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फेरारी, रोलेक्स और टीआरपी में गड़बड़ी: बार्क के भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा है ऑडिट रिपोर्ट

मोनैको में फेरारी किराए पर लेना, कंपनी के पैसे से रोलेक्स घड़ियां खरीदना और टीआरपी रेटिंग में मनचाहे फेरबदल करना. ब्रॉडकास्ट रिसर्च ऑडियंस काउंसिल अथवा बार्क के कामकाज की फॉरेंसिक ऑडिट बताती है कि उपरोक्त हरकतें उसके पूर्व अधिकारियों की निर्लज्ज कारगुज़ारियों का नमूना भर हैं.

यह ऑडिट रिपोर्ट मुंबई की एक जोखिम प्रबंधन परामर्श संस्था, ऐक्विज़री रिस्क कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड या एआरसीपीएल के द्वारा बार्क के बोर्ड के द्वारा संपर्क किए जाने के बाद तैयार की गई थी. बोर्ड ने गलत क्रियाकलापों को लेकर आई अनेक शिकायतों के बाद इस ऑडिट को अनुमति दी थी. टीवी चैनलों की रेटिंग की प्रक्रिया में अशुद्धियां और उनके पूर्व वरिष्ठ प्रबंधन में सत्ता के केंद्रीकरण की शिकायतों के बाद इसका निर्णय किया गया था. उस समय पर बोर्ड में तत्कालीन सीईओ सुनील लुल्ला, बोर्ड के चेयरमैन पुनित गोयनका और उनके प्रबंधन आश्वासन के प्रमुख प्रशांत बालिगा थे.

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, बार्क के बोर्ड को विशिष्ट तौर पर 2017 में अंग्रेजी माध्यम में रेडी गो में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. बोर्ड ने एआरसीपीएल को मार्च में सूचना दी और जो लोग इसमें शामिल हो सकते हैं उनकी सूची उनके सुपुर्द कर दी.

एआरसीपीएल ने अपनी रिपोर्ट जुलाई 2020 में बालिगा के हवाले कर दी, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. इस रिपोर्ट को तब दवा दिया गया और यह दिसंबर में ही बाहर आई जब मुंबई पुलिस ने पीआर पर घोटाले की जांच शुरू की.

न्यूज़लॉन्ड्री ने एआरपीसीएल की रिपोर्ट को देखा है. यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर पूर्व अधिकारियों के एक समूह के द्वारा कथित तौर पर गड़बड़ियों को उजागर करती है, इस समूह में सीईओ पार्थो दासगुप्ता, सीओओ रोमिल रामगढ़िया, दक्षिण के प्रोडक्ट प्रमुख वेंकट सुजित सम्राट, कार्यनीति के उपाध्यक्ष पेखम बासु, पश्चिम क्षेत्र प्रमुख रुषभ मेहता और मुख्य जन अधिकारी और एचआर प्रमुख मानसी कुमार थे.

दासगुप्ता ने 6 साल संस्था के साथ रहने के बाद बार्क से अक्टूबर 2019 में इस्तीफा दे दिया था. उनको पिछले साल टीआरपी घोटाले से जुड़े होने के कारण 24 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया गया और वह अभी भी हिरासत में हैं. मुंबई की सेशन कोर्ट के द्वारा 20 जनवरी को उनकी जमानत की याचिका खारिज कर दी गई.

घोटाले में दासगुप्ता की भूमिका को और ज़्यादा सूक्ष्मता से देखा जाने लगा, जब पिछले हफ्ते मुंबई पुलिस ने उनके और रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्णब गोस्वामी के बीच की तथाकथित व्हाट्सएप पर हुई बातों को जारी किया. इस घोटाले में रिपब्लिक को भी शामिल होने में नामित किया गया है.

रामगढ़िया ने सीओओ का पद पिछली जुलाई में छोड़ दिया था और उन्हें मुंबई पुलिस के द्वारा दिसंबर में गिरफ्तार किया गया. उन्हें बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया. कुमार, मेहता और सम्राट भी बार्क को छोड़ चुके हैं.

एआरसीपीएल की रिपोर्ट कहती है कि दासगुप्ता, रामगढ़िया, सम्राट, मेहता और कुमार ने 2016 से 2019 के बीच टीआरपी रेटिंग में "गड़बड़ियां" कीं और बार्क के नियमों का उल्लंघन किया. इस समूह ने कथित तौर पर शोध और रेटिंग पर "नियंत्रण रखा", आपत्ति उठाने वाले कर्मचारियों को स्थानांतरित किया और संस्था के कोष का गलत इस्तेमाल करते हुए "महंगे उपहार खरीदे."

यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है कि बार्क के अधिकारियों ने कैसे "अपवाद के नियम और चैनल दर्शक नियंत्रण" को टीआरपी रेटिंग बदलने के लिए इस्तेमाल कर, "मनचाहे निष्कर्षों" को पाने के लिए इस्तेमाल किया. अंग्रेजी और तेलुगु के चैनलों में 2017, 2018 और 2019 के दौरान इन गड़बड़ियों के सबूत हैं. यह रिपोर्ट कहती है कि कुछ चैनलों के प्रति "पक्षपात" किया गया और कुछ मामलों में टीआरपी के "पूर्व निर्धारित" होने की तरफ इशारा करती है.

ऑडिट रिपोर्ट में किए गए उल्लंघनों कहा यह एक लेखा-जोखा है.

रेटिंग को काफी घटाया गया

रिपोर्ट के अनुसार दासगुप्ता को कम से कम दो चैनलों, रिपब्लिक और टाइम्स नाउ की रेटिंगों में हुए बदलाव के बारे में स्पष्ट रूप से पता था.

मिसाल के तौर पर, जून 2017 में रामगढ़िया और मेहता ने एक दूसरे को अंग्रेजी समाचार क्षेत्र की 24वें हफ्ते की रेटिंगों के बारे में ई-मेल किया था.

