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लव जिहाद: "पुलिस ने हमें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया और बच्चों को जेल में डाल दिया"

कानपुर जिले के किदवई नगर इलाके में एक पतली गली से होते हुए हम सफीका बेगम के घर पहुंचे. बारबंकी की रहने वाली 45 वर्षीय सफीका बेगम अपने परिवार के साथ किराए के एक कमरे में रहती हैं. उनका कमरा चौथे माले पर है. घर के सामने कुछ महिलाएं आग तापते नज़र आती हैं. वहां हम, सफीका यहीं रहती हैं, पूछते हैं तो वो वहां मौजूद एक किन्नर मंदाकनी सीढ़ियों की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘हां, सबसे ऊपर चले जाओ. वहीं रहती हैं.’’

हम सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हैं तभी मंदाकिनी अपने पास आने का इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘इनके बच्चों को गलत फंसाया है. जिस लड़की ने आरोप लगाया वो बच्ची इधर आती रहती थी. मैंने खुद उसे कितनी बार समझाया कि दोनों अलग-अलग मजहब के हो. लफड़ा हो सकता है. मत आया करो. लड़की तब हां-हां मिलाती थी, लेकिन बाद में पुलिस में शिकायत दे दी. बताओ इनके दो-दो बच्चे जेल में हैं.’’

चौथे माले पर पहुंचने पर हमारी मुलाकात सना परवीन से होती है. सना आरोपी मोहम्मद ओवैस और माही हयात खान की बड़ी बहन हैं. ये दोनों कानपुर एसआईटी द्वारा जांच किए एक मामले में जेल में बंद हैं.

एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक 15 सितंबर 2020 को पीड़िता नाबालिग रीना अवस्थी (बदला हुआ नाम) की मां रेनू अवस्थी ने ओवैस और माही हयात खान पर भगाकर शादी करने के संबंध में मामला नौबस्ता थाने में दर्ज कराया था. एफआईआर के अगले दिन दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. यह एफआईआर आईपीसी की धारा 363, 366, 368 और पास्को एक्ट में दर्ज की गई है. पुलिस ने इसे लव जिहाद के लिए बने एसआईटी में शामिल किया और जांच की.

साल 2020 में कानपुर में कथित तौर पर लव जिहाद के कई मामले सामने आए. जिसको लेकर यूपी पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और 14 मामलों की जांच की. तीन मामलों को छोड़ बाकी में आरोपियों को पुलिस ने जेल भेज दिया. कुल 11 लोग जेल गए.

कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल इन मामलों में लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं. एसआईटी की रिपोर्ट में भी लव जिहाद का जिक्र नहीं है. वहीं बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद जैसे दक्षिणपंथी ग्रुपों द्वारा इसे लव जिहाद का नाम दिया जाता रहा है. मीडिया का एक बड़ा तबका भी, खासकर दैनिक जागरण हर मामले को लव जिहाद बताते हुए नजर आता है.

एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि कुछ आरोपियों ने अपना धर्म छुपाकर धर्म परिवर्तन कराया, लेकिन न्यूजलॉन्ड्री ने सेना प्रोजेक्ट के तहत इन मामलों पर रिपोर्ट की और पाया कि आरोपियों का मजहब पीड़िता और उनके परिजनों को पता था. वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे मामले थे जिन्हें एसआईटी ने जांच में शामिल किया हालांकि जांच अधिकारी खुद ही उसे लव जिहाद मानने से इंकार करते नजर आते हैं.

वहीं ज़्यादातर मामलों में दक्षिणपंथी समूह जैसे बजरंग दल, राष्ट्रीय बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद की भूमिका साफ नजर आती है.

'पुलिस हमारी एक बात नहीं सुनी'

पीड़िता रीना अवस्थी ने न्यायालय के सामने दिए बयान में बताया, ''उसके घर के सामने एक फ़्लैट बन रहा था जहां ओवैस काम करता था. उसने उसका मोबाइल नंबर लिया और आपस में दोनों बात करने लगे. ओवैस अपनी बहन माही से भी बात कराता था. उसकी बहन ने मुझे मेरे घर के बाहर बुलाया और मस्जिद ले गई. माही और ओवैस ने कहा कि तीन शब्द बोलो जिससे तुम हिन्दू से मुस्लिम बन जाओगी. मैंने मना कर दिया तो उन्होंने मुझसे कहा कि इससे काम नहीं चलेगा और मुझे किदवई नगर तक ले जा रहे थे. तभी मेरी मम्मी आ गईं. मेरी मम्मी ने मुझे फोन पर बात करते हुए सुन लिया था. उन्होंने बात करने के लिए मना किया था. मैं अपनी मम्मी को बिना बताये घर से गई थी.''

इस मामले की जांच नौबस्ता थाने के राजेश कुमार यादव द्वारा की गई. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए यादव एसआईटी रिपोर्ट में दी गई जानकारी को ही दोहराते हैं. वह कहते हैं. ''दोनों ने लड़की को तीन शब्द बोलकर मुसलमान बनाने की कोशिश की थी. जिसके बाद शिकायत दर्ज हुई.'' वो तीन शब्द क्या थे. ये जानकारी यादव हमें नहीं देते हैं. हालांकि जानकारों के मुताबिक किसी भी गैरइस्लामिक शख्स को इस्लाम में कन्वर्ट होने के लिए कलमा पढ़ना पढ़ता है. जो की पूरा वाक्य है. जिसमें तकरीबन 12 सौ शब्द हैं.

आरोपियों की बड़ी बहन सना बातचीत के दौरान बार-बार कहती हैं, ‘‘मेरे भाई और बहन को तो उन्होंने फंसा दिया. मेरा भाई भी बहुत छोटा है. बहन भी 16-17 साल की है. वो किसी का धर्म परिवर्तन कराएंगे? उनकी इतनी समझ तो नहीं ही है. जहां तक रीना की बात है रीना कई बार अपने घर से हमारे यहां भागकर आती थी. वो कहती थी कि उसकी मां उसे मारती है. हमने उसे समझाकर वापस पहुंचाया.''

