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उत्तर प्रदेश- पुलिस ने धर्मांतरण कानून बनने से पहले हुई घटना में लगाया नया कानून
24 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में कथित तौर पर एक लव जिहाद का मामला सामने आया. इस मामले में पीड़िता के पिता 26 नवंबर को स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया. दर्ज मामले में पिता द्वारा कहा गया है कि किसी लड़के के साथ उनकी लड़की भाग गई है.
एफआईआर दर्ज होने के अगले दिन यानी 27 नवंबर को लड़की के पिता आरोपियों का नाम दर्ज कराते हुए जिला अधीक्षक को पत्र देते हैं. 28 नवंबर को प्रदेश सरकार द्वारा धर्मांतरण रोकने को लेकर बनाए गए नए कानून को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मंजूरी देती हैं. इसके बाद पुलिस 24 नवंबर को दर्ज एफआईआर में धर्मांतरण कानून जोड़कर कार्रवाई शुरू कर देती है और इसी के आधार पर पुलिस लोगों की गिरफ्तारियां शुरू कर देती है.
घटना के लगभग डेढ़ महीने बाद भी पुलिस पीड़िता और आरोपी को बरामद नहीं कर पाई है. अब सवाल है कि पुलिस फिर इस नतीजे पर कैसे पहुंच गई की लड़की का धर्मांतरण हुआ ही होगा?
क्या ऐसे में धर्मांतरण का कानून लगाना और घटना के बाद बने कानून के तहत कार्रवाई करना जायज है? इस सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर कहती हैं, ‘‘सबसे पहली बात तो धर्मांतरण हुआ या नहीं यह लड़की के बयान पर ही निर्भर करता है. अगर वह बालिग है और अपने बयान में कहती है कि अपने मन से गई है तो यह कानून लगेगा ही नहीं. दूसरी बात किसी भी मामले में रेट्रोस्पेक्टिवेली यानी कानून बनने के पूर्व हुई घटना पर नए कानून के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है.’’
‘हमें जानकारी होती तो मेरी बेटी का पोस्टमार्टम (मार देते) होता’
‘अगर पता होता कि उन दोनों के बीच ऐसा कुछ है तो मेरी बेटी का पोस्टमार्टम (मार देते) होता. उसे घर पर दुलार से नहीं रखते.’ इतना कहने के बाद 35 वर्षीय रेखा शुक्ला रोने लगती है. रोते-रोते वो कहती है, ‘मेरी बेटी ठीक से वापस आ जाएगी? महीना भर होने जा रहा है, लेकिन उसकी कोई खबर तक नहीं है. न जाने किस हाल में होगी. लोग बता रहे थे कि कई पुलिस वाले ढूंढ रहे हैं. फिर अभी तक मिली क्यों नहीं? मार तो नहीं दिया उसने.’
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के माखूबेहड़ गांव में प्रवेश करते ही पहला घर सर्वेश कुमार शुक्ला का है. रेखा सर्वेश की ही पत्नी है. इनके घर के बाहर दो पुलिस के सिपाही खड़े नजर आते हैं. पूछने पर कहते हैं, ‘‘जब से इनकी लड़की गई है तब से हर वक़्त यहां सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात रहती है. मामला हिन्दू-मुस्लिम का है इसलिए कहीं बवाल न हो. हालांकि अभी तक तो कोई बवाल नहीं हुआ लेकिन डर तो रहता ही है.’’
दुबले पतले सर्वेश खेती के साथ पशुओं की खरीद-बिक्री का भी काम करते हैं. सर्वेश का आरोप है कि उनकी बेटी नीतू शुक्ला को गांव का ही एक लड़का जिब्राइल बहला फुसलाकर बदनीयती से धर्म परिवर्तन कराने की नियत से भगा ले गया है.’’
सर्वेश के आरोप के बाद जिब्राइल का पूरा परिवार और कुछ रिश्तेदारों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. सीतापुर पुलिस इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है. आरोपी जिब्राइल और नीतू को तलाशने के लिए पुलिस पंजाब से लेकर नेपाल तक चक्कर लगा रही है.
दोनों की तलाश में पंजाब जाने वाले एक अधिकारी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए बताते हैं, ‘‘उसके गिरफ्तार परिजनों और रिश्तेदारों से हमें इनपुट मिला कि वो पंजाब के लुधियाना गया है. मैं खुद वहां गया लेकिन तब तक वहां से फरार हो गए थे दोनों. जिब्राइल ने अपना फोन तो सीतापुर से बाहर निकलते ही बंद कर दिया, लेकिन कोई तो है जो उसे हर वक़्त की जानकारी दे रहा है. वरना इतनी टीमें एकसाथ काम कर रही हैं, अब तक पकड़ में आ जाना चाहिए.’’
अधिकारी बताते हैं, ‘‘इस मामले की जांच से मैं जुड़ा रहा. मुख्य आरोपी का जो एक मौसेरा भाई है नद्दाफ. उससे जिब्राइल मैसेज पर बात करता था और लड़की को भगाने की प्लानिंग किया था. बातचीत में हिंदू लड़की से शादी करने पर जन्नत मिलने की भी बात सामने आई थी. जिसके बाद लगता है कि लड़की को भागने में साजिश है. लड़की को घर से लेकर वो बाहर आया तो सरोज शुक्ला नाम का एक दूसरा ड्राइवर उसे रात में वहां से लेकर बाहर निकला. हमने सरोज को पकड़कर जेल भेज दिया है. सरोज और जिब्राइल एक दूसरे को पहले से जानते थे.’’