मेहता ने लिखा, "जैसा जरूरी था, टाइम्स नाउ के नंबर बदल दिए गए जबकि रिपब्लिक के वैसे ही रहने दिए गए हैं. देशव्यापी रूप से रिपब्लिक पहले नंबर पर है."

रिपोर्ट कहती है की "चैनल की रेटिंग बदलने" के लिए "री-रन" किया गया. री-रन का अर्थ है चैनल के दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए लोकप्रिय कार्यक्रमों को दोबारा से दिखाया जाना. लोकप्रिय कार्यक्रमों को दोबारा दिखाए जाने से कोई भी चैनल अपनी रेटिंग बढ़ा सकता है.

मेहता ने लिखा की टाइम्स नाउ के प्रभावों में "काफी कमी" थी आज रिपब्लिक टीवी "भारत, ग्रामीण भारत, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु में नंबर एक बन रहा था."

रामगढ़िया ने यह ईमेल आगे दासगुप्ता को भेज दिया.

11 जुलाई 2017 को मेहता ने दासगुप्ता को अंग्रेजी समाचार चैनलों के 27वें हफ्ते का डाटा ईमेल किया. उन्होंने लिखा, "टाइम्स नाउ, सीएनएन न्यूज़18 को बदल दिया जाएगा". 17 जुलाई को मेहता ने 28वें हफ्ते की जानकारी ईमेल की और लिखा, "टाइम्स नाउ बदला जाएगा."

रिपोर्ट इंगित करती है कि "टाइम्स नाउ के प्रभावों को सभी तरफ और 22+ M AB पर घटा दिया गया था. रिपब्लिक टीवी के प्रभाव बिना बदलाव जस के तस थे."

यहां पर 22+M AB, 22 वर्ष से अधिक के आदमियों को दर्शाता है, जो कि न्यूज़ कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम के अनुसार टीआरपी नापने का एक प्रकोष्ठ है.

14 अगस्त और 16 अगस्त को मेहता ने दासगुप्ता, रामगढ़िया और बासु को अंग्रेजी समाचार क्षेत्र की रेटिंग ईमेल की. रिपोर्ट कहती है कि, "हमने पाया कि टाइम्स नाउ की रेटिंग सभी तरफ और 22+ M AB में काफी कम कर दी गई थीं. जिसकी वजह से रिपब्लिक टीवी की रेटिंग टाइम्स नाउ से ऊपर चली गईं."

यह ईमेल उन कई ईमेल में से है जिससे रिपोर्ट यह निष्कर्ष निकालती है कि बार्क के अधिकारियों ने रिपब्लिक टीवी की रेटिंगों को टाइम्स नाउ की रेटिंग से आगे धकेला. न्यूजलॉन्ड्री ने रिपोर्ट के साथ संलग्न की गई इन सभी ईमेल को देखा.

रिपोर्ट रामगढ़िया, दासगुप्ता और कई और बार्क के अधिकारियों कि दर्ज की गई बातों से टीआरपी को "पहले से निर्धारित" किए जाने की तरफ इशारा करती है. रिपोर्ट 22 अप्रैल 2016 के एक आईमैसेज चैट के स्क्रीनशॉट को इंगित करती हैं जिसमें कथित तौर पर दासगुप्ता ने रामगढ़िया से पूछा, "क्या हम एबीपी को नंबर 3 पर नहीं पहुंचा सकते? हम नंबर 3 बनाकर इंडिया न्यूज़ को बढ़ावा दे रहे हैं."

रामगढ़िया जवाब में कहते हैं, "शहरी इलाकों में एबीपी नंबर तीन ही है. पिछले हफ्ते भी वही था. अपवाद हटाए जाने का एबीपी पर काफी गहरा असर पड़ रहा है."

ये अपवाद क्या हैं? बेस्ट मीडिया इन्फो के अनुसार, "बार्क के पास यह जांच का कोई तरीका नहीं है कि किसी चैनल की प्राप्त हुई दर्शकों की संख्या "प्राकृतिक" है या लैंडिंग पेज के मातहत मिली है. लैंडिंग पेज का अर्थ है वह चैनल जो टीवी चालू करने पर दर्शकों के सामने सबसे पहले आता है. इसीलिए बार्क "अपवाद नाम के नियम पर निर्भर रहता है, जिसका मतलब है कि किसी भी असाधारण पहुंच को बार्क तार्किक तौर पर सीमित करता है अनुमान लगाकर कि वह रेटिंग या तो लैंडिंग पेज, या दोहरे एलसीएन या घरों में लगे पैनल में छेड़छाड़ की वजह से आई है."

12 अप्रैल 2016 को एक दूसरे वार्तालाप में रामगढ़िया ने दास गुप्ता को यह बताते हुए संदेश भेजा कि वह अगले दिन विवेक मल्होत्रा से मिल रहे थे, मल्होत्रा उस समय इंडिया टुडे समूह के चीफ मार्केटिंग अधिकारी थे. रामगढ़िया ने कहा, "उन्हें नंबर दो के लिए तैयार कर दिया है."

ऑडिट रिपोर्ट में, उच्च अधिकारियों के द्वारा बार्क के कर्मचारियों को निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने के लिए दबाव बनाने के कई उदाहरण हैं. 31 मई 2016 को, एक सीमा सिंह नामक महिला शोध टीम को 17वें हफ्ते से 20वें हफ्ते तक अल्फा क्लब रिपोर्ट में सोनी सिक्स को शामिल करने के लिए ईमेल करती हैं. यह "अल्फा क्लब" बार्क के दर्शकों की संख्या के डाटा का मासिक सूचना पत्र है.

सोनी सिक्स को 18वें हफ्ते में आभासी चैनल की तरह शुरू किया गया, रिपोर्ट के द्वारा जांच रहे हैं समय काल के बीच में.

