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कैसे हिंदुत्व के रक्षक मध्य प्रदेश में "लव जिहाद" से लड़ रहे हैं

हिंदुत्व के एक प्रपंच "लव जिहाद" ने आजकल परिवेश में वापसी की है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में तो अंतर्धार्मिक शादियों के द्वारा तथाकथित "जबरन धर्म परिवर्तन" को रोकने के लिए कानून भी लाए गए हैं. "लव जिहाद" के विचार की जड़ इस कल्पना से निकलती है कि मुस्लिम मर्द, हिंदू लड़कियों को केवल धर्मांतरण के लिए फुसलाते हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यह विवाद कट्टर हिंदू संगठनों द्वारा फैलाया जा रहा है जिनके सदस्य खुद को "एंटी लव जिहाद योद्धा" समझते हैं. यह लोग कई मूर्खतापूर्ण तर्कों जैसे मुस्लिम मर्दों के द्वारा हिंदू लड़कियों को अपने परिवार के खिलाफ कर देने के लिए "जादू-टोने" का इस्तेमाल, या मुसलमान "कामुक दरिंदे" हैं जो हिंदू महिलाओं का शिकार करते हैं, या फिर कैसे भारत 2060 तक एक "इस्लामिक राष्ट्र" बन जाएगा, का प्रचार करते हैं. यह सभी संगठन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संघ परिवार से जुड़े हैं.

जैसा कि कुछ नेता या पंडित करते हैं, संघ परिवार के इन "एंटी लव जिहाद योद्धाओं" को केवल कुछ "दिग्भ्रमित युवा" समझ कर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ये अधिकतर समृद्ध व्यापार रखने वाले पारिवारिक पुरुष और महिलाएं हैं, जो यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि एक हिंदू महिला एक मुस्लिम पुरुष से शादी करे, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह हिंदू धर्म के अस्तित्व के लिए खतरा है. असल में सच्चाई यह है जो न्यूजलॉन्ड्री को इन कुछ "योद्धाओं" से बात करने पर पता चली, कि असल में इन रिश्तों के लिए उनके विरोध की जड़ उनकी मुसलमानों से नापसंदी या नफरत है. हमने उनसे अपने जीवन को "लव जिहाद" से लड़ने के लिए न्योछावर कर देने के कारणों को समझने के लिए बात की.

"मुस्लिम लड़के जादू-टोना करते हैं"

49 वर्षीय सुरेश शर्मा मध्य प्रदेश के गुना में विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेता हैं. वे संघ परिवार के इस कट्टर वादी संगठन के करीब 20 वर्षों से पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं. परंतु वह विहिप पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर नहीं हैं, उसके लिए वह गुना में अपनी 19 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर खेती करते हैं.

उनके अपने शब्दों में, उनकी "उपलब्धियों" की फेहरिस्त में उन "50 हिंदू लड़कियों को वापस लाना" है, जिनके मुसलमान मर्दों के साथ प्रेम संबंध थे या वह उनके साथ भाग गई थीं.

सुरेश, गुना स्थित अपने घर में बैठे हुए कहते हैं, "लव जिहाद मुस्लिम मर्दों के द्वारा हिंदू लड़कियों को फंसाया जाना है, जिससे कि बच्चा पैदा करने की मशीन बनाकर मुस्लिम जनसंख्या बढ़ा सकें. यह सब एक बहुत गहरा षड्यंत्र है, जिसकी शुरुआत कोचिंग सेंटर और स्कूलों के बाहर या फिर आपके घरों के अंदर होती है."

कहीं आप यह विचित्र ना समझ सकें, इसीलिए सुरेश बताते हैं कि यह सब कैसे होता है. उनके अनुसार, "मुस्लिम लड़के अच्छा शरीर बना कर, अच्छे कपड़े पहन कर हिंदू लड़कियों को आकर्षित करने के लिए कोचिंग सेंटरों के बाहर मोटरसाइकिल लेकर खड़े हो जाते हैं. बातचीत की शुरुआत बाइक से उन्हें घर छोड़ देने के बहाने होती है. फिर ऐसे एक दो बार होने के बाद वह लड़की का नंबर ले लेते हैं और उसे मैसेज करने लगते हैं. फिर यह बातें लंबी बातों में बदल जाती हैं और कुछ महीनों में एक अफेयर में तब्दील हो जाती हैं."

