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वैक्सीन टीकाकरण: संशय, डर और मीडिया की नो एंट्री

शनिवार, 16 जनवरी को कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए भारत में भी टीकाकरण अभियान शुरू हो गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार देर शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि आज 1,65,714 लोगों को ही टीका लगाया जा सका. साथ ही बताया कि वैक्सीनेशन के लिए 3,351 सेंटर बनाए गए थे. जिन पर 16,755 लोगों की ड्यूटी लगाई गई थी.

टीकाकरण के पहले दिन तीन लाख हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन दी जानी थी लेकिन रात तक ये संख्या 165714 से बढ़कर 1.91 लाख तक ही पहुंच पाई. यानी सरकार पहले दिन का टारगेट पूरा करने में नाकाम रही. और लक्ष्य से 60% कम लोगों को ही टीका लग सका. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी #LargestVaccineDrive के हैशटैग के साथ अपने ट्विटर हैंडल से राज्यवार वैक्सीन लेने वाले लोगों की सूची जारी की थी.

हालांकि कोरोना वैक्सीन लगने से पहले ही कई तरह की भ्रांतियां लोगों के मन में पैदा हो गई थीं. साइड इफेक्ट्स के बारे में कई लोगों की आशंकाएं अब भी बनी हुई हैं. जिस कारण अभी भी लोग टीकाकरण के प्रति उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं.

दिल्ली की बात करें तो यहां 11 जिलों में टीकाकरण अभियान के पहले दिन 8,117 हेल्थ वर्कर्स को टीका लगाने का टारगेट था, लेकिन कुल 4,319 लोगों को ही टीका लग पाया. यहां कुल 81 केंद्रों पर टीकाकरण अभियान चलाया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी एम्स में मौजूद रहे और उन्होंने टीका लगवाने वाले एक सैनिटेशन वर्कर मनीष कुमार की टीका लगवाते हुए तस्वीर भी ट्विटर पर पोस्ट की. हालांकि मंत्री जी ने खुद टीका नहीं लगवाया.

हमने भी दिल्ली के एक सेंटर पर जाकर इस अभियान और प्रक्रिया का जायजा लेने की कोशिश की. इसके लिए हमने दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले श्री निवासपुरी के एक कोविड सेंटर को चुना. जब हम यहां पहुंचे तो गेट से अंदर घुसते ही सामने निगम पार्षद राजपाल सिंह का एक इस्तेहार फोटो के साथ नजर आया जिस पर लिखा था- ‘दिल्ली का पहला कोविड-19 वैक्सीन सेंटर का उदघाटन.’

यहां अंदर जाने पर पता चला कि वैक्सीन तो यहीं आई थी, लेकिन टीकाकरण यहां नहीं बल्कि पास ही नेहरू नगर स्थित ‘विमहंस नयति सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल’ में किया जा रहा है. वहां, इसी सेंटर से वैक्सीन गई है, साथ ही यहां के इंचार्ज भी वहीं हैं.

इसके बाद हम नेहरू नगर स्थित विमहंस हॉस्पिटल पहुंचे तो गेट पर गार्ड ने बताया कि मीडिया के लिए एंट्री नहीं है. इस पर हमने बड़े अधिकारियों से बात कराने की बात कही तो गार्ड ने हमारी वहां के सिक्योरिटी शिफ्ट इंचार्ज पवन सिंह हुड्डा से बात कराई. वह हमसे फोन पर बातचीत के बाद मिले और किसी भी फोटो और वीडियो की मनाही के साथ बात की.

इस बीच यहां वैक्सीन टीकाकरण और दूसरे आने वाले मरीजों के साथ ही कभी-कभी पुलिस की गाड़ी भी चक्कर लगाकर जा रही थी.

पवन ने बताया कि मीडिया की यहां एंट्री सख्ती के साथ मना है. आपको अगर कुछ पूछना है तो मैं ही बता सकता हूं.