शोध टीम के एक सदस्य मुबिन खान ने जवाब में लिखा, "शोध के मानकों के हिसाब से सोनी सिक्स को नहीं जोड़ा जा सकता. मैंने इसे बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है! यही आखिरी रिपोर्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा."

हालांकि इसके 4 घंटे बाद खान ने ईमेल किया, "पार्थो के निर्देशों के हिसाब से, हम सोनी सिक्स को अल्फा क्लब रिपोर्ट में शामिल करेंगे… रोमिल से हुई बातचीत के अनुसार, शोध टीम इस रिपोर्ट का समर्थन नहीं करती."

दिसंबर 2017 में खान को हटाकर बार्क के परियोजना विभाग में भेज दिया गया. उन्हें सत्र 2017-18 के लिए "0" रेटिंग दी गई.

एआरसीपीएल की रिपोर्ट निष्कर्ष देती है, "हालांकि सीईओ होने के नाते पार्थो दासगुप्ता से प्रशासन और आचार के संरक्षक होने की आशा थी, हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि उन्होंने इसे नजरअंदाज किया. हमारे पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के काफी सबूत हैं कि पार्थो दासगुप्ता ने बार्क के अंदर प्रशासन और आचार को नष्ट करने में भूमिका निभाई, जिसकी वजह से बाजार में ब्रांड की विश्वसनीयता को धक्का लगा."

रिपोर्ट एक और रोचक बात की तरफ इशारा करती है कि कैसे साल दर साल दासगुप्ता के वेतन में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई. उन्होंने बार्क में 1.55 करोड प्रति वर्ष के वेतन पर 2013 में काम करना शुरू किया. 2019 में यह बढ़कर 3.65 करोड प्रति वर्ष हो चुका था. इन 6 सालों में उनकी हटाए जाने की राशि भी 0.55 करोड़ से बढ़कर, उनकी वार्षिक वेतन के 120 प्रतिशत तक हो चुकी थी.

फेरारी, रोलेक्स और गूची

नवंबर 2017 में बार्क का वरिष्ठ प्रबंधन यात्रा के लिए बार्सिलोना, नीस और मोनैको गया. दासगुप्ता भी उनमें से एक थे.

ऑडिट रिपोर्ट इस यात्रा की योजना की बातचीत को विस्तार से दर्ज़ करती है.

उसी साल मई में मानसी कुमार ने मुंबई के एक आलीशान कार्यक्रमों के आयोजक मैग्नैनिमस ग्रुप के एक कर्मचारी को इस यात्रा के प्रबंध करने के लिए ईमेल किया था. मानसी ने लिखा, "पार्थो और उनकी पत्नी समुद्र तट पर रुकना चाहेंगे (आदर्श तौर पर तट पर एक अच्छी जगह). बार्सिलोना में अपने समय के दौरान वह चाहते हैं कि उनके पास एक कार हो (वे जानना चाहेंगे कि क्या-क्या उपलब्ध है हालांकि वह कन्वर्टिबल पसंद करते हैं)."

मैग्नैनिमस के कर्मचारी ने जवाब में लिखा, "हमारा फेरारी की पूर्ति करने वाला व्यक्ति होटल पर होगा… फेरारी केलिफोर्निया को पहुंचाने के लिए."

एक सैर के लिए एक मिनीवैन का प्रबंध करने के लिए मेल में यह भी लिखा था, "सीईओ की फेरारी भी सैर पर जाएगी."

ऑडिट रिपोर्ट इंगित करती है कि, "यात्रा के बाकी लोगों को यह खर्च उठाने के लिए मजबूर किया गया."

मई 2018 में रामगढ़िया ने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर अज्ञात राशि में एक रोलेक्स घड़ी खरीदी. रिपोर्ट कहती है कि दासगुप्ता की रजामंदी से बार्क ने उनके पैसों की भरपाई कर दी और यह भी जोड़ा कि, "रोलेक्स घड़ी पार्थो के जन्मदिन पर उन्हें भेंट की गई."

ऑडिट रिपोर्ट में ऐसे कई खर्चों को रेखांकित किया गया जिनमें से एक, कुमार की इजाजत से नवंबर 2017 में खरीदा गया बॉलीवुड के निर्देशक करण जौहर के लिए "महंगा उपहार" है. उपहार की कीमत नहीं दर्ज की गई हालांकि इसके साथ संलग्न ईमेल दिखाता है कि उसे खरीदा गूची से गया था.

इसके साथ-साथ एआरसीपीएल की रिपोर्ट बताती है कि बार्क ने, चेयरमैन की स्वीकृति के बिना ही 2017-18 में अपने चुने हुए 22 कर्मचारियों के लिए 8.61 करोड़ रुपए की "दीर्घकालिक प्रोत्साहन राशि योजना" शुरू की. इसके लाभार्थियों में रामगढ़िया, सम्राट, बसु और कुमार भी थे और यह योजना 2022-23 तक देय थी.

पारिवारिक संबंध

दासगुप्ता के अलावा, रामगढ़िया बार्क के वह उच्च अधिकारी हैं जिनका नाम एआरसीपीएल की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर मिलता है.

रिपोर्ट दर्शाती है, "रोमिल सीधे तौर पर शामिल थे और उन्हें पता था कि किसी एक खास चैनल के पक्ष में रेटिंगों को बदला जा रहा है. इसके सुदृढ़ लक्षण हैं कि चैनलों की रेटिंग पूर्व निर्धारित थीं. यह संभव है कि डाटा को मनचाहे परिणाम पाने के लिए कई तरीकों से तोड़ा मरोड़ा गया."

ऑडिट करने वाली टीम को यह जानकारियां भी मिलीं जो इशारा करती हैं कि रामगढ़िया ने निहित स्वार्थ की पूर्ति करने वाला बर्ताव किया.

यह स्वार्थ पूरक बर्ताव रामगढ़िया के कथित तौर पर ज़ी बांग्ला और ज़ी बांग्ला सिनेमा पर प्रसारित बंगाली फिल्मों के "ब्रॉडकास्ट मॉनिटर डाटा" के साझा किए जाने से पैदा हुआ.

