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ग्राउंड रिपोर्ट: आखिर किसान निरंकारी ग्राउंड क्यों नहीं आना चाहते, उन्हें किस बात का डर है?
‘‘अगर किसान यूनियन के लोग चाहते हैं कि भारत सरकार जल्द बात करे. तीन तारीख से पहले इनसे बात करे तो मेरा आप सभी को यह आश्वासन है कि जैसे ही आप यहां शिफ्ट हो जाते हैं. एक स्ट्रक्चर्ड जगह पर अपने आंदोलन को शिफ्ट करते हैं और वहां आप अच्छे तरीके से बैठ जाते हैं उसके दूसरे ही दिन भारत सरकार आपके साथ आपकी समस्या और मांगों के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है. किसान यूनियन के सभी नेताओं को मैं यह कहना चाहता हूं कि आप सारे किसान भाइयों को लेकर जो स्थान दिल्ली पुलिस ने तय किया है वहीं पर आ जाइये.’’ यह कहना है गृहमंत्री अमित शाह का.
शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब से चलकर किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पहुंचे. जो केंद्र सरकार किसी भी स्थिति में किसानों को दिल्ली नहीं आने देना चाहती थी. उन्हें रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और दिल्ली पुलिस समेत कई अर्धसैनिक बलों के सैकड़ों जवानों को बॉर्डर पर खड़ा कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने जगह-जगह बड़े बैरिकेड लगाए, सड़क काट दी लेकिन किसान सबको तोड़ते-भरते शुक्रवार को दिल्ली सीमा पर पहुंच गए. सिंधु बॉर्डर पर किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच संघर्ष हुआ. किसान बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. कुछ किसान जो पुलिस की पकड़ में आ गए उन्हें बुरी तरफ मारा भी गया. पुलिस की तरफ से भी पत्थरबाजी हुई तो किसानों ने भी पत्थरबाजी की.
बिगड़ते हालात को देखते हुए जो सरकार किसी भी स्थिति में किसानों को दिल्ली नहीं आने देना चाह रही थी उसी ने आनन-फानन में शाम होते-होते दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी ग्राउंड में जमा होने और शांतिमय ढंग से प्रदर्शन करने की इजाजत दे दी. सरकार की इजाजत मिलने के बावजूद इस ग्राउंड में किसान नहीं पहुंच रहे जिसके बाद शनिवार देर रात को गृहमंत्री अमित शाह ने उपरोक्त बयान जारी करके किसानों को ग्राउंड में जमा होने के लिए कहना पड़ा.
निरंकारी ग्राउंड में पुलिस है, नेता हैं पर किसान नहीं?
दोपहर के एक बज रहे हैं. निरंकारी ग्राउंड के गेट पर सैकड़ों पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात नजर आते हैं. यहां आने वाले लोगों की गाड़ियों को पुलिस रोककर गेट के पास ही पार्क करने के लिए कहती दिखी. ग्राउंड के गेट पर आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक का पोस्टर लग चुका है जिसपर दिल्ली में उनका स्वागत किया जा रहा है.
ग्राउंड के अंदर जाने पर टेंट की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. सैकड़ों एकड़ में फैले इस बड़े ग्राउंड के एक कोने में कुछ ट्रैक्टर-ट्रॉली दिखाई देती हैं. करीब पांच से सात मिनट पैदल चलकर हम यहां पहुंचे. यहां 40 से 50 ट्रैक्टर और उसपर पहुंचे करीब 500 से 600 किसानों में से कोई नहाते हुए तो कोई खाना बनाते नजर आए. किसानों के साथ-साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे लोग भी यहां पहुंच चुके हैं.
थोड़ी-थोड़ी देर रुककर कुछ युवाओं किसानों का दल किसान एकता ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए इधर से उधर गुजरता है. इसी बीच स्थानीय विधायक संजीव झा अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ यहां पहुंचते हैं. वह यहां की तैयारियों पर मीडिया से बात कर ही रहे होते है तभी दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और राजेंद्र नगर से आप विधायक राघव चड्ढा अपने लाव-लश्कर संग पहुंच जाते हैं.
