Newslaundry Hindi

निरपराध अपराधी मुनव्वर फारूकी और चार अन्य

“एक धर्म के प्रति दूसरे धर्म का आदमी असहिष्णु है” साल 2015 में लिखे एक लेख में तस्लीमा नसरीन ने यह लाइन लिखी थी. उस समय सहिष्णुता और असहिष्णुता पर घमासान मचा हुआ था. लेकिन एक जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में गिरफ्तार कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के मामले में इस बात का कोई जिक्र नहीं हुआ जबकि गिरफ्तारी इस गुनाह को लेकर की गई थी कि इस व्यक्ति ने कथित तौर पर दूसरे धर्म के देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया था.

पिछले एक महीने से ज्यादा समय से एक ऐसे आरोप में मुनव्वर फारूकी जेल में रहे हैं जिसका न तो कोई सबूत सामने आया है न ही कोई चश्मदीद. पुलिस के पास उनके अपराध का कोई सबूत नहीं है. तो क्या यह कहना सही होगा कि शिकायतकर्ता दूसरे धर्म के व्यक्ति द्वारा उसके धर्म पर कुछ भी कहने से असहिष्णु हो गया?

एक जनवरी की घटना

यह घटना एक जनवरी की हैं, जब नए साल के मौके पर इंदौर में मुनव्वर फारूकी का शो आयोजित हुआ था. इस शो का आयोजन प्रखर व्यास और नलिन यादव ने किया था. 4 बजे से शुरू होने वाले इस शो के लिए ऑनलाइन वेबसाइट बुक मॉय शो से टिकट खरीद कर दर्शक वहां पहुंचे थे. मुनव्वर के दोस्त और स्टैंड अप कॉमेडियन साद शेख ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बताया कि, “हर शो में एक प्रोड्यूसर, होस्ट और स्टैंडअप कॉमेडियन होता है. इंदौर के शो में भी यहीं था. शो का प्रोड्यूसर एडविन एंथनी, होस्ट नलिन यादव और शुरूआती कॉमेडियन प्रखर व्यास था.”

बता दें कि पुलिस ने मुनव्वर के साथ जिन 5 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है उसमें यही तीनों लोग थे और साथ में प्रखर का छोटा भाई है जो नाबालिग है और सदाकत अली शामिल है.

इंदौर के जिस मुनरो कैफे में यह शो हुआ था उसके मैनेजर रजत सोलंकी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “इस शो का आयोजन प्रखर और नलिन यादव ने किया था. क्योंकि प्रखर और नलिन पहले भी हमारे कैफे में पारिवारिक कार्यक्रम का आयोजन कर चुके हैं इसलिए हमें लगा कि वह एक बार फिर से वही कार्यक्रम कर रहे होंगे, इसलिए हमने उनसे बिना ज्यादा कुछ पूछताछ किए कैफे में शो करने की इजाजत दे दी.”

घटना के बारे में पूछने पर रजत कहते हैं, “शो से कुछ दिनों पहले मेरा एक्सीटेंड हो गया था जिसके कारण मैं कैफे नहीं जा रहा था. इसलिए उस दिन वहां क्या हुआ यह तो नहीं पता लेकिन हमने शो के लिए कैफे को 4 बजे से 7 बजे तक उन्हें दिया था.”

यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि शो कैफे में 4 बजे शुरू हुआ, जैसे की ऊपर बताया कि शो की शुरुआत होस्ट करता है फिर शुरुआती कॉमेडियन और सबसे आखिर में नंबर आता हैं आयोजन के मुख्य कॉमेडियन का, जो मुनव्वर फारूकी थे. अगर मान लेते हैं कि शो अपने तय समय 4 बजे शुरू हुआ तो कैसे यह मुमकिन है कि आधे घंटे में ही मुनव्वर स्टेज पर आकर अपना परफॉर्मेंस दे दें, जबकि उससे पहले शुरुआती कॉमेडियन भी आने थे. वहीं पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में अपराध का समय 16:30 (4:30) लिखा गया है यानी शो के आधे घंटे बाद. वहीं इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शो में नलिन, प्रखर के अलावा कुछ और छोटे कॉमेडियन थे जिनको मुनव्वर से पहले परफॉर्म करना था.

शो में मौजूद एक चश्मदीद जीनोशा एग्नीस ने घटना की जानकारी इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए लिखा, “जैसे ही मुनव्वर को स्पॉटलाइट मिली, ‘पॉलिटिकल कनेक्शन वाला एक शख्स’ अपने कुछ ‘दोस्तों’, जो कि ‘ऑडियंस’ में बैठे थे, स्टेज की तरफ बढ़ने लगे. मैंने आयोजकों को ‘चुपचाप वहां बैठ जा’ बोलते हुए सुना, और ‘पॉलिटिकल कनेक्शन वाले शख्स’ ने माइक ले लिया और अपनी धार्मिक भावनाएं आहत होने के बारे में बोलने लगा.”

पॉलिटिकल कनेक्शन वाला वह शख्स एकलव्य गौड़ था. गौड़ हिंदू रक्षक संगठन और भाजपा की युवा इकाई भाजयुमो की प्रदेश इकाई का सचिव है.

एग्नीस ने आगे लिखा कि मुनव्वर ने तब तक परफॉर्म करना भी शुरू नहीं किया था, और वह शख्स स्टेज पर आ गया. उन्होंने आगे लिखा, “असलियत में, उन्होंने कोई आपत्तिजनक बातें नहीं की. उनके जोक ने न हिंदू धर्म का अपमान किया न इस्लाम धर्म का. मुनव्वर ने बहुत विनम्रता से साफ किया कि उनका कभी किसी को चोट पहुंचाने का इरादा नहीं था और उन्हें साथ बैठकर अपना शो देखने के लिए कहा. मुनव्वर ने स्थिति को अच्छी तरह से संभाला. 'दोस्तों' वाली भीड़ तितर-बितर हो गई, कुछ लोग वहीं रुक गए.”

शिकायतकर्ता एकलव्य गौड़ ने जब स्टेज शो को रोका उसी समय पुलिस को उनके संगठनों के लोगों ने जानकारी दे दी थी जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और वहां से पांचों लोगों को पुलिस पकड़कर तुकोगंज थाने लेकर चली गई.

