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अर्णबकांड? बार्क सीईओ के साथ मिलकर टीआरपी हेरफेर का अनैतिक खेल रचते गोस्वामी

रिपब्लिक टीवी चैनल ग्रुप के मालिक और एंकर अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. कुछ महीने पहले ही एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उन्हें जेल जाना जाना पड़ा था. अब मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही टीआरपी घोटाले की जांच की आंच भी उन तक पहुंचती नजर आ रही है.

मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले के मामले में एक सप्लमेंटरी चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट में अर्णब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सएप पर हुई बातचीत के सैकड़ों पन्ने मौजूद हैं. यह बातचीत रिपब्लिक चैनल के शुरू होने के साल 2017 से लेकर साल 2020 तक की हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री इस चैट्स की पुष्टि नहीं करता है.

मुंबई पुलिस की चार्जशीट में शामिल इस बातचीत के सैकड़ों पेज पढ़ने के बाद सामने आता है कि अर्णब और पार्थो बिना नागा आपस में बातचीत करते थे. सुबह एक दूसरे को गुड मॉर्निंग का मैसेज भेजते थे. खाने पर मिलते थे. इस बातचीत में अनैतिक प्रक्रियों को साझा करने के साथ-साथ अन्य पत्रकारों का मजाक उड़ाने से लेकर ताकतवर नेताओं के साथ करीबी की बातें शामिल हैं.

कहीं राहुल गांधी का मज़ाक तो कहीं अपने प्रतिद्वंदी चैनलों के मालिकों को मूर्ख बताना. इस बातचीत में सबसे ज़्यादा निशाने पर टाइम्स नाउ और रजत शर्मा थे. दासगुप्ता और अर्णब दोनों टाइम्स नाउ में रह चुके हैं. इसके अलावा पत्रकार जैसे, राजदीप सरदेसाई को लेकर कहा गया कि वो अपनी नौकरी खो रहा है. अरुण पुरी को कांग्रेस प्रोपेगेंडा मशीन का हिस्सा बताया गया. रजत शर्मा को मूर्ख और राहुल शिवशंकर को गधा बोलते नज़र आ रहे हैं.

बातचीत में दूसरे चैनलों से की गई शिकायत पर मोदी सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों से मदद लेने और सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा उन शिकायतों को दबाने की भी बात सामने आती है. कभी गुप्ता अर्णब को स्टोरी आइडिया देते हैं तो कभी दोनों पत्रकार और राहुल गांधी का मज़ाक बनाते हैं.

व्हाट्सएप चैट्स में हुई बातचीत से साफ जाहिर होता है कि टेलीविजन की दुनिया में नंबर एक बनने के लिए अर्णब गोस्वामी ने कैसे अनैतिक रास्तों को सहारा लिया. इस पूरे खेल में उसके सहयोगी बने बार्क के तत्कालीन सीईओ पार्थो दासगुप्ता.

बार्क के जरिए ही टीवी चैनलों की रेटिंग तय होती है. टीआरपी फ्रॉड के मामले में जांच कर रही मुंबई पुलिस ने बीते दिनों पार्थोदास को गिरफ्तार कर लिया था. इनके फोन से ही पुलिस को यह बातचीत हाथ लगी. पार्थो के अलावा रिपब्लिक टीवी के मैनेजमेंट से जुड़े कई लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी हुई थी.

‘बेहतरीन दोस्त’

11 अगस्त, 2017 की दोपहर अर्णब गोस्वामी और पार्थ के बीच हुई बातचीत से पता चलता है कि अर्णब ने स्मृति ईरानी के साथ दिल्ली से मुंबई की यात्रा की थी. तब स्मृति ईरानी केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. पार्थो से बातचीत में अर्णब, ईरानी को 'बढ़िया दोस्त' बताते हैं.

इस दौरान पार्थो अर्णब पर दबाव बनाते हैं कि वो स्मृति ईरानी से मुलाकात कर उनसे हाल ही में लोकसभा में चर्चा में आए विवादास्पद लैंडिंग पेज समेत दूसरों मामलों पर बात करें.

टेलीविजन को खोलते ही जो पहला चैनल आता है उसे ‘लैंडिंग’ पेज कहा जाता है. इसका इस्तेमाल भारतीय टेलीविजन मीडिया के चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए करते हैं. जो भी चैनल लैंडिग पेज पर होता है, उसकी टीआरपी बढ़ती हैं. एक तरफ जहां लोग इस प्रक्रिया की खूब आलोचना करते हैं. वहीं दासगुप्ता इस प्रक्रिया को बचाने की कोशिश करते नज़र आते हैं. वो नहीं चाहते थे कि टीआरपी सिस्टम से इसे हटाया जाए.

वास्तव में दासगुप्ता अपने मकसद के लिए एक पत्रकार का इस्तेमाल कर रहे थे जो एक चैनल का मालिक है. जिसने बार्क को सब्सक्राइब कर रखा था. उसके जरिए पार्थ ना सिर्फ मंत्रियों से लॉबिंग करा रहे थे बल्कि सरकारी नीति को प्रभावित करने की कोशिश भी कर रहे थे.

दासगुप्ता, गोस्वामी से कहते हैं, ‘‘आप उनके (ईरानी) के साथ यात्रा कर रहे हैं तो कुछ विषयों को लाने का सुझाव दें. लैंडिंग का मसला है लेकिन एक दो सप्ताह बाद उसका असर कम होता है.’’

इसका जवाब हां में देते हुए अर्णब लिखते हैं, ‘‘और कुछ.’’

दासगुप्ता आगे कहते हैं, ‘‘समाचार चैनलों द्वारा किए जाने वाले पैनल से घुसपैठ को रोकने को लिए बार्क को कैसे क़ानूनी अधिकार दिया जाए.’’