बातचीत के दौरान सफीका बेगम काम से लौटकर घर आ गई थीं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए वह गुस्से में पीड़िता की मां पर कई तरह के आरोप लगाती हैं. एक तरफ जहां रीना ने कोर्ट के सामने दिए अपने बयान में कहा है कि लड़के ने उसका नंबर लिया और बात करता था. वहीं दूसरी तरफ सफीका पूरी घटना का जिक्र करते हुए कहती हैं, ‘‘मेरा लड़का रीना के घर के बगल में साइट पर काम करता था. वहां एक दो दिन काम किया. वहां रीना ने पर्चे पर अपना नंबर लिखकर दिया. उसने कई दिनों तक फोन नहीं किया. जब वो दोबारा काम करने गया तो उसने कहा कि तुमने फोन नहीं किया. मेरे लड़के ने कहा कि मेरे पास फोन नहीं है. फिर उस लड़की ने कहा- तुम्हारे पास नहीं है. तुम्हारे घरवालों के पास तो होगा. लड़के के दिमाग में ये यह बात बैठ गई. वह घर आया और बहन के फोन से फोन लगा दिया. फिर हमने उसे देख लिया तो डांटा और बात नहीं करने के लिए कहा. फिर रीना हमें फोन करती थी. जिसकी रिकॉर्डिंग हमारे पास है.’’

सफीका आगे कहती हैं, ‘‘पुलिस ने हमारी एक बात भी नहीं सुनी. ये ऑडियो सुनिए. (ऑडियो में एक लड़की एक बार ओवैस से बात कराने की गुजारिश करती है. दूसरी लड़की उसे बात नहीं करने और वापस फोन नहीं करने के लिए कहती है. पहली लड़की सिर्फ एक बार बात कराने की गुजारिश दोहराती है. दूसरी लड़की ठीक है, कहकर फोन रख देती है). ऑडियो सुनाने के बाद सफीका दावा करती हैं कि यह रीना का फोन था. वो मेरे बेटे से बात करने के लिए बार-बार कोशिश करती थी. हम जानते थे कि दोनों अलग-अलग मजहब के हैं तो शादी हो ही नहीं सकती है. वैसे भी मेरा बेटा बच्चा है. उसकी शादी कैसे हम कर देंगे.’’

सफीका आगे बताती हैं, ‘‘जब पहली बार रीना मेरे घर आई. हम उसे जानते नहीं थे. फिर हमने उससे पूछा. जब सबकुछ जान गए तो उसे समझाया कि तुम्हारा हमारा कोई मेल जोल नहीं है. तुम हिन्दू धर्म की हो और हम मुस्लिम धर्म के हैं. उसे लेकर हम उसके घर गए और उसकी मां के पास सौंपकर आए. इनके ताऊ लोग और मां हमें कई बार शुक्रिया बोलीं कि आपने मेरी बेटी को सही सलामत छोड़ दिया. तीन-चार दिन बाद वो फिर आ गई. हम इसे देखकर हैरान रह गए. उससे हमने पूछा कि अब क्यों आई हो. उसने कहा कि मेरी मम्मी ने मुझे घर से भगा दिया है. वो कह रही हैं कि तुम मेरे घर पर ना रहो. हमने पूछा कि फिर तुम कहां रहोगी अगर तुम्हारी मम्मी तुम्हें नहीं रख रही है तो.’’

सफीका बताती हैं, ‘‘हम उस रोज सीधे लड़की को उसके घर लेकर नहीं गए. मेरे दामाद ने कहा कि हम इन्हें पुलिस के पास लेकर चलते हैं. वहां मां को बुलाकर लड़की को सौंपा जाएगा. आगे चलकर यहीं स्थिति रही तो कुछ गड़बड़ हो सकता है. हम थाने लेकर पहुंच गए. वहां मेरे बेटे को भी बुलाया. इंस्पेक्टर ने दोनों को डांटा और बोला कि आगे से यह गलती मत करना. वहां हमारे पास के चौकी का दरोगा था. वो पैसे ठगने के लिए हमें रोक लिया. रीना और मां को थाने से अपनी मोटरसाइकिल से लेकर गया. वहां से लौटकर उसने हमसे 15 हज़ार से 20 हज़ार रुपए की मांग की. हमने मना किया तो फंसाने की धमकी देने लगा. उसने मेरे बेटे को दो डंडे भी मारे. थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर आए जिसके बाद हमारे लड़के को छोड़ा गया.’’

सफीका बताती हैं, ‘‘जब हम लेकर निकले तो दरोगा ने कहा कि आज लेकर जा रहे हो लेकिन आगे तो हम तुम्हें बताएंगे. उसके तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज हो गई. मेरा बेटा जिस दुकान पर बैठा था वहां सादी ड्रेस में पुलिस वाले पहुंचे और उसे लेकर चले गए. हम पास के थाने पहुंचे. थोड़ी देर बाद लड़के को लेकर नौबस्ता थाने लेकर चले गए. वहां बिना रीना की मौजूदगी में सबकुछ लिखा पढ़ी हो रही थी. फिर मेरी बेटी को भी वहीं से पकड़ लिया.’’

आरोपियों की बहन सना कहती हैं, “दो बातों में मेरी बहन को जेल में डाल दिया. पहला ये कि मेरा भाई रीना से उसके फोन से बात करता था. दूसरा कि वो मस्जिद लेकर गई थी. आपने ऑडियो सुना ही कि लड़की खुद ही मेरी बहन के फोन पर फोन करती थी. दूसरी बात अगर उसके फोन से भाई बात करता था तो इसमें उसकी क्या गलती है. वो लड़की भी तो दूसरों के ही फोन से कॉल करती थी. कभी ताऊ के फोन से तो कभी मामा के फोन से. वो लोग जेल क्यों नहीं गए? मेरे घर की लड़कियां मस्जिद जाती नहीं हैं. ऐसे में मेरी बहन को बंद करने का क्या मतलब है.’’

आपने ये ऑडियो पुलिस को सुनाया. उन्हें यह सब बताया. इस सवाल के जवाब में आरोपी की मां कहती हैं, ‘‘पुलिस तो हमें सुनी ही नहीं. वे हमें भगा दिए थे. मेरे बच्चे जिस रोज जमानत पर बाहर आ गए तो मैं सबकुछ साझा कर दूंगी. मेरे बच्चों को फंसाया गया है.’’

न्यूजलॉन्ड्री पीड़िता रीना के घर पहुंचा तो वहां हमारी मुलाकात उनके चाचा मनीष अवस्थी से हुई. उन्होंने कहा कि लड़की की मां आएंगी तभी बात हो सकती है. आप एक घंटे बाद आइये. एक घंटे के बाद हम फिर पहुंचे तो किसी ने इस मामले पर बात नहीं की.