मुनव्वर के साथ गिरफ्तार चार अन्य का क्या गुनाह?

इस केस में मुनव्वर के साथ गिरफ्तार चार अन्य लोगों की क्या गलती है या उन्होंने क्या गुनाह किया है इसके बारे में कोई बात नहीं हो रही है. न्यूज़लॉन्ड्री ने इन लोगों के परिवार से मिलकर उनके हालात समझने की कोशिश की.

हम जेल में बंद दो युवकों के घर गए लेकिन उनके परिजनों ने कोई भी जानकारी देने से साफ मना कर दिया. प्रशासन का दबाव और तनाव उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था. हमारे बारंबार भरोसा देने पर कि आपका नाम गोपनीय रहेगा, एक परिजन ने कहा, “हम कोई भी बयान देकर अपने बच्चों के लिए और मुसीबत नहीं बढ़ाना चाहते हैं. आप से निवेदन है कि आप भी चले जाएं.”

हमने पूछा कि गिरफ्तार लोग क्या इस तरह के शो पहले भी आयोजित करते रहे हैं? उन्होंने कहा, “इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है. हो सकता है वो करता रहा हो लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं है. बताइए एक बच्चा अभी नाबलिग है. वह तो शो देखने गया था लेकिन उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.” जब हमने पूछा कि किसी तरह का आप पर दबाव है तो उन्होंने बोलने से मना कर दिया.

नलिन यादव का घर मध्य प्रदेश के धार जिले में है. वहीं बाकी तीनों (एडविन एंथनी, प्रखर व्यास नाबलिग और सदाकत) का घर इंदौर में है. इन तीनों की जमानत याचिका सेशन कोर्ट से खारिज हो चुकी है. इनके परिजनों का कहना है कि हमने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की है लेकिन अभी सुनवाई की तारीख नहीं आई है.

मुनव्वर का गुनाह

“मध्य प्रदेश तो खबरों में इतना रहता नहीं है, इंदौर तो और भी नहीं इसलिए हमें लगा कि सोशल मीडिया पर भले ही हमारा विरोध हो रहा है लेकिन यहां शो कर सकते हैं.” यह बात मुनव्वर के दोस्त साद शेख ने हमें बतायी. साद न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “हम 4 दोस्त सागर, अनीस, मुनव्वर और मैं. हम लोग पिछले तीन साल से एक साथ कॉमेडी शो कर रहे हैं. इस दौरान मैंने 20 से ज्यादा शो मुनव्वर के साथ किए हैं. हमारा आखिरी शो चार महीने पहले यूट्यूब पर “दहेज, वेज बिरयानी” हेडलाइन से आया था.

”मुनव्वर के वीडियो पर पहली बार आपत्ति अप्रैल 2020 में आई थी. मुंबई में इस वीडियो को लेकर शिवसेना के पूर्व युवा नेता रमेश सोलंकी ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद वीडियो में से उस हिस्से हो हटा दिया था जिस पर आपत्ति जताई गई थी.

रमेश अपने आप को ट्विटर पर हिंदू राष्ट्रवादी बताते हैं और हिंदुओं को लेकर ट्वीट और रीट्वीट किया करते हैं. कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना की सरकार बनने के बाद उन्होंने शिवसेना छोड़ दी थी.

मुंबई में कॉमेडी शो करने वाले साद आगे बताते हैं, “यह पहली बार था कि पुलिस में हमारे वीडियो को लेकर शिकायत की गई थी. इसके बाद से मुनव्वर काफी डर गया था क्योंकि सोशल मीडिया पर उसको लेकर काफी आक्रोश था. हम लोगों को उस समय लगा कि यह सिर्फ सोशल मीडिया पर कुछ समूह द्वारा फैलाया जा रहा है इसलिए हमें डरना नहीं चाहिए. मैंने मुनव्वर को कहा कि वह अपना शो आगे जारी रखे, यह लोग कुछ नहीं करेंगे.”

मुनव्वर के परिवार में उसकी पत्नी और बहने हैं. पिता का पिछले साल 2020 में इंतकाल हो गया था और मां का इंतकाल 2007 में हुआ था. बहनों की शादी हो चुकी है. वह मुंबई में रहकर कॉमेडी शो किया करता था.

इंदौर में मुनव्वर के परिवार से उनके ससुर इस केस को देख रहे हैं. हालांकि ना तो साद ने, ना ही मुनव्वर के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने हमें उनका नाम बताया. उन्होंने मुनव्वर के दूसरे परिजनों के बारे में कोई जानकारी देने से ये कहकर इनकार कर दिया कि यह उनकी सुरक्षा का मामला है. साद कहते हैं, “अप्रैल की घटना के बाद आक्रोश तो था लेकिन हमें नहीं लगा था कि कुछ इस तरह का होगा. अक्टूबर 2020 में जयपुर में भी कुछ हिंदूवादी संगठन के लोग आए और उन्होंने शो बंद करवा दिया. उस समय मुनव्वर नहीं चाहता था कि ज्यादा कंट्रोवर्सी हो इसलिए हमने उस समय मामले को दबा दिया.”

मई, 2020 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में भी मुनव्वर के एक वीडियो को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी. बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार सौतिक विश्वास ने इस पर एक रिपोर्ट की थी. तब से लेकर इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन जैसे ही मुनव्वर को इंदौर में गिरफ्तार किया गया, अचानक से यूपी पुलिस भी हरकत में आ गई और मुनव्वर से पूछताछ की बात कहने लगी. हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस मुनव्वर से पूछताछ के लिए इंदौर गई थी लेकिन कोर्ट से उसके पास प्रोडक्शन वारंट नहीं था जिसके कारण इंदौर पुलिस ने मुनव्वर को यूपी पुलिस को सुपुर्द नहीं किया.