गोस्वामी इसके जवाब में कहते हैं, ‘‘टाइम्स नाउ जो केरल और बंगाल में करता हैं उसके हवाले से मैं ऐसा करूंगा.’’

“और साधारण चेतावनी दे दो कि टाइम्स और इंडिया टुडे तुम्हारे पीछे ना आए” दासगुप्ता ने सुझाव दिया.

दासगुप्ता अर्णब से ईरानी के साथ ‘रॉ लेवल डेटा’ पर भी चर्चा करने के लिए कहते हैं. यह वह प्राइमरी डेटा होता है जो रेटिंग एजेंसी टीआरपी मापने के लिए बैरोमीटर वाले घरों से इकट्ठा करती है.

बता दें कि उस समय इसको लेकर, समाचार प्रसारकों और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण इस बात पर बहस कर रहे थे कि क्या यह डेटा प्रसारकों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए. अगर यह सब चला जाएगा, तब कैरियर खर्चों और घुसपैठ से पूरी इंडस्ट्री को गुजरना पड़ेगा.

गोस्वामी जवाब में लिखते हैं, ‘‘रॉ लेवल को लेकर मैं तुम्हारे साथ काम करूंगा और हम लोग इसके लिए अलग से उनसे मिलेंगे.’’

बातचीत में इसके बाद दासगुप्ता बार्क की स्वतंत्रता को लेकर बात करते हैं. चैट से पता चलता है कि पार्थ को यह विश्वास नहीं था कि बार्क एक स्वतंत्र संस्था है और इसके समाधान के लिए वे केंद्रीय मंत्री से मिलना चाहते थे क्योंकि वे बार्क के सदस्य पुनीत गोयनका और सुधांशु वत्स की उपस्थिति में इस पर कभी बात करने की स्थिति में नहीं होंगे.

दासगुप्ता चाहते थे कि अर्णब स्मृति ईरानी को बताएं कि जो बार्क के कस्टमर हैं वहीं उसके बोर्ड में भी हैं ऐसे में कोई कंपनी कैसे स्वतंत्र नहीं हो सकती है.

बार्क के सीईओ अर्णब से कहते हैं कि तुम ये बात उनके दिमाग में डाल दो. अर्णब जवाब में कहते हैं, 'हां, मैं करूंगा.’’

न्यूज़लॉन्ड्री ने बार्क से इस चैट को लेकर सवाल किया था. जिस पर रेटिंग एजेंसी ने कहा, “अभी इस मामले की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं, इसलिए हम आपके प्रश्नों का जवाब नहीं दे सकते.”

राज्यवर्धन सिंह राठौर और रिपब्लिक के खिलाफ की गई शिकायत

अर्णब गोस्वामी के चैनल को मोदी सरकार का समर्थक बताया जाता है. चैनल सरकार से सवाल पूछने के बजाय विपक्षी दलों को ही निशाना बनाता है. कई दफा सरकार की नकामियों को छुपाने में भी चैनल बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. इसके लिए सरकार से भी उसे 'मदद' मिलती रही है. इस बात का खुलासा भी इस चैट्स से होता है.

बीते साल न्यूज़लॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट की थी. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में रिपब्लिक टीवी के लॉन्च होने के तुरंत बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय को इस बात की जानकारी हो गई थी कि चैनल 'गैरकानूनी' रूप से राज्य के स्वामित्व वाले ब्रॉडकास्टर डीडी फ्री डिश पर प्रसारण के लिए उपलब्ध है.

यह प्रसारण बिना स्लॉट के नीलामी और एक बड़ी रकम दिए बगैर चल रहा था. रिपब्लिक टीवी, ज़ी मीडिया ग्रुप के साथ मिलकर यह सब कर रहा था. इसके जरिए 6.5 करोड़ रुपए दूरदर्शन को नहीं दिए गए. उस समय इसके दर्शकों की संख्या 22 मिलियन थी.

यह शिकायत मई महीने में मंत्रालय तक पहुंच गई थी. दूरदर्शन के महानिदेशक ने सख्त नाराजगी जताते हुए मंत्रालय को एक पत्र लिखा था जिसमें जून महीने में रिपब्लिक द्वारा डीडी फ्री डिश के गलत इस्तेमाल की बात कही गई थी.

7 जुलाई को दासगुप्ता इस शिकायत को लेकर अर्णब को ध्यान दिलाते हैं. वे लिखते हैं, ‘‘रिपब्लिक को लेकर मंत्रालय में कुछ शिकायत आई है. ये हमारे पास अभी आई नहीं है लेकिन मुझे एक जूनियर सेकेट्री ने बताया, मैं उम्मीद करता हूं कि ये हमारे पास कभी नहीं आए.’’

अर्णब कहते हैं, ‘‘डिश एफटीए को लेकर न. राठौर ने मुझे बताया है, और कहा कि वह इसे अलग रख रहा है.’’

ऐसा लगता है कि यहां राठौड़ यानी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जिक्र है जो उस समय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री थे. कई जगहों पर सूचना मंत्रालय और स्मृति ईरानी को लेकर हुई बातचीत में यह सामने आता है कि अर्णब हमेशा राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को राठौर कह कर ही संबोधित करते थे.

डीडी फ्री डिश के साथ जो रिपब्लिक और ज़ी मीडिया ने खेल किया उससे देश को 52 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. लेकिन सरकार ने इसको लेकर कोई एक्शन नहीं लिया.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस पूरे मामले पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और सूचना प्रसारण मंत्रालय से मेल के जरिए उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन हमें उनका जवाब नहीं आया. जवाब आएगा तो तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.