हैरानी की बात है कि यह पूरा मामला राइट विंग विचारधारा द्वारा ईजाद लव जिहाद की परिभाषा में भी फिट नहीं बैठता. लड़की और लड़के का परिवार एक दूसरे को जानते थे. लड़की का धर्म परिवर्तन भी नहीं हुआ और ना ही शादी हुई है. हालांकि मीडिया के बड़े हिस्से द्वारा इस पूरे मामले को लव जिहाद बताया गया.

‘मामला लव जिहाद का था ही नहीं’

शालिनी यादव प्रकरण आने के बाद दक्षिणपंथी समूह द्वारा बनाए गए दबाव के बाद गठित एसआईटी ने कल्याणपुर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 862/20 की भी जांच की. यह एफआईआर दो जुलाई 2020 को जूही लाल कॉलोनी निवासी शाहरुख़ खान पिता खलील और दूसरे आरोपी शाहरुख़, पिता कमाल अहमद के खिलाफ देवी प्रसाद ने दर्ज कराई है.

देवी प्रसाद ने अपने एफआईआर में आरोप लगाया कि मेरी बेटी मोनिका (उम्र 19 वर्ष) और रैना (उम्र 14 वर्ष) को 9 जून को प्रतिवादियों द्वारा बहला फुसलाकर षड्यंत्र के तहत भगा ले गए. इस मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 363, 120बी, 376डी और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.

एसआईटी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि वादी की बेटियों को 2 जुलाई को बरामद कर लिया गया. और साथ ही 6 जुलाई को जूही लाल कॉलोनी के रहने वाले शाहरुख़ को गिरफ्तार किया गया और अगले दिन दूसरे शाहरुख़ को भी पुलिस हिरासत में लेकर जेल भेज दी.

पीड़िता मोनिका ने कोर्ट के सामने दिए अपने 164 के बयान में बताया कि मैं अपनी मर्जी से 9 जुलाई को शाहरुख़ के घर गई थी. शाहरुख़ और खलील ने किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की. किसी ने मेरा बलात्कार नहीं किया. वहीं पीड़िता रिचा ने अपने 161 के बयान में आरोपियों द्वारा उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी.

इस मामले की जांच आवास विकास-3 के चौकी इंचार्ज आनंद द्विवेदी ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री जब उनसे मिला और इस मामले में जानने की कोशिश की तो वह कहते हैं, ‘‘मामला लव जिहाद का नहीं था. लड़कियां भाग गई थीं. उसमें एक लड़की नाबालिक थी उसी आरोप में जेल हुई है. लव जिहाद जैसा इसमें कुछ था नहीं.’’

न्यूजलॉन्ड्री ने पीड़ित लड़कियों से मिलने की कोशिश की लेकिन जिन घरों पर लड़कियों की मां और पिताजी काम करते हैं उन्होंने बात कराने से साफ इंकार कर दिया.लड़कियों के परिजन आवास विकास में रहने वाले सुमित द्विवेदी के घर पर काम करते हैं.

सुमित न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए पूरे मामले को लव जिहाद बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘उन लड़कों ने दोस्ती से पहले अपना धर्म छुपाया था. जब दोस्ती हो गई तो बताया कि वे मुस्लिम हैं. उन्होंने लड़कियों को बहलाया-फुसलाया. इसे लव जिहाद नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे.’’

लड़कियों और उनके परिजनों से मुलाकात के सवाल पर सुमित साफ तौर पर मना कर देते हैं. वे कहते हैं, ‘‘वे किसी से बात नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें क्यों परेशान करना. उन्हें कुछ हो गया. मानसिक स्थिति खराब हुई तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे.’’

नाराजगी जाहिर करते हुए सुमित हमें पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत नहीं देते हैं और फोन रख देते हैं.

एक तरह जहां जांच अधिकारी इस मामले को लव जिहाद मानने से इंकार करते हैं वहीं मीडिया का एक बड़ा हिस्सा इसे लव जिहाद लिखता है. सुमित और कानपुर के कई दक्षिणपंथी समूह इसे लव जिहाद ही मानते हैं. वे जूही लाल कॉलोनी को लव जिहाद का अड्डा बताते हैं. शाहरुख़ जूही लाल कॉलोनी का ही रहने वाला है.

न्यूजलॉन्ड्री जूही लाल कॉलोनी स्थित शाहरुख के घर पहुंचा. यहां जाने से पहले एक खंडहरनुमा बिल्डिंग में बनी पुलिस चौकी में बैठे अधिकारी से हमारी मुलाकात हुई. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए यहां के एक अधिकारी बताते हैं, ‘‘यह इलाका मिक्स आबादी वाला है. मामला भले ही मुसलमान लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों से शादी का उछला हो लेकिन यहां कई हिन्दू लड़कों ने भी मुस्लिम लड़कियों से शादी की है. यहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है. हालांकि अब बवाल तो ज़्यादा ही हो गया.’’

यहीं पुलिस अधिकारी अपने एक दुबले पतले अर्दली को लेकर हमें शाहरुख़ के घर भेजते हैं. सड़क किनारे बने छोटे से घर में बैठने की भी जगह है. हमें खड़े होकर बात करना पड़ता है. घर पर शाहरुख़ की मां और छोटे भाई से हमारी मुलाकात हुई.

शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘उसकी दोस्ती यारी थी. फोन पर बात करते थे. जब हमें इसकी जानकारी मिली तो हमने अपने लड़के को इलाहाबाद भेज दिया. वो वहीं पर गैराज में काम करता था. जिस लड़के के साथ वो काम करता था उसका नाम भी शाहरुख़ ही है. वो लोग पहले यहीं रहते थे. दूसरे शाहरुख़ की बड़ी बहन की शादी थी उससे इन लड़कियों की दोस्ती थी. शादी के बहाने ये लड़कियां वहां पहुंच गईं. मोनिका और रैना वहां 20 दिन रहीं. मेरे लड़के को शादी वादी करनी होनी तो उस वक़्त तो कोर्ट भी खुला था. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. जिसके घर ये सब गए थे उन्होंने इनकी मां को फोन करके बताया भी तो उनकी मां ने बोला कि गई है तो आ जाएगी. इस दौरान इनके मां बाप ने केस दर्ज करा दिया. लड़कियां तो मेरे घर आई ही नहीं थीं. एक रोज पुलिस आई मेरे बड़े लड़के और मुझे लेकर गई. मेरा बड़ा बेटा डिप्रेशन का मरीज है.’’

शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘हमें थाने में चार दिनों तक बैठाकर रखा गया. जब मेरे भाई को पता चला कि अम्मी और हम चार दिन से थाने में हैं तो मोनिका और मेरा भाई सीधे थाने पहुंच गए. वहां मोनिका ने बोला कि इसकी कोई गलती नहीं है. फिर भी मेरे भाई को जेल भेज दिया गया.’’

शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘मोनिका मेरे लड़के से शादी के लिए कहती थी. उसने हमसे कहा तो हमने लॉकडाउन के कारण रुकने के लिए कहा. मोनिका की मां बराबर मेरे लड़के से मिलती थी. किसी भी काम के लिए बुलाती थी. अपने लड़कों को समझाते हुए मैं बोली थी कि अगर ऐसा है तो मैं उनकी मां से एक बार बात करूंगी. अपनी लड़की को समझाइये और हम अपने बेटे को समझाते हैं. नहीं तो अगर शादी करना चाहते हैं तो बताइये. अभी यह सब बातें होती तो उससे पहले ही यह सब हो गया.’’

शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘मेरा भाई बीते सात महीने से जेल में बंद है. पनकी थाने में हुए एक मामले में भी मेरे भाई का नाम जोड़ दिया गया है. वे जेल में थे तब उसका नाम पनकी में हुए मामले में जोड़ा गया है. जबकि लड़की ने साफ कहा कि मेरे भाई ने उनके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है. वो अपने मन से गई थी. हमारे वकील अभी कह रहे हैं कि मामला बड़ा हो गया है. थोड़ा महौल शांत होगा तभी कुछ कर सकते हैं.’’

लव जिहाद क्या होता है?

कानपुर में एसआईटी ने 14 मामलों की जांच की थी जिसमें पांच मामले नौबस्ता थाने के ही हैं. इसमें से एक मामला 13 सितंबर 2020 को सीमा रैदास द्वारा दर्ज कराया गया. आईपीसी के धारा 363, 366 और एसी- एसटी एक्ट के तहत दर्ज इस मामले में आरोपी मोहम्म्द आरिफ है. जिसे पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.

एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता नाबालिक रेखा (बदला नाम) ने कोर्ट में दिए अपने 164 के बयान में बताया, ''13 सितंबर को आरोपी उसे बॉम्बे गोहाटी पर मिला और अपने लोडर पर बैठा लिया. मैं उसे पहले से जानती थी. उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा. वो मुझे आजमगढ़ ले गया. उसने मुझे धमकया कि अगर तुम कुछ बोलीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा. आजमगढ़ में कुर्सी उतरने के बाद बस अड्डे ले गया. जहां उसका एक दोस्त मिला. मैं और आरिफ वहां से दिल्ली चले गए. वहां उसके एक दोस्त के घर में रुके. जब उसका दोस्त और उसकी पत्नी कहीं चले गए तो आरिफ ने मेरे साथ गलत काम किया. फिर किसी का फोन आया तो हम लोग दिल्ली से बस से झकरकटी बस अड्डे आए और वहां बस अड्डे पर मुझे छोड़कर चला गया.''

इस मामले की जांच नौबस्ता थाने के अधिकारी बृजेश कटारिया ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कटारिया इसे लव जिहाद की बजाय अपराध का मामला बताते हैं. वे हमें लड़की के घर तक ले गए, लेकिन लड़की के परिजनों से लड़की से बात कराने से इंकार कर दिया. लड़की की मां और सौतेले पिता से हमारी मुलाकात उनके काम करने वाली जगह पर हुई. जहां वे झुग्गी डालकर रहते हैं. लड़की के पिता का निधन हो चुका है.

जिस जगह पर पीड़िता की मां और पिता काम करते हैं वहीं आरोपी आरिफ भी काम करता था. वो लड़की और उसके परिजनों को लम्बे समय से जनता था. वहीं लड़की के परिजन भी उसे जानते थे. वहां काम करने वाले कई मज़दूरों ने हमें बताया कि आरिफ इस तरह के अपराध पहले भी कर चुका है. वो आपराधिक मानसिकता का लड़का है.

लड़की की मां सीमा न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, “हम लोग आरिफ को जानते थे. पता नहीं क्या ऐसा हुआ. लड़की चली गई. इधर-उधर हमने पूछा तो हमें शक हुआ तो हमने शिकायत दर्ज कराई. पुलिस उसके पिता और भाई को पकड़कर थाने में लाई फिर वो मेरी बेटी को बस स्टैंड छोड़कर भाग गया. वो पूर्व में लड़कियों को फंसाकर बेंच चुका है.”

आपको कैसे पता चला कि आरोपी आरिफ ही है. लड़की की मां कहती है, ‘‘हम शक के दायरे में मामला दर्ज कराने गए. फिर हमने उस लड़के को फोन किया. वो उल्टा सीधा बोलने लगा. हम क्या जाने. हमको क्या पता. फिर मेरे मन को लगा कि इसी ने ऐसा किया है. फिर उसी लड़के का फोन आया और बोला कि तुम्हारी लड़की के पास फोन है. हमने मना किया तो बोला कि लड़की को फोन नहीं दोगे तो वो भाग जाएगी. फिर हमें लगा कि इसे कैसे पता कि हमने लड़की को फोन नहीं दिया. फिर हमने उसपर मामला दर्ज कराया.’’

लड़की की मां सीमा बताती हैं कि हम जैसे-तैसे आरिफ के घर पहुंचे. हमारे साथ पुलिसकर्मी भी गए थे. वहां से उसके पिता और भाई को पकड़कर लाए तब वो दबाव में आया और फिर वापस लौटा. पुलिस उसको हिरासत में ली. वो शादीशुदा था. उसकी पत्नी थाने में आकर लड़ने लगी.

आपको लगता है कि यह लव जिहाद का मामला है. लड़की के परिजन कहते हैं, ‘‘लव जिहाद क्या होता है. हमें नहीं मालूम. हमारी लड़की वापस आ गई हमें ख़ुशी है. हम लोग तो मज़दूर हैं. हमें काम से समय ही नहीं मिलता है कि हम लड़ाई लड़ें. सरकारी वकील हमारे मामले को देख रहे हैं.’’

न्यूजलॉन्ड्री ने लड़के के परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी बात नहीं हो पाई.