आरोपी का घर क्षत-विक्षत
जिब्राइल का घर नीतू के घर से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर है. जब हम उसके घर पहुंचे तो घर के सारे दरवाजे टूटे पड़े थे. सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था. बर्तन और किताबें जमीन पर फैली हुई थीं. घर के आसपास कोई पुरुष नजर नहीं आता है. कुछ महिलाएं और बच्चे सामने बनी मस्जिद के पास बैठे नजर आते हैं. घर का हाल ऐसा किसने किया इस सवाल पर हमें कोई जवाब नहीं देता. थोड़ी देर बाद एक बच्चे से हम जब पूछते हैं तो वह बताता है, ‘पुलिस वाले आए थे. उन्होंने ही ऐसा किया.’
हालांकि घर को तबाह करने के आरोप से स्थानीय थाना तंबौर के थानाध्यक्ष इंकार करते हैं.
इस गांव में मुस्लिमों की आबादी तो वैसे कम है, लेकिन इन दिनों मुस्लिम पुरुष दिन में अपने घर पर नहीं रहते हैं. उन्हें डर है कि पुलिस शायद इस मामले में उन्हें भी ना उठा ले. पुरुष कहां हैं, इस सवाल के जवाब में बुजुर्ग महिला बताती हैं, ‘‘मेरे बच्चे तो कानपुर में काम करते हैं. दूसरों के बच्चों की बात रही तो वे आजकल घर पर कम ही रहते हैं. इस मामले से सब डरे हुए हैं.’’
बहला फुसलाकर बदनीयती से धर्म परिवर्तन?
क्या जिब्राइल नीतू को बहला-फुसलाकर ले गया या दोनों एक दूसरे के संपर्क में थे. क्या नीतू का धर्म परिवर्तन कराया गया? इस सवाल का जवाब मामले की जांच कर रहे तंबौर थाने के एसएचओ अमित भदौरिया दोनों की बरामदगी के बाद ही देने की बात करते हैं. वहीं लड़की के परिजन इस बात से साफ इंकार करते हैं कि दोनों के बीच कोई संबंध था.
लेकिन नीतू जिस तरह से घर से गई है और जो-जो डॉक्यूमेंट लेकर गई है उससे साफ़ जाहिर होता है कि घर से जाने में उसकी भी रजामंदी थी. दरअसल वो अपने साथ अपनी मार्कशीट और आधार कार्ड लेकर गई है. यह जानकारी हमें सर्वेश देते हैं.
सर्वेश बताते हैं, ‘‘उस दिन गांव में एक शादी थी. मैं एक भैंस बेचकर दो लाख रुपए लेकर अपनी लड़की को ही दिया था. सबसे बड़ी बेटी है और हममें सबसे ज़्यादा वहीं पढ़ी है. ऐसे में हिसाब किताब वहीं देखती थी. सुबह हम जब जगे तो गेट खुला हुआ था और वो गायब थी. हमने पैसा और उसके कागजात देखे तो वो भी नहीं मिले.’’
जिब्राइल और सर्वेश लम्बे समय तक साथ ही काम कर रहे थे. सर्वेश का पशुओं की खरीद बिक्री का काम है और जिब्राइल गाड़ी चलाता था. उसी गाड़ी से खरीदा हुआ पशु लेकर सर्वेश आते-जाते थे. इस तरह जिब्राइल का उनके घर आना जाना था. हालांकि रेखा कहती हैं, ‘‘वो पहले तो हमारे घर आता था, लेकिन खेत के मेड को लेकर एकबार लड़ाई हो गई तो उसके बाद इन्होंने उसके साथ काम करना बंद कर दिया. कई महीनों से उसका हमारे यहां आना बंद था.’’
इस घटना को लेकर गांव के लोग मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं. हालांकि गांव के किनारे मिले लड़कों ने बताया कि जिब्राइल और नीतू के बीच लम्बे समय से अफेयर था. इसकी जानकारी परिजनों को हुई तो उन्होंने उसके साथ काम करना बंद कर दिया. उसके बाद से ही जिब्राइल का घर आना जाना बंद था. शुरू से ही इस मामले पर रिपोर्ट करने वाले एक स्थानीय पत्रकार बताते हैं, ‘‘एक समय तो ऐसा था कि जिब्राइल उस परिवार का हिस्सा बन गया था. लड़की को परीक्षा दिलाने ले जाना हो या उसकी मां को इलाज कराने ले जाना हो. सब काम वहीं करता था.’’
पहले अज्ञात के खिलाफ मुकदमा और फिर जिब्राइल का नाम
नीतू अपने घर से 24 नवंबर को गायब हुई. 26 नवंबर को स्थानीय थाना तंबौर में एक शिकायत दर्ज की गई जो अज्ञात के खिलाफ है. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद इस एफआईआर में सर्वेश के हवाले से लिखा गया है, ‘‘हमारी लड़की कुमारी नीतू जिसकी उम्र 19 साल है और कक्षा 12वीं की छात्रा है. दिनांक 24 नवंबर की रात किसी लड़के के साथ भाग गई है. जानकारी करने पर पता चला कि मेरी लड़की रात में किसी से मोबाइल पर बात करती थी. हमें अपनी लड़की का मोबाइल नंबर नहीं पता. मैं जानकारी करके आपको मोबाइल नंबर बता दूंगा.’’
