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ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने टूलकिट मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता 21 वर्षीय दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है. दिशा पर आरोप है कि उन्होंने किसानों से जुड़े टूलकिट को एडिट किया और उसमें कुछ जोड़कर आगे बढ़ाया. दिशा को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. अब उनसे इस मामले में पुलिस पूछताछ करेगी. दिशा एक्टिविस्ट फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर कैम्पेन की फॉउंडरों में से एक हैं.

बता दें कि टूलकिट विवाद स्वीडन की जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट के बाद शुरू हुआ था. उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए ट्वीट किया था- "अगर आप किसानों की मदद करना चाहते हैं तो आप इस टूलकिट की मदद ले सकते हैं."

इसके बाद सरकार की तरफ से इस टूलकिट को इंटरनेशनल साजिश बताना शुरू कर दिया गया था. तमाम सरकारी संस्था और एजेंसियों ने भी इसे इंटरनेशनल साजिश बताया.

किसानों के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय सितारे रियाना, ग्रेटा थनबर्ग, मीना हैरिस और मिया खलीफा सहित कई विदेशी हस्तियों ने ट्वीट किया था. जिसके बाद यह विवाद सामने आया. 4 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने टूलकिट को लेकर एक केस भी दर्ज किया था. तभी से पुलिस ऐसे लोगों की तलाश में जुटी है जिनके नाम का जिक्र ग्रेटा थनबर्ग द्वारा जारी किए गए टूलकिट में हैं. इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है. टूलकिट को लिखने वालों पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत केस दर्ज किया है. हालांकि दर्ज एफआईआर में किसी का नाम शामिल नहीं किया गया था.

इस बारे में न्यूज़लॉन्ड्री ने दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ एसीपी अनिल मित्तल से बात की. उन्होंने कहा, "हां दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई है. लेकिन इसके अलावा मैं कुछ नहीं जानता हूं." उन्होंने कहा, "अभी मैं आपको कोई जानकारी नहीं दे सकता हूं, मैं सिर्फ इतना कंफर्म कर रहा हूं कि हां बेंगलुरु से पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई है."

इस बारे में न्यूज़लॉन्ड्री ने बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर से भी बात की. जब हमने उनसे पूछा कि क्या इस तरह कि कोई गिरफ्तारी हुई है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "इस बारे में बेंगलुरु पुलिस का कुछ लेना देना नहीं है और न ही हमारे पास ऐसी कोई जानकारी है.” हमने उनसे पूछा कि आप बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर हैं, अगर कोई गिरफ्तारी हुई है तो आपकी जानकारी के बिना कैसे हो सकती है? इस सवाल पर वह कहते हैं, "देखिए ऐसा है, जो सुनने में आ रहा है और सोशल मीडिया पर चल रहा है, इसमें दिल्ली पुलिस का नाम आ रहा है. इस बारे में आप उनसे बात कर सकते हैं. यह हमारा मामला ही नहीं है इसलिए हम इसमें क्या कह सकते हैं."

टूलकिट क्या है

आंदोलनों को आगे बढ़ाने और रणनीति तैयार करने के लिए ऑनलाइन टूलकिट का इस्तेमाल तमाम संगठन करते हैं. कह सकते हैं कि जो लोग देश दुनिया के अलग अलग हिस्सों में आंदोलन करते हैं, वो उस आंदोलन को बढ़ाने के लिए लिखित प्लानिंग तैयार करते हैं. उस तैयार प्लानिंग के नोट्स (डेटा) को ही टूलकिट यानी दस्तावेज कहते हैं. इस टूलकिट में प्रदर्शन करने से संबंधित नियम और जानकारियां उपलब्ध होती हैं.

आंदोलनकारी किसान

टूलकिट ऐसे लोगों के साथ शेयर की जाती है जो आंदोलन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. साधारण शब्दों में कहें तो हम किसी प्रोग्राम, रैली या किसी अन्य आयोजन के लिए सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप और पोस्टर, पैम्फ्लेट या बैनर का सहारा लेते हैं. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे और होने वाला आयोजन सफल हो सके. बिल्कुल उसी तर्ज पर आज इंटरनेट और तकनीक के जमाने में ऑनलाइन टूलकिट के जरिए लोगों के अंदर जागरूकता फैलाई जाती है.