आखिर हमने पवन से ही अस्पताल में इस टीकाकरण प्रक्रिया के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, “हमारे यहां सुबह 8 बजे कोविड की 28,000 डोज आई थीं. आज सबसे पहले नर्सिंग स्टाफ को टीका लगाया जा रहा है. सुबह 10 बजे से टीकाकरण शुरू हुआ है. पहला टीका एक ओटी कर्मचारी को लगा है. बाकि एक आदमी की पूरी प्रक्रिया में घंटे भर का समय तो लग रहा है. अब तक (2 बजे) 8 लोगों के टीका लगा है, क्योंकि टीका लगने के आधे घंटे तक मरीज को ये देखने के लिए कि कोई साइड इफैक्ट न हो वहीं रखा जा रहा है. उसके बाद उसे भेजा जाता है. अस्पताल की पहली मंजिल पर टीकाकरण चल रहा है. बाकि अभी तक जिन्हें यहां टीका लगा है, वो पूरी तरह सुरक्षित हैं. डॉक्टर और सिक्योरिटी को लगाकर इसमें कुल 20 लोगों का स्टाफ है. बाकि जैसा हम देख रहे हैं. वैक्सीन को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं है और लोग संशय में और डरे हुए हैं.”

बातचीत के दौरान हमने देखा कि अस्पताल में अंदर जाने के लिए टीकाकरण और सामान्य ओपीडी मरीजों के लिए एक ही रास्ता था. पवन ने ये जरूर बताया कि अंदर जाकर पहले फ्लोर पर टीकाकरण वालों के लिए वार्ड बनाए हैं. हालांकि हमें वहां जाकर देखने की इजाजत नहीं थी. हमने अंत में पवन से अस्पताल के टीकाकरण इंचार्ज से बात कराने और एक बार मिलने को कहा तो पवन ने एमएस डॉ. उबैद को फोन लगाकर कहा कि पूछता हूं. उधर से डॉ. ने मिलने से मना किया तो मैंने फोन पर ही कुछ देर बात करने के लिए कहा. इसके बाद डॉ. उबैद से हमने बात की.

बेहद संक्षिप्त बातचीत में डॉ. उबैद ने बताया, "हमें मीडिया से मिलने के लिए सख्ती से मना किया गया है. बाकि वैक्सीन टीकाकरण अभियान बहुत अच्छा चल रहा है."

इसके बाद हम पवन हुड्डा से बात ही कर रहे थे कि एक नर्सिंग स्टाफ जिनका नाम पवन ने हवाना बताया, कोविड वैक्सीन लगवाकर निकलीं तो हमने उनसे उनके अनुभव जानने की कोशिश की. डॉ. हवाना काफी घबराई हुई नजर आ रही थीं और हमारे काफी कहने के बावजूद उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया बस जल्दी-जल्दी में अनमने ढ़ंग से इतना ही कहा- ‘सही रहा, आप किसी ओर से पूछ लेना.’ ये कहकर वो आगे बढ़ गईं. लेकिन उनके हाव-भाव में काफी घबराहट नजर आ रही थी.

इसके बाद हम वहीं किसी दूसरे के आने का इंतजार करने लगे. पवन अंदर जा चुके थे, तभी वहां सामने खड़ा गार्ड जिसने अपना नाम वीरेंद्र बताया आकर हमसे तीखे अंदाज में जाने के लिए कहने लगा. हालांकि काफी समझाने के बाद वह शांत हुए.

इस बीच वहां अंदर से आने वाले काफी मरीजों से हमने वैक्सीन को लेकर बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया. चूंकि अस्पताल में सामान्य मरीजों और वैक्सीन वालों के लिए कोई अलग से रास्ता नहीं था तो ये जानना भी मुश्किल था कि कौन सामान्य मरीज है और कौन वैक्सीन वाला. आखिरकार काफी कोशिश और कई घंटे वहां बिताने के बाद हमें वापस लौटना पड़ा. लेकिन जितने समय भी हम वहां रहे तो हमें वहां वैक्सीन को लेकर लोगों में जरा भी उत्साह देखने को नजर नहीं आया.

टीकाकरण के पहले दिन दिल्ली में जिन हेल्थ वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया गया, उनमें प्रतिकूल प्रभाव का एक ‘गंभीर’ और 51 ‘मामूली’ मामले सामने आए. लेकिन देश के दूसरे राज्यों से लोगों की हालत बिगड़ने की खबरें भी आईं और आज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से खबर आई कि अस्पताल के एक वॉर्ड ब्वाय की मौत हो गई उसे कल कोरोना का टीका लगाया गया था. यही कारण है कि लोगों में कहीं न कहीं इस टीके को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कोरोना टीकाकरण अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था वह आ गया है. कोरोना टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है. इस दौरान प्रधानमंत्री उन लोगों की याद में भावुक भी हो गए थे जो बीमार होने पर अस्पताल गए लेकिन वापस नहीं आए. प्रधानमंत्री ने इसे ‘दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान’ भी बताया था.