सर्वेश बिलकुल पढ़े नहीं हैं. इस एफआईआर को लेकर जब हम उनसे सवाल करते हैं कि आपने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. घटना के दो दिन बाद तक क्या आपको जानकारी नहीं थी कि जिब्राइल नीतू को लेकर गया है. इस सवाल के जवाब में सर्वेश कहते हैं, ‘‘यह पुलिस के लोगों ने जबरदस्ती लिखा है. हमने उन्हें पहले दिन ही बताया था कि नीतू को जिब्राइल ही भगा कर ले गया है. हम घटना की अगली सुबह ही शिकायत करने गए और पूरी घटना की जानकारी दी. तब उन्होंने हमारी शिकायत ठीक से नहीं सुनी. हम फिर गए तब हमारा मुकदमा दर्ज हुआ और वो भी अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया गया. हमने 27 नवंबर को पत्र लिखकर सीतापुर के एसपी साहब को दिया और सबका नाम लिया तब जाकर आरोपियों का नाम पुलिस ने एफआईआर में दर्ज किया.’’
न्यूज़लॉन्ड्री के पास 27 नवंबर को पुलिस अधीक्षक सीतापुर को सर्वेश द्वारा दी गई शिकायत भी मौजूद है. 26 नवंबर को दर्ज एफआईआर के अगले दिन दी गई इस शिकायत में नीतू की उम्र भी दो साल कम कर 17 साल लिखी गई है. शिकायत में जिब्राइल समेत उसके परिवार के बाकी छह लोगों को नीतू को भगाने की भूमिका बताते हुए नामजद किया गया है. इस शिकायत में सर्वेश बहला-फुसलाकर भगाने और धर्मांतरण कराने की बात कहते हैं.
इस शिकायत के अगले दिन ही प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सरकार द्वारा धर्मांतरण रोकने के उद्देश्य से बनाए गए 'विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को मंजूरी दे दी. फिर मामले को पुलिस ने इसी कानून के तहत दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी.
क्या घटना के बाद बना कानून पूर्व की घटना पर लागू होगा
जिस अपराध की तारीख 24 नवंबर है, और एफआईआर 26 नवंबर को हुई. 27 नवंबर को आरोपियों के नाम जिले के पुलिस अधीक्षक को दिए गए. उसपर 28 नवंबर को पास हुआ नया कानून लगा. इसको लेकर जब हमने स्थानीय थाने के प्रमुख अमित भदौरिया से सवाल किया तो वे हमें कोई जवाब नहीं देते हैं.
पुलिस जांच के करीबी सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि 30 नवंबर को एसपी के कार्यालय से एक आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसके बाद इस एफआईआर में नए कानून को जोड़ दिया गया और उसी के मुताबिक कार्रवाई हो रही है.
जैसा की वृंदा ग्रोवर बताती हैं कि घटना के बाद बने कानून के तहत उस मामले पर कार्रवाई नहीं हो सकती है. ठीक यही बात लखनऊ में रहने वाले वकील असद हयात बताते हैं, ‘‘ऐसा मुमकिन नहीं है. यह कार्रवाई असंवैधानिक है और अगर आरोपी पक्ष कोर्ट में इसको चैलेंज करे तो कोर्ट खुद ही इस मामले से नए कानून को वापस ले लेगा.’’
असद आगे कहते हैं, ‘‘इस घटना में अभी लड़की को पुलिस बरामद नहीं कर पाई है. ऐसे में वो कैसे धर्मांतरण का कानून लगाकर कार्रवाई कर सकती है. लड़की की बरामदगी और उसके बयान के बाद ही यह साफ होगा कि उसका धर्मांतरण हुआ या नहीं. अगर हुआ होगा तो ही इस कानून के तहत कार्रवाई हो सकेगी.’’
इस पूरे विवाद पर सीतापुर के एसपी राजीव दीक्षित को हमने कई बार फोन किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो पाई. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे खबर से जोड़ दिया जाएगा.
दक्षिणपंथी संगठनों की इस घटना में भूमिका
न्यूज़लॉन्ड्री ने लव जिहाद को लेकर चल रहे सेना प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट में बताया है कि कैसे कथित तौर पर लव जिहाद के मामलों में बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे संगठनों की भूमिका होती है. इस मामले में भी ऐसा ही है. इन संगठनों की माने तो इनके दबाव के कारण ही पुलिस ने सक्रियता से इस मामले में गिरफ्तारी की और लड़के-लड़की को तलाशने के लिए 15 टीमें बनाईं.
जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम सीतापुर के तंबौर थाने के प्रमुख अमित भदौरिया से मिलने पहुंची तो वे थाने से बाहर थे. वहां मौजूद पुलिस के जवानों ने बताया कि कुछ ही देर में साहब आने वाले हैं. लगभग एक घंटे बाद भदौरिया थाने पहुंचे. उनके पीछे-पीछे हिन्दू युवा वाहिनी के जिला अध्यक्ष उत्तम सिंह, संगठन के जिला महामंत्री अभिनव मिश्रा और एक दूसरे साथी भी थाने पहुंच गए. हमसे बातचीत से पहले भदौरिया इन तीनों से बातचीत करने लगे. यहां बताना जरूरी है कि भदौरिया इस मामले के जांच अधिकारी हैं. अभिनव मिश्रा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘हम लोग हर रोज इस मामले की जानकारी के लिए यहां आते हैं.’’
उत्तम सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा, “हम परिवार की मदद कर रहे हैं और पुलिस से अपडेट प्राप्त करने के लिए यहां आ रहे हैं. हम सीधे एसपी सीतापुर के साथ सूचना का आदान-प्रदान करते हैं और ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानकारी देते हैं, जिन पर हमें संदेह है ताकि उनका नंबर सर्विलांस पर लगाए जा सके.’’
उत्तम सिंह का मानना है कि 'लव जिहाद' मुस्लिम पुरुषों द्वारा एक हिंदू लड़की का ब्रेनवॉश करने के अलावा कुछ नहीं है.
इस मामले को मीडिया के बड़े हिस्से और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों के द्वारा लव जिहाद बोला जा रहा है. लड़की के पिता से जब हमने इस मामले में लव जिहाद होने को लेकर सवाल किया तो वो कोई खास जवाब नहीं देते. उन्हें लव जिहाद शब्द की जानकारी नहीं होती है. हालांकि घटना को देखें तो लड़की और लड़का एक दूसरे को जानते थे. लड़की को यह पता था कि वो मुस्लिम है. ऐसे में लव जिहाद की दक्षिणपंथी परिभाषा पर यह मामला खरा नहीं है. दक्षिणापथी विचारधारा के मुताबिक लव जिहाद उस घटना को कहते है जिसमें लड़का अपना नाम छुपाकर, हिन्दू बनकर लड़की को फंसाए.
पेशे से वकील और हिन्दू युवा वाहिनी के जिला महामंत्री अभिनव मिश्रा इस मामले में लड़की पक्ष के वकील हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘सीतापुर से निकलने के बाद वे दोनों बदायूं गए उसके बाद वे पंजाब की तरफ निकले हैं. घटना से पहले लड़की के घर से नकदी गायब होना बताता है कि यह सब प्लानिंग के तहत किया गया है.’’
लड़की वापस आएगी तो हम उसका 'शुद्धिकरण' कर देंगे
माखूबेहड़ गांव से तीन किलोमीटर दूर कालनपुर गांव है. इस पूरे मामले में इस गांव के एक हिंदूवादी परिवार की भूमिका रही है. यह परिवार है, हिन्दू युवा वाहिनी के प्रमुख उत्तम सिंह का. उनके भाई अर्जुन सिंह भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के जिला प्रमुख रह चुके हैं. इनके पिता लल्ला सिंह विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत प्रमुख रहे हैं और आजकल घर पर ही रहते हैं.
बुजुर्ग लल्ला सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस में अपने शामिल होने की बात गर्व से बताते हुए खुद को 'कट्टर हिन्दू' कहते हैं.
अर्जुन सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘उन्हें इस मामले की जानकारी दो दिन देर से तब मिली जब सर्वेश शुक्ला उनके यहां मदद के लिए पहुंचे. सर्वेश ने बताया कि उनकी बेटी के साथ ऐसा-ऐसा हुआ है, लेकिन पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है. ऐसे में हम थाने पहुंचे और पुलिस पर इस मामले पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया. इसके बाद से हम इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए हैं
लड़की के वापस आने पर उसकी गंगा जल से शुद्धिकरण की बता करते हुए लल्ला सिंह कहते हैं, ‘‘लव जिहाद कोई आज का मुद्दा नहीं है बल्कि यह सालों से चलता आ रहा है. यह एक षड्यंत्र के तहत मुसलमान करते हैं. बकायदा इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें पैसे दिए जाते हैं. जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं होते वे लड़के महंगी गाड़ियों से घूमते हैं. कोचिंग सेंटर और स्कूलों के बाहर पैतरा लगाते हैं. कलावा बांधकर हिंदू बनने का अभिनय करते हैं. उनका निशाना कम उम्र की गरीब तबके की हिंदू लड़कियां होती है. गरीब लड़कियों को घुमाते हैं. सब्जबाग दिखाते हैं. लड़कियां इनके प्रभाव में आ जाती हैं. उनके चक्कर में फंस जाती हैं तब अपनी असलियत बताते हैं लेकिन तब लौटने की संभावना खत्म हो जाती है. लड़कियों का धर्मपरिवर्तन कराते हैं. और आगे चलकर उन्हें मार तक देते हैं.’’
घटना के डेढ़ महीने बाद भी पुलिस की 15 टीमें आरोपी और पीड़िता को तलाशने में नकाम रही हैं. इस दौरान कथित तौर से उनकी मदद करने के आरोप में लड़के का पूरा परिवार जिसमें एक दिव्यांग भाई भी है जेल में बंद हैं.
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'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की स्टोरी है.