टीआरपी के लिए बेचैन अर्णब

नंबर वन बनने के लिए अर्णब कुछ भी करने को तैयार रहे हैं. चाहे सुशांत सिंह राजपूत के मामले को नाटकीय करके अपने रिपोर्टरों के जरिए रिया चक्रवर्ती का पीछा कराना हो या विपक्ष के नेताओं को अपशब्द कहना. उन्होंने वो सब किया जो पत्रकारिता के एथिक्स में गलत है. टीआरपी के लिए उन्होंने कुछ भी किया लेकिन साल 2019 के जुलाई महीने में जब न्यूज़ 18 बार्क की रेटिंग में नंबर दो पर आ गया तो अर्णब बेचैन हो गए. वे दासगुप्ता से इसको लेकर बात करते हैं. अपनी खबरें गिनाते हैं, न्यूज़ 18 और उसके सीईओ राहुल जोशी की बुराई करते हैं और साथ ही गुप्ता से कुछ करने के लिए कहते हैं.

चिंतित अर्णब, दासगुप्ता को लैंडिंग पेज के खिलाफ काम करने के लिए कहते हैं. जिसे दूसरे चैनल कथित तौर पर उनसे आगे निकलने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. गोस्वामी की आशंकाओं को दूर करने के लिए दासगुप्ता कहते हैं, वे उनके साथ बार्क का गोपनीय डेटा साझा करेंगे.

गोस्वामी ने 18 जुलाई, 2019 को गुप्ता को मैसेज किया, ‘‘न्यूज़ 18 नंबर 2 पर, यह अजीब है. हमने अपना सब कुछ खो दिया. इंडस्ट्री बंट गई है. सरकार को बार्क पर भरोसा नहीं है. इसका फायदा सिर्फ न्यूज़ 18 को मिला.’’

दासगुप्ता इसके जवाब में कहते हैं, ‘‘कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या कहते हैं. मैंने देखा है उस रोज बोर्ड के लोग क्या कह रहे थे. वे तुम्हारी चीजों के साथ नहीं जा रहे हैं. मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं तुम्हें एक दोस्त मानता हूं. मैं अन्य चैनलों के लोगों के साथ भी ज्यादा बातचीत नहीं करता.’’

अर्णब, दासगुप्ता से कहते है कि लैंडिंग पेज की वजह से न्यूज़ 18 को जो फायदा हो रहा है उसे तुम कम कराओ.

दासगुप्ता कहते हैं, ‘‘एक दिन टीवी 18 की वास्तविक संख्या देखो फिर तुम तय करना कि यह मॉडरेट है या नहीं.’’

दस मिनट बाद बार्क के सीईओ अर्णब से कहते हैं कि उन्होंने बार्क के चीफ ऑपरेटिंग अधिकारी रोमिल रामगढ़िया से पूछा, ‘‘आपको या विकास को यह दिखाने के लिए कि न्यूज़ 18 पर किस तरह की कटौती होती है.’’ वह कहते हैं, “यह पूरी तरह से गोपनीय है. हम किसी और के साथ इस स्तर पर बात तक नहीं करते हैं.’’

कई मौकों पर अर्णब अपने प्रतिद्वंद्वी चैनलों, खासकर टाइम्स नाउ और इंडिया टुडे की शिकायतों को लेकर दासगुप्ता बात करते नजर आते हैं. वे कहते हैं, ये चैनल अनुचित प्रक्रिया के जरिए उनकी रेटिंग बढ़ाते हैं.

21 जून को अर्णब ने दासगुप्ता को बताया कि उनके पास ‘‘पूरी जानकारी है कि टाइम्स तुम्हारे सिस्टम को कैसे तोड़ रहा है.’’ गुप्ता जवाब देते हुए कहते हैं, “बार्क को कानूनी रूप से स्वीकार्य प्रमाण' की ज़रूरत है और उसके लिए वह अपने स्तर पर जांच कर रहा हैं.”

अर्णब लिखते हैं, "मैं आपको इसके लिए कुछ मेटेरियल उपलब्ध करा सकता हूं जिसके जरिए आप इन्हें एक्सपोस कर सकते हैं.'' दासगुप्ता अर्णब से इस मेटेरियल को गुमनाम आईडी से खुद तक भेजने के लिए कहते हैं.

दासगुप्ता, यही चीज करते हुए अर्णब से कहते है, “पहली चीज जो लोग कहेंगे कि इसे विरोधियों ने खराब किया है.”

इसी बातचीत में एक जगह सामने आता है कि रिपब्लिक टीवी के लॉन्च होने के कुछ हफ़्ते बाद ही अर्णब तत्कालीन बार्क सीईओ दासगुप्ता से कहते हैं कि उनके पास एक पत्र है जिसमें "इंडिया टुडे दोहरी फ्रीक्वेंसी की मांग" कर रहा है. दोहरी फ्रीक्वेंसी टीवी चैनलों द्वारा अपनी टीआरपी बढ़ाने की प्रक्रिया है. इसके जरिए चैनल लिस्ट में दो बार मौजूद रहता है. एक जगह से अगर दर्शक ऊबकर आगे बढ़ते हैं तो दूसरे या तीसरे नंबर पर फिर वही चैनल आ जाता है. इससे चैनलों की टीआरपी बढ़ती है.

दासगुप्ता अर्णब से इसे 'लीक' करने के लिए बोलते हुए कहते हैं, ‘‘One must play dirty.’’

गोस्वामी इसके जवाब में कहते हैं, ‘‘अभी ये प्रेस में लीक होगा.’’

यह बिलकुल हैरान करने वाला है कि बातचीत में एक जगह खुद अर्णब स्वीकार करते हैं कि रिपब्लिक दोहरी फ्रीक्वेंसी चलाता है. 5 मई 2017 को वे दासगुप्ता को मैसेज करते हैं, ‘‘हमारे पास टाइम्स नाउ की तुलना में कम दोहरी फ्रीक्वेंसी है.’’