सुरेश यह भी कहते हैं कि मुस्लिम पुरुष अपनी "पहचान छुपाने" के लिए तिलक लगाते हैं और कलावा पहनते हैं, अर्थात माथे पर एक निशान और हाथ में एक लाल धागा जो कुछ हिंदू पहनते हैं.

सुरेश आगे कहते हैं, "वे लड़कियों को जादुई तिलिस्म देते हैं जिससे वह अपने मां-बाप की बात न सुनकर केवल उन लड़कों की बातें मानें, और उनसे शादी कर लें. फिर दो-तीन बच्चे पैदा करने के बाद, इन लड़कियों को दूसरे मुस्लिम पुरुषों के साथ या वेश्यावृत्ति में बेच दिया जाता है. अगर कोई लड़की शादी या धर्म परिवर्तन से मना करती है, तो उसे धमकाया जाता है, उससे कहा जाता है कि उसकी व्यक्तिगत फोटो और वीडियो फैला दिए जाएंगे और उसके परिवार वालों को मार दिया जाएगा. यह लड़के हिंदू परिवारों की संपत्ति पर भी नजर रखते हैं, जिससे कि लड़की को फंसाने के बाद उस पर भी कब्ज़ा किया जा सके."

क्या इन सब बातों का कोई सबूत है? इसके जवाब में शर्मा कहते हैं, "यह तो बहुत आम बात है". इससे लड़ने के लिए विहिप ने अपने सदस्यों, अनुयायियों और समर्थकों का एक बड़ा तंत्र स्थापित किया है. सुरेश बताते हैं, "अगर परिवार हमें खबर न भी करें, तब भी हमें अपने सूत्रों और कार्यकर्ताओं से इस प्रकार के संबंधों और शादियों के बारे में पता चल जाता है. शादियों के बारे में आमतौर पर हमें जानकारी अदालत से ही मिलती है. बहुत से वकील हैं जो हमारे संगठन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, और वे हमें अदालत में होने वाली अंतर्धार्मिक शादियों की तारीखों की जानकारी देते हैं."

सुरेश शर्मा हमें बताते हैं कि एक बार खबर लग जाने के बाद विहिप के सदस्य और समर्थक "बड़ी संख्या" में अदालत में महिला के पिता और भाई के साथ जाते हैं. उनके वकील, एक आपत्ति याचिका महिला के मां बाप की तरफ से बताकर दाखिल कर देते हैं.

अगर महिला के रिश्तेदार साथ न आना चाहें? सुरेश कहते हैं, “तब भी कोई चिंता नहीं, ऐसे मामले में हमारे वकील खुद ही आपत्ति याचिका दाखिल कर देते हैं जिससे की शादी को रोका जा सके."

विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अनुसार एक बार आपत्ति याचिका दाखिल हो जाए तो फिर कम से कम एक महीने तक शादी नहीं हो सकती.

सुरेश आगे बताते हैं, "फिर हम लड़की के परिवार को एफआईआर दाखिल करने के लिए मनाते हैं क्योंकि वह उनकी रजामंदी के बिना नहीं हो सकती. एक बार एफआईआर होने के बाद, लड़के पर बलात्कार का आरोप लग जाता है. विहिप दंपति के अधिकारों और निजता को ताक पर रखने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाती.”

सुरेश कहते हैं, "मुस्लिम लड़कों और हिंदू लड़कियों के आपस में प्रेम संबंध के मामले में हम उन पर और उनके आने जाने पर कड़ी नजर रखते हैं. हम उनके नाम, पते और वे कहां-कहां मिलते हैं, सब पता लगाते हैं. फिर हम लड़की के पिता या भाई को उस जगह ले जाते हैं और उन्हें रंगे हाथों पकड़ते हैं. हम परिवार से मुस्लिम लड़के के खिलाफ एफआईआर कराते हैं."

परंतु सुरेश शर्मा व्यक्तिगत तौर पर ऐसा क्यों करते हैं? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, "लव जिहाद से लड़ना जरूरी है. वरना 2060 तक यह देश एक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा."