इस एनएल सेना प्रोजेक्ट में हमारे 109 पाठकों ने सहयोग किया है. यह मंयक गर्ग, राहुल कोहली और अन्य एनएल सेना के सदस्यों द्वारा संभव बनाया गया है. आप हमारे अगले एनएल लीगल फंड में सहयोग दे और गर्व से कहें मेरे ख़र्च पर आजाद हैं ख़बरें.
24 नवंबर को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में कथित तौर पर एक लव जिहाद का मामला सामने आया. इस मामले में पीड़िता के पिता 26 नवंबर को स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया. दर्ज मामले में पिता द्वारा कहा गया है कि किसी लड़के के साथ उनकी लड़की भाग गई है.
एफआईआर दर्ज होने के अगले दिन यानी 27 नवंबर को लड़की के पिता आरोपियों का नाम दर्ज कराते हुए जिला अधीक्षक को पत्र देते हैं. 28 नवंबर को प्रदेश सरकार द्वारा धर्मांतरण रोकने को लेकर बनाए गए नए कानून को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मंजूरी देती हैं. इसके बाद पुलिस 24 नवंबर को दर्ज एफआईआर में धर्मांतरण कानून जोड़कर कार्रवाई शुरू कर देती है और इसी के आधार पर पुलिस लोगों की गिरफ्तारियां शुरू कर देती है.
घटना के लगभग डेढ़ महीने बाद भी पुलिस पीड़िता और आरोपी को बरामद नहीं कर पाई है. अब सवाल है कि पुलिस फिर इस नतीजे पर कैसे पहुंच गई की लड़की का धर्मांतरण हुआ ही होगा?
क्या ऐसे में धर्मांतरण का कानून लगाना और घटना के बाद बने कानून के तहत कार्रवाई करना जायज है? इस सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर कहती हैं, ‘‘सबसे पहली बात तो धर्मांतरण हुआ या नहीं यह लड़की के बयान पर ही निर्भर करता है. अगर वह बालिग है और अपने बयान में कहती है कि अपने मन से गई है तो यह कानून लगेगा ही नहीं. दूसरी बात किसी भी मामले में रेट्रोस्पेक्टिवेली यानी कानून बनने के पूर्व हुई घटना पर नए कानून के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है.’’
‘हमें जानकारी होती तो मेरी बेटी का पोस्टमार्टम (मार देते) होता’
‘अगर पता होता कि उन दोनों के बीच ऐसा कुछ है तो मेरी बेटी का पोस्टमार्टम (मार देते) होता. उसे घर पर दुलार से नहीं रखते.’ इतना कहने के बाद 35 वर्षीय रेखा शुक्ला रोने लगती है. रोते-रोते वो कहती है, ‘मेरी बेटी ठीक से वापस आ जाएगी? महीना भर होने जा रहा है, लेकिन उसकी कोई खबर तक नहीं है. न जाने किस हाल में होगी. लोग बता रहे थे कि कई पुलिस वाले ढूंढ रहे हैं. फिर अभी तक मिली क्यों नहीं? मार तो नहीं दिया उसने.’
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के माखूबेहड़ गांव में प्रवेश करते ही पहला घर सर्वेश कुमार शुक्ला का है. रेखा सर्वेश की ही पत्नी है. इनके घर के बाहर दो पुलिस के सिपाही खड़े नजर आते हैं. पूछने पर कहते हैं, ‘‘जब से इनकी लड़की गई है तब से हर वक़्त यहां सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात रहती है. मामला हिन्दू-मुस्लिम का है इसलिए कहीं बवाल न हो. हालांकि अभी तक तो कोई बवाल नहीं हुआ लेकिन डर तो रहता ही है.’’
दुबले पतले सर्वेश खेती के साथ पशुओं की खरीद-बिक्री का भी काम करते हैं. सर्वेश का आरोप है कि उनकी बेटी नीतू शुक्ला को गांव का ही एक लड़का जिब्राइल बहला फुसलाकर बदनीयती से धर्म परिवर्तन कराने की नियत से भगा ले गया है.’’
सर्वेश के आरोप के बाद जिब्राइल का पूरा परिवार और कुछ रिश्तेदारों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. सीतापुर पुलिस इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है. आरोपी जिब्राइल और नीतू को तलाशने के लिए पुलिस पंजाब से लेकर नेपाल तक चक्कर लगा रही है.
दोनों की तलाश में पंजाब जाने वाले एक अधिकारी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए बताते हैं, ‘‘उसके गिरफ्तार परिजनों और रिश्तेदारों से हमें इनपुट मिला कि वो पंजाब के लुधियाना गया है. मैं खुद वहां गया लेकिन तब तक वहां से फरार हो गए थे दोनों. जिब्राइल ने अपना फोन तो सीतापुर से बाहर निकलते ही बंद कर दिया, लेकिन कोई तो है जो उसे हर वक़्त की जानकारी दे रहा है. वरना इतनी टीमें एकसाथ काम कर रही हैं, अब तक पकड़ में आ जाना चाहिए.’’
अधिकारी बताते हैं, ‘‘इस मामले की जांच से मैं जुड़ा रहा. मुख्य आरोपी का जो एक मौसेरा भाई है नद्दाफ. उससे जिब्राइल मैसेज पर बात करता था और लड़की को भगाने की प्लानिंग किया था. बातचीत में हिंदू लड़की से शादी करने पर जन्नत मिलने की भी बात सामने आई थी. जिसके बाद लगता है कि लड़की को भागने में साजिश है. लड़की को घर से लेकर वो बाहर आया तो सरोज शुक्ला नाम का एक दूसरा ड्राइवर उसे रात में वहां से लेकर बाहर निकला. हमने सरोज को पकड़कर जेल भेज दिया है. सरोज और जिब्राइल एक दूसरे को पहले से जानते थे.’’