जब हमने साद से इस केस के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “मुंबई की शिकायत के बाद से सोशल मीडिया पर मुनव्वर के खिलाफ एक पक्ष के लोगों का आक्रोश था, जिसके बाद यूपी सरकार के किसी मीडिया सलाहकार (साद ने नाम नहीं बताया) ने भी मुनव्वर को लेकर बातें कही थीं. जिसके बाद हमें लगा था कि वहां भी केस दर्ज होगा लेकिन फिर मामला शांत हो गया था. इंदौर में गिरफ्तारी के बाद जब मैंने ट्विटर पर पढ़ा तो मुझे पता चला कि यूपी में भी केस दर्ज हुआ है. यूपी में जिस वीडियो के लिए केस दर्ज कराया गया है उस वीडियो का यूट्यूब पर हेडलाइन हैं “पबजी, ड्रग और अर्नब” जिसके बाद हमने उस वीडियो को भी एडिट कर दिया था.

मुनव्वर की गिरफ्तारी पर अंत में साद कहते है, “उसे तो बिना परफॉर्म किए ही गिरफ्तार कर लिया गया. जब उसने कुछ बोला ही नहीं तो किस सबूत पर गिरफ्तारी की गई यह समझ से परे है. अभी लोगों का सिर्फ यहीं कहना है कि इसने अपने धर्म पर क्यों नहीं कुछ कहा यह मुस्लिम है इसलिए इसने हिंदुओं के खिलाफ बोला, इन लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए यह सब बात कर रहे हैं.”

इंदौर पुलिस की कार्यशैली

मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी को लेकर इंदौर पुलिस पर एकपक्षीय कार्रवाई करने के आरोप लगे हैं. इस पूरे केस में पुलिस ने जो तत्परता दिखाई है उससे लोगों को यही लगा कि पुलिस कहीं ना कहीं प्रभावित है. एक जनवरी यानी घटना के दिन इंदौर की तुकोगंज पुलिस ने मुनव्वर और चार अन्य को गिरफ्तार किया जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था.

इस घटना ने उस समय तूल पकड़ा जब पुलिस पर बिना किसी सुबूत मुनव्वर को गिरफ्तार करने का आरोप लगा. घटना के अगले दिन इंडियन एक्सप्रेस ने तुकोगंज थाने के प्रभारी कमलेश शर्मा को बताया कि पुलिस को मुनव्वर के खिलाफ शिकायतकर्ता द्वारा मुहैया कराए गए वीडियो में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है. जिसके बाद अलग-अलग मीडिया ने इस खबर को प्रकाशित कर दिया.

जब न्यूज़लॉन्ड्री ने इंदौर पुलिस के एएसपी और थाना प्रभारी से बात की तो दोनों एक्सप्रेस की खबर से मुकर गए. उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स को झूठ बताया. उन्होंने कहा कि, ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, हमारे पास सबूत हैं उसी के आधार पर कोर्ट ने जेल भेजा है.

इन विरोधाभासी बयानों के बीच आर्टिकल 14 ने एक खबर प्रकाशित की, जिसमें इंदौर के एसपी विजय खत्री कहते हैं, “यह फर्क नहीं पड़ता है कि उसने जोक किया है या नहीं, हमें शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने रिहर्सल के दौरान हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ जोक किया था. उसने स्टेज पर भले ही जोक नहीं किया हो लेकिन उसकी भावना तो ऐसी थी ना.”

बता दें कि विजय खत्री इंदौर पूर्व के एसपी थे, उनका हाल ही में इंदौर से भोपाल ट्रांसफर कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनका तबादला सीता माता पर दिए गए एक बयान को लेकर हुआ है. दरअसल एक गिरोह के पकड़े जाने के बाद जारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अचानक से कह दिया, “जहां सोना होगा, ये सीता जी वहीं नाचेंगी.” इस पर काफी बवाल हुआ था. हालांकि इस बयान के 15 दिनों बाद उनका ट्रांसफर हो गया.

इस मामले में शुरुआत से ही पुलिस पर दवाब में कार्रवाई करने की बात कही जा रही थी. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में मुनव्वर के वकील अंशुमान श्रीवास्तव भी इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं, “जिस तरह से पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की है, उससे कहीं ना कहीं यह तो साफ दिख जाता है कि पुलिस पर राजनीतिक दवाब है.” जब हमने थाने जाकर पुलिस वालों से बात करने की कोशिश की तो जांच अधिकारी महेंद्र चौहान ने और टीआई ने बातचीत करने से मना कर दिया था. उनका कहना था कि इस मामले में हमें कोई भी बयान देने से मना किया गया है, यह ऊपर से ऑर्डर है.

इस केस में हर कदम पर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा है. हद तो उस समय हो गई थी जब हाईकोर्ट से मात्र 100 मीटर की दूरी पर मौजूद थाने से केस डायरी तक कोर्ट में पेश नहीं की गई. जिस पर वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने कहा था, “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फारूकी की जमानत याचिका पर सुनवाई के वक्त पुलिस की ओर से केस डायरी तुरंत उपलब्ध नहीं कराई गई."

शिकायतकर्ता एकलव्य गौड़

पुलिस की कार्रवाई से जिन दो लोगों को जनता ने जाना वो हैं मुनव्वर फारूकी और एकलव्य गौड़. एकलव्य की पहचान के लिए सिर्फ एक ही लाइन कही जा सकती है कि वो इंदौर की पूर्व महापौर और इंदौर नंबर चार से विधायक मालिनी गौड़ के बेटे हैं.

36 साल के एकलव्य हिन्द रक्षक संगठन के प्रमुख होने के साथ-साथ भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश के सचिव भी हैं. वह मारपीट की घटना में इससे पहले भी कई बार शामिल रहे हैं. साल 2016 में उन्होंने और उनके कुछ समर्थकों ने इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर में तैनात एक पुलिसकर्मी से ना सिर्फ मारपीट की बल्कि वर्दी भी फाड़ दी. इस मारपीट के बाद दबाव बढ़ा तो पुलिस ने खानापूर्ति के लिए केस तो दर्ज किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

मध्य प्रदेश की वरिष्ठ पत्रकार जयश्री पिंगले कहती हैं, “अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पूरे मामले को देखें तो कहीं ना कहीं मामले में जल्दबाजी की गई और पुलिस ने अपनी राजनीतिक लॉयल्टी दिखाने के लिए कार्रवाई की. एक हार्डकोर हिंदुत्व की छवि को दिखाने की कोशिश एकलव्य ने की जो पहले उनके पिता किया करते थे.”

