Newslaundry Hindi
एनएल इंटरव्यू: पुष्यमित्र, बिहार पर अपनी किताब रुकतापुर और मीडिया द्वारा कैसे मतदाताओं की मानसिकता को किया प्रभावित
बिहार के जाने माने लेखक और कई बड़े अखबारों में रिपोर्टिंग कर चुके पुष्यमित्र जिनकी हाल ही में 'रुकतापुर' बिहार जहां थम जाता है पहिया बदलाव की हर गाड़ी का, किताब राजकाल द्वारा प्रकाशित की गई है. यह किताब बिहार के अलग-अलग चेहरे, किस्सों तथा इसके समकालीन इतिहास से लबरेज़ है. इस किताब में बिहार की समस्याओं का विस्तार से विवरण है. न्यूज़लॉन्ड्री... चित्रांशु तिवारी ने पुष्यमित्र से खास बातचीत की है.
चित्रांशु किताब के शीर्षक 'रुकतापुर' पर बात करते हुए, पुष्यमित्र से सवाल पूछते हैं, "रुकतापुर क्यूं और यह शीर्षक कहा से आया?"
पुष्यमित्र कहते हैं, "इस किताब का शीर्षक इसके किरदारों ने दिया है. मैं एक रेल से यात्रा कर रहा था, जो बहुत धीरे चलने वाली रेल यात्रा थी, जो बार बार रुक जाती थी, यह रेल जब किसी अनजान जगह पर रुकी, तो मैंने पूछा कि यह कौन सा स्टेशन है. तब वहीं पर बैठे एक शख्श ने कहा- कि यह रुकतापुर स्टेशन है. यह सुनते ही मुझे बहुत अज़ीब लगा कि आखिर यह रुकतापुर स्टेशन क्यों कह रहे हैं, तो उन्होंने बताया- दरअसल किसी भी अनधिकृत स्टेशन जब रेल रुक जाती है तो लोग कहते हैं कि यह रुकतापुर स्टेशन है.
यहां देखिए पूरी बातचीत...
बिहार के जाने माने लेखक और कई बड़े अखबारों में रिपोर्टिंग कर चुके पुष्यमित्र जिनकी हाल ही में 'रुकतापुर' बिहार जहां थम जाता है पहिया बदलाव की हर गाड़ी का, किताब राजकाल द्वारा प्रकाशित की गई है. यह किताब बिहार के अलग-अलग चेहरे, किस्सों तथा इसके समकालीन इतिहास से लबरेज़ है. इस किताब में बिहार की समस्याओं का विस्तार से विवरण है. न्यूज़लॉन्ड्री... चित्रांशु तिवारी ने पुष्यमित्र से खास बातचीत की है.
चित्रांशु किताब के शीर्षक 'रुकतापुर' पर बात करते हुए, पुष्यमित्र से सवाल पूछते हैं, "रुकतापुर क्यूं और यह शीर्षक कहा से आया?"
पुष्यमित्र कहते हैं, "इस किताब का शीर्षक इसके किरदारों ने दिया है. मैं एक रेल से यात्रा कर रहा था, जो बहुत धीरे चलने वाली रेल यात्रा थी, जो बार बार रुक जाती थी, यह रेल जब किसी अनजान जगह पर रुकी, तो मैंने पूछा कि यह कौन सा स्टेशन है. तब वहीं पर बैठे एक शख्श ने कहा- कि यह रुकतापुर स्टेशन है. यह सुनते ही मुझे बहुत अज़ीब लगा कि आखिर यह रुकतापुर स्टेशन क्यों कह रहे हैं, तो उन्होंने बताया- दरअसल किसी भी अनधिकृत स्टेशन जब रेल रुक जाती है तो लोग कहते हैं कि यह रुकतापुर स्टेशन है.
यहां देखिए पूरी बातचीत...
Also Read
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream
-
Inside Dharali’s disaster zone: The full story of destruction, ‘100 missing’, and official apathy
-
August 15: The day we perform freedom and pack it away