आरोपी का घर क्षत-विक्षत
जिब्राइल का घर नीतू के घर से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर है. जब हम उसके घर पहुंचे तो घर के सारे दरवाजे टूटे पड़े थे. सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था. बर्तन और किताबें जमीन पर फैली हुई थीं. घर के आसपास कोई पुरुष नजर नहीं आता है. कुछ महिलाएं और बच्चे सामने बनी मस्जिद के पास बैठे नजर आते हैं. घर का हाल ऐसा किसने किया इस सवाल पर हमें कोई जवाब नहीं देता. थोड़ी देर बाद एक बच्चे से हम जब पूछते हैं तो वह बताता है, ‘पुलिस वाले आए थे. उन्होंने ही ऐसा किया.’
हालांकि घर को तबाह करने के आरोप से स्थानीय थाना तंबौर के थानाध्यक्ष इंकार करते हैं.
इस गांव में मुस्लिमों की आबादी तो वैसे कम है, लेकिन इन दिनों मुस्लिम पुरुष दिन में अपने घर पर नहीं रहते हैं. उन्हें डर है कि पुलिस शायद इस मामले में उन्हें भी ना उठा ले. पुरुष कहां हैं, इस सवाल के जवाब में बुजुर्ग महिला बताती हैं, ‘‘मेरे बच्चे तो कानपुर में काम करते हैं. दूसरों के बच्चों की बात रही तो वे आजकल घर पर कम ही रहते हैं. इस मामले से सब डरे हुए हैं.’’
बहला फुसलाकर बदनीयती से धर्म परिवर्तन?
क्या जिब्राइल नीतू को बहला-फुसलाकर ले गया या दोनों एक दूसरे के संपर्क में थे. क्या नीतू का धर्म परिवर्तन कराया गया? इस सवाल का जवाब मामले की जांच कर रहे तंबौर थाने के एसएचओ अमित भदौरिया दोनों की बरामदगी के बाद ही देने की बात करते हैं. वहीं लड़की के परिजन इस बात से साफ इंकार करते हैं कि दोनों के बीच कोई संबंध था.
लेकिन नीतू जिस तरह से घर से गई है और जो-जो डॉक्यूमेंट लेकर गई है उससे साफ़ जाहिर होता है कि घर से जाने में उसकी भी रजामंदी थी. दरअसल वो अपने साथ अपनी मार्कशीट और आधार कार्ड लेकर गई है. यह जानकारी हमें सर्वेश देते हैं.
सर्वेश बताते हैं, ‘‘उस दिन गांव में एक शादी थी. मैं एक भैंस बेचकर दो लाख रुपए लेकर अपनी लड़की को ही दिया था. सबसे बड़ी बेटी है और हममें सबसे ज़्यादा वहीं पढ़ी है. ऐसे में हिसाब किताब वहीं देखती थी. सुबह हम जब जगे तो गेट खुला हुआ था और वो गायब थी. हमने पैसा और उसके कागजात देखे तो वो भी नहीं मिले.’’
जिब्राइल और सर्वेश लम्बे समय तक साथ ही काम कर रहे थे. सर्वेश का पशुओं की खरीद बिक्री का काम है और जिब्राइल गाड़ी चलाता था. उसी गाड़ी से खरीदा हुआ पशु लेकर सर्वेश आते-जाते थे. इस तरह जिब्राइल का उनके घर आना जाना था. हालांकि रेखा कहती हैं, ‘‘वो पहले तो हमारे घर आता था, लेकिन खेत के मेड को लेकर एकबार लड़ाई हो गई तो उसके बाद इन्होंने उसके साथ काम करना बंद कर दिया. कई महीनों से उसका हमारे यहां आना बंद था.’’
इस घटना को लेकर गांव के लोग मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं. हालांकि गांव के किनारे मिले लड़कों ने बताया कि जिब्राइल और नीतू के बीच लम्बे समय से अफेयर था. इसकी जानकारी परिजनों को हुई तो उन्होंने उसके साथ काम करना बंद कर दिया. उसके बाद से ही जिब्राइल का घर आना जाना बंद था. शुरू से ही इस मामले पर रिपोर्ट करने वाले एक स्थानीय पत्रकार बताते हैं, ‘‘एक समय तो ऐसा था कि जिब्राइल उस परिवार का हिस्सा बन गया था. लड़की को परीक्षा दिलाने ले जाना हो या उसकी मां को इलाज कराने ले जाना हो. सब काम वहीं करता था.’’
पहले अज्ञात के खिलाफ मुकदमा और फिर जिब्राइल का नाम
नीतू अपने घर से 24 नवंबर को गायब हुई. 26 नवंबर को स्थानीय थाना तंबौर में एक शिकायत दर्ज की गई जो अज्ञात के खिलाफ है. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद इस एफआईआर में सर्वेश के हवाले से लिखा गया है, ‘‘हमारी लड़की कुमारी नीतू जिसकी उम्र 19 साल है और कक्षा 12वीं की छात्रा है. दिनांक 24 नवंबर की रात किसी लड़के के साथ भाग गई है. जानकारी करने पर पता चला कि मेरी लड़की रात में किसी से मोबाइल पर बात करती थी. हमें अपनी लड़की का मोबाइल नंबर नहीं पता. मैं जानकारी करके आपको मोबाइल नंबर बता दूंगा.’’