जयश्री आगे कहती हैं, “एकलव्य की कोई राजनीतिक तौर पर पहचान नहीं है. वह बस इस संगठन के द्वारा साल भर आयोजन करते रहते हैं. एक विधायक पुत्र और पूर्व मंत्री के बेटे के तौर पर लोग उन्हें जानते हैं उससे ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन इस घटना के बाद से जो एक हार्डकोर हिंदुत्व की सोच को लेकर बीजेपी चल रही है उस नज़रिए से देखें तो वह आगे चलकर टिकट के दावेदार हो सकते हैं.”

इंदौर के ही एक स्थानीय चैनल के संपादक आशीष जोशी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “एकलव्य के पिता पूर्व मंत्री लक्ष्मण गौड़ मध्य प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता थे. उन्होंने ही आज से करीब 25 साल पहले हिन्द रक्षक संगठन की स्थापना की थी. इस संगठन के द्वारा वह हिंदुत्व के लिए और कई सामाजिक कार्य किया करते थे. लेकिन साल 2008 में एक सड़क एक्सीडेंट में निधन के बाद उनके बेटे इस संगठन को चला रहे हैं. एकलव्य भी अपने पिता की तरह ही हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं.”

आशीष जोशी बताते हैं, “इंदौर में विधानसभा नंबर 4 को ‘इंदौर की अयोध्या’ कहा जाता है. यह सिर्फ लक्ष्मण गौड़ की राजनीति की वजह से है. वहीं अगर शहर से सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों की बात करें तो वह इसी विधानसभा क्षेत्र में है जिसके कारण काफी बार इलाके में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं होती रहती हैं.”

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 5 फरवरी को मुनव्वर फारूकी की जमानत याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने 10 मिनट के अंदर मुनव्वर को जमानत दे दी और उत्तर प्रदेश में जारी प्रोडक्शन वारंट पर रोक लगा दी. लाइव लॉ ने विस्तार से इस फैसले को बताते हुए कहा कि “जस्टिस नरीमन ने इस मामले में धारा 41 के पालन नहीं होने की बात को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए शर्तों के साथ जमानत दे दी.”

वहीं इससे पहले 29 जनवरी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित आर्य ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और टिप्पणी करते हुए कहा था, “ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए."

जस्टिस आर्य ने सुनवाई के दौरान पूछा था कि, “लेकिन आप अन्य धर्मों की धार्मिक भावनाओं का अनुचित लाभ क्यों उठाते हैं. आपकी मानसिकता में क्या गलत है? आप अपने व्यवसाय के उद्देश्य के लिए यह कैसे कर सकते हैं?"

हाईकोर्ट के फैसले पर मुनव्वर के वकील अशुंमान श्रीवास्तव ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा था, “हमने अदालत से कहा था हमारा इंटेशन किसी की धार्मिक भावना आहत करने का नहीं था. कहीं सेक्शन 295 ए की परिस्थिति नहीं थी लेकिन कोर्ट ने माना है कि प्रकरण के तथ्य हैं उनको देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती.”

उन्होंने हमें आगे बताया, ''हमने अदालत के सामने दलील दी कि चूंकि मुनव्वर ने किसी के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं कहा है. जहां तक ​​मौजूदा एफ़आईआर का सवाल है, तो अनुच्छेद 21 और 19 के तहत उसके अधिकार की गारंटी होनी चाहिए.'' लेकिन कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

जस्टिस आर्य इससे पहले भी अपने फैसलों के कारण चर्चा में रहे हैं. एक फैसले में उन्होंने एक महिला से छेड़छाड़ के आरोपी को राखी बंधवाने का निर्देश देकर जमानत दे दी थी. द लल्लनटाप की खबर के मुताबिक, तीन जुलाई, 2020 को दिए गए एक फैसले में जस्टिस आर्य की कोर्ट ने छेड़छाड़ के एक आरोपी को सशर्त जमानत देते हुए कहा कि उसे महिला से राखी बंधवाना पड़ेगा और नेग में महिला को 11 हजार रुपए देने होंगे.

इसी तरह एक मामले में उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर में छेड़छाड़ करने के एक आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया था. यह जनवरी 2021 का मामला है. डेली हंट में छपी इस खबर में सरकारी वकील के हवाले से बताया गया है कि जज रोहित आर्य ने आरोपी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आदित्यनाथ न केवल मुख्यमंत्री हैं, बल्कि संत भी हैं.

अंत में

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद इंदौर में मुनव्वर के वकील ने जमानत के लिए सभी इंतजाम कर लिया था लेकिन उसे शनिवार शाम तक जमानत नहीं मिल पाई. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, ‘केंद्रीय जेल प्रशासन ने यूपी के प्रयागराज जिले की एक अदालत से जारी पेशी वारंट का हवाला देते हुए फारूकी को रिहा करने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने कहा जेल मैन्युअल के हिसाब से फारूकी को रिहा करने के लिए प्रयागराज की अदालत या सरकार के किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश की जरूरत होगी.

इस देरी पर पूर्व वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने ट्वीट करते हुए लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार सुबह अंतरिम जमानत का आदेश पारित किया था, लेकिन अभी तक फारूकी को रिहाई नहीं मिल सकी. 30 घंटे बीत जाने के बावजूद फारूकी बाहर नहीं आ सके. एमपी पुलिस और जेल प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कमतर करने का प्रयास कर रहे हैं.”

हालांकि अनुराग द्वारी ने रात एक बजे एक वीडियो ट्वीट करते हुए बताया कि, जेल अधिकारियों ने आखिरकार मुनव्वर को जेल से रिहा कर दिया.

मुनव्वर की रिहाई के बाद अब सवाल है उन चार बेगुनाहों को कब रिहा किया जाएगा जिन्हें मुनव्वर के साथ ही गिरफ्तार किया गया था.