"हम रेस्तरां और सुरक्षा गार्डों के साथ काम कर रहे हैं"

इस अभियान से जुड़ने वाली विहिप अकेली संस्था नहीं है. संघ परिवार से जुड़ी एक और संस्था हिंदू जागरण मंच "अंतर्धार्मिक जोड़ों के श्राप" का बहिष्कार कर उनसे भिड़ने के लिए कटिबद्ध है, खास तौर पर वह जोड़ें जिसमें पुरुष एक मुसलमान और महिला हिंदू है.

हिंदू जागरण मंच के मध्य प्रदेश के एक शीर्ष नेता ने न्यूज़लॉन्ड्री से अपनी पहचान व्यक्तिगत रखने की शर्त पर विस्तार से बात की. वे दावा करते हैं कि "लव जिहाद" के "अधिकतर मामले" भोपाल, रायसेन और मालवा के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होते हैं.

वह हमें मां और बेटियों के लिए रखे गए कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहते हैं, "हम 'लव जिहाद' के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मां बेटी सम्मेलन करते हैं. हम मांओं और उनकी बेटियों को मुस्लिम लड़कों से बचकर रहने के लिए कहते हैं और उन्हें बताते हैं कि वह कैसे हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं, कैसे कलावा और तिलक लगाकर उन्हें मूर्ख बनाने के लिए हिंदू पहचान रख लेते हैं. 80 प्रतिशत मामलों में वे लोग हिंदू लड़कियों से संपर्क झूठी पहचान के सहारे ही करते हैं."

मंच के यह नेता हमें तुरंत यह बताने से नहीं भूले कि मंच "प्रेम के विरुद्ध" नहीं है, बल्कि "फरेबी इरादों से करी गई फरेबी शादियों" के विरुद्ध है.

मंच को अंतर्धार्मिक शादियों के बारे में अदालत और शादियों का पंजीकरण करने वाले नोटरियों से पता चलता है. वे संघ परिवार के प्रमुख संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, "आरएसएस के कार्यकर्ता भी सहयोग कर देते हैं. हम पार्कों के सुरक्षा गार्डों से भी मित्रता करते हैं और उन्हें जोड़ों पर नजर रखने के लिए कहते हैं, खास तौर पर मुस्लिम लड़के जो हिंदू लड़कियों के साथ घूम रहे हैं."

अगर गार्ड "जोड़े को किसी आपत्तिजनक अवस्था में" देखता है, तो वह मंच से संपर्क करता है. मंच के नेता शान से बताते हैं- "हमारे कार्यकर्ता उन्हें पकड़ते हैं, उनकी पहचान पता करते हैं और फिर लड़के को पुलिस के हवाले कर देते हैं. बड़े शहरों में हम हिंदुओं के स्वामित्व वाले रेस्तरां और कॉफी शॉप्स, जिनके मालिक हमारे अभियान का समर्थन करते हैं, से भी संपर्क रखते हैं. ताकि वह हमें हिंदू लड़कियों को शिकार बनाने वाले मुस्लिम लड़कों के बारे में इत्तला कर सकें."

मंच यह कैसे पहचान करता है कि लड़का मुस्लिम ही है?

"यह मुश्किल काम नहीं है. हिंदू लड़कों पर पढ़ाई का दबाव रहता है और वह अपने भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं. इसलिए वो इन चक्करों में कम ही पड़ते हैं."

विहिप के नेता यह दावे बिना किसी सबूत के करते हैं. "अगर उनमें से कोई एक प्रतिशत का अफेयर होता भी है तो वह शादी से पहले शारीरिक संबंध नहीं बनाते हैं. लेकिन एक मुस्लिम आदमी का पहला कदम शारीरिक संबंध बनाना होता है. वह कामुक दरिंदे हैं."

भारत का कानून इन "हिंदुत्व के दूतों" के लिए जोड़ों को प्रताड़ित करना बहुत आसान बना देता है. विशेष विवाह अधिनियम में यह ज़रूरी है कि दंपति शादी के पंजीकरण से 30 दिन पहले अदालत में सूचना दाखिल करे. फिर यह सूचना रजिस्ट्रार के दफ्तर में सार्वजनिक तौर पर लग जाती है क्योंकि कानून कहता है कि वह "सुस्पष्ट" होनी चाहिए.