सर्वेश बिलकुल पढ़े नहीं हैं. इस एफआईआर को लेकर जब हम उनसे सवाल करते हैं कि आपने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. घटना के दो दिन बाद तक क्या आपको जानकारी नहीं थी कि जिब्राइल नीतू को लेकर गया है. इस सवाल के जवाब में सर्वेश कहते हैं, ‘‘यह पुलिस के लोगों ने जबरदस्ती लिखा है. हमने उन्हें पहले दिन ही बताया था कि नीतू को जिब्राइल ही भगा कर ले गया है. हम घटना की अगली सुबह ही शिकायत करने गए और पूरी घटना की जानकारी दी. तब उन्होंने हमारी शिकायत ठीक से नहीं सुनी. हम फिर गए तब हमारा मुकदमा दर्ज हुआ और वो भी अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया गया. हमने 27 नवंबर को पत्र लिखकर सीतापुर के एसपी साहब को दिया और सबका नाम लिया तब जाकर आरोपियों का नाम पुलिस ने एफआईआर में दर्ज किया.’’
न्यूज़लॉन्ड्री के पास 27 नवंबर को पुलिस अधीक्षक सीतापुर को सर्वेश द्वारा दी गई शिकायत भी मौजूद है. 26 नवंबर को दर्ज एफआईआर के अगले दिन दी गई इस शिकायत में नीतू की उम्र भी दो साल कम कर 17 साल लिखी गई है. शिकायत में जिब्राइल समेत उसके परिवार के बाकी छह लोगों को नीतू को भगाने की भूमिका बताते हुए नामजद किया गया है. इस शिकायत में सर्वेश बहला-फुसलाकर भगाने और धर्मांतरण कराने की बात कहते हैं.
इस शिकायत के अगले दिन ही प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सरकार द्वारा धर्मांतरण रोकने के उद्देश्य से बनाए गए 'विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' को मंजूरी दे दी. फिर मामले को पुलिस ने इसी कानून के तहत दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी.
क्या घटना के बाद बना कानून पूर्व की घटना पर लागू होगा
जिस अपराध की तारीख 24 नवंबर है, और एफआईआर 26 नवंबर को हुई. 27 नवंबर को आरोपियों के नाम जिले के पुलिस अधीक्षक को दिए गए. उसपर 28 नवंबर को पास हुआ नया कानून लगा. इसको लेकर जब हमने स्थानीय थाने के प्रमुख अमित भदौरिया से सवाल किया तो वे हमें कोई जवाब नहीं देते हैं.
पुलिस जांच के करीबी सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि 30 नवंबर को एसपी के कार्यालय से एक आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसके बाद इस एफआईआर में नए कानून को जोड़ दिया गया और उसी के मुताबिक कार्रवाई हो रही है.
जैसा की वृंदा ग्रोवर बताती हैं कि घटना के बाद बने कानून के तहत उस मामले पर कार्रवाई नहीं हो सकती है. ठीक यही बात लखनऊ में रहने वाले वकील असद हयात बताते हैं, ‘‘ऐसा मुमकिन नहीं है. यह कार्रवाई असंवैधानिक है और अगर आरोपी पक्ष कोर्ट में इसको चैलेंज करे तो कोर्ट खुद ही इस मामले से नए कानून को वापस ले लेगा.’’
असद आगे कहते हैं, ‘‘इस घटना में अभी लड़की को पुलिस बरामद नहीं कर पाई है. ऐसे में वो कैसे धर्मांतरण का कानून लगाकर कार्रवाई कर सकती है. लड़की की बरामदगी और उसके बयान के बाद ही यह साफ होगा कि उसका धर्मांतरण हुआ या नहीं. अगर हुआ होगा तो ही इस कानून के तहत कार्रवाई हो सकेगी.’’
इस पूरे विवाद पर सीतापुर के एसपी राजीव दीक्षित को हमने कई बार फोन किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो पाई. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे खबर से जोड़ दिया जाएगा.
दक्षिणपंथी संगठनों की इस घटना में भूमिका
न्यूज़लॉन्ड्री ने लव जिहाद को लेकर चल रहे सेना प्रोजेक्ट की एक रिपोर्ट में बताया है कि कैसे कथित तौर पर लव जिहाद के मामलों में बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे संगठनों की भूमिका होती है. इस मामले में भी ऐसा ही है. इन संगठनों की माने तो इनके दबाव के कारण ही पुलिस ने सक्रियता से इस मामले में गिरफ्तारी की और लड़के-लड़की को तलाशने के लिए 15 टीमें बनाईं.