यह डाटा कोलकाता स्थित एसकेय समूह के एक भाग एसकेय मूवीज़ जो एक फिल्म निर्माता और वितरक कंपनी है, के साथ साझा किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार इस आग्रह को लेकर बार्क में "आंतरिक विमर्श" हुए, क्योंकि "यह डाटा एसकेय के द्वारा ज़ी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने में उपयोग किया जा सकता था और इसलिए कानूनी टीम भी इस विमर्श में शामिल थी." रामगढ़िया ने कानूनी मत का "विद्रोह" किया और एसकेय को "डाटा भेजने पर ज़ोर दिया."

उस समय, रामगढ़िया के भाई राकेश रामगढ़िया एसकेय थियेटर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे, जो एसकेय समूह का हिस्सा है.

ऐसी ही एक और घटना में, मानसी कुमार 2016 में एक "ईद समारोह के भोज" की व्यवस्था करने में शामिल थीं, जिसमें बिरयानी अफेयर नाम के एक रेस्टोरेंट से 54,405 रुपए का खाना मंगाया गया. इसी रेस्टोरेंट में 2016 और 2017 में बार्क के दो और कार्यक्रमों में खाने का प्रबंध किया. रिपोर्ट यह बताती है कि बिरयानी अफेयर्स की मालिक कुमार की बहन थीं, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया.

"रेटिंग बदल दो"

तेलुगु और कन्नड़ चैनलों के मामले में एआरसीपीएल की रिपोर्ट वेंकट सुजित सम्राट के "रेटिंग से गड़बड़ी" करने में शामिल होने की तरफ इशारा करती है.

उदाहरण के तौर पर जनवरी 2017 में एक कर्मचारी ने तेलुगु समाचार चैनलों की पहले हफ्ते की रेटिंग सम्राट को भेजीं. सम्राट ने एक ईमेल रामगढ़िया, मेहता और रजनीश राठौर को भेजी जिसमें कहा गया, "हमें TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और TV10 को काट देना चाहिेए."

वे एक दूसरे ईमेल में रामगढ़िया को लिखते हैं, "हमें साक्षी व एचएमटीवी को भी थोड़ा नीचे लाना होगा…करीब 10-12 अंकों की बढ़त तक." उनकी एक और ईमेल पूछती है, "क्या हम TV9 की बढ़त को 39 अंकों की जगह 25 तक ही सीमित कर सकते हैं?"

ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि अगस्त 2018 में सम्राट ने "TV5 कन्नड़, एनटीवी, एबीएन TV5 तेलुगु, AP 24x7 और आई न्यूज़ की रेटिंग में परिवर्तन करने के लिए आग्रह किया था."

पेखम बासु भी इसमें शामिल थे, उन्होंने फरवरी 2017 में रामगढ़िया, राठौर, मेहता और बाकी अधिकारियों को ईमेल किया, "तेलुगु समाचार क्षेत्र की रैंकिंग को देखे जाने की जरूरत है. TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और टी न्यूज़ को एन टीवी से नीचे लाया जाए. TV9 नीचे गया है, जो कि ठीक है. कृपया उसे एन टीवी के पास ही रखें."

बासु का नाम टाइम्स नाउ की रेटिंगों से छेड़खानी में भी उभरकर आता है. वह 20 अगस्त 2017 को रामगढ़िया और मेहता को ईमेल करते हैं, "अंग्रेजी समाचारों में कुछ रैंकिंग के मुद्दे हैं. मैंने टाइम्स नाउ को मंगलवार को छोड़कर बाकी सभी दिनों में नियंत्रण में रखा है- इससे उसे रिपब्लिक टीवी के नीचे आ जाना चाहिए. री-रन के बाद देखते हैं. टीम रिपब्लिक टीवी के नीचे आने के कारणों को ढूंढेंगी."

नियमों का उल्लंघन

मानसी कुमार एक और अधिकारी हैं जिनका नाम इस रिपोर्ट में काफी प्रधानता से आता है, वह उस समय बार्क की मुख्य जन अधिकारी और मानव संसाधन विभाग की प्रमुख थीं. उन पर "कार्य क्षेत्र के आचार और नियमों के उल्लंघन करने वाले कामों में शामिल होने" का आरोप है.

रिपोर्ट कहती है, "यह देखा गया कि वह कुछ विशिष्ट विक्रेताओं का पक्ष लेती थीं और उनके साथ उनकी प्रतिद्वंदी कंपनियों आर्थिक हवाले साझा करती थीं, जुटाने की प्रक्रिया का उल्लंघन करती थीं, संस्था के पैसों का दुरुपयोग, रेटिंग से गड़बड़ी पर आपत्ति जताने वाले लोगों का स्थानांतरण और प्रदर्शन पर आधारित लाभराशी की संभाल में लापरवाही दिखाती थीं."

यह भी आरोप लग रहा है कि मानसी कुमार ने बार्क के विश्लेषण विभाग के प्रमुख विजय सुब्रमण्यन के स्थानांतरण में "मुख्य भूमिका" निभाई थी, जब उन्होंने "अनुचित क्रियाकलापों का विरोध" किया.

जुलाई 2016 में सुब्रमण्यन ने रामगढ़िया को एक ई-मेल भेजा जिस में शिकायत की गई थी कि शोध टीम पर डाटा बदलने के लिए "दबाव" डाला गया था. अगस्त में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था. रिपोर्ट यह नहीं स्पष्ट करती कि उन्हें कहां भेजा गया.

कुमार 2016 में बार्क का हिस्सा बनीं और 4 सालों में उनकी सालाना तनख्वाह 44 लाख से बढ़कर 91.88 लाख हो गई. रिपोर्ट कहती है कि 2017 में उनका सालाना वेतन 55 प्रतिशत बढ़ा जबकि बढ़त का संस्थागत औसत 10 प्रतिशत था.

