू के बारे में आलेख शामिल किए गए हैं.
Also Read
-
Reality check of the Yamuna ‘clean-up’: Animal carcasses, a ‘pond’, and open drains
-
Haryana’s bulldozer bias: Years after SC Aravalli order, not a single govt building razed
-
Ground still wet, air stays toxic: A reality check at Anand Vihar air monitor after water sprinkler video
-
Was Odisha prepared for Cyclone Montha?
-
चक्रवाती तूफान मोंथा ने दी दस्तक, ओडिशा ने दिखाई तैयारी