हिंदू जागरण मंच के नेता बताते हैं, "हमारे कार्यकर्ता ऐसी सूचना पर नजर रखते हैं. हमारे सूत्र भी इनकी जानकारी हमें देते हैं. फिर हमारे कार्यकर्ता परिवार से जाकर मिलते हैं. हम पूछते हैं कि क्या शादी उनकी रज़ामंदी से हो रही है, अधिकतर लोग मना कर देते हैं. फिर हम उन्हें धारा 376 के अंतर्गत एफआईआर लिखवाने के लिए राज़ी करते हैं."

भारतीय कानून संहिता की धारा 376 बलात्कार की सजा देती है. अगर मामले में हिंदू लड़की नाबालिक है, तो मुस्लिम पुरुष को धारा 373 में जो "वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिक की खरीद-फरोख्त" और पास्को (लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के अंतर्गत भी नामजद किया जाता है. वे दुखी होकर बताते हैं, "फिर हम इन लड़कियों का पुनर्विवाह हिंदू लड़कों से कराने की कोशिश करते हैं. लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि समाज में लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते."

वे परिवार को भी बढ़ावा देते हैं कि वह महिला को अपने मुस्लिम साथी के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर करें. वे कहते हैं, "नाबालिक लड़कियों के मामले में यह बहुत आसान होता है. क्योंकि वे वही करती हैं जो उनके परिवार वाले या हम बताते हैं."

विहिप के एक नेता जिन्होंने अपनी पहचान बताने से इंकार कर दिया, दावा करते हैं कि आमतौर पर यह पुलिस की मदद से होता है, "आमतौर पर पुलिस हमारा सहयोग करती है, लेकिन कभी-कभी नहीं भी करती. एक लड़की, जिस लड़के के साथ भागी थी उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए राजी ही नहीं थी. वह बिल्कुल अड़ गई थी. पुलिस ने उसे नम्रता से मनाने की कोशिश की पर जब वह नहीं मानी तो उन्होंने उससे जबरदस्ती शिकायत लिखवा ली. फिर पुलिस ने उसे एक रिश्तेदार के घर भेज दिया जिसने 15 ही दिन में उसकी शादी एक हिंदू लड़के से कर दी. लड़की का परिवार बहुत खुश था."

"ऐसी मिसालें बनाना आवश्यक है"

आरएसएस के एक नेता ने भी इसी प्रकार की कट्टर और हठधर्मिता से भरी बातें, हिंदू जागरण मंच के नेता की तरह ही, अपनी पहचान छुपाकर की. उनका दावा था, “टीना डाबी भी, जो एक आईएएस अधिकारी हैं, को भी "लव जिहाद" के जरिए ही फंसाया गया था. टीना डाबी और उनके पूर्व पति ने इसी साल आपसी रजामंदी से तलाक ले लिया. उनकी आपबीती हिंदुत्व के गलियारों में एक बड़ा बातचीत का मुद्दा बन गई है क्योंकि उनके पूर्व पति मुसलमान हैं.”

सहमा देने वाली बात यह है कि आरएसएस के यह नेता "लव जिहाद" से लड़ने के लिए "ऑनर किलिंग" का भी समर्थन करते हैं. वह एक केस, जिसमें एक भाई ने अपनी बहन को एक मुस्लिम आदमी के साथ भागने की वजह से मार दिया था, का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "कभी-कभी ऐसी मिसालें देना जरूरी होता है. अब उस परिवार में कोई भी लड़की फिर से मुसलमान आदमी से शादी करने के बारे में नहीं सोचेगी."

'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की स्टोरी है.

इस एनएल सेना प्रोजेक्ट में हमारे 109 पाठकों ने सहयोग किया है. यह मंयक गर्ग, राहुल कोहली और अन्य एनएल सेना के सदस्यों द्वारा संभव बनाया गया है. आप हमारे अगले एनएल लीगल फंड में सहयोग दे और गर्व से कहें मेरे ख़र्च पर आजाद हैं ख़बरें.

