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किसान नेता जगजीत सिंह ने बताया- आखिर किसानों ने क्यों नहीं मानी अमित शाह की शर्त

पंजाब हरियाणा और पश्चिमी यूपी के अलग-अलग जगहों से आए किसान दिल्ली के सिंधु और गाजियाबाद बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. पहले तो भारत सरकार ने किसानों को किसी भी तरह दिल्ली में प्रवेश नहीं करने देने की कोशिश की लेकिन जब किसान नहीं माने और जगह-जगह लगे बैरिकेड को तोड़ते हुए दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गए तो दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी का निरंकारी ग्राउंड प्रदर्शन के लिए आवंटित कर दिया.

दिल्ली पुलिस द्वारा जगह मुहैया कराने के बावजूद जब किसान वहां नहीं पहुंचे तो गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान जारी किया और कहा कि किसान दिल्ली पुलिस द्वारा दी हुई जगह पर पहुंचे उसके दूसरे दिन ही उनके मुद्दे और समस्याओं पर बातचीत शुरू हो जाएगी.

अमित शाह के इस अपील और ग्राउंड पर बैठने के बाद ही बातचीत की शर्त को किसानों ने नामंजूर कर दिया. रविवार शाम 31 किसान संगठनों ने मिलकर यह फैसला लिया की वे निरंकारी ग्राउंड में नहीं जाएंगे. जो जहां हैं वहीं बैठकर प्रदर्शन जारी रखेंगे.

न्यूज़लॉन्ड्री ने भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के प्रमुख जगजीत सिंह से बात की. उनसे यह जानने की कोशिश की कि आखिर किसान निरंकारी ग्राउंड में क्यों नहीं जाना चाहते हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए जगजीत सिंह कहते हैं, "हमारे कुछ साथी वहां गए थे उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है. एक जगह पर बैठे हुए हैं जैसे कोई जेल में बैठा होता है. फिर ऐसी जगह पर हम क्यों जाए."

एक तरफ जहां केंद्र सरकार बार-बार यह कह रही है यह कानून किसानों के हित में हैं. वहीं किसान बार-बार इसे अपने खिलाफ बता रहे हैं. जगजीत सिंह से जब हमने पूछा कि आखिर आप लोग इसका विरोध क्यों कर रहे जबकि सरकार इसे आपके फायदे का बता रही है. इसपर उन्होंने कहा, "अगर यह कानून हमारे पक्ष में होता तो हम इस ठंड में अपना घर छोड़कर यहां क्यों बैठे रहते. यह कानून किसानों के हित में बिल्कुल नहीं है. हम लोग भी पढ़े लिखे हैं. कानून पढ़ने के बाद ही सड़क पर उतरे हैं."

ऐसा कोई संकेत अभी तक नज़र नहीं आया कि सरकार इस कानून को वापस ले रही है. किसान भी अब दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर को जाम करके बैठे हुए है. इस तरह आगे क्या होने की संभावना है. इस सवाल के जवाब में जगजीत सिंह कहते हैं, "सरकार का तो नहीं पता लेकिन हम तब तक बैठे रहेंगे जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता है. हम यह समझ रहे हैं कि सड़क जाम होने से कुछ लोगों को परेशानी हो रही है. हम उनसे माफी मांगते है."

जगजीत सिंह के साथ हुई पूरी बातचीत यहां सुनें...

Also Read: ग्राउंड रिपोर्ट: आखिर किसान निरंकारी ग्राउंड क्यों नहीं आना चाहते, उन्हें किस बात का डर है?

Also Read: 'मोदी जी ये भूल गए हैं कि हम किसान हैं जो बंजर मिट्टी से भी अन्न उपजाना जानते हैं'

पंजाब हरियाणा और पश्चिमी यूपी के अलग-अलग जगहों से आए किसान दिल्ली के सिंधु और गाजियाबाद बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. पहले तो भारत सरकार ने किसानों को किसी भी तरह दिल्ली में प्रवेश नहीं करने देने की कोशिश की लेकिन जब किसान नहीं माने और जगह-जगह लगे बैरिकेड को तोड़ते हुए दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गए तो दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी का निरंकारी ग्राउंड प्रदर्शन के लिए आवंटित कर दिया.

दिल्ली पुलिस द्वारा जगह मुहैया कराने के बावजूद जब किसान वहां नहीं पहुंचे तो गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान जारी किया और कहा कि किसान दिल्ली पुलिस द्वारा दी हुई जगह पर पहुंचे उसके दूसरे दिन ही उनके मुद्दे और समस्याओं पर बातचीत शुरू हो जाएगी.

अमित शाह के इस अपील और ग्राउंड पर बैठने के बाद ही बातचीत की शर्त को किसानों ने नामंजूर कर दिया. रविवार शाम 31 किसान संगठनों ने मिलकर यह फैसला लिया की वे निरंकारी ग्राउंड में नहीं जाएंगे. जो जहां हैं वहीं बैठकर प्रदर्शन जारी रखेंगे.

न्यूज़लॉन्ड्री ने भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के प्रमुख जगजीत सिंह से बात की. उनसे यह जानने की कोशिश की कि आखिर किसान निरंकारी ग्राउंड में क्यों नहीं जाना चाहते हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए जगजीत सिंह कहते हैं, "हमारे कुछ साथी वहां गए थे उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है. एक जगह पर बैठे हुए हैं जैसे कोई जेल में बैठा होता है. फिर ऐसी जगह पर हम क्यों जाए."

एक तरफ जहां केंद्र सरकार बार-बार यह कह रही है यह कानून किसानों के हित में हैं. वहीं किसान बार-बार इसे अपने खिलाफ बता रहे हैं. जगजीत सिंह से जब हमने पूछा कि आखिर आप लोग इसका विरोध क्यों कर रहे जबकि सरकार इसे आपके फायदे का बता रही है. इसपर उन्होंने कहा, "अगर यह कानून हमारे पक्ष में होता तो हम इस ठंड में अपना घर छोड़कर यहां क्यों बैठे रहते. यह कानून किसानों के हित में बिल्कुल नहीं है. हम लोग भी पढ़े लिखे हैं. कानून पढ़ने के बाद ही सड़क पर उतरे हैं."

ऐसा कोई संकेत अभी तक नज़र नहीं आया कि सरकार इस कानून को वापस ले रही है. किसान भी अब दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर को जाम करके बैठे हुए है. इस तरह आगे क्या होने की संभावना है. इस सवाल के जवाब में जगजीत सिंह कहते हैं, "सरकार का तो नहीं पता लेकिन हम तब तक बैठे रहेंगे जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता है. हम यह समझ रहे हैं कि सड़क जाम होने से कुछ लोगों को परेशानी हो रही है. हम उनसे माफी मांगते है."

जगजीत सिंह के साथ हुई पूरी बातचीत यहां सुनें...

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