मोनैको में फेरारी किराए पर लेना, कंपनी के पैसे से रोलेक्स घड़ियां खरीदना और टीआरपी रेटिंग में मनचाहे फेरबदल करना. ब्रॉडकास्ट रिसर्च ऑडियंस काउंसिल अथवा बार्क के कामकाज की फॉरेंसिक ऑडिट बताती है कि उपरोक्त हरकतें उसके पूर्व अधिकारियों की निर्लज्ज कारगुज़ारियों का नमूना भर हैं.

यह ऑडिट रिपोर्ट मुंबई की एक जोखिम प्रबंधन परामर्श संस्था, ऐक्विज़री रिस्क कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड या एआरसीपीएल के द्वारा बार्क के बोर्ड के द्वारा संपर्क किए जाने के बाद तैयार की गई थी. बोर्ड ने गलत क्रियाकलापों को लेकर आई अनेक शिकायतों के बाद इस ऑडिट को अनुमति दी थी. टीवी चैनलों की रेटिंग की प्रक्रिया में अशुद्धियां और उनके पूर्व वरिष्ठ प्रबंधन में सत्ता के केंद्रीकरण की शिकायतों के बाद इसका निर्णय किया गया था. उस समय पर बोर्ड में तत्कालीन सीईओ सुनील लुल्ला, बोर्ड के चेयरमैन पुनित गोयनका और उनके प्रबंधन आश्वासन के प्रमुख प्रशांत बालिगा थे.

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, बार्क के बोर्ड को विशिष्ट तौर पर 2017 में अंग्रेजी माध्यम में रेडी गो में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. बोर्ड ने एआरसीपीएल को मार्च में सूचना दी और जो लोग इसमें शामिल हो सकते हैं उनकी सूची उनके सुपुर्द कर दी.

एआरसीपीएल ने अपनी रिपोर्ट जुलाई 2020 में बालिगा के हवाले कर दी, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. इस रिपोर्ट को तब दवा दिया गया और यह दिसंबर में ही बाहर आई जब मुंबई पुलिस ने पीआर पर घोटाले की जांच शुरू की.

न्यूज़लॉन्ड्री ने एआरपीसीएल की रिपोर्ट को देखा है. यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर पूर्व अधिकारियों के एक समूह के द्वारा कथित तौर पर गड़बड़ियों को उजागर करती है, इस समूह में सीईओ पार्थो दासगुप्ता, सीओओ रोमिल रामगढ़िया, दक्षिण के प्रोडक्ट प्रमुख वेंकट सुजित सम्राट, कार्यनीति के उपाध्यक्ष पेखम बासु, पश्चिम क्षेत्र प्रमुख रुषभ मेहता और मुख्य जन अधिकारी और एचआर प्रमुख मानसी कुमार थे.

दासगुप्ता ने 6 साल संस्था के साथ रहने के बाद बार्क से अक्टूबर 2019 में इस्तीफा दे दिया था. उनको पिछले साल टीआरपी घोटाले से जुड़े होने के कारण 24 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया गया और वह अभी भी हिरासत में हैं. मुंबई की सेशन कोर्ट के द्वारा 20 जनवरी को उनकी जमानत की याचिका खारिज कर दी गई.

घोटाले में दासगुप्ता की भूमिका को और ज़्यादा सूक्ष्मता से देखा जाने लगा, जब पिछले हफ्ते मुंबई पुलिस ने उनके और रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्णब गोस्वामी के बीच की तथाकथित व्हाट्सएप पर हुई बातों को जारी किया. इस घोटाले में रिपब्लिक को भी शामिल होने में नामित किया गया है.

रामगढ़िया ने सीओओ का पद पिछली जुलाई में छोड़ दिया था और उन्हें मुंबई पुलिस के द्वारा दिसंबर में गिरफ्तार किया गया. उन्हें बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया. कुमार, मेहता और सम्राट भी बार्क को छोड़ चुके हैं.

एआरसीपीएल की रिपोर्ट कहती है कि दासगुप्ता, रामगढ़िया, सम्राट, मेहता और कुमार ने 2016 से 2019 के बीच टीआरपी रेटिंग में "गड़बड़ियां" कीं और बार्क के नियमों का उल्लंघन किया. इस समूह ने कथित तौर पर शोध और रेटिंग पर "नियंत्रण रखा", आपत्ति उठाने वाले कर्मचारियों को स्थानांतरित किया और संस्था के कोष का गलत इस्तेमाल करते हुए "महंगे उपहार खरीदे."

यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है कि बार्क के अधिकारियों ने कैसे "अपवाद के नियम और चैनल दर्शक नियंत्रण" को टीआरपी रेटिंग बदलने के लिए इस्तेमाल कर, "मनचाहे निष्कर्षों" को पाने के लिए इस्तेमाल किया. अंग्रेजी और तेलुगु के चैनलों में 2017, 2018 और 2019 के दौरान इन गड़बड़ियों के सबूत हैं. यह रिपोर्ट कहती है कि कुछ चैनलों के प्रति "पक्षपात" किया गया और कुछ मामलों में टीआरपी के "पूर्व निर्धारित" होने की तरफ इशारा करती है.

ऑडिट रिपोर्ट में किए गए उल्लंघनों कहा यह एक लेखा-जोखा है.

रेटिंग को काफी घटाया गया

रिपोर्ट के अनुसार दासगुप्ता को कम से कम दो चैनलों, रिपब्लिक और टाइम्स नाउ की रेटिंगों में हुए बदलाव के बारे में स्पष्ट रूप से पता था.

मिसाल के तौर पर, जून 2017 में रामगढ़िया और मेहता ने एक दूसरे को अंग्रेजी समाचार क्षेत्र की 24वें हफ्ते की रेटिंगों के बारे में ई-मेल किया था.