Also Read: लांसेट जर्नल: ‘वैक्सीन पर पूरी तरह भरोसा नहीं करते लोग’

Also Read: कोरोना और सर्दी के बीच एम्स के बाहर रात गुजारने को मजबूर मरीज

शनिवार, 16 जनवरी को कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए भारत में भी टीकाकरण अभियान शुरू हो गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार देर शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी कि आज 1,65,714 लोगों को ही टीका लगाया जा सका. साथ ही बताया कि वैक्सीनेशन के लिए 3,351 सेंटर बनाए गए थे. जिन पर 16,755 लोगों की ड्यूटी लगाई गई थी.

टीकाकरण के पहले दिन तीन लाख हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन दी जानी थी लेकिन रात तक ये संख्या 165714 से बढ़कर 1.91 लाख तक ही पहुंच पाई. यानी सरकार पहले दिन का टारगेट पूरा करने में नाकाम रही. और लक्ष्य से 60% कम लोगों को ही टीका लग सका. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी #LargestVaccineDrive के हैशटैग के साथ अपने ट्विटर हैंडल से राज्यवार वैक्सीन लेने वाले लोगों की सूची जारी की थी.

हालांकि कोरोना वैक्सीन लगने से पहले ही कई तरह की भ्रांतियां लोगों के मन में पैदा हो गई थीं. साइड इफेक्ट्स के बारे में कई लोगों की आशंकाएं अब भी बनी हुई हैं. जिस कारण अभी भी लोग टीकाकरण के प्रति उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं.

दिल्ली की बात करें तो यहां 11 जिलों में टीकाकरण अभियान के पहले दिन 8,117 हेल्थ वर्कर्स को टीका लगाने का टारगेट था, लेकिन कुल 4,319 लोगों को ही टीका लग पाया. यहां कुल 81 केंद्रों पर टीकाकरण अभियान चलाया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी एम्स में मौजूद रहे और उन्होंने टीका लगवाने वाले एक सैनिटेशन वर्कर मनीष कुमार की टीका लगवाते हुए तस्वीर भी ट्विटर पर पोस्ट की. हालांकि मंत्री जी ने खुद टीका नहीं लगवाया.

हमने भी दिल्ली के एक सेंटर पर जाकर इस अभियान और प्रक्रिया का जायजा लेने की कोशिश की. इसके लिए हमने दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले श्री निवासपुरी के एक कोविड सेंटर को चुना. जब हम यहां पहुंचे तो गेट से अंदर घुसते ही सामने निगम पार्षद राजपाल सिंह का एक इस्तेहार फोटो के साथ नजर आया जिस पर लिखा था- ‘दिल्ली का पहला कोविड-19 वैक्सीन सेंटर का उदघाटन.’

यहां अंदर जाने पर पता चला कि वैक्सीन तो यहीं आई थी, लेकिन टीकाकरण यहां नहीं बल्कि पास ही नेहरू नगर स्थित ‘विमहंस नयति सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल’ में किया जा रहा है. वहां, इसी सेंटर से वैक्सीन गई है, साथ ही यहां के इंचार्ज भी वहीं हैं.

इसके बाद हम नेहरू नगर स्थित विमहंस हॉस्पिटल पहुंचे तो गेट पर गार्ड ने बताया कि मीडिया के लिए एंट्री नहीं है. इस पर हमने बड़े अधिकारियों से बात कराने की बात कही तो गार्ड ने हमारी वहां के सिक्योरिटी शिफ्ट इंचार्ज पवन सिंह हुड्डा से बात कराई. वह हमसे फोन पर बातचीत के बाद मिले और किसी भी फोटो और वीडियो की मनाही के साथ बात की.

इस बीच यहां वैक्सीन टीकाकरण और दूसरे आने वाले मरीजों के साथ ही कभी-कभी पुलिस की गाड़ी भी चक्कर लगाकर जा रही थी.

पवन ने बताया कि मीडिया की यहां एंट्री सख्ती के साथ मना है. आपको अगर कुछ पूछना है तो मैं ही बता सकता हूं.