तू मेरी मदद कर, मैं तुम्हारी

ऐसा नहीं है कि अर्णब ही सिर्फ पार्थ दासगुप्ता से टीआरपी में खेल को लेकर मदद लेते हैं. दासगुप्ता भी कई मौकों पर अर्णब की पहुंच का फायदा लेने की कोशिश करते नजर आते हैं. बातचीत में दासगुप्ता लगातार इंडिया टीवी के मालिक और पत्रकार रजत शर्मा की आलोचना करते हैं. उनको इस बात का डर होता है कि शर्मा उन्हें बार्क से अलग करना चाहते हैं.

2019 के एक चैट में अर्णब और दासगुप्ता ने अभिनेत्री कंगना रनौत और टीआरपी को लेकर चर्चा की. अर्णब, दासगुप्ता से शिकायती अंदाज में कहते हैं कि कंगना 'रेटिंग अरनर' है लेकिन रिपब्लिक ने उसका इंटरव्यू किया तो टीआरपी बेहतर नहीं आई. जबकि यह ऐसे समय पर लिया गया इंटरव्यू था जब सब उस मामले के बारे में लोग जानना चाहते थे. हमारे बाद आजतक ने इंटरव्यू किया और वे नंबर एक बने.’’

अर्णब कहते हैं, ‘‘हमने दोपहर 3 बजे, शाम 8 बजे, रात 11 बजे इंटरव्यू चलाया. शाम 6 बजे इसको लेकर बहस की लेकिन हमारा औसत रेटिंग 2.5 रहा.’’

कंगना साल 2020 में सामने आती है जब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के असमय निधन के बाद कंगना ने रिपब्लिक को इंटरव्यू दिया था. दासगुप्ता सुशांत की मौत वाली खबर करने के लिए अर्णब की तारीफ करते हैं.

5 अगस्त, 2019 की बातचीत में अर्णब ने बताया कि पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ उन्होंने बैठक की. अर्णब दावा करते हैं कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हटाने की खबर को ब्रेक किया था उसके बाद ही डोभाल ने उन्हें बुलाया था. और पूछा कि उन्हें यह जानकारी कहां से मिली. इस पर अर्णब अपना जवाब बताते हैं कि ‘‘एनएसए और पीएमओ में भी लोग रिपब्लिक भारत देखते हैं.’’

16 अगस्त को दासगुप्ता अर्णब से रजत शर्मा को लेकर शिकायत करते हैं. वे लिखते हैं, ''रजत शर्मा ने एकबार फिर पुनीत से मेरे तुम्हारे साथ के मसले को उठाया है.'' यह पुनीत गोयनका हैं जो बार्क के सदस्य हैं और वर्तमान में बार्क के सीईओ भी हैं.

अर्णब, दासगुप्ता से चिंता नहीं करने के लिए कहते हैं और लिखते हैं, ‘‘जेटली के निधन के बाद रजत की परेशानी शुरू हो गई है.’’

आपको बता दें कि रजत शर्मा और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली कॉलेज के समय के दोस्त थे. जेटली ने रजत शर्मा को आगे बढ़ने में मदद की है इसका जिक्र कई बार शर्मा कर चुके हैं.

अर्णब कहते हैं, ‘‘रजत इज ओवर... अब उसकी बातों को गंभीरता से मत लो.’’ इसके जवाब में दासगुप्ता कहते हैं, ‘‘मैं ध्यान नहीं देता लेकिन बाकी दूसरे लोग करते हैं.’’

कई चैट्स में अर्णब और दासगुप्ता सरकार में एक शक्तिशाली व्यक्ति का जिक्र करते हैं, जिसकी पहचान के लिए वे "AS" शब्द का इस्तेमाल करते हैं. रजत शर्मा को लेकर होने वाली बातचीत में AS का जिक्र आता है. एक जगह दासगुप्ता अर्णब से कहते हैं, ‘‘एएस के ऑफिस या मंत्रालय से एक शब्द भी रजत को चुप कराने में हमारी मदद करेगा. मैं तुम्हारा दोस्त हूं इसी के आधार पर रजत मुझ पर एक बड़े अटैक की तैयारी कर रहा है.’’

2019 में होने वाले इंडियन ब्राडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) की मीटिंग से पहले दासगुप्ता अर्णब से यह सब बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘किसी को उनसे पूछना चाहिए. दुर्भाग्य से आईबीएफ में हर कोई 'नपुंसक' है. एक शख्स जो मेरा और तुम्हारा करीबी है उसने बताया कि कल आईबीएफ में अर्णब बनाम रजत होने वाला है और इन सब में नुकसान पार्थो को होगा. अर्णब ये और अगली बैठक महत्वपूर्ण है. तुम्हारे बहुत सारे दुश्मन हैं पर मैं तुम्हारा दोस्त हूं, लेकिन मैं अपने वैल्यू से समझौता नहीं करूंगा.’’

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष पद पर रजत शर्मा की नियुक्ति पर दासगुप्ता ने अर्णब से कहा, ‘‘रजत एनबीए का प्रमुख चुन लिया गया. यहां मोटाभाई का प्रभाव काम नहीं आया.’’ यहां स्पष्ट नहीं है कि मोटाभाई किसको कहा जा रहा है.

सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष और अमित शाह के बेटे जय शाह सचिव बन गए थे इस पर अर्णब कहते हैं, “रजत मूर्ख की तरह दिखते हैं. उसने बीसीसीआई की कमान संभालने की बात की थी. यह एक धोखा है और एक ऐसा धोखा जो कभी कोई सांसद भी नहीं देता.’’

बातचीत के दौरान एक जगह दासगुप्ता अर्णब से पीएमओ में नौकरी दिलाने की बात करते नजर आते हैं. वे कहते हैं, ‘‘प्लीज क्या तुम मुझे पीएमओ में मीडिया सलाहकार जैसे पद पर ला सकते हो. मैं बार्क में अब तंग आ चुका हूं और निहित स्वार्थ के दबाव में हूं.’’

