Newslaundry Hindi
ट्रैक्टर रैली: गाजीपुर बॉर्डर से लाल किले तक का सफर
26 जनवरी की सुबह जब हम गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे तो लोगों में 26 जनवरी की रैली को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा था. मुख्य स्टेज से कुछ वक्ता गणतंत्र दिवस और किसानों से संबंधित भाषण दे रहे थे. साथ ही किसानों से रैली निकलने से पहले लंगर खाने के लिए भी कहा जा रहा था.
इस दौरान युवाओं में काफी उत्साह था, ट्रैक्टरों को किसानों के झण्डों के साथ ही तिरंगे झंडों से सजाया गया था. कुछ युवा डीजे की धुन पर नाचते-गाते जश्न में सराबोर थे. उत्तर प्रदेश के बिलासपुर से आए जश्नदीप ने बताया कि इस रैली को लेकर काफी उत्साह है जबकि उत्तराखंड के गुरमंगत सिह ने हमें एक कविता के जरिए बताया कि हम सच्चे हिंदुस्तानी हैं और हमारा पहला धर्म किसानी है. साथ ही हम सब जिम्मेदारी के साथ पीसफुल परेड करेंगे.
लगभग साढ़े 10 बजे ट्रैक्टरों का काफिला गाजीपुर से आनंद विहार की तरफ बढ़ा. इस दौरान बीच-बीच में सिख करतब भी दिखा रहे थे. लोग पीसफुली आगे बढ़ रहे थे. चारों तरफ पुलिस के जवान नजर आ रहे थे. इस दौरान मैं भी एक ट्रैक्टर में सवार हो गया जिसमें उत्तराखंड से स्कूली बच्चे अपने टीचरों के साथ आए हुए थे. बच्चे इस परेड को लेकर काफी उत्साहित थे.
उन्होंने अपनी ट्राली को सजाया हुआ था. वह ‘जय जवान जय किसान’ और ‘किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपने कुछ साथियों के साथ माइक लेकर लोगों को समझाते हुए दिख रहे थे. काफिला आगे बढ़ने पर कुछ मनमोहक नजारे सामने आए. लोग सड़कों और घरों पर खड़े किसानों की परेड़ बड़े उत्साह से देख रहे थे. तो कहीं-कही किसानों पर फूलों की बरसात की जा रही थी.
लेकिन इस दौरान गाजीपुर से निकले किसान दो हिस्सों में बंट गए. कुछ आईटीओ की तरफ बढ़ गए और कुछ साहिबाबाद-गाजियाबाद की तरफ जा पहुंचे. मैं साहिबाबाद वाले काफिले में था. अप्सरा बॉर्डर पर पुलिस ने दिल्ली से जाने वालों का रास्ता खोला हुआ था लेकिन आने वालों के लिए रास्ता रोका गया था. फ्लाईओवर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई हुई थी. इस दौरान कुछ ट्रैक्टर तो आगे निकल गए लेकिन कुछ लोगों ने वहीं ट्रैक्टर रोक दिए और वे भी वापस जाकर लाल किले की तरफ जाने के लिए कहने लगे. इस दौरान आईटीओ से किसानों और पुलिस के बीच झड़प की खबरें भी आने शुरू हो गई थीं.
इसी बीच कुछ किसान यूपी की तरफ से आए और उन्होंने पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकैडिंग को तोड़ दिया और दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए. कुछ समय के लिए टकराव की स्थिति भी बनी लेकिन पुलिस ने ज्यादा कुछ नहीं किया और किसानों को दिल्ली जाने दिया. आगे शाहदरा-सीमापुरी टोल प्लाजा पर पहुंचने पर पुलिस ने किसानों को रोक दिया. आंसू गैस के गोले छोड़े गए, ट्रैक्टरों की हवा निकाल दी गई और किसानों की कई गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके बाद किसान आगे नहीं बढ़ पाए.
कई बार किसानों ने अप्सरा बॉर्डर से शाहदरा टोल प्लाजा की तरफ बढ़ने की कोशिश की लेकिन फिर वे आगे बढ़ नहीं पाए. इस दौरान कई घंटे तक इसी तरह की रस्साकशी चलती रही.