कानपुर जिले के किदवई नगर इलाके में एक पतली गली से होते हुए हम सफीका बेगम के घर पहुंचे. बारबंकी की रहने वाली 45 वर्षीय सफीका बेगम अपने परिवार के साथ किराए के एक कमरे में रहती हैं. उनका कमरा चौथे माले पर है. घर के सामने कुछ महिलाएं आग तापते नज़र आती हैं. वहां हम, सफीका यहीं रहती हैं, पूछते हैं तो वो वहां मौजूद एक किन्नर मंदाकनी सीढ़ियों की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘हां, सबसे ऊपर चले जाओ. वहीं रहती हैं.’’

हम सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हैं तभी मंदाकिनी अपने पास आने का इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘इनके बच्चों को गलत फंसाया है. जिस लड़की ने आरोप लगाया वो बच्ची इधर आती रहती थी. मैंने खुद उसे कितनी बार समझाया कि दोनों अलग-अलग मजहब के हो. लफड़ा हो सकता है. मत आया करो. लड़की तब हां-हां मिलाती थी, लेकिन बाद में पुलिस में शिकायत दे दी. बताओ इनके दो-दो बच्चे जेल में हैं.’’

चौथे माले पर पहुंचने पर हमारी मुलाकात सना परवीन से होती है. सना आरोपी मोहम्मद ओवैस और माही हयात खान की बड़ी बहन हैं. ये दोनों कानपुर एसआईटी द्वारा जांच किए एक मामले में जेल में बंद हैं.

एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक 15 सितंबर 2020 को पीड़िता नाबालिग रीना अवस्थी (बदला हुआ नाम) की मां रेनू अवस्थी ने ओवैस और माही हयात खान पर भगाकर शादी करने के संबंध में मामला नौबस्ता थाने में दर्ज कराया था. एफआईआर के अगले दिन दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. यह एफआईआर आईपीसी की धारा 363, 366, 368 और पास्को एक्ट में दर्ज की गई है. पुलिस ने इसे लव जिहाद के लिए बने एसआईटी में शामिल किया और जांच की.

साल 2020 में कानपुर में कथित तौर पर लव जिहाद के कई मामले सामने आए. जिसको लेकर यूपी पुलिस ने एसआईटी का गठन किया और 14 मामलों की जांच की. तीन मामलों को छोड़ बाकी में आरोपियों को पुलिस ने जेल भेज दिया. कुल 11 लोग जेल गए.

कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल इन मामलों में लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं. एसआईटी की रिपोर्ट में भी लव जिहाद का जिक्र नहीं है. वहीं बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद जैसे दक्षिणपंथी ग्रुपों द्वारा इसे लव जिहाद का नाम दिया जाता रहा है. मीडिया का एक बड़ा तबका भी, खासकर दैनिक जागरण हर मामले को लव जिहाद बताते हुए नजर आता है.

एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि कुछ आरोपियों ने अपना धर्म छुपाकर धर्म परिवर्तन कराया, लेकिन न्यूजलॉन्ड्री ने सेना प्रोजेक्ट के तहत इन मामलों पर रिपोर्ट की और पाया कि आरोपियों का मजहब पीड़िता और उनके परिजनों को पता था. वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे मामले थे जिन्हें एसआईटी ने जांच में शामिल किया हालांकि जांच अधिकारी खुद ही उसे लव जिहाद मानने से इंकार करते नजर आते हैं.

वहीं ज़्यादातर मामलों में दक्षिणपंथी समूह जैसे बजरंग दल, राष्ट्रीय बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद की भूमिका साफ नजर आती है.

'पुलिस हमारी एक बात नहीं सुनी'

पीड़िता रीना अवस्थी ने न्यायालय के सामने दिए बयान में बताया, ''उसके घर के सामने एक फ़्लैट बन रहा था जहां ओवैस काम करता था. उसने उसका मोबाइल नंबर लिया और आपस में दोनों बात करने लगे. ओवैस अपनी बहन माही से भी बात कराता था. उसकी बहन ने मुझे मेरे घर के बाहर बुलाया और मस्जिद ले गई. माही और ओवैस ने कहा कि तीन शब्द बोलो जिससे तुम हिन्दू से मुस्लिम बन जाओगी. मैंने मना कर दिया तो उन्होंने मुझसे कहा कि इससे काम नहीं चलेगा और मुझे किदवई नगर तक ले जा रहे थे. तभी मेरी मम्मी आ गईं. मेरी मम्मी ने मुझे फोन पर बात करते हुए सुन लिया था. उन्होंने बात करने के लिए मना किया था. मैं अपनी मम्मी को बिना बताये घर से गई थी.''

इस मामले की जांच नौबस्ता थाने के राजेश कुमार यादव द्वारा की गई. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए यादव एसआईटी रिपोर्ट में दी गई जानकारी को ही दोहराते हैं. वह कहते हैं. ''दोनों ने लड़की को तीन शब्द बोलकर मुसलमान बनाने की कोशिश की थी. जिसके बाद शिकायत दर्ज हुई.'' वो तीन शब्द क्या थे. ये जानकारी यादव हमें नहीं देते हैं. हालांकि जानकारों के मुताबिक किसी भी गैरइस्लामिक शख्स को इस्लाम में कन्वर्ट होने के लिए कलमा पढ़ना पढ़ता है. जो की पूरा वाक्य है. जिसमें तकरीबन 12 सौ शब्द हैं.

आरोपियों की बड़ी बहन सना बातचीत के दौरान बार-बार कहती हैं, ‘‘मेरे भाई और बहन को तो उन्होंने फंसा दिया. मेरा भाई भी बहुत छोटा है. बहन भी 16-17 साल की है. वो किसी का धर्म परिवर्तन कराएंगे? उनकी इतनी समझ तो नहीं ही है. जहां तक रीना की बात है रीना कई बार अपने घर से हमारे यहां भागकर आती थी. वो कहती थी कि उसकी मां उसे मारती है. हमने उसे समझाकर वापस पहुंचाया.''