(आयुष तिवारी और प्रतीक गोयल के सहयोग से)

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रिपब्लिक टीवी चैनल ग्रुप के मालिक और एंकर अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. कुछ महीने पहले ही एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उन्हें जेल जाना जाना पड़ा था. अब मुंबई पुलिस द्वारा की जा रही टीआरपी घोटाले की जांच की आंच भी उन तक पहुंचती नजर आ रही है.

मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले के मामले में एक सप्लमेंटरी चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट में अर्णब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सएप पर हुई बातचीत के सैकड़ों पन्ने मौजूद हैं. यह बातचीत रिपब्लिक चैनल के शुरू होने के साल 2017 से लेकर साल 2020 तक की हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री इस चैट्स की पुष्टि नहीं करता है.

मुंबई पुलिस की चार्जशीट में शामिल इस बातचीत के सैकड़ों पेज पढ़ने के बाद सामने आता है कि अर्णब और पार्थो बिना नागा आपस में बातचीत करते थे. सुबह एक दूसरे को गुड मॉर्निंग का मैसेज भेजते थे. खाने पर मिलते थे. इस बातचीत में अनैतिक प्रक्रियों को साझा करने के साथ-साथ अन्य पत्रकारों का मजाक उड़ाने से लेकर ताकतवर नेताओं के साथ करीबी की बातें शामिल हैं.

कहीं राहुल गांधी का मज़ाक तो कहीं अपने प्रतिद्वंदी चैनलों के मालिकों को मूर्ख बताना. इस बातचीत में सबसे ज़्यादा निशाने पर टाइम्स नाउ और रजत शर्मा थे. दासगुप्ता और अर्णब दोनों टाइम्स नाउ में रह चुके हैं. इसके अलावा पत्रकार जैसे, राजदीप सरदेसाई को लेकर कहा गया कि वो अपनी नौकरी खो रहा है. अरुण पुरी को कांग्रेस प्रोपेगेंडा मशीन का हिस्सा बताया गया. रजत शर्मा को मूर्ख और राहुल शिवशंकर को गधा बोलते नज़र आ रहे हैं.

बातचीत में दूसरे चैनलों से की गई शिकायत पर मोदी सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों से मदद लेने और सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा उन शिकायतों को दबाने की भी बात सामने आती है. कभी गुप्ता अर्णब को स्टोरी आइडिया देते हैं तो कभी दोनों पत्रकार और राहुल गांधी का मज़ाक बनाते हैं.

व्हाट्सएप चैट्स में हुई बातचीत से साफ जाहिर होता है कि टेलीविजन की दुनिया में नंबर एक बनने के लिए अर्णब गोस्वामी ने कैसे अनैतिक रास्तों को सहारा लिया. इस पूरे खेल में उसके सहयोगी बने बार्क के तत्कालीन सीईओ पार्थो दासगुप्ता.

बार्क के जरिए ही टीवी चैनलों की रेटिंग तय होती है. टीआरपी फ्रॉड के मामले में जांच कर रही मुंबई पुलिस ने बीते दिनों पार्थोदास को गिरफ्तार कर लिया था. इनके फोन से ही पुलिस को यह बातचीत हाथ लगी. पार्थो के अलावा रिपब्लिक टीवी के मैनेजमेंट से जुड़े कई लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी हुई थी.

‘बेहतरीन दोस्त’

11 अगस्त, 2017 की दोपहर अर्णब गोस्वामी और पार्थ के बीच हुई बातचीत से पता चलता है कि अर्णब ने स्मृति ईरानी के साथ दिल्ली से मुंबई की यात्रा की थी. तब स्मृति ईरानी केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. पार्थो से बातचीत में अर्णब, ईरानी को 'बढ़िया दोस्त' बताते हैं.

इस दौरान पार्थो अर्णब पर दबाव बनाते हैं कि वो स्मृति ईरानी से मुलाकात कर उनसे हाल ही में लोकसभा में चर्चा में आए विवादास्पद लैंडिंग पेज समेत दूसरों मामलों पर बात करें.

टेलीविजन को खोलते ही जो पहला चैनल आता है उसे ‘लैंडिंग’ पेज कहा जाता है. इसका इस्तेमाल भारतीय टेलीविजन मीडिया के चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए करते हैं. जो भी चैनल लैंडिग पेज पर होता है, उसकी टीआरपी बढ़ती हैं. एक तरफ जहां लोग इस प्रक्रिया की खूब आलोचना करते हैं. वहीं दासगुप्ता इस प्रक्रिया को बचाने की कोशिश करते नज़र आते हैं. वो नहीं चाहते थे कि टीआरपी सिस्टम से इसे हटाया जाए.

वास्तव में दासगुप्ता अपने मकसद के लिए एक पत्रकार का इस्तेमाल कर रहे थे जो एक चैनल का मालिक है. जिसने बार्क को सब्सक्राइब कर रखा था. उसके जरिए पार्थ ना सिर्फ मंत्रियों से लॉबिंग करा रहे थे बल्कि सरकारी नीति को प्रभावित करने की कोशिश भी कर रहे थे.

दासगुप्ता, गोस्वामी से कहते हैं, ‘‘आप उनके (ईरानी) के साथ यात्रा कर रहे हैं तो कुछ विषयों को लाने का सुझाव दें. लैंडिंग का मसला है लेकिन एक दो सप्ताह बाद उसका असर कम होता है.’’

इसका जवाब हां में देते हुए अर्णब लिखते हैं, ‘‘और कुछ.’’

दासगुप्ता आगे कहते हैं, ‘‘समाचार चैनलों द्वारा किए जाने वाले पैनल से घुसपैठ को रोकने को लिए बार्क को कैसे क़ानूनी अधिकार दिया जाए.’’

गोस्वामी इसके जवाब में कहते हैं, ‘‘टाइम्स नाउ जो केरल और बंगाल में करता हैं उसके हवाले से मैं ऐसा करूंगा.’’