मेहता ने लिखा, "जैसा जरूरी था, टाइम्स नाउ के नंबर बदल दिए गए जबकि रिपब्लिक के वैसे ही रहने दिए गए हैं. देशव्यापी रूप से रिपब्लिक पहले नंबर पर है."

रिपोर्ट कहती है की "चैनल की रेटिंग बदलने" के लिए "री-रन" किया गया. री-रन का अर्थ है चैनल के दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए लोकप्रिय कार्यक्रमों को दोबारा से दिखाया जाना. लोकप्रिय कार्यक्रमों को दोबारा दिखाए जाने से कोई भी चैनल अपनी रेटिंग बढ़ा सकता है.

मेहता ने लिखा की टाइम्स नाउ के प्रभावों में "काफी कमी" थी आज रिपब्लिक टीवी "भारत, ग्रामीण भारत, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु में नंबर एक बन रहा था."

रामगढ़िया ने यह ईमेल आगे दासगुप्ता को भेज दिया.

11 जुलाई 2017 को मेहता ने दासगुप्ता को अंग्रेजी समाचार चैनलों के 27वें हफ्ते का डाटा ईमेल किया. उन्होंने लिखा, "टाइम्स नाउ, सीएनएन न्यूज़18 को बदल दिया जाएगा". 17 जुलाई को मेहता ने 28वें हफ्ते की जानकारी ईमेल की और लिखा, "टाइम्स नाउ बदला जाएगा."

रिपोर्ट इंगित करती है कि "टाइम्स नाउ के प्रभावों को सभी तरफ और 22+ M AB पर घटा दिया गया था. रिपब्लिक टीवी के प्रभाव बिना बदलाव जस के तस थे."

यहां पर 22+M AB, 22 वर्ष से अधिक के आदमियों को दर्शाता है, जो कि न्यूज़ कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम के अनुसार टीआरपी नापने का एक प्रकोष्ठ है.

14 अगस्त और 16 अगस्त को मेहता ने दासगुप्ता, रामगढ़िया और बासु को अंग्रेजी समाचार क्षेत्र की रेटिंग ईमेल की. रिपोर्ट कहती है कि, "हमने पाया कि टाइम्स नाउ की रेटिंग सभी तरफ और 22+ M AB में काफी कम कर दी गई थीं. जिसकी वजह से रिपब्लिक टीवी की रेटिंग टाइम्स नाउ से ऊपर चली गईं."

यह ईमेल उन कई ईमेल में से है जिससे रिपोर्ट यह निष्कर्ष निकालती है कि बार्क के अधिकारियों ने रिपब्लिक टीवी की रेटिंगों को टाइम्स नाउ की रेटिंग से आगे धकेला. न्यूजलॉन्ड्री ने रिपोर्ट के साथ संलग्न की गई इन सभी ईमेल को देखा.

रिपोर्ट रामगढ़िया, दासगुप्ता और कई और बार्क के अधिकारियों कि दर्ज की गई बातों से टीआरपी को "पहले से निर्धारित" किए जाने की तरफ इशारा करती है. रिपोर्ट 22 अप्रैल 2016 के एक आईमैसेज चैट के स्क्रीनशॉट को इंगित करती हैं जिसमें कथित तौर पर दासगुप्ता ने रामगढ़िया से पूछा, "क्या हम एबीपी को नंबर 3 पर नहीं पहुंचा सकते? हम नंबर 3 बनाकर इंडिया न्यूज़ को बढ़ावा दे रहे हैं."

रामगढ़िया जवाब में कहते हैं, "शहरी इलाकों में एबीपी नंबर तीन ही है. पिछले हफ्ते भी वही था. अपवाद हटाए जाने का एबीपी पर काफी गहरा असर पड़ रहा है."

ये अपवाद क्या हैं? बेस्ट मीडिया इन्फो के अनुसार, "बार्क के पास यह जांच का कोई तरीका नहीं है कि किसी चैनल की प्राप्त हुई दर्शकों की संख्या "प्राकृतिक" है या लैंडिंग पेज के मातहत मिली है. लैंडिंग पेज का अर्थ है वह चैनल जो टीवी चालू करने पर दर्शकों के सामने सबसे पहले आता है. इसीलिए बार्क "अपवाद नाम के नियम पर निर्भर रहता है, जिसका मतलब है कि किसी भी असाधारण पहुंच को बार्क तार्किक तौर पर सीमित करता है अनुमान लगाकर कि वह रेटिंग या तो लैंडिंग पेज, या दोहरे एलसीएन या घरों में लगे पैनल में छेड़छाड़ की वजह से आई है."

12 अप्रैल 2016 को एक दूसरे वार्तालाप में रामगढ़िया ने दास गुप्ता को यह बताते हुए संदेश भेजा कि वह अगले दिन विवेक मल्होत्रा से मिल रहे थे, मल्होत्रा उस समय इंडिया टुडे समूह के चीफ मार्केटिंग अधिकारी थे. रामगढ़िया ने कहा, "उन्हें नंबर दो के लिए तैयार कर दिया है."

ऑडिट रिपोर्ट में, उच्च अधिकारियों के द्वारा बार्क के कर्मचारियों को निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने के लिए दबाव बनाने के कई उदाहरण हैं. 31 मई 2016 को, एक सीमा सिंह नामक महिला शोध टीम को 17वें हफ्ते से 20वें हफ्ते तक अल्फा क्लब रिपोर्ट में सोनी सिक्स को शामिल करने के लिए ईमेल करती हैं. यह "अल्फा क्लब" बार्क के दर्शकों की संख्या के डाटा का मासिक सूचना पत्र है.

सोनी सिक्स को 18वें हफ्ते में आभासी चैनल की तरह शुरू किया गया, रिपोर्ट के द्वारा जांच रहे हैं समय काल के बीच में.

शोध टीम के एक सदस्य मुबिन खान ने जवाब में लिखा, "शोध के मानकों के हिसाब से सोनी सिक्स को नहीं जोड़ा जा सकता. मैंने इसे बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है! यही आखिरी रिपोर्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा."