बातचीत के दौरान सफीका बेगम काम से लौटकर घर आ गई थीं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए वह गुस्से में पीड़िता की मां पर कई तरह के आरोप लगाती हैं. एक तरफ जहां रीना ने कोर्ट के सामने दिए अपने बयान में कहा है कि लड़के ने उसका नंबर लिया और बात करता था. वहीं दूसरी तरफ सफीका पूरी घटना का जिक्र करते हुए कहती हैं, ‘‘मेरा लड़का रीना के घर के बगल में साइट पर काम करता था. वहां एक दो दिन काम किया. वहां रीना ने पर्चे पर अपना नंबर लिखकर दिया. उसने कई दिनों तक फोन नहीं किया. जब वो दोबारा काम करने गया तो उसने कहा कि तुमने फोन नहीं किया. मेरे लड़के ने कहा कि मेरे पास फोन नहीं है. फिर उस लड़की ने कहा- तुम्हारे पास नहीं है. तुम्हारे घरवालों के पास तो होगा. लड़के के दिमाग में ये यह बात बैठ गई. वह घर आया और बहन के फोन से फोन लगा दिया. फिर हमने उसे देख लिया तो डांटा और बात नहीं करने के लिए कहा. फिर रीना हमें फोन करती थी. जिसकी रिकॉर्डिंग हमारे पास है.’’

सफीका आगे कहती हैं, ‘‘पुलिस ने हमारी एक बात भी नहीं सुनी. ये ऑडियो सुनिए. (ऑडियो में एक लड़की एक बार ओवैस से बात कराने की गुजारिश करती है. दूसरी लड़की उसे बात नहीं करने और वापस फोन नहीं करने के लिए कहती है. पहली लड़की सिर्फ एक बार बात कराने की गुजारिश दोहराती है. दूसरी लड़की ठीक है, कहकर फोन रख देती है). ऑडियो सुनाने के बाद सफीका दावा करती हैं कि यह रीना का फोन था. वो मेरे बेटे से बात करने के लिए बार-बार कोशिश करती थी. हम जानते थे कि दोनों अलग-अलग मजहब के हैं तो शादी हो ही नहीं सकती है. वैसे भी मेरा बेटा बच्चा है. उसकी शादी कैसे हम कर देंगे.’’

सफीका आगे बताती हैं, ‘‘जब पहली बार रीना मेरे घर आई. हम उसे जानते नहीं थे. फिर हमने उससे पूछा. जब सबकुछ जान गए तो उसे समझाया कि तुम्हारा हमारा कोई मेल जोल नहीं है. तुम हिन्दू धर्म की हो और हम मुस्लिम धर्म के हैं. उसे लेकर हम उसके घर गए और उसकी मां के पास सौंपकर आए. इनके ताऊ लोग और मां हमें कई बार शुक्रिया बोलीं कि आपने मेरी बेटी को सही सलामत छोड़ दिया. तीन-चार दिन बाद वो फिर आ गई. हम इसे देखकर हैरान रह गए. उससे हमने पूछा कि अब क्यों आई हो. उसने कहा कि मेरी मम्मी ने मुझे घर से भगा दिया है. वो कह रही हैं कि तुम मेरे घर पर ना रहो. हमने पूछा कि फिर तुम कहां रहोगी अगर तुम्हारी मम्मी तुम्हें नहीं रख रही है तो.’’

सफीका बताती हैं, ‘‘हम उस रोज सीधे लड़की को उसके घर लेकर नहीं गए. मेरे दामाद ने कहा कि हम इन्हें पुलिस के पास लेकर चलते हैं. वहां मां को बुलाकर लड़की को सौंपा जाएगा. आगे चलकर यहीं स्थिति रही तो कुछ गड़बड़ हो सकता है. हम थाने लेकर पहुंच गए. वहां मेरे बेटे को भी बुलाया. इंस्पेक्टर ने दोनों को डांटा और बोला कि आगे से यह गलती मत करना. वहां हमारे पास के चौकी का दरोगा था. वो पैसे ठगने के लिए हमें रोक लिया. रीना और मां को थाने से अपनी मोटरसाइकिल से लेकर गया. वहां से लौटकर उसने हमसे 15 हज़ार से 20 हज़ार रुपए की मांग की. हमने मना किया तो फंसाने की धमकी देने लगा. उसने मेरे बेटे को दो डंडे भी मारे. थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर आए जिसके बाद हमारे लड़के को छोड़ा गया.’’

सफीका बताती हैं, ‘‘जब हम लेकर निकले तो दरोगा ने कहा कि आज लेकर जा रहे हो लेकिन आगे तो हम तुम्हें बताएंगे. उसके तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज हो गई. मेरा बेटा जिस दुकान पर बैठा था वहां सादी ड्रेस में पुलिस वाले पहुंचे और उसे लेकर चले गए. हम पास के थाने पहुंचे. थोड़ी देर बाद लड़के को लेकर नौबस्ता थाने लेकर चले गए. वहां बिना रीना की मौजूदगी में सबकुछ लिखा पढ़ी हो रही थी. फिर मेरी बेटी को भी वहीं से पकड़ लिया.’’

आरोपियों की बहन सना कहती हैं, “दो बातों में मेरी बहन को जेल में डाल दिया. पहला ये कि मेरा भाई रीना से उसके फोन से बात करता था. दूसरा कि वो मस्जिद लेकर गई थी. आपने ऑडियो सुना ही कि लड़की खुद ही मेरी बहन के फोन पर फोन करती थी. दूसरी बात अगर उसके फोन से भाई बात करता था तो इसमें उसकी क्या गलती है. वो लड़की भी तो दूसरों के ही फोन से कॉल करती थी. कभी ताऊ के फोन से तो कभी मामा के फोन से. वो लोग जेल क्यों नहीं गए? मेरे घर की लड़कियां मस्जिद जाती नहीं हैं. ऐसे में मेरी बहन को बंद करने का क्या मतलब है.’’

आपने ये ऑडियो पुलिस को सुनाया. उन्हें यह सब बताया. इस सवाल के जवाब में आरोपी की मां कहती हैं, ‘‘पुलिस तो हमें सुनी ही नहीं. वे हमें भगा दिए थे. मेरे बच्चे जिस रोज जमानत पर बाहर आ गए तो मैं सबकुछ साझा कर दूंगी. मेरे बच्चों को फंसाया गया है.’’

न्यूजलॉन्ड्री पीड़िता रीना के घर पहुंचा तो वहां हमारी मुलाकात उनके चाचा मनीष अवस्थी से हुई. उन्होंने कहा कि लड़की की मां आएंगी तभी बात हो सकती है. आप एक घंटे बाद आइये. एक घंटे के बाद हम फिर पहुंचे तो किसी ने इस मामले पर बात नहीं की.