जब हम अप्सरा बॉर्डर से शाहदरा टोल प्लाजा पर पहुंचे तो किसान अपने ट्रैक्टरों में जैसे-तैसे हवा भरकर आगे-पीछे करने की कोशिश कर रहे थे. चारों तरफ हवा निकले ट्रैक्टर और टूटी गाड़ियां नजर आ रही थीं. पास ही पैट्रोल पंप पर उनके पहियों में हवा डालने का काम किया जा रहा था. वहां भारी पुलिस बल भी तैनात था.
बड़ौत से आए राजेंद्र सिंह ने बताया. "पुलिस ने उनके साथ अत्याचार किया है. उन्हें यही रूट दिया गया था लेकिन जब वे यहां पहुंचे तो आंसू गैस छोड़ी, और ट्रैक्टरों की हवा निकाल दी. उनके साथ ऐसा अत्याचार किया गया है, जो इससे पहले किसी सरकार ने नहीं किया. यह सरकार का घमंड है और इसका खमियाजा उसे भुगतना होगा."
कई और किसान भी पीएम मोदी को कोसते नजर आए. कुछ युवा अपनी स्कॉर्पियो में हवा भरने की कोशिश कर रहे थे. मैंने जैसे ही उनकी फोटो लेने की कोशिश की तो एक युवा ने पूछा कि क्या आप मीडिया से हैं. मैंने हामी भरी तो उसने कहा ये सब जगह दिखाना कि हमारे साथ क्या हाल किया है. वह मोदी सरकार से काफी नाराज दिखे. अंत में उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, ‘कर ले क्या करेगा, लाल किले पर झंडा तो फिर भी फहरा दिया.’
तब तक लाल किले में किसानों के घुसने और झंडा फहराने की खबरें आम हो चुकी थीं. आईटीओ पर एक किसान की मौत की खबर भी थी. यहां से लगभग 4 बजे मैं लाल किले की तरफ निकला लेकिन चारों तरफ के रास्ते बंद किए हुए थे. आखिर मैंने मैट्रो पकड़कर जाने का फैसला किया.
मण्डी हाउस मैट्रो स्टेशन पर दो लड़के आपस में बात कर रहे थे. उनमें एक बोला, मैं मोदी की बात नहीं कर रहा लेकिन अगर कोई भी 303 सीट लेकर आएगा तो यही करेगा.’
मण्डी हाउस पर मैट्रो में अनाउंसमेंट हुआ कि मैट्रो सुरक्षा कारणों से कारण बीच में कहीं नहीं रुकेगी. सीधे कश्मीरी गेट पर मैट्रो से उतर जब मैं लाल किले की तरफ बढ़ा तो किसान ट्रैक्टरों पर वापस आते दिख रहे थे. जब मैं दिन छिपने के बाद पैदल ही लाल किले पहुंचा तो अंदर तक बड़ी संख्या में किसानों के ट्रैक्टर खड़े थे. रैलिंग और टिकट काउंटर टूटे हुए थे.
अधिकतर लोग फोटो ले रहे थे तो कुछ लोग वीडिय़ो कॉल कर वहां का नजारा दिखा रहे थे. अंदर पूरे लाल किले पर पैरामिलिट्री के जवान कब्जा जमाए हुए थे. साथ ही बहुत भारी तादाद में अफसर भी जवानों के साथ चारों ओर गश्त कर रहे थे. लाल किले पर तिरंगे के साथ प्रदर्शनकारियों का झंडा अभी भी लहरा रहा था.
कुछ देर बाद पूरे लाल किले की लाइट बंद कर दी गई और पुलिस ने कई आंसू गैस के गोले छोड़े. जिससे प्रदर्शनकारी बाहर निकलें. इसके बाद लाल किले के अंदर से कई ट्रैक्टर बाहर निकलते दिखे. और लोगों में भी अफरा-तफरी नजर आई. जब मैं वहां से निकला तब भी बहुत से प्रदर्शनकारी लाल किले में जमा थे.