हालांकि इसके 4 घंटे बाद खान ने ईमेल किया, "पार्थो के निर्देशों के हिसाब से, हम सोनी सिक्स को अल्फा क्लब रिपोर्ट में शामिल करेंगे… रोमिल से हुई बातचीत के अनुसार, शोध टीम इस रिपोर्ट का समर्थन नहीं करती."

दिसंबर 2017 में खान को हटाकर बार्क के परियोजना विभाग में भेज दिया गया. उन्हें सत्र 2017-18 के लिए "0" रेटिंग दी गई.

एआरसीपीएल की रिपोर्ट निष्कर्ष देती है, "हालांकि सीईओ होने के नाते पार्थो दासगुप्ता से प्रशासन और आचार के संरक्षक होने की आशा थी, हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि उन्होंने इसे नजरअंदाज किया. हमारे पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के काफी सबूत हैं कि पार्थो दासगुप्ता ने बार्क के अंदर प्रशासन और आचार को नष्ट करने में भूमिका निभाई, जिसकी वजह से बाजार में ब्रांड की विश्वसनीयता को धक्का लगा."

रिपोर्ट एक और रोचक बात की तरफ इशारा करती है कि कैसे साल दर साल दासगुप्ता के वेतन में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई. उन्होंने बार्क में 1.55 करोड प्रति वर्ष के वेतन पर 2013 में काम करना शुरू किया. 2019 में यह बढ़कर 3.65 करोड प्रति वर्ष हो चुका था. इन 6 सालों में उनकी हटाए जाने की राशि भी 0.55 करोड़ से बढ़कर, उनकी वार्षिक वेतन के 120 प्रतिशत तक हो चुकी थी.

फेरारी, रोलेक्स और गूची

नवंबर 2017 में बार्क का वरिष्ठ प्रबंधन यात्रा के लिए बार्सिलोना, नीस और मोनैको गया. दासगुप्ता भी उनमें से एक थे.

ऑडिट रिपोर्ट इस यात्रा की योजना की बातचीत को विस्तार से दर्ज़ करती है.

उसी साल मई में मानसी कुमार ने मुंबई के एक आलीशान कार्यक्रमों के आयोजक मैग्नैनिमस ग्रुप के एक कर्मचारी को इस यात्रा के प्रबंध करने के लिए ईमेल किया था. मानसी ने लिखा, "पार्थो और उनकी पत्नी समुद्र तट पर रुकना चाहेंगे (आदर्श तौर पर तट पर एक अच्छी जगह). बार्सिलोना में अपने समय के दौरान वह चाहते हैं कि उनके पास एक कार हो (वे जानना चाहेंगे कि क्या-क्या उपलब्ध है हालांकि वह कन्वर्टिबल पसंद करते हैं)."

मैग्नैनिमस के कर्मचारी ने जवाब में लिखा, "हमारा फेरारी की पूर्ति करने वाला व्यक्ति होटल पर होगा… फेरारी केलिफोर्निया को पहुंचाने के लिए."

एक सैर के लिए एक मिनीवैन का प्रबंध करने के लिए मेल में यह भी लिखा था, "सीईओ की फेरारी भी सैर पर जाएगी."

ऑडिट रिपोर्ट इंगित करती है कि, "यात्रा के बाकी लोगों को यह खर्च उठाने के लिए मजबूर किया गया."

मई 2018 में रामगढ़िया ने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर अज्ञात राशि में एक रोलेक्स घड़ी खरीदी. रिपोर्ट कहती है कि दासगुप्ता की रजामंदी से बार्क ने उनके पैसों की भरपाई कर दी और यह भी जोड़ा कि, "रोलेक्स घड़ी पार्थो के जन्मदिन पर उन्हें भेंट की गई."

ऑडिट रिपोर्ट में ऐसे कई खर्चों को रेखांकित किया गया जिनमें से एक, कुमार की इजाजत से नवंबर 2017 में खरीदा गया बॉलीवुड के निर्देशक करण जौहर के लिए "महंगा उपहार" है. उपहार की कीमत नहीं दर्ज की गई हालांकि इसके साथ संलग्न ईमेल दिखाता है कि उसे खरीदा गूची से गया था.

इसके साथ-साथ एआरसीपीएल की रिपोर्ट बताती है कि बार्क ने, चेयरमैन की स्वीकृति के बिना ही 2017-18 में अपने चुने हुए 22 कर्मचारियों के लिए 8.61 करोड़ रुपए की "दीर्घकालिक प्रोत्साहन राशि योजना" शुरू की. इसके लाभार्थियों में रामगढ़िया, सम्राट, बसु और कुमार भी थे और यह योजना 2022-23 तक देय थी.

पारिवारिक संबंध

दासगुप्ता के अलावा, रामगढ़िया बार्क के वह उच्च अधिकारी हैं जिनका नाम एआरसीपीएल की रिपोर्ट में मुख्य तौर पर मिलता है.

रिपोर्ट दर्शाती है, "रोमिल सीधे तौर पर शामिल थे और उन्हें पता था कि किसी एक खास चैनल के पक्ष में रेटिंगों को बदला जा रहा है. इसके सुदृढ़ लक्षण हैं कि चैनलों की रेटिंग पूर्व निर्धारित थीं. यह संभव है कि डाटा को मनचाहे परिणाम पाने के लिए कई तरीकों से तोड़ा मरोड़ा गया."

ऑडिट करने वाली टीम को यह जानकारियां भी मिलीं जो इशारा करती हैं कि रामगढ़िया ने निहित स्वार्थ की पूर्ति करने वाला बर्ताव किया.

यह स्वार्थ पूरक बर्ताव रामगढ़िया के कथित तौर पर ज़ी बांग्ला और ज़ी बांग्ला सिनेमा पर प्रसारित बंगाली फिल्मों के "ब्रॉडकास्ट मॉनिटर डाटा" के साझा किए जाने से पैदा हुआ.