“और साधारण चेतावनी दे दो कि टाइम्स और इंडिया टुडे तुम्हारे पीछे ना आए” दासगुप्ता ने सुझाव दिया.

दासगुप्ता अर्णब से ईरानी के साथ ‘रॉ लेवल डेटा’ पर भी चर्चा करने के लिए कहते हैं. यह वह प्राइमरी डेटा होता है जो रेटिंग एजेंसी टीआरपी मापने के लिए बैरोमीटर वाले घरों से इकट्ठा करती है.

बता दें कि उस समय इसको लेकर, समाचार प्रसारकों और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण इस बात पर बहस कर रहे थे कि क्या यह डेटा प्रसारकों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए. अगर यह सब चला जाएगा, तब कैरियर खर्चों और घुसपैठ से पूरी इंडस्ट्री को गुजरना पड़ेगा.

गोस्वामी जवाब में लिखते हैं, ‘‘रॉ लेवल को लेकर मैं तुम्हारे साथ काम करूंगा और हम लोग इसके लिए अलग से उनसे मिलेंगे.’’

बातचीत में इसके बाद दासगुप्ता बार्क की स्वतंत्रता को लेकर बात करते हैं. चैट से पता चलता है कि पार्थ को यह विश्वास नहीं था कि बार्क एक स्वतंत्र संस्था है और इसके समाधान के लिए वे केंद्रीय मंत्री से मिलना चाहते थे क्योंकि वे बार्क के सदस्य पुनीत गोयनका और सुधांशु वत्स की उपस्थिति में इस पर कभी बात करने की स्थिति में नहीं होंगे.

दासगुप्ता चाहते थे कि अर्णब स्मृति ईरानी को बताएं कि जो बार्क के कस्टमर हैं वहीं उसके बोर्ड में भी हैं ऐसे में कोई कंपनी कैसे स्वतंत्र नहीं हो सकती है.

बार्क के सीईओ अर्णब से कहते हैं कि तुम ये बात उनके दिमाग में डाल दो. अर्णब जवाब में कहते हैं, 'हां, मैं करूंगा.’’

न्यूज़लॉन्ड्री ने बार्क से इस चैट को लेकर सवाल किया था. जिस पर रेटिंग एजेंसी ने कहा, “अभी इस मामले की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं, इसलिए हम आपके प्रश्नों का जवाब नहीं दे सकते.”

राज्यवर्धन सिंह राठौर और रिपब्लिक के खिलाफ की गई शिकायत

अर्णब गोस्वामी के चैनल को मोदी सरकार का समर्थक बताया जाता है. चैनल सरकार से सवाल पूछने के बजाय विपक्षी दलों को ही निशाना बनाता है. कई दफा सरकार की नकामियों को छुपाने में भी चैनल बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. इसके लिए सरकार से भी उसे 'मदद' मिलती रही है. इस बात का खुलासा भी इस चैट्स से होता है.

बीते साल न्यूज़लॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट की थी. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में रिपब्लिक टीवी के लॉन्च होने के तुरंत बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय को इस बात की जानकारी हो गई थी कि चैनल 'गैरकानूनी' रूप से राज्य के स्वामित्व वाले ब्रॉडकास्टर डीडी फ्री डिश पर प्रसारण के लिए उपलब्ध है.

यह प्रसारण बिना स्लॉट के नीलामी और एक बड़ी रकम दिए बगैर चल रहा था. रिपब्लिक टीवी, ज़ी मीडिया ग्रुप के साथ मिलकर यह सब कर रहा था. इसके जरिए 6.5 करोड़ रुपए दूरदर्शन को नहीं दिए गए. उस समय इसके दर्शकों की संख्या 22 मिलियन थी.

यह शिकायत मई महीने में मंत्रालय तक पहुंच गई थी. दूरदर्शन के महानिदेशक ने सख्त नाराजगी जताते हुए मंत्रालय को एक पत्र लिखा था जिसमें जून महीने में रिपब्लिक द्वारा डीडी फ्री डिश के गलत इस्तेमाल की बात कही गई थी.

7 जुलाई को दासगुप्ता इस शिकायत को लेकर अर्णब को ध्यान दिलाते हैं. वे लिखते हैं, ‘‘रिपब्लिक को लेकर मंत्रालय में कुछ शिकायत आई है. ये हमारे पास अभी आई नहीं है लेकिन मुझे एक जूनियर सेकेट्री ने बताया, मैं उम्मीद करता हूं कि ये हमारे पास कभी नहीं आए.’’

अर्णब कहते हैं, ‘‘डिश एफटीए को लेकर न. राठौर ने मुझे बताया है, और कहा कि वह इसे अलग रख रहा है.’’

ऐसा लगता है कि यहां राठौड़ यानी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जिक्र है जो उस समय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री थे. कई जगहों पर सूचना मंत्रालय और स्मृति ईरानी को लेकर हुई बातचीत में यह सामने आता है कि अर्णब हमेशा राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को राठौर कह कर ही संबोधित करते थे.

डीडी फ्री डिश के साथ जो रिपब्लिक और ज़ी मीडिया ने खेल किया उससे देश को 52 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. लेकिन सरकार ने इसको लेकर कोई एक्शन नहीं लिया.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस पूरे मामले पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और सूचना प्रसारण मंत्रालय से मेल के जरिए उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन हमें उनका जवाब नहीं आया. जवाब आएगा तो तो उसे खबर में जोड़ दिया जाएगा.