Also Read: मुनव्वर फारूकी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

Also Read: मुनव्वर फारूकी मामला: मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस के बयानों में विरोधाभास

“एक धर्म के प्रति दूसरे धर्म का आदमी असहिष्णु है” साल 2015 में लिखे एक लेख में तस्लीमा नसरीन ने यह लाइन लिखी थी. उस समय सहिष्णुता और असहिष्णुता पर घमासान मचा हुआ था. लेकिन एक जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में गिरफ्तार कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के मामले में इस बात का कोई जिक्र नहीं हुआ जबकि गिरफ्तारी इस गुनाह को लेकर की गई थी कि इस व्यक्ति ने कथित तौर पर दूसरे धर्म के देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया था.

पिछले एक महीने से ज्यादा समय से एक ऐसे आरोप में मुनव्वर फारूकी जेल में रहे हैं जिसका न तो कोई सबूत सामने आया है न ही कोई चश्मदीद. पुलिस के पास उनके अपराध का कोई सबूत नहीं है. तो क्या यह कहना सही होगा कि शिकायतकर्ता दूसरे धर्म के व्यक्ति द्वारा उसके धर्म पर कुछ भी कहने से असहिष्णु हो गया?

एक जनवरी की घटना

यह घटना एक जनवरी की हैं, जब नए साल के मौके पर इंदौर में मुनव्वर फारूकी का शो आयोजित हुआ था. इस शो का आयोजन प्रखर व्यास और नलिन यादव ने किया था. 4 बजे से शुरू होने वाले इस शो के लिए ऑनलाइन वेबसाइट बुक मॉय शो से टिकट खरीद कर दर्शक वहां पहुंचे थे. मुनव्वर के दोस्त और स्टैंड अप कॉमेडियन साद शेख ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बताया कि, “हर शो में एक प्रोड्यूसर, होस्ट और स्टैंडअप कॉमेडियन होता है. इंदौर के शो में भी यहीं था. शो का प्रोड्यूसर एडविन एंथनी, होस्ट नलिन यादव और शुरूआती कॉमेडियन प्रखर व्यास था.”

बता दें कि पुलिस ने मुनव्वर के साथ जिन 5 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है उसमें यही तीनों लोग थे और साथ में प्रखर का छोटा भाई है जो नाबालिग है और सदाकत अली शामिल है.

इंदौर के जिस मुनरो कैफे में यह शो हुआ था उसके मैनेजर रजत सोलंकी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “इस शो का आयोजन प्रखर और नलिन यादव ने किया था. क्योंकि प्रखर और नलिन पहले भी हमारे कैफे में पारिवारिक कार्यक्रम का आयोजन कर चुके हैं इसलिए हमें लगा कि वह एक बार फिर से वही कार्यक्रम कर रहे होंगे, इसलिए हमने उनसे बिना ज्यादा कुछ पूछताछ किए कैफे में शो करने की इजाजत दे दी.”

घटना के बारे में पूछने पर रजत कहते हैं, “शो से कुछ दिनों पहले मेरा एक्सीटेंड हो गया था जिसके कारण मैं कैफे नहीं जा रहा था. इसलिए उस दिन वहां क्या हुआ यह तो नहीं पता लेकिन हमने शो के लिए कैफे को 4 बजे से 7 बजे तक उन्हें दिया था.”

यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि शो कैफे में 4 बजे शुरू हुआ, जैसे की ऊपर बताया कि शो की शुरुआत होस्ट करता है फिर शुरुआती कॉमेडियन और सबसे आखिर में नंबर आता हैं आयोजन के मुख्य कॉमेडियन का, जो मुनव्वर फारूकी थे. अगर मान लेते हैं कि शो अपने तय समय 4 बजे शुरू हुआ तो कैसे यह मुमकिन है कि आधे घंटे में ही मुनव्वर स्टेज पर आकर अपना परफॉर्मेंस दे दें, जबकि उससे पहले शुरुआती कॉमेडियन भी आने थे. वहीं पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में अपराध का समय 16:30 (4:30) लिखा गया है यानी शो के आधे घंटे बाद. वहीं इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शो में नलिन, प्रखर के अलावा कुछ और छोटे कॉमेडियन थे जिनको मुनव्वर से पहले परफॉर्म करना था.

शो में मौजूद एक चश्मदीद जीनोशा एग्नीस ने घटना की जानकारी इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए लिखा, “जैसे ही मुनव्वर को स्पॉटलाइट मिली, ‘पॉलिटिकल कनेक्शन वाला एक शख्स’ अपने कुछ ‘दोस्तों’, जो कि ‘ऑडियंस’ में बैठे थे, स्टेज की तरफ बढ़ने लगे. मैंने आयोजकों को ‘चुपचाप वहां बैठ जा’ बोलते हुए सुना, और ‘पॉलिटिकल कनेक्शन वाले शख्स’ ने माइक ले लिया और अपनी धार्मिक भावनाएं आहत होने के बारे में बोलने लगा.”

पॉलिटिकल कनेक्शन वाला वह शख्स एकलव्य गौड़ था. गौड़ हिंदू रक्षक संगठन और भाजपा की युवा इकाई भाजयुमो की प्रदेश इकाई का सचिव है.

एग्नीस ने आगे लिखा कि मुनव्वर ने तब तक परफॉर्म करना भी शुरू नहीं किया था, और वह शख्स स्टेज पर आ गया. उन्होंने आगे लिखा, “असलियत में, उन्होंने कोई आपत्तिजनक बातें नहीं की. उनके जोक ने न हिंदू धर्म का अपमान किया न इस्लाम धर्म का. मुनव्वर ने बहुत विनम्रता से साफ किया कि उनका कभी किसी को चोट पहुंचाने का इरादा नहीं था और उन्हें साथ बैठकर अपना शो देखने के लिए कहा. मुनव्वर ने स्थिति को अच्छी तरह से संभाला. 'दोस्तों' वाली भीड़ तितर-बितर हो गई, कुछ लोग वहीं रुक गए.”

शिकायतकर्ता एकलव्य गौड़ ने जब स्टेज शो को रोका उसी समय पुलिस को उनके संगठनों के लोगों ने जानकारी दे दी थी जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और वहां से पांचों लोगों को पुलिस पकड़कर तुकोगंज थाने लेकर चली गई.