यह डाटा कोलकाता स्थित एसकेय समूह के एक भाग एसकेय मूवीज़ जो एक फिल्म निर्माता और वितरक कंपनी है, के साथ साझा किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार इस आग्रह को लेकर बार्क में "आंतरिक विमर्श" हुए, क्योंकि "यह डाटा एसकेय के द्वारा ज़ी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने में उपयोग किया जा सकता था और इसलिए कानूनी टीम भी इस विमर्श में शामिल थी." रामगढ़िया ने कानूनी मत का "विद्रोह" किया और एसकेय को "डाटा भेजने पर ज़ोर दिया."

उस समय, रामगढ़िया के भाई राकेश रामगढ़िया एसकेय थियेटर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक थे, जो एसकेय समूह का हिस्सा है.

ऐसी ही एक और घटना में, मानसी कुमार 2016 में एक "ईद समारोह के भोज" की व्यवस्था करने में शामिल थीं, जिसमें बिरयानी अफेयर नाम के एक रेस्टोरेंट से 54,405 रुपए का खाना मंगाया गया. इसी रेस्टोरेंट में 2016 और 2017 में बार्क के दो और कार्यक्रमों में खाने का प्रबंध किया. रिपोर्ट यह बताती है कि बिरयानी अफेयर्स की मालिक कुमार की बहन थीं, लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया.

"रेटिंग बदल दो"

तेलुगु और कन्नड़ चैनलों के मामले में एआरसीपीएल की रिपोर्ट वेंकट सुजित सम्राट के "रेटिंग से गड़बड़ी" करने में शामिल होने की तरफ इशारा करती है.

उदाहरण के तौर पर जनवरी 2017 में एक कर्मचारी ने तेलुगु समाचार चैनलों की पहले हफ्ते की रेटिंग सम्राट को भेजीं. सम्राट ने एक ईमेल रामगढ़िया, मेहता और रजनीश राठौर को भेजी जिसमें कहा गया, "हमें TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और TV10 को काट देना चाहिेए."

वे एक दूसरे ईमेल में रामगढ़िया को लिखते हैं, "हमें साक्षी व एचएमटीवी को भी थोड़ा नीचे लाना होगा…करीब 10-12 अंकों की बढ़त तक." उनकी एक और ईमेल पूछती है, "क्या हम TV9 की बढ़त को 39 अंकों की जगह 25 तक ही सीमित कर सकते हैं?"

ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि अगस्त 2018 में सम्राट ने "TV5 कन्नड़, एनटीवी, एबीएन TV5 तेलुगु, AP 24x7 और आई न्यूज़ की रेटिंग में परिवर्तन करने के लिए आग्रह किया था."

पेखम बासु भी इसमें शामिल थे, उन्होंने फरवरी 2017 में रामगढ़िया, राठौर, मेहता और बाकी अधिकारियों को ईमेल किया, "तेलुगु समाचार क्षेत्र की रैंकिंग को देखे जाने की जरूरत है. TV5, एबीएन आंध्र ज्योति और टी न्यूज़ को एन टीवी से नीचे लाया जाए. TV9 नीचे गया है, जो कि ठीक है. कृपया उसे एन टीवी के पास ही रखें."

बासु का नाम टाइम्स नाउ की रेटिंगों से छेड़खानी में भी उभरकर आता है. वह 20 अगस्त 2017 को रामगढ़िया और मेहता को ईमेल करते हैं, "अंग्रेजी समाचारों में कुछ रैंकिंग के मुद्दे हैं. मैंने टाइम्स नाउ को मंगलवार को छोड़कर बाकी सभी दिनों में नियंत्रण में रखा है- इससे उसे रिपब्लिक टीवी के नीचे आ जाना चाहिए. री-रन के बाद देखते हैं. टीम रिपब्लिक टीवी के नीचे आने के कारणों को ढूंढेंगी."

नियमों का उल्लंघन

मानसी कुमार एक और अधिकारी हैं जिनका नाम इस रिपोर्ट में काफी प्रधानता से आता है, वह उस समय बार्क की मुख्य जन अधिकारी और मानव संसाधन विभाग की प्रमुख थीं. उन पर "कार्य क्षेत्र के आचार और नियमों के उल्लंघन करने वाले कामों में शामिल होने" का आरोप है.

रिपोर्ट कहती है, "यह देखा गया कि वह कुछ विशिष्ट विक्रेताओं का पक्ष लेती थीं और उनके साथ उनकी प्रतिद्वंदी कंपनियों आर्थिक हवाले साझा करती थीं, जुटाने की प्रक्रिया का उल्लंघन करती थीं, संस्था के पैसों का दुरुपयोग, रेटिंग से गड़बड़ी पर आपत्ति जताने वाले लोगों का स्थानांतरण और प्रदर्शन पर आधारित लाभराशी की संभाल में लापरवाही दिखाती थीं."

यह भी आरोप लग रहा है कि मानसी कुमार ने बार्क के विश्लेषण विभाग के प्रमुख विजय सुब्रमण्यन के स्थानांतरण में "मुख्य भूमिका" निभाई थी, जब उन्होंने "अनुचित क्रियाकलापों का विरोध" किया.

जुलाई 2016 में सुब्रमण्यन ने रामगढ़िया को एक ई-मेल भेजा जिस में शिकायत की गई थी कि शोध टीम पर डाटा बदलने के लिए "दबाव" डाला गया था. अगस्त में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था. रिपोर्ट यह नहीं स्पष्ट करती कि उन्हें कहां भेजा गया.

कुमार 2016 में बार्क का हिस्सा बनीं और 4 सालों में उनकी सालाना तनख्वाह 44 लाख से बढ़कर 91.88 लाख हो गई. रिपोर्ट कहती है कि 2017 में उनका सालाना वेतन 55 प्रतिशत बढ़ा जबकि बढ़त का संस्थागत औसत 10 प्रतिशत था.