राघव घूम-घूमकर करीब एक घंटे तक तमाम मीडिया चैनलों से बात करते दिखते हैं. मीडिया से बात करने के बाद संजीव झा और बाकी विधायक साथियों संग कुर्सी पर बैठ जाते हैं. इसके बाद यहां कांग्रेस की नेता अलका लांबा और अभिषेक दत्त पहुंचते हैं. अलका लांबा बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाती हैं.
यहां दिनभर यह सिलसिला जारी रहता है. नेता आते हैं, जायजा लेने के साथ-साथ तस्वीरें लेते हैं और चले जाते हैं लेकिन यह ग्राउंड जिनको प्रदर्शन के लिए दिया गया है वे नहीं आए. जो किसान यहां आए हैं वो भी यहां रहना नहीं चाहते. वे बस अपने-अपने संगठनों के प्रमुखों की अनुमति का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि यहां से जा सके.
यहां हमारी मुलाकात फरीदकोट से आए भारतीय किसान सभा के नेता सरदार जसवीर सिंह से हुई. आंसू गैस से घायल अपना पैर दिखाते हुए ये कहते हैं, ‘‘दिल्ली पहुंचने के लिए हमने कई बैरिकेड तोड़े हैं और अब इस ग्राउंड में आकर बैठ जाए. यहां तो हम गलती से आ गए. इतने बड़े ग्राउंड में पुलिस हमें लाकर रख दी है. यहां सिर्फ दो गेट हैं. यहां हम बैठकर गए तो हमारी कौन सुनेगा. पंजाब में दो महीने से सड़कों पर बैठे रहे तो किसी को फर्क ही नहीं पड़ा यहां बैठने से भी किसी को नहीं पड़ेगा. मुझे तो डर है कि सरकार इस ग्राउंड में हमें भर के जलियांवाला बाग ना दोहरा दे. इसलिए हम यहां से जल्द से जल्द जाना चाहते है.’’
आखिर किसान निरंकारी ग्राउंड में क्यों नहीं आना चाहते. उन्हें किस बात का डर है?
शाम के चार बज रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेड के एक तरफ दिल्ली पुलिस के जवान जमीन पर या जिसे जहां जगह मिली हुई है वहां बैठकर आराम कर रहे हैं. कुछ पुलिसकर्मी प्रदर्शन करने आए लोगों से बातचीत करते हुए भी नज़र आते हैं. बैरिकेड के एक कोने में थोड़ी सी जगह छोड़ दी गई जहां से पैदल आने-जाने वाले नज़र आते हैं. इस गली से हरियाणा में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के वो प्रवासी मज़दूर जाते नज़र आते हैं जो यहां धान कटाई और निकलाई के लिए आए थे. बैरिकेड के दूसरी तरफ किसान एक साथ में खड़े नज़र आते हैं. पंजाब के मशहूर सिंगर बब्बू मान और क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह यहां अपना समर्थन किसानों को देने पहुंचे हुए हैं.
यहां हमारी मुलाकात करनाल जिले के बल्ला गांव से आए 45 वर्षीय राममेहर सिंह से हुई. सात एकड़ के किसान राममेहर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं, लेकिन हरियाणा की बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों के साथ जो व्यवहार किया और अब जो केंद्र सरकार कर रही है उससे ये नाराज़ हैं. न्यूजलाउंड्री से बात करते हुए राममेहर सिंह कहते हैं, ‘‘बीजेपी से खट्टर सरकार ने जो हमारे साथ किया उससे नाराजगी तो ज़्यादा है. सरकार हमें भुखमरी के कगार पर लाकर छोड़ देना चाहती है. सरकार एमएसपी की गारंटी दे क्यों नहीं रही है. तीन कानून बनाई है एक कानून और बना दें. उसे एक और कानून बनाने का किस बात का डर है.’’