Also Read: "लव जिहाद' रोकने के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों पर नज़र"

हिंदुत्व के एक प्रपंच "लव जिहाद" ने आजकल परिवेश में वापसी की है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में तो अंतर्धार्मिक शादियों के द्वारा तथाकथित "जबरन धर्म परिवर्तन" को रोकने के लिए कानून भी लाए गए हैं. "लव जिहाद" के विचार की जड़ इस कल्पना से निकलती है कि मुस्लिम मर्द, हिंदू लड़कियों को केवल धर्मांतरण के लिए फुसलाते हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यह विवाद कट्टर हिंदू संगठनों द्वारा फैलाया जा रहा है जिनके सदस्य खुद को "एंटी लव जिहाद योद्धा" समझते हैं. यह लोग कई मूर्खतापूर्ण तर्कों जैसे मुस्लिम मर्दों के द्वारा हिंदू लड़कियों को अपने परिवार के खिलाफ कर देने के लिए "जादू-टोने" का इस्तेमाल, या मुसलमान "कामुक दरिंदे" हैं जो हिंदू महिलाओं का शिकार करते हैं, या फिर कैसे भारत 2060 तक एक "इस्लामिक राष्ट्र" बन जाएगा, का प्रचार करते हैं. यह सभी संगठन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संघ परिवार से जुड़े हैं.

जैसा कि कुछ नेता या पंडित करते हैं, संघ परिवार के इन "एंटी लव जिहाद योद्धाओं" को केवल कुछ "दिग्भ्रमित युवा" समझ कर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ये अधिकतर समृद्ध व्यापार रखने वाले पारिवारिक पुरुष और महिलाएं हैं, जो यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि एक हिंदू महिला एक मुस्लिम पुरुष से शादी करे, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह हिंदू धर्म के अस्तित्व के लिए खतरा है. असल में सच्चाई यह है जो न्यूजलॉन्ड्री को इन कुछ "योद्धाओं" से बात करने पर पता चली, कि असल में इन रिश्तों के लिए उनके विरोध की जड़ उनकी मुसलमानों से नापसंदी या नफरत है. हमने उनसे अपने जीवन को "लव जिहाद" से लड़ने के लिए न्योछावर कर देने के कारणों को समझने के लिए बात की.

"मुस्लिम लड़के जादू-टोना करते हैं"

49 वर्षीय सुरेश शर्मा मध्य प्रदेश के गुना में विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेता हैं. वे संघ परिवार के इस कट्टर वादी संगठन के करीब 20 वर्षों से पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं. परंतु वह विहिप पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर नहीं हैं, उसके लिए वह गुना में अपनी 19 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर खेती करते हैं.

उनके अपने शब्दों में, उनकी "उपलब्धियों" की फेहरिस्त में उन "50 हिंदू लड़कियों को वापस लाना" है, जिनके मुसलमान मर्दों के साथ प्रेम संबंध थे या वह उनके साथ भाग गई थीं.

सुरेश, गुना स्थित अपने घर में बैठे हुए कहते हैं, "लव जिहाद मुस्लिम मर्दों के द्वारा हिंदू लड़कियों को फंसाया जाना है, जिससे कि बच्चा पैदा करने की मशीन बनाकर मुस्लिम जनसंख्या बढ़ा सकें. यह सब एक बहुत गहरा षड्यंत्र है, जिसकी शुरुआत कोचिंग सेंटर और स्कूलों के बाहर या फिर आपके घरों के अंदर होती है."

कहीं आप यह विचित्र ना समझ सकें, इसीलिए सुरेश बताते हैं कि यह सब कैसे होता है. उनके अनुसार, "मुस्लिम लड़के अच्छा शरीर बना कर, अच्छे कपड़े पहन कर हिंदू लड़कियों को आकर्षित करने के लिए कोचिंग सेंटरों के बाहर मोटरसाइकिल लेकर खड़े हो जाते हैं. बातचीत की शुरुआत बाइक से उन्हें घर छोड़ देने के बहाने होती है. फिर ऐसे एक दो बार होने के बाद वह लड़की का नंबर ले लेते हैं और उसे मैसेज करने लगते हैं. फिर यह बातें लंबी बातों में बदल जाती हैं और कुछ महीनों में एक अफेयर में तब्दील हो जाती हैं."