26 जनवरी की सुबह जब हम गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे तो लोगों में 26 जनवरी की रैली को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा था. मुख्य स्टेज से कुछ वक्ता गणतंत्र दिवस और किसानों से संबंधित भाषण दे रहे थे. साथ ही किसानों से रैली निकलने से पहले लंगर खाने के लिए भी कहा जा रहा था.
इस दौरान युवाओं में काफी उत्साह था, ट्रैक्टरों को किसानों के झण्डों के साथ ही तिरंगे झंडों से सजाया गया था. कुछ युवा डीजे की धुन पर नाचते-गाते जश्न में सराबोर थे. उत्तर प्रदेश के बिलासपुर से आए जश्नदीप ने बताया कि इस रैली को लेकर काफी उत्साह है जबकि उत्तराखंड के गुरमंगत सिह ने हमें एक कविता के जरिए बताया कि हम सच्चे हिंदुस्तानी हैं और हमारा पहला धर्म किसानी है. साथ ही हम सब जिम्मेदारी के साथ पीसफुल परेड करेंगे.
लगभग साढ़े 10 बजे ट्रैक्टरों का काफिला गाजीपुर से आनंद विहार की तरफ बढ़ा. इस दौरान बीच-बीच में सिख करतब भी दिखा रहे थे. लोग पीसफुली आगे बढ़ रहे थे. चारों तरफ पुलिस के जवान नजर आ रहे थे. इस दौरान मैं भी एक ट्रैक्टर में सवार हो गया जिसमें उत्तराखंड से स्कूली बच्चे अपने टीचरों के साथ आए हुए थे. बच्चे इस परेड को लेकर काफी उत्साहित थे.
उन्होंने अपनी ट्राली को सजाया हुआ था. वह ‘जय जवान जय किसान’ और ‘किसान-मजदूर एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपने कुछ साथियों के साथ माइक लेकर लोगों को समझाते हुए दिख रहे थे. काफिला आगे बढ़ने पर कुछ मनमोहक नजारे सामने आए. लोग सड़कों और घरों पर खड़े किसानों की परेड़ बड़े उत्साह से देख रहे थे. तो कहीं-कही किसानों पर फूलों की बरसात की जा रही थी.
लेकिन इस दौरान गाजीपुर से निकले किसान दो हिस्सों में बंट गए. कुछ आईटीओ की तरफ बढ़ गए और कुछ साहिबाबाद-गाजियाबाद की तरफ जा पहुंचे. मैं साहिबाबाद वाले काफिले में था. अप्सरा बॉर्डर पर पुलिस ने दिल्ली से जाने वालों का रास्ता खोला हुआ था लेकिन आने वालों के लिए रास्ता रोका गया था. फ्लाईओवर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई हुई थी. इस दौरान कुछ ट्रैक्टर तो आगे निकल गए लेकिन कुछ लोगों ने वहीं ट्रैक्टर रोक दिए और वे भी वापस जाकर लाल किले की तरफ जाने के लिए कहने लगे. इस दौरान आईटीओ से किसानों और पुलिस के बीच झड़प की खबरें भी आने शुरू हो गई थीं.
इसी बीच कुछ किसान यूपी की तरफ से आए और उन्होंने पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकैडिंग को तोड़ दिया और दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए. कुछ समय के लिए टकराव की स्थिति भी बनी लेकिन पुलिस ने ज्यादा कुछ नहीं किया और किसानों को दिल्ली जाने दिया. आगे शाहदरा-सीमापुरी टोल प्लाजा पर पहुंचने पर पुलिस ने किसानों को रोक दिया. आंसू गैस के गोले छोड़े गए, ट्रैक्टरों की हवा निकाल दी गई और किसानों की कई गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके बाद किसान आगे नहीं बढ़ पाए.
कई बार किसानों ने अप्सरा बॉर्डर से शाहदरा टोल प्लाजा की तरफ बढ़ने की कोशिश की लेकिन फिर वे आगे बढ़ नहीं पाए. इस दौरान कई घंटे तक इसी तरह की रस्साकशी चलती रही.