आखिर हमने पवन से ही अस्पताल में इस टीकाकरण प्रक्रिया के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, “हमारे यहां सुबह 8 बजे कोविड की 28,000 डोज आई थीं. आज सबसे पहले नर्सिंग स्टाफ को टीका लगाया जा रहा है. सुबह 10 बजे से टीकाकरण शुरू हुआ है. पहला टीका एक ओटी कर्मचारी को लगा है. बाकि एक आदमी की पूरी प्रक्रिया में घंटे भर का समय तो लग रहा है. अब तक (2 बजे) 8 लोगों के टीका लगा है, क्योंकि टीका लगने के आधे घंटे तक मरीज को ये देखने के लिए कि कोई साइड इफैक्ट न हो वहीं रखा जा रहा है. उसके बाद उसे भेजा जाता है. अस्पताल की पहली मंजिल पर टीकाकरण चल रहा है. बाकि अभी तक जिन्हें यहां टीका लगा है, वो पूरी तरह सुरक्षित हैं. डॉक्टर और सिक्योरिटी को लगाकर इसमें कुल 20 लोगों का स्टाफ है. बाकि जैसा हम देख रहे हैं. वैक्सीन को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं है और लोग संशय में और डरे हुए हैं.”

बातचीत के दौरान हमने देखा कि अस्पताल में अंदर जाने के लिए टीकाकरण और सामान्य ओपीडी मरीजों के लिए एक ही रास्ता था. पवन ने ये जरूर बताया कि अंदर जाकर पहले फ्लोर पर टीकाकरण वालों के लिए वार्ड बनाए हैं. हालांकि हमें वहां जाकर देखने की इजाजत नहीं थी. हमने अंत में पवन से अस्पताल के टीकाकरण इंचार्ज से बात कराने और एक बार मिलने को कहा तो पवन ने एमएस डॉ. उबैद को फोन लगाकर कहा कि पूछता हूं. उधर से डॉ. ने मिलने से मना किया तो मैंने फोन पर ही कुछ देर बात करने के लिए कहा. इसके बाद डॉ. उबैद से हमने बात की.

बेहद संक्षिप्त बातचीत में डॉ. उबैद ने बताया, "हमें मीडिया से मिलने के लिए सख्ती से मना किया गया है. बाकि वैक्सीन टीकाकरण अभियान बहुत अच्छा चल रहा है."

इसके बाद हम पवन हुड्डा से बात ही कर रहे थे कि एक नर्सिंग स्टाफ जिनका नाम पवन ने हवाना बताया, कोविड वैक्सीन लगवाकर निकलीं तो हमने उनसे उनके अनुभव जानने की कोशिश की. डॉ. हवाना काफी घबराई हुई नजर आ रही थीं और हमारे काफी कहने के बावजूद उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया बस जल्दी-जल्दी में अनमने ढ़ंग से इतना ही कहा- ‘सही रहा, आप किसी ओर से पूछ लेना.’ ये कहकर वो आगे बढ़ गईं. लेकिन उनके हाव-भाव में काफी घबराहट नजर आ रही थी.

इसके बाद हम वहीं किसी दूसरे के आने का इंतजार करने लगे. पवन अंदर जा चुके थे, तभी वहां सामने खड़ा गार्ड जिसने अपना नाम वीरेंद्र बताया आकर हमसे तीखे अंदाज में जाने के लिए कहने लगा. हालांकि काफी समझाने के बाद वह शांत हुए.

इस बीच वहां अंदर से आने वाले काफी मरीजों से हमने वैक्सीन को लेकर बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया. चूंकि अस्पताल में सामान्य मरीजों और वैक्सीन वालों के लिए कोई अलग से रास्ता नहीं था तो ये जानना भी मुश्किल था कि कौन सामान्य मरीज है और कौन वैक्सीन वाला. आखिरकार काफी कोशिश और कई घंटे वहां बिताने के बाद हमें वापस लौटना पड़ा. लेकिन जितने समय भी हम वहां रहे तो हमें वहां वैक्सीन को लेकर लोगों में जरा भी उत्साह देखने को नजर नहीं आया.

टीकाकरण के पहले दिन दिल्ली में जिन हेल्थ वर्कर्स को कोरोना का टीका लगाया गया, उनमें प्रतिकूल प्रभाव का एक ‘गंभीर’ और 51 ‘मामूली’ मामले सामने आए. लेकिन देश के दूसरे राज्यों से लोगों की हालत बिगड़ने की खबरें भी आईं और आज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से खबर आई कि अस्पताल के एक वॉर्ड ब्वाय की मौत हो गई उसे कल कोरोना का टीका लगाया गया था. यही कारण है कि लोगों में कहीं न कहीं इस टीके को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कोरोना टीकाकरण अभियान का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभारंभ किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था वह आ गया है. कोरोना टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है. इस दौरान प्रधानमंत्री उन लोगों की याद में भावुक भी हो गए थे जो बीमार होने पर अस्पताल गए लेकिन वापस नहीं आए. प्रधानमंत्री ने इसे ‘दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान’ भी बताया था.

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