मुनव्वर के साथ गिरफ्तार चार अन्य का क्या गुनाह?

इस केस में मुनव्वर के साथ गिरफ्तार चार अन्य लोगों की क्या गलती है या उन्होंने क्या गुनाह किया है इसके बारे में कोई बात नहीं हो रही है. न्यूज़लॉन्ड्री ने इन लोगों के परिवार से मिलकर उनके हालात समझने की कोशिश की.

हम जेल में बंद दो युवकों के घर गए लेकिन उनके परिजनों ने कोई भी जानकारी देने से साफ मना कर दिया. प्रशासन का दबाव और तनाव उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था. हमारे बारंबार भरोसा देने पर कि आपका नाम गोपनीय रहेगा, एक परिजन ने कहा, “हम कोई भी बयान देकर अपने बच्चों के लिए और मुसीबत नहीं बढ़ाना चाहते हैं. आप से निवेदन है कि आप भी चले जाएं.”

हमने पूछा कि गिरफ्तार लोग क्या इस तरह के शो पहले भी आयोजित करते रहे हैं? उन्होंने कहा, “इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है. हो सकता है वो करता रहा हो लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं है. बताइए एक बच्चा अभी नाबलिग है. वह तो शो देखने गया था लेकिन उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.” जब हमने पूछा कि किसी तरह का आप पर दबाव है तो उन्होंने बोलने से मना कर दिया.

नलिन यादव का घर मध्य प्रदेश के धार जिले में है. वहीं बाकी तीनों (एडविन एंथनी, प्रखर व्यास नाबलिग और सदाकत) का घर इंदौर में है. इन तीनों की जमानत याचिका सेशन कोर्ट से खारिज हो चुकी है. इनके परिजनों का कहना है कि हमने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की है लेकिन अभी सुनवाई की तारीख नहीं आई है.

मुनव्वर का गुनाह

“मध्य प्रदेश तो खबरों में इतना रहता नहीं है, इंदौर तो और भी नहीं इसलिए हमें लगा कि सोशल मीडिया पर भले ही हमारा विरोध हो रहा है लेकिन यहां शो कर सकते हैं.” यह बात मुनव्वर के दोस्त साद शेख ने हमें बतायी. साद न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहते हैं, “हम 4 दोस्त सागर, अनीस, मुनव्वर और मैं. हम लोग पिछले तीन साल से एक साथ कॉमेडी शो कर रहे हैं. इस दौरान मैंने 20 से ज्यादा शो मुनव्वर के साथ किए हैं. हमारा आखिरी शो चार महीने पहले यूट्यूब पर “दहेज, वेज बिरयानी” हेडलाइन से आया था.

”मुनव्वर के वीडियो पर पहली बार आपत्ति अप्रैल 2020 में आई थी. मुंबई में इस वीडियो को लेकर शिवसेना के पूर्व युवा नेता रमेश सोलंकी ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद वीडियो में से उस हिस्से हो हटा दिया था जिस पर आपत्ति जताई गई थी.

रमेश अपने आप को ट्विटर पर हिंदू राष्ट्रवादी बताते हैं और हिंदुओं को लेकर ट्वीट और रीट्वीट किया करते हैं. कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना की सरकार बनने के बाद उन्होंने शिवसेना छोड़ दी थी.

मुंबई में कॉमेडी शो करने वाले साद आगे बताते हैं, “यह पहली बार था कि पुलिस में हमारे वीडियो को लेकर शिकायत की गई थी. इसके बाद से मुनव्वर काफी डर गया था क्योंकि सोशल मीडिया पर उसको लेकर काफी आक्रोश था. हम लोगों को उस समय लगा कि यह सिर्फ सोशल मीडिया पर कुछ समूह द्वारा फैलाया जा रहा है इसलिए हमें डरना नहीं चाहिए. मैंने मुनव्वर को कहा कि वह अपना शो आगे जारी रखे, यह लोग कुछ नहीं करेंगे.”

मुनव्वर के परिवार में उसकी पत्नी और बहने हैं. पिता का पिछले साल 2020 में इंतकाल हो गया था और मां का इंतकाल 2007 में हुआ था. बहनों की शादी हो चुकी है. वह मुंबई में रहकर कॉमेडी शो किया करता था.

इंदौर में मुनव्वर के परिवार से उनके ससुर इस केस को देख रहे हैं. हालांकि ना तो साद ने, ना ही मुनव्वर के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने हमें उनका नाम बताया. उन्होंने मुनव्वर के दूसरे परिजनों के बारे में कोई जानकारी देने से ये कहकर इनकार कर दिया कि यह उनकी सुरक्षा का मामला है. साद कहते हैं, “अप्रैल की घटना के बाद आक्रोश तो था लेकिन हमें नहीं लगा था कि कुछ इस तरह का होगा. अक्टूबर 2020 में जयपुर में भी कुछ हिंदूवादी संगठन के लोग आए और उन्होंने शो बंद करवा दिया. उस समय मुनव्वर नहीं चाहता था कि ज्यादा कंट्रोवर्सी हो इसलिए हमने उस समय मामले को दबा दिया.”

मई, 2020 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में भी मुनव्वर के एक वीडियो को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी. बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार सौतिक विश्वास ने इस पर एक रिपोर्ट की थी. तब से लेकर इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन जैसे ही मुनव्वर को इंदौर में गिरफ्तार किया गया, अचानक से यूपी पुलिस भी हरकत में आ गई और मुनव्वर से पूछताछ की बात कहने लगी. हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस मुनव्वर से पूछताछ के लिए इंदौर गई थी लेकिन कोर्ट से उसके पास प्रोडक्शन वारंट नहीं था जिसके कारण इंदौर पुलिस ने मुनव्वर को यूपी पुलिस को सुपुर्द नहीं किया.