सुरेश यह भी कहते हैं कि मुस्लिम पुरुष अपनी "पहचान छुपाने" के लिए तिलक लगाते हैं और कलावा पहनते हैं, अर्थात माथे पर एक निशान और हाथ में एक लाल धागा जो कुछ हिंदू पहनते हैं.

सुरेश आगे कहते हैं, "वे लड़कियों को जादुई तिलिस्म देते हैं जिससे वह अपने मां-बाप की बात न सुनकर केवल उन लड़कों की बातें मानें, और उनसे शादी कर लें. फिर दो-तीन बच्चे पैदा करने के बाद, इन लड़कियों को दूसरे मुस्लिम पुरुषों के साथ या वेश्यावृत्ति में बेच दिया जाता है. अगर कोई लड़की शादी या धर्म परिवर्तन से मना करती है, तो उसे धमकाया जाता है, उससे कहा जाता है कि उसकी व्यक्तिगत फोटो और वीडियो फैला दिए जाएंगे और उसके परिवार वालों को मार दिया जाएगा. यह लड़के हिंदू परिवारों की संपत्ति पर भी नजर रखते हैं, जिससे कि लड़की को फंसाने के बाद उस पर भी कब्ज़ा किया जा सके."

क्या इन सब बातों का कोई सबूत है? इसके जवाब में शर्मा कहते हैं, "यह तो बहुत आम बात है". इससे लड़ने के लिए विहिप ने अपने सदस्यों, अनुयायियों और समर्थकों का एक बड़ा तंत्र स्थापित किया है. सुरेश बताते हैं, "अगर परिवार हमें खबर न भी करें, तब भी हमें अपने सूत्रों और कार्यकर्ताओं से इस प्रकार के संबंधों और शादियों के बारे में पता चल जाता है. शादियों के बारे में आमतौर पर हमें जानकारी अदालत से ही मिलती है. बहुत से वकील हैं जो हमारे संगठन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, और वे हमें अदालत में होने वाली अंतर्धार्मिक शादियों की तारीखों की जानकारी देते हैं."

सुरेश शर्मा हमें बताते हैं कि एक बार खबर लग जाने के बाद विहिप के सदस्य और समर्थक "बड़ी संख्या" में अदालत में महिला के पिता और भाई के साथ जाते हैं. उनके वकील, एक आपत्ति याचिका महिला के मां बाप की तरफ से बताकर दाखिल कर देते हैं.

अगर महिला के रिश्तेदार साथ न आना चाहें? सुरेश कहते हैं, “तब भी कोई चिंता नहीं, ऐसे मामले में हमारे वकील खुद ही आपत्ति याचिका दाखिल कर देते हैं जिससे की शादी को रोका जा सके."

विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अनुसार एक बार आपत्ति याचिका दाखिल हो जाए तो फिर कम से कम एक महीने तक शादी नहीं हो सकती.

सुरेश आगे बताते हैं, "फिर हम लड़की के परिवार को एफआईआर दाखिल करने के लिए मनाते हैं क्योंकि वह उनकी रजामंदी के बिना नहीं हो सकती. एक बार एफआईआर होने के बाद, लड़के पर बलात्कार का आरोप लग जाता है. विहिप दंपति के अधिकारों और निजता को ताक पर रखने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाती.”

सुरेश कहते हैं, "मुस्लिम लड़कों और हिंदू लड़कियों के आपस में प्रेम संबंध के मामले में हम उन पर और उनके आने जाने पर कड़ी नजर रखते हैं. हम उनके नाम, पते और वे कहां-कहां मिलते हैं, सब पता लगाते हैं. फिर हम लड़की के पिता या भाई को उस जगह ले जाते हैं और उन्हें रंगे हाथों पकड़ते हैं. हम परिवार से मुस्लिम लड़के के खिलाफ एफआईआर कराते हैं."

परंतु सुरेश शर्मा व्यक्तिगत तौर पर ऐसा क्यों करते हैं? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं, "लव जिहाद से लड़ना जरूरी है. वरना 2060 तक यह देश एक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा."

