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बजट 2021-22: पीएम किसान सम्मान निधि सहित कई कल्याणकारी योजनाओं के खर्च में कटौती
आम बजट में केंद्र सरकार की बहुत-सी महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट में कटौती की गई है. पिछले वर्ष महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्र को सहारा देने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) का बजट पिछले बजट अनुमानों के मुकाबले बढ़ाया तो गया है लेकिन यह संशोधित अनुमान (2020-21) से काफी कम है.
मनरेगा का पिछला बजट अनुमान 61,500 करोड़ रुपए था, जबकि संशोधित अनुमान 1,11,500 करोड़ रुपए था. यानी सरकार ने अनुमानित बजट से 50,000 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए. महामारी और लॉकडाउन के बाद मजदूरों व ग्रामीणों के पलायन को देखते हुए सरकार ने मनरेगा पर दिल खोलकर खर्च किया. सरकार ने संशोधित अनुमान के खर्च में कटौती करते हुए अगले वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट आवंटित किया है.
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
मनरेगा की तरह राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के बजट में भी संशोधित अनुमानों की तुलना में भारी कटौती की गई है. पिछले बजट का संशोधित अनुमान 42,617 करोड़ था, जबकि बजट अनुमान 9,197 करोड़ था. इससे स्पष्ट है कि सरकार ने महामारी में इस कार्यक्रम के तहत अच्छा खासा पैसा खर्च किया. लेकिन सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस कार्यक्रम का बजट अनुमान 9,200 करोड़ रुपए रखा है जो पिछले बजट अनुमान के लगभग बराबर और संशोधित अनुमान से बेहद कम है.
अल्पसंख्यक विकास अंब्रैला कार्यक्रम
देश में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए चल रही योजनाओं के बजट में भी कटौती की गई है. इस कार्यक्रम के लिए पिछला बजट अनुमान 1,820 करोड़ रुपए था, जिसे घटाकर 1564 करोड़ रुपए कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले बजट अनुमान की पूरी राशि भी खर्च नहीं की गई थी. केवल 1,282 करोड़ रुपए की अल्पसंख्यकों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर खर्च हो पाए थे.
अन्य वंचित समूहों के विकास हेतु अंब्रैला कार्यक्रम
2020-21 के बजट में इस कार्यक्रम के लिए 2,210 करोड़ रुपए का अनुमान था. संशोधित अनुमानों के मुताबिक, इस कार्यक्रम के 1,675 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए. यानी अनुमानित बजट से 535 करोड़ रुपए कम खर्च किए. 2021-22 में इस कार्यक्रम का बजट अनुमान 2,140 करोड़ रुपए है. यानी पिछले बजट अनुमान से 40 करोड़ और संशोधित अनुमान से 465 करोड़ रुपए कम.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
इस योजना का बजट अनुमान भी पिछले बजट अनुमान के मुकाबले 28 करोड़ रुपए कम है. पिछले वर्ष के बजट में 6,429 करोड़ रुपए का बजट अनुमान था. संशोधित अनुमान बताते हैं कि इस बजट अनुमान का आधा भी खर्च नहीं हुआ. केवल 3,129 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस योजना का बजट अनुमान 6,401 करोड़ रुपए है.
सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का बजट अनुमान पिछले बजट अनुमान से करीब 218 करोड़ रुपए कम है. इस कार्यक्रम का पिछला बजट अनुमान 784 करोड़ रुपए था, जबकि इस वर्ष का बजट अनुमान 566 करोड़ रुपए है. पिछले बजट के संशोधित अनुमानों की मानें तो केवल 50 करोड़ रुपए ही इस कार्यक्रम पर खर्च हुए.
पर्यावरण, वानिकी एवं वन्यजीव
पर्यावरण की नाजुक हालत सभी के लिए भले ही चिंता का विषय हो लेकिन शायद सरकार ऐसा नहीं मानती. पर्यावरण, वानिकी एवं वन्यजीव के लिए पिछला बजट अनुमान 926 करोड़ रुपए था. 2021-22 के बजट अनुमान में इसे घटाकर 766 करोड़ कर दिया गया है. 2020-21 के संशोधित अनुमानों के मुताबिक 556 करोड़ ही इन पर खर्च किए गए.
बाजार हस्तक्षेप एवं मूल्य समर्थन योजना
इस योजना के बजट में करीब 500 करोड़ रुपए की कमी की गई है. इस योजना का पिछला बजट अनुमान 2,000 करोड़ (संशोधित अनुमान 996 करोड़) था. 2021-22 के बजट में इसे घटाकर 1,501 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
पीएम किसान सम्मान निधि
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले शुरू की गई इस योजना का बजट भी पिछले बजट अनुमान के मुकाबले कम कर दिया गया है. 2021-22 के बजट में इस योजना का बजट अनुमान 65,000 करोड़ रुपए है. पिछला बजट अनुमान 75,000 करोड़ रुपए का था. हालांकि संशोधित बजट अनुमान 65,000 करोड़ रुपए ही था.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
आम बजट में केंद्र सरकार की बहुत-सी महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट में कटौती की गई है. पिछले वर्ष महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्र को सहारा देने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) का बजट पिछले बजट अनुमानों के मुकाबले बढ़ाया तो गया है लेकिन यह संशोधित अनुमान (2020-21) से काफी कम है.