जब हमने साद से इस केस के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “मुंबई की शिकायत के बाद से सोशल मीडिया पर मुनव्वर के खिलाफ एक पक्ष के लोगों का आक्रोश था, जिसके बाद यूपी सरकार के किसी मीडिया सलाहकार (साद ने नाम नहीं बताया) ने भी मुनव्वर को लेकर बातें कही थीं. जिसके बाद हमें लगा था कि वहां भी केस दर्ज होगा लेकिन फिर मामला शांत हो गया था. इंदौर में गिरफ्तारी के बाद जब मैंने ट्विटर पर पढ़ा तो मुझे पता चला कि यूपी में भी केस दर्ज हुआ है. यूपी में जिस वीडियो के लिए केस दर्ज कराया गया है उस वीडियो का यूट्यूब पर हेडलाइन हैं “पबजी, ड्रग और अर्नब” जिसके बाद हमने उस वीडियो को भी एडिट कर दिया था.

मुनव्वर की गिरफ्तारी पर अंत में साद कहते है, “उसे तो बिना परफॉर्म किए ही गिरफ्तार कर लिया गया. जब उसने कुछ बोला ही नहीं तो किस सबूत पर गिरफ्तारी की गई यह समझ से परे है. अभी लोगों का सिर्फ यहीं कहना है कि इसने अपने धर्म पर क्यों नहीं कुछ कहा यह मुस्लिम है इसलिए इसने हिंदुओं के खिलाफ बोला, इन लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए यह सब बात कर रहे हैं.”

इंदौर पुलिस की कार्यशैली

मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी को लेकर इंदौर पुलिस पर एकपक्षीय कार्रवाई करने के आरोप लगे हैं. इस पूरे केस में पुलिस ने जो तत्परता दिखाई है उससे लोगों को यही लगा कि पुलिस कहीं ना कहीं प्रभावित है. एक जनवरी यानी घटना के दिन इंदौर की तुकोगंज पुलिस ने मुनव्वर और चार अन्य को गिरफ्तार किया जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था.

इस घटना ने उस समय तूल पकड़ा जब पुलिस पर बिना किसी सुबूत मुनव्वर को गिरफ्तार करने का आरोप लगा. घटना के अगले दिन इंडियन एक्सप्रेस ने तुकोगंज थाने के प्रभारी कमलेश शर्मा को बताया कि पुलिस को मुनव्वर के खिलाफ शिकायतकर्ता द्वारा मुहैया कराए गए वीडियो में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है. जिसके बाद अलग-अलग मीडिया ने इस खबर को प्रकाशित कर दिया.

जब न्यूज़लॉन्ड्री ने इंदौर पुलिस के एएसपी और थाना प्रभारी से बात की तो दोनों एक्सप्रेस की खबर से मुकर गए. उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स को झूठ बताया. उन्होंने कहा कि, ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, हमारे पास सबूत हैं उसी के आधार पर कोर्ट ने जेल भेजा है.

इन विरोधाभासी बयानों के बीच आर्टिकल 14 ने एक खबर प्रकाशित की, जिसमें इंदौर के एसपी विजय खत्री कहते हैं, “यह फर्क नहीं पड़ता है कि उसने जोक किया है या नहीं, हमें शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने रिहर्सल के दौरान हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ जोक किया था. उसने स्टेज पर भले ही जोक नहीं किया हो लेकिन उसकी भावना तो ऐसी थी ना.”

बता दें कि विजय खत्री इंदौर पूर्व के एसपी थे, उनका हाल ही में इंदौर से भोपाल ट्रांसफर कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनका तबादला सीता माता पर दिए गए एक बयान को लेकर हुआ है. दरअसल एक गिरोह के पकड़े जाने के बाद जारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अचानक से कह दिया, “जहां सोना होगा, ये सीता जी वहीं नाचेंगी.” इस पर काफी बवाल हुआ था. हालांकि इस बयान के 15 दिनों बाद उनका ट्रांसफर हो गया.

इस मामले में शुरुआत से ही पुलिस पर दवाब में कार्रवाई करने की बात कही जा रही थी. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में मुनव्वर के वकील अंशुमान श्रीवास्तव भी इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं, “जिस तरह से पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की है, उससे कहीं ना कहीं यह तो साफ दिख जाता है कि पुलिस पर राजनीतिक दवाब है.” जब हमने थाने जाकर पुलिस वालों से बात करने की कोशिश की तो जांच अधिकारी महेंद्र चौहान ने और टीआई ने बातचीत करने से मना कर दिया था. उनका कहना था कि इस मामले में हमें कोई भी बयान देने से मना किया गया है, यह ऊपर से ऑर्डर है.

इस केस में हर कदम पर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा है. हद तो उस समय हो गई थी जब हाईकोर्ट से मात्र 100 मीटर की दूरी पर मौजूद थाने से केस डायरी तक कोर्ट में पेश नहीं की गई. जिस पर वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने कहा था, “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फारूकी की जमानत याचिका पर सुनवाई के वक्त पुलिस की ओर से केस डायरी तुरंत उपलब्ध नहीं कराई गई."

शिकायतकर्ता एकलव्य गौड़

पुलिस की कार्रवाई से जिन दो लोगों को जनता ने जाना वो हैं मुनव्वर फारूकी और एकलव्य गौड़. एकलव्य की पहचान के लिए सिर्फ एक ही लाइन कही जा सकती है कि वो इंदौर की पूर्व महापौर और इंदौर नंबर चार से विधायक मालिनी गौड़ के बेटे हैं.

36 साल के एकलव्य हिन्द रक्षक संगठन के प्रमुख होने के साथ-साथ भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश के सचिव भी हैं. वह मारपीट की घटना में इससे पहले भी कई बार शामिल रहे हैं. साल 2016 में उन्होंने और उनके कुछ समर्थकों ने इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर में तैनात एक पुलिसकर्मी से ना सिर्फ मारपीट की बल्कि वर्दी भी फाड़ दी. इस मारपीट के बाद दबाव बढ़ा तो पुलिस ने खानापूर्ति के लिए केस तो दर्ज किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

मध्य प्रदेश की वरिष्ठ पत्रकार जयश्री पिंगले कहती हैं, “अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पूरे मामले को देखें तो कहीं ना कहीं मामले में जल्दबाजी की गई और पुलिस ने अपनी राजनीतिक लॉयल्टी दिखाने के लिए कार्रवाई की. एक हार्डकोर हिंदुत्व की छवि को दिखाने की कोशिश एकलव्य ने की जो पहले उनके पिता किया करते थे.”