"हम रेस्तरां और सुरक्षा गार्डों के साथ काम कर रहे हैं"

इस अभियान से जुड़ने वाली विहिप अकेली संस्था नहीं है. संघ परिवार से जुड़ी एक और संस्था हिंदू जागरण मंच "अंतर्धार्मिक जोड़ों के श्राप" का बहिष्कार कर उनसे भिड़ने के लिए कटिबद्ध है, खास तौर पर वह जोड़ें जिसमें पुरुष एक मुसलमान और महिला हिंदू है.

हिंदू जागरण मंच के मध्य प्रदेश के एक शीर्ष नेता ने न्यूज़लॉन्ड्री से अपनी पहचान व्यक्तिगत रखने की शर्त पर विस्तार से बात की. वे दावा करते हैं कि "लव जिहाद" के "अधिकतर मामले" भोपाल, रायसेन और मालवा के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में होते हैं.

वह हमें मां और बेटियों के लिए रखे गए कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहते हैं, "हम 'लव जिहाद' के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मां बेटी सम्मेलन करते हैं. हम मांओं और उनकी बेटियों को मुस्लिम लड़कों से बचकर रहने के लिए कहते हैं और उन्हें बताते हैं कि वह कैसे हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं, कैसे कलावा और तिलक लगाकर उन्हें मूर्ख बनाने के लिए हिंदू पहचान रख लेते हैं. 80 प्रतिशत मामलों में वे लोग हिंदू लड़कियों से संपर्क झूठी पहचान के सहारे ही करते हैं."

मंच के यह नेता हमें तुरंत यह बताने से नहीं भूले कि मंच "प्रेम के विरुद्ध" नहीं है, बल्कि "फरेबी इरादों से करी गई फरेबी शादियों" के विरुद्ध है.

मंच को अंतर्धार्मिक शादियों के बारे में अदालत और शादियों का पंजीकरण करने वाले नोटरियों से पता चलता है. वे संघ परिवार के प्रमुख संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, "आरएसएस के कार्यकर्ता भी सहयोग कर देते हैं. हम पार्कों के सुरक्षा गार्डों से भी मित्रता करते हैं और उन्हें जोड़ों पर नजर रखने के लिए कहते हैं, खास तौर पर मुस्लिम लड़के जो हिंदू लड़कियों के साथ घूम रहे हैं."

अगर गार्ड "जोड़े को किसी आपत्तिजनक अवस्था में" देखता है, तो वह मंच से संपर्क करता है. मंच के नेता शान से बताते हैं- "हमारे कार्यकर्ता उन्हें पकड़ते हैं, उनकी पहचान पता करते हैं और फिर लड़के को पुलिस के हवाले कर देते हैं. बड़े शहरों में हम हिंदुओं के स्वामित्व वाले रेस्तरां और कॉफी शॉप्स, जिनके मालिक हमारे अभियान का समर्थन करते हैं, से भी संपर्क रखते हैं. ताकि वह हमें हिंदू लड़कियों को शिकार बनाने वाले मुस्लिम लड़कों के बारे में इत्तला कर सकें."

मंच यह कैसे पहचान करता है कि लड़का मुस्लिम ही है?

"यह मुश्किल काम नहीं है. हिंदू लड़कों पर पढ़ाई का दबाव रहता है और वह अपने भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं. इसलिए वो इन चक्करों में कम ही पड़ते हैं."

विहिप के नेता यह दावे बिना किसी सबूत के करते हैं. "अगर उनमें से कोई एक प्रतिशत का अफेयर होता भी है तो वह शादी से पहले शारीरिक संबंध नहीं बनाते हैं. लेकिन एक मुस्लिम आदमी का पहला कदम शारीरिक संबंध बनाना होता है. वह कामुक दरिंदे हैं."

भारत का कानून इन "हिंदुत्व के दूतों" के लिए जोड़ों को प्रताड़ित करना बहुत आसान बना देता है. विशेष विवाह अधिनियम में यह ज़रूरी है कि दंपति शादी के पंजीकरण से 30 दिन पहले अदालत में सूचना दाखिल करे. फिर यह सूचना रजिस्ट्रार के दफ्तर में सार्वजनिक तौर पर लग जाती है क्योंकि कानून कहता है कि वह "सुस्पष्ट" होनी चाहिए.