मनरेगा का पिछला बजट अनुमान 61,500 करोड़ रुपए था, जबकि संशोधित अनुमान 1,11,500 करोड़ रुपए था. यानी सरकार ने अनुमानित बजट से 50,000 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए. महामारी और लॉकडाउन के बाद मजदूरों व ग्रामीणों के पलायन को देखते हुए सरकार ने मनरेगा पर दिल खोलकर खर्च किया. सरकार ने संशोधित अनुमान के खर्च में कटौती करते हुए अगले वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट आवंटित किया है.
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
मनरेगा की तरह राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के बजट में भी संशोधित अनुमानों की तुलना में भारी कटौती की गई है. पिछले बजट का संशोधित अनुमान 42,617 करोड़ था, जबकि बजट अनुमान 9,197 करोड़ था. इससे स्पष्ट है कि सरकार ने महामारी में इस कार्यक्रम के तहत अच्छा खासा पैसा खर्च किया. लेकिन सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस कार्यक्रम का बजट अनुमान 9,200 करोड़ रुपए रखा है जो पिछले बजट अनुमान के लगभग बराबर और संशोधित अनुमान से बेहद कम है.
अल्पसंख्यक विकास अंब्रैला कार्यक्रम
देश में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए चल रही योजनाओं के बजट में भी कटौती की गई है. इस कार्यक्रम के लिए पिछला बजट अनुमान 1,820 करोड़ रुपए था, जिसे घटाकर 1564 करोड़ रुपए कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछले बजट अनुमान की पूरी राशि भी खर्च नहीं की गई थी. केवल 1,282 करोड़ रुपए की अल्पसंख्यकों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर खर्च हो पाए थे.
अन्य वंचित समूहों के विकास हेतु अंब्रैला कार्यक्रम
2020-21 के बजट में इस कार्यक्रम के लिए 2,210 करोड़ रुपए का अनुमान था. संशोधित अनुमानों के मुताबिक, इस कार्यक्रम के 1,675 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए. यानी अनुमानित बजट से 535 करोड़ रुपए कम खर्च किए. 2021-22 में इस कार्यक्रम का बजट अनुमान 2,140 करोड़ रुपए है. यानी पिछले बजट अनुमान से 40 करोड़ और संशोधित अनुमान से 465 करोड़ रुपए कम.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
इस योजना का बजट अनुमान भी पिछले बजट अनुमान के मुकाबले 28 करोड़ रुपए कम है. पिछले वर्ष के बजट में 6,429 करोड़ रुपए का बजट अनुमान था. संशोधित अनुमान बताते हैं कि इस बजट अनुमान का आधा भी खर्च नहीं हुआ. केवल 3,129 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इस योजना का बजट अनुमान 6,401 करोड़ रुपए है.
सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का बजट अनुमान पिछले बजट अनुमान से करीब 218 करोड़ रुपए कम है. इस कार्यक्रम का पिछला बजट अनुमान 784 करोड़ रुपए था, जबकि इस वर्ष का बजट अनुमान 566 करोड़ रुपए है. पिछले बजट के संशोधित अनुमानों की मानें तो केवल 50 करोड़ रुपए ही इस कार्यक्रम पर खर्च हुए.
पर्यावरण, वानिकी एवं वन्यजीव
पर्यावरण की नाजुक हालत सभी के लिए भले ही चिंता का विषय हो लेकिन शायद सरकार ऐसा नहीं मानती. पर्यावरण, वानिकी एवं वन्यजीव के लिए पिछला बजट अनुमान 926 करोड़ रुपए था. 2021-22 के बजट अनुमान में इसे घटाकर 766 करोड़ कर दिया गया है. 2020-21 के संशोधित अनुमानों के मुताबिक 556 करोड़ ही इन पर खर्च किए गए.
बाजार हस्तक्षेप एवं मूल्य समर्थन योजना
इस योजना के बजट में करीब 500 करोड़ रुपए की कमी की गई है. इस योजना का पिछला बजट अनुमान 2,000 करोड़ (संशोधित अनुमान 996 करोड़) था. 2021-22 के बजट में इसे घटाकर 1,501 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
पीएम किसान सम्मान निधि
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले शुरू की गई इस योजना का बजट भी पिछले बजट अनुमान के मुकाबले कम कर दिया गया है. 2021-22 के बजट में इस योजना का बजट अनुमान 65,000 करोड़ रुपए है. पिछला बजट अनुमान 75,000 करोड़ रुपए का था. हालांकि संशोधित बजट अनुमान 65,000 करोड़ रुपए ही था.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
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