जयश्री आगे कहती हैं, “एकलव्य की कोई राजनीतिक तौर पर पहचान नहीं है. वह बस इस संगठन के द्वारा साल भर आयोजन करते रहते हैं. एक विधायक पुत्र और पूर्व मंत्री के बेटे के तौर पर लोग उन्हें जानते हैं उससे ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन इस घटना के बाद से जो एक हार्डकोर हिंदुत्व की सोच को लेकर बीजेपी चल रही है उस नज़रिए से देखें तो वह आगे चलकर टिकट के दावेदार हो सकते हैं.”

इंदौर के ही एक स्थानीय चैनल के संपादक आशीष जोशी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “एकलव्य के पिता पूर्व मंत्री लक्ष्मण गौड़ मध्य प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता थे. उन्होंने ही आज से करीब 25 साल पहले हिन्द रक्षक संगठन की स्थापना की थी. इस संगठन के द्वारा वह हिंदुत्व के लिए और कई सामाजिक कार्य किया करते थे. लेकिन साल 2008 में एक सड़क एक्सीडेंट में निधन के बाद उनके बेटे इस संगठन को चला रहे हैं. एकलव्य भी अपने पिता की तरह ही हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं.”

आशीष जोशी बताते हैं, “इंदौर में विधानसभा नंबर 4 को ‘इंदौर की अयोध्या’ कहा जाता है. यह सिर्फ लक्ष्मण गौड़ की राजनीति की वजह से है. वहीं अगर शहर से सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों की बात करें तो वह इसी विधानसभा क्षेत्र में है जिसके कारण काफी बार इलाके में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं होती रहती हैं.”

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 5 फरवरी को मुनव्वर फारूकी की जमानत याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने 10 मिनट के अंदर मुनव्वर को जमानत दे दी और उत्तर प्रदेश में जारी प्रोडक्शन वारंट पर रोक लगा दी. लाइव लॉ ने विस्तार से इस फैसले को बताते हुए कहा कि “जस्टिस नरीमन ने इस मामले में धारा 41 के पालन नहीं होने की बात को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए शर्तों के साथ जमानत दे दी.”

वहीं इससे पहले 29 जनवरी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित आर्य ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और टिप्पणी करते हुए कहा था, “ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए."

जस्टिस आर्य ने सुनवाई के दौरान पूछा था कि, “लेकिन आप अन्य धर्मों की धार्मिक भावनाओं का अनुचित लाभ क्यों उठाते हैं. आपकी मानसिकता में क्या गलत है? आप अपने व्यवसाय के उद्देश्य के लिए यह कैसे कर सकते हैं?"

हाईकोर्ट के फैसले पर मुनव्वर के वकील अशुंमान श्रीवास्तव ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में कहा था, “हमने अदालत से कहा था हमारा इंटेशन किसी की धार्मिक भावना आहत करने का नहीं था. कहीं सेक्शन 295 ए की परिस्थिति नहीं थी लेकिन कोर्ट ने माना है कि प्रकरण के तथ्य हैं उनको देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती.”

उन्होंने हमें आगे बताया, ''हमने अदालत के सामने दलील दी कि चूंकि मुनव्वर ने किसी के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं कहा है. जहां तक ​​मौजूदा एफ़आईआर का सवाल है, तो अनुच्छेद 21 और 19 के तहत उसके अधिकार की गारंटी होनी चाहिए.'' लेकिन कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

जस्टिस आर्य इससे पहले भी अपने फैसलों के कारण चर्चा में रहे हैं. एक फैसले में उन्होंने एक महिला से छेड़छाड़ के आरोपी को राखी बंधवाने का निर्देश देकर जमानत दे दी थी. द लल्लनटाप की खबर के मुताबिक, तीन जुलाई, 2020 को दिए गए एक फैसले में जस्टिस आर्य की कोर्ट ने छेड़छाड़ के एक आरोपी को सशर्त जमानत देते हुए कहा कि उसे महिला से राखी बंधवाना पड़ेगा और नेग में महिला को 11 हजार रुपए देने होंगे.

इसी तरह एक मामले में उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर में छेड़छाड़ करने के एक आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया था. यह जनवरी 2021 का मामला है. डेली हंट में छपी इस खबर में सरकारी वकील के हवाले से बताया गया है कि जज रोहित आर्य ने आरोपी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आदित्यनाथ न केवल मुख्यमंत्री हैं, बल्कि संत भी हैं.

अंत में

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद इंदौर में मुनव्वर के वकील ने जमानत के लिए सभी इंतजाम कर लिया था लेकिन उसे शनिवार शाम तक जमानत नहीं मिल पाई. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, ‘केंद्रीय जेल प्रशासन ने यूपी के प्रयागराज जिले की एक अदालत से जारी पेशी वारंट का हवाला देते हुए फारूकी को रिहा करने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने कहा जेल मैन्युअल के हिसाब से फारूकी को रिहा करने के लिए प्रयागराज की अदालत या सरकार के किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश की जरूरत होगी.

इस देरी पर पूर्व वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने ट्वीट करते हुए लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार सुबह अंतरिम जमानत का आदेश पारित किया था, लेकिन अभी तक फारूकी को रिहाई नहीं मिल सकी. 30 घंटे बीत जाने के बावजूद फारूकी बाहर नहीं आ सके. एमपी पुलिस और जेल प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कमतर करने का प्रयास कर रहे हैं.”

हालांकि अनुराग द्वारी ने रात एक बजे एक वीडियो ट्वीट करते हुए बताया कि, जेल अधिकारियों ने आखिरकार मुनव्वर को जेल से रिहा कर दिया.

मुनव्वर की रिहाई के बाद अब सवाल है उन चार बेगुनाहों को कब रिहा किया जाएगा जिन्हें मुनव्वर के साथ ही गिरफ्तार किया गया था.

Also Read: मुनव्वर फारूकी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

Also Read: मुनव्वर फारूकी मामला: मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस के बयानों में विरोधाभास