टीआरपी के लिए बेचैन अर्णब

नंबर वन बनने के लिए अर्णब कुछ भी करने को तैयार रहे हैं. चाहे सुशांत सिंह राजपूत के मामले को नाटकीय करके अपने रिपोर्टरों के जरिए रिया चक्रवर्ती का पीछा कराना हो या विपक्ष के नेताओं को अपशब्द कहना. उन्होंने वो सब किया जो पत्रकारिता के एथिक्स में गलत है. टीआरपी के लिए उन्होंने कुछ भी किया लेकिन साल 2019 के जुलाई महीने में जब न्यूज़ 18 बार्क की रेटिंग में नंबर दो पर आ गया तो अर्णब बेचैन हो गए. वे दासगुप्ता से इसको लेकर बात करते हैं. अपनी खबरें गिनाते हैं, न्यूज़ 18 और उसके सीईओ राहुल जोशी की बुराई करते हैं और साथ ही गुप्ता से कुछ करने के लिए कहते हैं.

चिंतित अर्णब, दासगुप्ता को लैंडिंग पेज के खिलाफ काम करने के लिए कहते हैं. जिसे दूसरे चैनल कथित तौर पर उनसे आगे निकलने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. गोस्वामी की आशंकाओं को दूर करने के लिए दासगुप्ता कहते हैं, वे उनके साथ बार्क का गोपनीय डेटा साझा करेंगे.

गोस्वामी ने 18 जुलाई, 2019 को गुप्ता को मैसेज किया, ‘‘न्यूज़ 18 नंबर 2 पर, यह अजीब है. हमने अपना सब कुछ खो दिया. इंडस्ट्री बंट गई है. सरकार को बार्क पर भरोसा नहीं है. इसका फायदा सिर्फ न्यूज़ 18 को मिला.’’

दासगुप्ता इसके जवाब में कहते हैं, ‘‘कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या कहते हैं. मैंने देखा है उस रोज बोर्ड के लोग क्या कह रहे थे. वे तुम्हारी चीजों के साथ नहीं जा रहे हैं. मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं तुम्हें एक दोस्त मानता हूं. मैं अन्य चैनलों के लोगों के साथ भी ज्यादा बातचीत नहीं करता.’’

अर्णब, दासगुप्ता से कहते है कि लैंडिंग पेज की वजह से न्यूज़ 18 को जो फायदा हो रहा है उसे तुम कम कराओ.

दासगुप्ता कहते हैं, ‘‘एक दिन टीवी 18 की वास्तविक संख्या देखो फिर तुम तय करना कि यह मॉडरेट है या नहीं.’’

दस मिनट बाद बार्क के सीईओ अर्णब से कहते हैं कि उन्होंने बार्क के चीफ ऑपरेटिंग अधिकारी रोमिल रामगढ़िया से पूछा, ‘‘आपको या विकास को यह दिखाने के लिए कि न्यूज़ 18 पर किस तरह की कटौती होती है.’’ वह कहते हैं, “यह पूरी तरह से गोपनीय है. हम किसी और के साथ इस स्तर पर बात तक नहीं करते हैं.’’

कई मौकों पर अर्णब अपने प्रतिद्वंद्वी चैनलों, खासकर टाइम्स नाउ और इंडिया टुडे की शिकायतों को लेकर दासगुप्ता बात करते नजर आते हैं. वे कहते हैं, ये चैनल अनुचित प्रक्रिया के जरिए उनकी रेटिंग बढ़ाते हैं.

21 जून को अर्णब ने दासगुप्ता को बताया कि उनके पास ‘‘पूरी जानकारी है कि टाइम्स तुम्हारे सिस्टम को कैसे तोड़ रहा है.’’ गुप्ता जवाब देते हुए कहते हैं, “बार्क को कानूनी रूप से स्वीकार्य प्रमाण' की ज़रूरत है और उसके लिए वह अपने स्तर पर जांच कर रहा हैं.”

अर्णब लिखते हैं, "मैं आपको इसके लिए कुछ मेटेरियल उपलब्ध करा सकता हूं जिसके जरिए आप इन्हें एक्सपोस कर सकते हैं.'' दासगुप्ता अर्णब से इस मेटेरियल को गुमनाम आईडी से खुद तक भेजने के लिए कहते हैं.

दासगुप्ता, यही चीज करते हुए अर्णब से कहते है, “पहली चीज जो लोग कहेंगे कि इसे विरोधियों ने खराब किया है.”

इसी बातचीत में एक जगह सामने आता है कि रिपब्लिक टीवी के लॉन्च होने के कुछ हफ़्ते बाद ही अर्णब तत्कालीन बार्क सीईओ दासगुप्ता से कहते हैं कि उनके पास एक पत्र है जिसमें "इंडिया टुडे दोहरी फ्रीक्वेंसी की मांग" कर रहा है. दोहरी फ्रीक्वेंसी टीवी चैनलों द्वारा अपनी टीआरपी बढ़ाने की प्रक्रिया है. इसके जरिए चैनल लिस्ट में दो बार मौजूद रहता है. एक जगह से अगर दर्शक ऊबकर आगे बढ़ते हैं तो दूसरे या तीसरे नंबर पर फिर वही चैनल आ जाता है. इससे चैनलों की टीआरपी बढ़ती है.

दासगुप्ता अर्णब से इसे 'लीक' करने के लिए बोलते हुए कहते हैं, ‘‘One must play dirty.’’

गोस्वामी इसके जवाब में कहते हैं, ‘‘अभी ये प्रेस में लीक होगा.’’

यह बिलकुल हैरान करने वाला है कि बातचीत में एक जगह खुद अर्णब स्वीकार करते हैं कि रिपब्लिक दोहरी फ्रीक्वेंसी चलाता है. 5 मई 2017 को वे दासगुप्ता को मैसेज करते हैं, ‘‘हमारे पास टाइम्स नाउ की तुलना में कम दोहरी फ्रीक्वेंसी है.’’