हैरानी की बात है कि यह पूरा मामला राइट विंग विचारधारा द्वारा ईजाद लव जिहाद की परिभाषा में भी फिट नहीं बैठता. लड़की और लड़के का परिवार एक दूसरे को जानते थे. लड़की का धर्म परिवर्तन भी नहीं हुआ और ना ही शादी हुई है. हालांकि मीडिया के बड़े हिस्से द्वारा इस पूरे मामले को लव जिहाद बताया गया.

‘मामला लव जिहाद का था ही नहीं’

शालिनी यादव प्रकरण आने के बाद दक्षिणपंथी समूह द्वारा बनाए गए दबाव के बाद गठित एसआईटी ने कल्याणपुर थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 862/20 की भी जांच की. यह एफआईआर दो जुलाई 2020 को जूही लाल कॉलोनी निवासी शाहरुख़ खान पिता खलील और दूसरे आरोपी शाहरुख़, पिता कमाल अहमद के खिलाफ देवी प्रसाद ने दर्ज कराई है.

देवी प्रसाद ने अपने एफआईआर में आरोप लगाया कि मेरी बेटी मोनिका (उम्र 19 वर्ष) और रैना (उम्र 14 वर्ष) को 9 जून को प्रतिवादियों द्वारा बहला फुसलाकर षड्यंत्र के तहत भगा ले गए. इस मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 363, 120बी, 376डी और पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.

एसआईटी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि वादी की बेटियों को 2 जुलाई को बरामद कर लिया गया. और साथ ही 6 जुलाई को जूही लाल कॉलोनी के रहने वाले शाहरुख़ को गिरफ्तार किया गया और अगले दिन दूसरे शाहरुख़ को भी पुलिस हिरासत में लेकर जेल भेज दी.

पीड़िता मोनिका ने कोर्ट के सामने दिए अपने 164 के बयान में बताया कि मैं अपनी मर्जी से 9 जुलाई को शाहरुख़ के घर गई थी. शाहरुख़ और खलील ने किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की. किसी ने मेरा बलात्कार नहीं किया. वहीं पीड़िता रिचा ने अपने 161 के बयान में आरोपियों द्वारा उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी.

इस मामले की जांच आवास विकास-3 के चौकी इंचार्ज आनंद द्विवेदी ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री जब उनसे मिला और इस मामले में जानने की कोशिश की तो वह कहते हैं, ‘‘मामला लव जिहाद का नहीं था. लड़कियां भाग गई थीं. उसमें एक लड़की नाबालिक थी उसी आरोप में जेल हुई है. लव जिहाद जैसा इसमें कुछ था नहीं.’’

न्यूजलॉन्ड्री ने पीड़ित लड़कियों से मिलने की कोशिश की लेकिन जिन घरों पर लड़कियों की मां और पिताजी काम करते हैं उन्होंने बात कराने से साफ इंकार कर दिया.लड़कियों के परिजन आवास विकास में रहने वाले सुमित द्विवेदी के घर पर काम करते हैं.

सुमित न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए पूरे मामले को लव जिहाद बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘उन लड़कों ने दोस्ती से पहले अपना धर्म छुपाया था. जब दोस्ती हो गई तो बताया कि वे मुस्लिम हैं. उन्होंने लड़कियों को बहलाया-फुसलाया. इसे लव जिहाद नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे.’’

लड़कियों और उनके परिजनों से मुलाकात के सवाल पर सुमित साफ तौर पर मना कर देते हैं. वे कहते हैं, ‘‘वे किसी से बात नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें क्यों परेशान करना. उन्हें कुछ हो गया. मानसिक स्थिति खराब हुई तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे.’’

नाराजगी जाहिर करते हुए सुमित हमें पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत नहीं देते हैं और फोन रख देते हैं.

एक तरह जहां जांच अधिकारी इस मामले को लव जिहाद मानने से इंकार करते हैं वहीं मीडिया का एक बड़ा हिस्सा इसे लव जिहाद लिखता है. सुमित और कानपुर के कई दक्षिणपंथी समूह इसे लव जिहाद ही मानते हैं. वे जूही लाल कॉलोनी को लव जिहाद का अड्डा बताते हैं. शाहरुख़ जूही लाल कॉलोनी का ही रहने वाला है.

न्यूजलॉन्ड्री जूही लाल कॉलोनी स्थित शाहरुख के घर पहुंचा. यहां जाने से पहले एक खंडहरनुमा बिल्डिंग में बनी पुलिस चौकी में बैठे अधिकारी से हमारी मुलाकात हुई. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए यहां के एक अधिकारी बताते हैं, ‘‘यह इलाका मिक्स आबादी वाला है. मामला भले ही मुसलमान लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों से शादी का उछला हो लेकिन यहां कई हिन्दू लड़कों ने भी मुस्लिम लड़कियों से शादी की है. यहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है. हालांकि अब बवाल तो ज़्यादा ही हो गया.’’

यहीं पुलिस अधिकारी अपने एक दुबले पतले अर्दली को लेकर हमें शाहरुख़ के घर भेजते हैं. सड़क किनारे बने छोटे से घर में बैठने की भी जगह है. हमें खड़े होकर बात करना पड़ता है. घर पर शाहरुख़ की मां और छोटे भाई से हमारी मुलाकात हुई.

शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘उसकी दोस्ती यारी थी. फोन पर बात करते थे. जब हमें इसकी जानकारी मिली तो हमने अपने लड़के को इलाहाबाद भेज दिया. वो वहीं पर गैराज में काम करता था. जिस लड़के के साथ वो काम करता था उसका नाम भी शाहरुख़ ही है. वो लोग पहले यहीं रहते थे. दूसरे शाहरुख़ की बड़ी बहन की शादी थी उससे इन लड़कियों की दोस्ती थी. शादी के बहाने ये लड़कियां वहां पहुंच गईं. मोनिका और रैना वहां 20 दिन रहीं. मेरे लड़के को शादी वादी करनी होनी तो उस वक़्त तो कोर्ट भी खुला था. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. जिसके घर ये सब गए थे उन्होंने इनकी मां को फोन करके बताया भी तो उनकी मां ने बोला कि गई है तो आ जाएगी. इस दौरान इनके मां बाप ने केस दर्ज करा दिया. लड़कियां तो मेरे घर आई ही नहीं थीं. एक रोज पुलिस आई मेरे बड़े लड़के और मुझे लेकर गई. मेरा बड़ा बेटा डिप्रेशन का मरीज है.’’

शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘हमें थाने में चार दिनों तक बैठाकर रखा गया. जब मेरे भाई को पता चला कि अम्मी और हम चार दिन से थाने में हैं तो मोनिका और मेरा भाई सीधे थाने पहुंच गए. वहां मोनिका ने बोला कि इसकी कोई गलती नहीं है. फिर भी मेरे भाई को जेल भेज दिया गया.’’

शाहरुख़ की मां कहती हैं, ‘‘मोनिका मेरे लड़के से शादी के लिए कहती थी. उसने हमसे कहा तो हमने लॉकडाउन के कारण रुकने के लिए कहा. मोनिका की मां बराबर मेरे लड़के से मिलती थी. किसी भी काम के लिए बुलाती थी. अपने लड़कों को समझाते हुए मैं बोली थी कि अगर ऐसा है तो मैं उनकी मां से एक बार बात करूंगी. अपनी लड़की को समझाइये और हम अपने बेटे को समझाते हैं. नहीं तो अगर शादी करना चाहते हैं तो बताइये. अभी यह सब बातें होती तो उससे पहले ही यह सब हो गया.’’

शाहरुख़ के भाई जीशान बताते हैं, ‘‘मेरा भाई बीते सात महीने से जेल में बंद है. पनकी थाने में हुए एक मामले में भी मेरे भाई का नाम जोड़ दिया गया है. वे जेल में थे तब उसका नाम पनकी में हुए मामले में जोड़ा गया है. जबकि लड़की ने साफ कहा कि मेरे भाई ने उनके साथ कुछ भी गलत नहीं किया है. वो अपने मन से गई थी. हमारे वकील अभी कह रहे हैं कि मामला बड़ा हो गया है. थोड़ा महौल शांत होगा तभी कुछ कर सकते हैं.’’

लव जिहाद क्या होता है?

कानपुर में एसआईटी ने 14 मामलों की जांच की थी जिसमें पांच मामले नौबस्ता थाने के ही हैं. इसमें से एक मामला 13 सितंबर 2020 को सीमा रैदास द्वारा दर्ज कराया गया. आईपीसी के धारा 363, 366 और एसी- एसटी एक्ट के तहत दर्ज इस मामले में आरोपी मोहम्म्द आरिफ है. जिसे पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.

एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता नाबालिक रेखा (बदला नाम) ने कोर्ट में दिए अपने 164 के बयान में बताया, ''13 सितंबर को आरोपी उसे बॉम्बे गोहाटी पर मिला और अपने लोडर पर बैठा लिया. मैं उसे पहले से जानती थी. उसने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा. वो मुझे आजमगढ़ ले गया. उसने मुझे धमकया कि अगर तुम कुछ बोलीं तो मैं तुम्हें मार दूंगा. आजमगढ़ में कुर्सी उतरने के बाद बस अड्डे ले गया. जहां उसका एक दोस्त मिला. मैं और आरिफ वहां से दिल्ली चले गए. वहां उसके एक दोस्त के घर में रुके. जब उसका दोस्त और उसकी पत्नी कहीं चले गए तो आरिफ ने मेरे साथ गलत काम किया. फिर किसी का फोन आया तो हम लोग दिल्ली से बस से झकरकटी बस अड्डे आए और वहां बस अड्डे पर मुझे छोड़कर चला गया.''

इस मामले की जांच नौबस्ता थाने के अधिकारी बृजेश कटारिया ने की थी. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कटारिया इसे लव जिहाद की बजाय अपराध का मामला बताते हैं. वे हमें लड़की के घर तक ले गए, लेकिन लड़की के परिजनों से लड़की से बात कराने से इंकार कर दिया. लड़की की मां और सौतेले पिता से हमारी मुलाकात उनके काम करने वाली जगह पर हुई. जहां वे झुग्गी डालकर रहते हैं. लड़की के पिता का निधन हो चुका है.

जिस जगह पर पीड़िता की मां और पिता काम करते हैं वहीं आरोपी आरिफ भी काम करता था. वो लड़की और उसके परिजनों को लम्बे समय से जनता था. वहीं लड़की के परिजन भी उसे जानते थे. वहां काम करने वाले कई मज़दूरों ने हमें बताया कि आरिफ इस तरह के अपराध पहले भी कर चुका है. वो आपराधिक मानसिकता का लड़का है.

लड़की की मां सीमा न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, “हम लोग आरिफ को जानते थे. पता नहीं क्या ऐसा हुआ. लड़की चली गई. इधर-उधर हमने पूछा तो हमें शक हुआ तो हमने शिकायत दर्ज कराई. पुलिस उसके पिता और भाई को पकड़कर थाने में लाई फिर वो मेरी बेटी को बस स्टैंड छोड़कर भाग गया. वो पूर्व में लड़कियों को फंसाकर बेंच चुका है.”

आपको कैसे पता चला कि आरोपी आरिफ ही है. लड़की की मां कहती है, ‘‘हम शक के दायरे में मामला दर्ज कराने गए. फिर हमने उस लड़के को फोन किया. वो उल्टा सीधा बोलने लगा. हम क्या जाने. हमको क्या पता. फिर मेरे मन को लगा कि इसी ने ऐसा किया है. फिर उसी लड़के का फोन आया और बोला कि तुम्हारी लड़की के पास फोन है. हमने मना किया तो बोला कि लड़की को फोन नहीं दोगे तो वो भाग जाएगी. फिर हमें लगा कि इसे कैसे पता कि हमने लड़की को फोन नहीं दिया. फिर हमने उसपर मामला दर्ज कराया.’’

लड़की की मां सीमा बताती हैं कि हम जैसे-तैसे आरिफ के घर पहुंचे. हमारे साथ पुलिसकर्मी भी गए थे. वहां से उसके पिता और भाई को पकड़कर लाए तब वो दबाव में आया और फिर वापस लौटा. पुलिस उसको हिरासत में ली. वो शादीशुदा था. उसकी पत्नी थाने में आकर लड़ने लगी.

आपको लगता है कि यह लव जिहाद का मामला है. लड़की के परिजन कहते हैं, ‘‘लव जिहाद क्या होता है. हमें नहीं मालूम. हमारी लड़की वापस आ गई हमें ख़ुशी है. हम लोग तो मज़दूर हैं. हमें काम से समय ही नहीं मिलता है कि हम लड़ाई लड़ें. सरकारी वकील हमारे मामले को देख रहे हैं.’’

न्यूजलॉन्ड्री ने लड़के के परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन हमारी बात नहीं हो पाई.