जब न्यूज़लॉन्ड्री की टीम सीतापुर के तंबौर थाने के प्रमुख अमित भदौरिया से मिलने पहुंची तो वे थाने से बाहर थे. वहां मौजूद पुलिस के जवानों ने बताया कि कुछ ही देर में साहब आने वाले हैं. लगभग एक घंटे बाद भदौरिया थाने पहुंचे. उनके पीछे-पीछे हिन्दू युवा वाहिनी के जिला अध्यक्ष उत्तम सिंह, संगठन के जिला महामंत्री अभिनव मिश्रा और एक दूसरे साथी भी थाने पहुंच गए. हमसे बातचीत से पहले भदौरिया इन तीनों से बातचीत करने लगे. यहां बताना जरूरी है कि भदौरिया इस मामले के जांच अधिकारी हैं. अभिनव मिश्रा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘हम लोग हर रोज इस मामले की जानकारी के लिए यहां आते हैं.’’
उत्तम सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा, “हम परिवार की मदद कर रहे हैं और पुलिस से अपडेट प्राप्त करने के लिए यहां आ रहे हैं. हम सीधे एसपी सीतापुर के साथ सूचना का आदान-प्रदान करते हैं और ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानकारी देते हैं, जिन पर हमें संदेह है ताकि उनका नंबर सर्विलांस पर लगाए जा सके.’’
उत्तम सिंह का मानना है कि 'लव जिहाद' मुस्लिम पुरुषों द्वारा एक हिंदू लड़की का ब्रेनवॉश करने के अलावा कुछ नहीं है.
इस मामले को मीडिया के बड़े हिस्से और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों के द्वारा लव जिहाद बोला जा रहा है. लड़की के पिता से जब हमने इस मामले में लव जिहाद होने को लेकर सवाल किया तो वो कोई खास जवाब नहीं देते. उन्हें लव जिहाद शब्द की जानकारी नहीं होती है. हालांकि घटना को देखें तो लड़की और लड़का एक दूसरे को जानते थे. लड़की को यह पता था कि वो मुस्लिम है. ऐसे में लव जिहाद की दक्षिणपंथी परिभाषा पर यह मामला खरा नहीं है. दक्षिणापथी विचारधारा के मुताबिक लव जिहाद उस घटना को कहते है जिसमें लड़का अपना नाम छुपाकर, हिन्दू बनकर लड़की को फंसाए.
पेशे से वकील और हिन्दू युवा वाहिनी के जिला महामंत्री अभिनव मिश्रा इस मामले में लड़की पक्ष के वकील हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘सीतापुर से निकलने के बाद वे दोनों बदायूं गए उसके बाद वे पंजाब की तरफ निकले हैं. घटना से पहले लड़की के घर से नकदी गायब होना बताता है कि यह सब प्लानिंग के तहत किया गया है.’’
लड़की वापस आएगी तो हम उसका 'शुद्धिकरण' कर देंगे
माखूबेहड़ गांव से तीन किलोमीटर दूर कालनपुर गांव है. इस पूरे मामले में इस गांव के एक हिंदूवादी परिवार की भूमिका रही है. यह परिवार है, हिन्दू युवा वाहिनी के प्रमुख उत्तम सिंह का. उनके भाई अर्जुन सिंह भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के जिला प्रमुख रह चुके हैं. इनके पिता लल्ला सिंह विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत प्रमुख रहे हैं और आजकल घर पर ही रहते हैं.
बुजुर्ग लल्ला सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस में अपने शामिल होने की बात गर्व से बताते हुए खुद को 'कट्टर हिन्दू' कहते हैं.
अर्जुन सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘उन्हें इस मामले की जानकारी दो दिन देर से तब मिली जब सर्वेश शुक्ला उनके यहां मदद के लिए पहुंचे. सर्वेश ने बताया कि उनकी बेटी के साथ ऐसा-ऐसा हुआ है, लेकिन पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है. ऐसे में हम थाने पहुंचे और पुलिस पर इस मामले पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया. इसके बाद से हम इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए हैं
लड़की के वापस आने पर उसकी गंगा जल से शुद्धिकरण की बता करते हुए लल्ला सिंह कहते हैं, ‘‘लव जिहाद कोई आज का मुद्दा नहीं है बल्कि यह सालों से चलता आ रहा है. यह एक षड्यंत्र के तहत मुसलमान करते हैं. बकायदा इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें पैसे दिए जाते हैं. जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं होते वे लड़के महंगी गाड़ियों से घूमते हैं. कोचिंग सेंटर और स्कूलों के बाहर पैतरा लगाते हैं. कलावा बांधकर हिंदू बनने का अभिनय करते हैं. उनका निशाना कम उम्र की गरीब तबके की हिंदू लड़कियां होती है. गरीब लड़कियों को घुमाते हैं. सब्जबाग दिखाते हैं. लड़कियां इनके प्रभाव में आ जाती हैं. उनके चक्कर में फंस जाती हैं तब अपनी असलियत बताते हैं लेकिन तब लौटने की संभावना खत्म हो जाती है. लड़कियों का धर्मपरिवर्तन कराते हैं. और आगे चलकर उन्हें मार तक देते हैं.’’
घटना के डेढ़ महीने बाद भी पुलिस की 15 टीमें आरोपी और पीड़िता को तलाशने में नकाम रही हैं. इस दौरान कथित तौर से उनकी मदद करने के आरोप में लड़के का पूरा परिवार जिसमें एक दिव्यांग भाई भी है जेल में बंद हैं.
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'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की स्टोरी है.
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