तू मेरी मदद कर, मैं तुम्हारी

ऐसा नहीं है कि अर्णब ही सिर्फ पार्थ दासगुप्ता से टीआरपी में खेल को लेकर मदद लेते हैं. दासगुप्ता भी कई मौकों पर अर्णब की पहुंच का फायदा लेने की कोशिश करते नजर आते हैं. बातचीत में दासगुप्ता लगातार इंडिया टीवी के मालिक और पत्रकार रजत शर्मा की आलोचना करते हैं. उनको इस बात का डर होता है कि शर्मा उन्हें बार्क से अलग करना चाहते हैं.

2019 के एक चैट में अर्णब और दासगुप्ता ने अभिनेत्री कंगना रनौत और टीआरपी को लेकर चर्चा की. अर्णब, दासगुप्ता से शिकायती अंदाज में कहते हैं कि कंगना 'रेटिंग अरनर' है लेकिन रिपब्लिक ने उसका इंटरव्यू किया तो टीआरपी बेहतर नहीं आई. जबकि यह ऐसे समय पर लिया गया इंटरव्यू था जब सब उस मामले के बारे में लोग जानना चाहते थे. हमारे बाद आजतक ने इंटरव्यू किया और वे नंबर एक बने.’’

अर्णब कहते हैं, ‘‘हमने दोपहर 3 बजे, शाम 8 बजे, रात 11 बजे इंटरव्यू चलाया. शाम 6 बजे इसको लेकर बहस की लेकिन हमारा औसत रेटिंग 2.5 रहा.’’

कंगना साल 2020 में सामने आती है जब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के असमय निधन के बाद कंगना ने रिपब्लिक को इंटरव्यू दिया था. दासगुप्ता सुशांत की मौत वाली खबर करने के लिए अर्णब की तारीफ करते हैं.

5 अगस्त, 2019 की बातचीत में अर्णब ने बताया कि पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ उन्होंने बैठक की. अर्णब दावा करते हैं कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हटाने की खबर को ब्रेक किया था उसके बाद ही डोभाल ने उन्हें बुलाया था. और पूछा कि उन्हें यह जानकारी कहां से मिली. इस पर अर्णब अपना जवाब बताते हैं कि ‘‘एनएसए और पीएमओ में भी लोग रिपब्लिक भारत देखते हैं.’’

16 अगस्त को दासगुप्ता अर्णब से रजत शर्मा को लेकर शिकायत करते हैं. वे लिखते हैं, ''रजत शर्मा ने एकबार फिर पुनीत से मेरे तुम्हारे साथ के मसले को उठाया है.'' यह पुनीत गोयनका हैं जो बार्क के सदस्य हैं और वर्तमान में बार्क के सीईओ भी हैं.

अर्णब, दासगुप्ता से चिंता नहीं करने के लिए कहते हैं और लिखते हैं, ‘‘जेटली के निधन के बाद रजत की परेशानी शुरू हो गई है.’’

आपको बता दें कि रजत शर्मा और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली कॉलेज के समय के दोस्त थे. जेटली ने रजत शर्मा को आगे बढ़ने में मदद की है इसका जिक्र कई बार शर्मा कर चुके हैं.

अर्णब कहते हैं, ‘‘रजत इज ओवर... अब उसकी बातों को गंभीरता से मत लो.’’ इसके जवाब में दासगुप्ता कहते हैं, ‘‘मैं ध्यान नहीं देता लेकिन बाकी दूसरे लोग करते हैं.’’

कई चैट्स में अर्णब और दासगुप्ता सरकार में एक शक्तिशाली व्यक्ति का जिक्र करते हैं, जिसकी पहचान के लिए वे "AS" शब्द का इस्तेमाल करते हैं. रजत शर्मा को लेकर होने वाली बातचीत में AS का जिक्र आता है. एक जगह दासगुप्ता अर्णब से कहते हैं, ‘‘एएस के ऑफिस या मंत्रालय से एक शब्द भी रजत को चुप कराने में हमारी मदद करेगा. मैं तुम्हारा दोस्त हूं इसी के आधार पर रजत मुझ पर एक बड़े अटैक की तैयारी कर रहा है.’’

2019 में होने वाले इंडियन ब्राडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) की मीटिंग से पहले दासगुप्ता अर्णब से यह सब बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘किसी को उनसे पूछना चाहिए. दुर्भाग्य से आईबीएफ में हर कोई 'नपुंसक' है. एक शख्स जो मेरा और तुम्हारा करीबी है उसने बताया कि कल आईबीएफ में अर्णब बनाम रजत होने वाला है और इन सब में नुकसान पार्थो को होगा. अर्णब ये और अगली बैठक महत्वपूर्ण है. तुम्हारे बहुत सारे दुश्मन हैं पर मैं तुम्हारा दोस्त हूं, लेकिन मैं अपने वैल्यू से समझौता नहीं करूंगा.’’

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष पद पर रजत शर्मा की नियुक्ति पर दासगुप्ता ने अर्णब से कहा, ‘‘रजत एनबीए का प्रमुख चुन लिया गया. यहां मोटाभाई का प्रभाव काम नहीं आया.’’ यहां स्पष्ट नहीं है कि मोटाभाई किसको कहा जा रहा है.

सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष और अमित शाह के बेटे जय शाह सचिव बन गए थे इस पर अर्णब कहते हैं, “रजत मूर्ख की तरह दिखते हैं. उसने बीसीसीआई की कमान संभालने की बात की थी. यह एक धोखा है और एक ऐसा धोखा जो कभी कोई सांसद भी नहीं देता.’’

बातचीत के दौरान एक जगह दासगुप्ता अर्णब से पीएमओ में नौकरी दिलाने की बात करते नजर आते हैं. वे कहते हैं, ‘‘प्लीज क्या तुम मुझे पीएमओ में मीडिया सलाहकार जैसे पद पर ला सकते हो. मैं बार्क में अब तंग आ चुका हूं और निहित स्वार्थ के दबाव में हूं.’’

(आयुष तिवारी और प्रतीक गोयल के सहयोग से)

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