इसके जरिए एक्टिविस्ट और आंदोलनकारियों को बताया जाता है कि कैसे हम आंदोलन को सफल बना सकते हैं. इसमें जो चीजें शामिल होती हैं वो हैं- कब ट्वीट करना है और किए ट्वीट में क्या हैशटैग इस्तेमाल करना है. ऐसे ही फिर उन हैशटैग को ट्रैंड कराया जाता है. ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा आंदोलन से जुड़ सकें. यह पहली बार नहीं है जब इस टूलकिट का इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले भी कई कंपनियां और राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार अभियान के लिए टूलकिट का इस्तेमाल करती रही हैं.

भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस या आप जैसे राजनीतिक दल अपने आईटी सेल के जरिए इस तरह के टूलकिट का इस्तेमाल करते रहते हैं. भाजपा की आईटी सेल को इस तरह से ट्विटर पर मनमाने हैशटैग ट्रेंड करवाने में महारात हासिल है.

सिंघु बॉर्डर पर मौजूद प्रदर्शनकारी किसान

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर टूलकिट में बताया गया है कि कैसे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए किसानों का समर्थन करना है.

टूलकिट में भारतीय कृषि क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर भी बात की गई है. बताया गया है कि भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या सबसे अधिक है और उनकी स्थिति वाक़ई ख़राब है. वहीं इस टूलकिट में आत्महत्या करने वाले किसानों का भी जिक्र है. इसके अलावा लोगों को #farmersProtest और #StandWithFarmers हैशटैग्स का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी.

इस टूलकिट के जरिए अपने समर्थकों को प्रदर्शन के दौरान कैसे और कहां जाएं, कहां न जाएं, कैसे कपड़े पहनें, पुलिस एक्शन ले तो क्या करें जैसी बेहद जरूरी जानकारियां दी जाती हैं. सोशल मीडिया का सहारा किस तरह लिया जा सकता है ये सब बताया जाता है.

Also Read: चैनल, नेता और अभिनेता, सबकी पसंद रियाना, खलीफा और ग्रेटा

Also Read: “एक बेहतर दुनिया की ओर”: मेधा पाटकर ने शुरू किया ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित युवाओं का नया अभियान

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने टूलकिट मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता 21 वर्षीय दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है. दिशा पर आरोप है कि उन्होंने किसानों से जुड़े टूलकिट को एडिट किया और उसमें कुछ जोड़कर आगे बढ़ाया. दिशा को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. अब उनसे इस मामले में पुलिस पूछताछ करेगी. दिशा एक्टिविस्ट फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर कैम्पेन की फॉउंडरों में से एक हैं.

बता दें कि टूलकिट विवाद स्वीडन की जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट के बाद शुरू हुआ था. उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए ट्वीट किया था- "अगर आप किसानों की मदद करना चाहते हैं तो आप इस टूलकिट की मदद ले सकते हैं."

इसके बाद सरकार की तरफ से इस टूलकिट को इंटरनेशनल साजिश बताना शुरू कर दिया गया था. तमाम सरकारी संस्था और एजेंसियों ने भी इसे इंटरनेशनल साजिश बताया.

किसानों के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय सितारे रियाना, ग्रेटा थनबर्ग, मीना हैरिस और मिया खलीफा सहित कई विदेशी हस्तियों ने ट्वीट किया था. जिसके बाद यह विवाद सामने आया. 4 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने टूलकिट को लेकर एक केस भी दर्ज किया था. तभी से पुलिस ऐसे लोगों की तलाश में जुटी है जिनके नाम का जिक्र ग्रेटा थनबर्ग द्वारा जारी किए गए टूलकिट में हैं. इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है. टूलकिट को लिखने वालों पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 124ए, 153ए, 153, 120बी के तहत केस दर्ज किया है. हालांकि दर्ज एफआईआर में किसी का नाम शामिल नहीं किया गया था.

इस बारे में न्यूज़लॉन्ड्री ने दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ एसीपी अनिल मित्तल से बात की. उन्होंने कहा, "हां दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई है. लेकिन इसके अलावा मैं कुछ नहीं जानता हूं." उन्होंने कहा, "अभी मैं आपको कोई जानकारी नहीं दे सकता हूं, मैं सिर्फ इतना कंफर्म कर रहा हूं कि हां बेंगलुरु से पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी हुई है."

