Newslaundry Hindi
2024 तक भारत की पांच खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था के सपने पर पानी फेर सकता है वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण से होने वाला आर्थिक नुकसान 2024 तक भारत के पांच खरब (ट्रिलियन) डॉलर इकोनॉमी बनने के सपने पर पानी फेर सकता है. द लैंसेट की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों और रुग्णता का बोझ काफी टिकाऊ आर्थिक नुकसान प्रभाव वाला हो सकता है और इस बोझ के कारण उत्पादन पर असर होगा जो भारत की पांच ट्रिलियन इकोनॉमी की अंकाक्षा को गहरा झटका दे सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान है. यदि सकल घरेलू उत्पाद की फीसदी के हिसाब से बात करें तो वायु प्रदूषण के कारण उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जीडीपी का 2.15 फीसदी, बिहार में जीडीपी का 1.95 फीसदी, मध्य प्रदेश में जीडीपी का 1.70 फीसदी, राजस्थान में जीडीपी का 1.70 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 1.55 फीसदी जीडीपी का नुकसान है. यह सभी राज्य निम्न आय जीडीपी वाले राज्य हैं.
वहीं, उच्च प्रति आय जीडीपी वाले राज्यों में पंजाब में 1.52 फीसदी जबकि उत्तराखंड में यह 1.50 फीसदी है.
द लैंसेट की ओर से 1 दिसंबर, 2020 को जारी नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है, "वर्ष 2019 में भारत में 17 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं, जो देश में होने वाली कुल मौतों का 18 फीसदी थी."
वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और रुग्णता के कारण भारत ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.4 प्रतिशत खो दिया है. मौद्रिक रूप में यह 260,000 करोड़ रुपये है या यूं कहें कि 2020-21 के लिए केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य सेवा के लिए आवंटन का चार गुना से अधिक है. वहीं, आर्थिक क्षति में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली फेफड़ों की बीमारियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 36.6 फीसदी है.
रिपोर्ट के मुताबिक "वायु प्रदूषण के कारण प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान के आधार पर 2019 में दिल्ली में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान हुआ है."
परिवेशी पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के कारण होने वाली रुग्णता और समय पूर्व होने वाली मौतों के कारण आउटपुट की क्षति से आर्थिक नुकसान की रेंज जहां सबसे छोटा राज्य पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश (9.5 मिलियन डॉलर आर्थिक क्षति) है वहीं उत्तरभारत में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश (3188.4 डॉलर) है.
भीतरी या घर के स्रोतों से वायु प्रदूषण के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान की अवधि में, गोवा में 76 लाख डॉलर का कम से कम नुकसान हुआ था. उत्तर प्रदेश में 1829·6 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जो देश में सबसे अधिक है.
अध्ययन में कहा गया है, "ओजोन प्रदूषण के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के कारण की वजह से जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसकी रेंज उत्तर-पूर्व के छोटे से पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में चार मिलियन डॉलर से लेकर सर्वाधिक 286·2 मिलियन डॉलर तक है."
रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि सफलतापूर्वक राज्यवार रणनीति के साथ वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जाता है तो न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य के बेहतर नतीजे मिलेंगे बल्कि आर्थिक पहलू पर भी तस्वीर चमकदार होगी.
सीएसई के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर विवेक चटोपाध्याय ने कहा कि यह बहु क्षेत्रीय और बहु प्रदूषण वाला संकट है जो कि ऐसी ही दृष्टिकोण वाली योजना की मांग करता है. खासतौर से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन्हें लागू करना चाहिए.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
वायु प्रदूषण से होने वाला आर्थिक नुकसान 2024 तक भारत के पांच खरब (ट्रिलियन) डॉलर इकोनॉमी बनने के सपने पर पानी फेर सकता है. द लैंसेट की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों और रुग्णता का बोझ काफी टिकाऊ आर्थिक नुकसान प्रभाव वाला हो सकता है और इस बोझ के कारण उत्पादन पर असर होगा जो भारत की पांच ट्रिलियन इकोनॉमी की अंकाक्षा को गहरा झटका दे सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान है. यदि सकल घरेलू उत्पाद की फीसदी के हिसाब से बात करें तो वायु प्रदूषण के कारण उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जीडीपी का 2.15 फीसदी, बिहार में जीडीपी का 1.95 फीसदी, मध्य प्रदेश में जीडीपी का 1.70 फीसदी, राजस्थान में जीडीपी का 1.70 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 1.55 फीसदी जीडीपी का नुकसान है. यह सभी राज्य निम्न आय जीडीपी वाले राज्य हैं.
वहीं, उच्च प्रति आय जीडीपी वाले राज्यों में पंजाब में 1.52 फीसदी जबकि उत्तराखंड में यह 1.50 फीसदी है.
द लैंसेट की ओर से 1 दिसंबर, 2020 को जारी नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है, "वर्ष 2019 में भारत में 17 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं, जो देश में होने वाली कुल मौतों का 18 फीसदी थी."
वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और रुग्णता के कारण भारत ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.4 प्रतिशत खो दिया है. मौद्रिक रूप में यह 260,000 करोड़ रुपये है या यूं कहें कि 2020-21 के लिए केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य सेवा के लिए आवंटन का चार गुना से अधिक है. वहीं, आर्थिक क्षति में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली फेफड़ों की बीमारियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 36.6 फीसदी है.
रिपोर्ट के मुताबिक "वायु प्रदूषण के कारण प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान के आधार पर 2019 में दिल्ली में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान हुआ है."
परिवेशी पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के कारण होने वाली रुग्णता और समय पूर्व होने वाली मौतों के कारण आउटपुट की क्षति से आर्थिक नुकसान की रेंज जहां सबसे छोटा राज्य पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश (9.5 मिलियन डॉलर आर्थिक क्षति) है वहीं उत्तरभारत में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश (3188.4 डॉलर) है.
भीतरी या घर के स्रोतों से वायु प्रदूषण के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान की अवधि में, गोवा में 76 लाख डॉलर का कम से कम नुकसान हुआ था. उत्तर प्रदेश में 1829·6 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जो देश में सबसे अधिक है.
अध्ययन में कहा गया है, "ओजोन प्रदूषण के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के कारण की वजह से जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसकी रेंज उत्तर-पूर्व के छोटे से पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में चार मिलियन डॉलर से लेकर सर्वाधिक 286·2 मिलियन डॉलर तक है."
रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि सफलतापूर्वक राज्यवार रणनीति के साथ वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जाता है तो न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य के बेहतर नतीजे मिलेंगे बल्कि आर्थिक पहलू पर भी तस्वीर चमकदार होगी.
सीएसई के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर विवेक चटोपाध्याय ने कहा कि यह बहु क्षेत्रीय और बहु प्रदूषण वाला संकट है जो कि ऐसी ही दृष्टिकोण वाली योजना की मांग करता है. खासतौर से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन्हें लागू करना चाहिए.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read
-
The curious case of Kikki Singh: From poet photographed with president to FIR over CJI Gavai AI video
-
Will Delhi’s air pollution be the same this winter?
-
TMR 2025: Who controls the narrative on the future of media?
-
Oct 13, 2025: Delhi air is getting worse again
-
14 साल पहले के स्टिंग ऑपरेशन पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने मांगी माफी