हिंदू जागरण मंच के नेता बताते हैं, "हमारे कार्यकर्ता ऐसी सूचना पर नजर रखते हैं. हमारे सूत्र भी इनकी जानकारी हमें देते हैं. फिर हमारे कार्यकर्ता परिवार से जाकर मिलते हैं. हम पूछते हैं कि क्या शादी उनकी रज़ामंदी से हो रही है, अधिकतर लोग मना कर देते हैं. फिर हम उन्हें धारा 376 के अंतर्गत एफआईआर लिखवाने के लिए राज़ी करते हैं."

भारतीय कानून संहिता की धारा 376 बलात्कार की सजा देती है. अगर मामले में हिंदू लड़की नाबालिक है, तो मुस्लिम पुरुष को धारा 373 में जो "वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिक की खरीद-फरोख्त" और पास्को (लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के अंतर्गत भी नामजद किया जाता है. वे दुखी होकर बताते हैं, "फिर हम इन लड़कियों का पुनर्विवाह हिंदू लड़कों से कराने की कोशिश करते हैं. लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि समाज में लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते."

वे परिवार को भी बढ़ावा देते हैं कि वह महिला को अपने मुस्लिम साथी के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर करें. वे कहते हैं, "नाबालिक लड़कियों के मामले में यह बहुत आसान होता है. क्योंकि वे वही करती हैं जो उनके परिवार वाले या हम बताते हैं."

विहिप के एक नेता जिन्होंने अपनी पहचान बताने से इंकार कर दिया, दावा करते हैं कि आमतौर पर यह पुलिस की मदद से होता है, "आमतौर पर पुलिस हमारा सहयोग करती है, लेकिन कभी-कभी नहीं भी करती. एक लड़की, जिस लड़के के साथ भागी थी उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए राजी ही नहीं थी. वह बिल्कुल अड़ गई थी. पुलिस ने उसे नम्रता से मनाने की कोशिश की पर जब वह नहीं मानी तो उन्होंने उससे जबरदस्ती शिकायत लिखवा ली. फिर पुलिस ने उसे एक रिश्तेदार के घर भेज दिया जिसने 15 ही दिन में उसकी शादी एक हिंदू लड़के से कर दी. लड़की का परिवार बहुत खुश था."

"ऐसी मिसालें बनाना आवश्यक है"

आरएसएस के एक नेता ने भी इसी प्रकार की कट्टर और हठधर्मिता से भरी बातें, हिंदू जागरण मंच के नेता की तरह ही, अपनी पहचान छुपाकर की. उनका दावा था, “टीना डाबी भी, जो एक आईएएस अधिकारी हैं, को भी "लव जिहाद" के जरिए ही फंसाया गया था. टीना डाबी और उनके पूर्व पति ने इसी साल आपसी रजामंदी से तलाक ले लिया. उनकी आपबीती हिंदुत्व के गलियारों में एक बड़ा बातचीत का मुद्दा बन गई है क्योंकि उनके पूर्व पति मुसलमान हैं.”

सहमा देने वाली बात यह है कि आरएसएस के यह नेता "लव जिहाद" से लड़ने के लिए "ऑनर किलिंग" का भी समर्थन करते हैं. वह एक केस, जिसमें एक भाई ने अपनी बहन को एक मुस्लिम आदमी के साथ भागने की वजह से मार दिया था, का उल्लेख करते हुए कहते हैं, "कभी-कभी ऐसी मिसालें देना जरूरी होता है. अब उस परिवार में कोई भी लड़की फिर से मुसलमान आदमी से शादी करने के बारे में नहीं सोचेगी."

'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की स्टोरी है.

इस एनएल सेना प्रोजेक्ट में हमारे 109 पाठकों ने सहयोग किया है. यह मंयक गर्ग, राहुल कोहली और अन्य एनएल सेना के सदस्यों द्वारा संभव बनाया गया है. आप हमारे अगले एनएल लीगल फंड में सहयोग दे और गर्व से कहें मेरे ख़र्च पर आजाद हैं ख़बरें.

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