इस बारे में न्यूज़लॉन्ड्री ने बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर से भी बात की. जब हमने उनसे पूछा कि क्या इस तरह कि कोई गिरफ्तारी हुई है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "इस बारे में बेंगलुरु पुलिस का कुछ लेना देना नहीं है और न ही हमारे पास ऐसी कोई जानकारी है.” हमने उनसे पूछा कि आप बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर हैं, अगर कोई गिरफ्तारी हुई है तो आपकी जानकारी के बिना कैसे हो सकती है? इस सवाल पर वह कहते हैं, "देखिए ऐसा है, जो सुनने में आ रहा है और सोशल मीडिया पर चल रहा है, इसमें दिल्ली पुलिस का नाम आ रहा है. इस बारे में आप उनसे बात कर सकते हैं. यह हमारा मामला ही नहीं है इसलिए हम इसमें क्या कह सकते हैं."

टूलकिट क्या है

आंदोलनों को आगे बढ़ाने और रणनीति तैयार करने के लिए ऑनलाइन टूलकिट का इस्तेमाल तमाम संगठन करते हैं. कह सकते हैं कि जो लोग देश दुनिया के अलग अलग हिस्सों में आंदोलन करते हैं, वो उस आंदोलन को बढ़ाने के लिए लिखित प्लानिंग तैयार करते हैं. उस तैयार प्लानिंग के नोट्स (डेटा) को ही टूलकिट यानी दस्तावेज कहते हैं. इस टूलकिट में प्रदर्शन करने से संबंधित नियम और जानकारियां उपलब्ध होती हैं.

आंदोलनकारी किसान

टूलकिट ऐसे लोगों के साथ शेयर की जाती है जो आंदोलन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. साधारण शब्दों में कहें तो हम किसी प्रोग्राम, रैली या किसी अन्य आयोजन के लिए सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप और पोस्टर, पैम्फ्लेट या बैनर का सहारा लेते हैं. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे और होने वाला आयोजन सफल हो सके. बिल्कुल उसी तर्ज पर आज इंटरनेट और तकनीक के जमाने में ऑनलाइन टूलकिट के जरिए लोगों के अंदर जागरूकता फैलाई जाती है.

इसके जरिए एक्टिविस्ट और आंदोलनकारियों को बताया जाता है कि कैसे हम आंदोलन को सफल बना सकते हैं. इसमें जो चीजें शामिल होती हैं वो हैं- कब ट्वीट करना है और किए ट्वीट में क्या हैशटैग इस्तेमाल करना है. ऐसे ही फिर उन हैशटैग को ट्रैंड कराया जाता है. ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा आंदोलन से जुड़ सकें. यह पहली बार नहीं है जब इस टूलकिट का इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले भी कई कंपनियां और राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार अभियान के लिए टूलकिट का इस्तेमाल करती रही हैं.

भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस या आप जैसे राजनीतिक दल अपने आईटी सेल के जरिए इस तरह के टूलकिट का इस्तेमाल करते रहते हैं. भाजपा की आईटी सेल को इस तरह से ट्विटर पर मनमाने हैशटैग ट्रेंड करवाने में महारात हासिल है.

सिंघु बॉर्डर पर मौजूद प्रदर्शनकारी किसान

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर टूलकिट में बताया गया है कि कैसे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए किसानों का समर्थन करना है.

टूलकिट में भारतीय कृषि क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर भी बात की गई है. बताया गया है कि भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या सबसे अधिक है और उनकी स्थिति वाक़ई ख़राब है. वहीं इस टूलकिट में आत्महत्या करने वाले किसानों का भी जिक्र है. इसके अलावा लोगों को #farmersProtest और #StandWithFarmers हैशटैग्स का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी.

इस टूलकिट के जरिए अपने समर्थकों को प्रदर्शन के दौरान कैसे और कहां जाएं, कहां न जाएं, कैसे कपड़े पहनें, पुलिस एक्शन ले तो क्या करें जैसी बेहद जरूरी जानकारियां दी जाती हैं. सोशल मीडिया का सहारा किस तरह लिया जा सकता है ये सब बताया जाता है.

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