जब हम अप्सरा बॉर्डर से शाहदरा टोल प्लाजा पर पहुंचे तो किसान अपने ट्रैक्टरों में जैसे-तैसे हवा भरकर आगे-पीछे करने की कोशिश कर रहे थे. चारों तरफ हवा निकले ट्रैक्टर और टूटी गाड़ियां नजर आ रही थीं. पास ही पैट्रोल पंप पर उनके पहियों में हवा डालने का काम किया जा रहा था. वहां भारी पुलिस बल भी तैनात था.
बड़ौत से आए राजेंद्र सिंह ने बताया. "पुलिस ने उनके साथ अत्याचार किया है. उन्हें यही रूट दिया गया था लेकिन जब वे यहां पहुंचे तो आंसू गैस छोड़ी, और ट्रैक्टरों की हवा निकाल दी. उनके साथ ऐसा अत्याचार किया गया है, जो इससे पहले किसी सरकार ने नहीं किया. यह सरकार का घमंड है और इसका खमियाजा उसे भुगतना होगा."
कई और किसान भी पीएम मोदी को कोसते नजर आए. कुछ युवा अपनी स्कॉर्पियो में हवा भरने की कोशिश कर रहे थे. मैंने जैसे ही उनकी फोटो लेने की कोशिश की तो एक युवा ने पूछा कि क्या आप मीडिया से हैं. मैंने हामी भरी तो उसने कहा ये सब जगह दिखाना कि हमारे साथ क्या हाल किया है. वह मोदी सरकार से काफी नाराज दिखे. अंत में उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, ‘कर ले क्या करेगा, लाल किले पर झंडा तो फिर भी फहरा दिया.’
तब तक लाल किले में किसानों के घुसने और झंडा फहराने की खबरें आम हो चुकी थीं. आईटीओ पर एक किसान की मौत की खबर भी थी. यहां से लगभग 4 बजे मैं लाल किले की तरफ निकला लेकिन चारों तरफ के रास्ते बंद किए हुए थे. आखिर मैंने मैट्रो पकड़कर जाने का फैसला किया.
मण्डी हाउस मैट्रो स्टेशन पर दो लड़के आपस में बात कर रहे थे. उनमें एक बोला, मैं मोदी की बात नहीं कर रहा लेकिन अगर कोई भी 303 सीट लेकर आएगा तो यही करेगा.’
मण्डी हाउस पर मैट्रो में अनाउंसमेंट हुआ कि मैट्रो सुरक्षा कारणों से कारण बीच में कहीं नहीं रुकेगी. सीधे कश्मीरी गेट पर मैट्रो से उतर जब मैं लाल किले की तरफ बढ़ा तो किसान ट्रैक्टरों पर वापस आते दिख रहे थे. जब मैं दिन छिपने के बाद पैदल ही लाल किले पहुंचा तो अंदर तक बड़ी संख्या में किसानों के ट्रैक्टर खड़े थे. रैलिंग और टिकट काउंटर टूटे हुए थे.
अधिकतर लोग फोटो ले रहे थे तो कुछ लोग वीडिय़ो कॉल कर वहां का नजारा दिखा रहे थे. अंदर पूरे लाल किले पर पैरामिलिट्री के जवान कब्जा जमाए हुए थे. साथ ही बहुत भारी तादाद में अफसर भी जवानों के साथ चारों ओर गश्त कर रहे थे. लाल किले पर तिरंगे के साथ प्रदर्शनकारियों का झंडा अभी भी लहरा रहा था.
कुछ देर बाद पूरे लाल किले की लाइट बंद कर दी गई और पुलिस ने कई आंसू गैस के गोले छोड़े. जिससे प्रदर्शनकारी बाहर निकलें. इसके बाद लाल किले के अंदर से कई ट्रैक्टर बाहर निकलते दिखे. और लोगों में भी अफरा-तफरी नजर आई. जब मैं वहां से निकला तब भी बहुत से प्रदर्शनकारी लाल किले में जमा थे.
Also Read
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist
-
In Assam, a battered road leads to border Gorkha village with little to survive on
-
‘Well left, Rahul’: In Amethi vs Raebareli, the Congress is carefully picking its battles
-
Reporters Without Orders Ep 320: What it’s like to be ‘blacklisted’ by India