किसानों के आंदोलन के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एक बयान दिया और कहा कि अगर किसानों के एमएसीपी से साथ कुछ हुआ तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. अगर मुख्यमंत्री राजनीति छोड़ने की बात कर रहे हैं फिर भी आपको भरोसा क्यों नहीं है? इस सवाल के जवाब में राममेहर थोड़े नाराज होकर कहते हैं, ‘‘मनोहरलाल जी की राजनीतिक हैसियत ही क्या है. उन्हें तो मोदी जी ने हरियाणा पर थोप दिया है. अपने दम पर तो वे पंचायत चुनाव तक नहीं जीत सकते हैं. पहली बार जब मुख्यमंत्री बने तो रामविलास शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा था. अबकी बार राष्ट्रीय मुद्दों का सहयोग मिला तब भी पार्टी खुद पूर्ण बहुमत नहीं ला पाई. जब इतना भरोसा उन्हें एमएसपी नहीं हटने का है तो लिखित में क्यों नहीं दे देते हैं.’’
राममेहर सिंह से हमने निरंकारी ग्राउंड नहीं जाने को लेकर जब सवाल किया तो वे कहते हैं, ‘‘हमारे संघर्ष के किसान भाइयों को अंदेशा है कि हमारे को सरकार वहां एकत्रित करके अस्थायी जेल बनाकर हमारे आंदोलन को असफल करना चाहती है. हमें जो जगह मुहैया कराई गई उससे सरकार की किसी ना किसी षड्यंत्र की बू आ रही है. इसलिए हम वहां नहीं जाना चाहते हैं. हम यहीं पर अपना धरना प्रदर्शन जारी रखकर यहीं से अपनी गतिविधयों को चलाकर सरकार को घुटने टेकने पर मज़बूर कर देंगे और जो ये तीन काले कानून लेकर आई जो किसान के हक़ में नहीं हैं. जो एमएसपी है उसे सरकार जैसे के तैसे रखे. सरकार तीन कानून बेशक लेकर आए लेकिन एसएसपी की गारंटी दी जाए और कोई भी एमएसपी से कम रेट पर खरीदारी करे उसे सजा का प्रावधान किया जाए.’’
यहां हमारी मुलाकात पाकिस्तान बॉर्डर से लगे पंजाब के जिला तरनतारन के रहने वाले लखवीर सिंह से हुई. लखबीर सिंह के बड़े बेटे की आठ दिसंबर को शादी है लेकिन वे आंदोलन में आए हुए हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए सिंह कहते हैं, ‘‘सरकार हमारी बात मान लेती है तो ठीक नहीं तो हम यहीं जमे रहेंगे. मैं भले यहां हूं पर बेटे की शादी तो गांव के लोग मिलकर कर रहे हैं. कल तो गांव वालों ने मिलकर एक बकरा काट दिया है (हंसते हुए).’’
सरकार द्वारा तय ग्राउंड में आप लोग क्यों नहीं जाना चाहते हैं. इस सवाल के जवाब में लखबीर सिंह कहते हैं कि हम रोड पर ही डटे रहेंगे तभी सरकार हमारी बात जल्दी सुनेगी. सिंह हमसे बात कर ही रहे होते हैं तभी उनके बगल में बैठे नौजवान किसान सन्नी मेहता बोलने लगते हैं. पंजाब के दुसुया से आए सन्नी कहते हैं, ‘‘हम इस सरकार को एक सख्त संदेश देना चाहते हैं. किसी ऐसी जगह पर बैठ जाना जिससे किसी को फर्क न पड़े वैसे संदेश नहीं दिया जाता है. हम यहां पिकनिक मनाने नहीं आए हैं. हम लड़ाई लड़ने आए हैं और यह लड़ाई सड़क पर लड़ी जाएगी.’’
सन्नी पूर्व में एनएसयूआई से जुड़े रहे हैं और अभी कांग्रेस के कार्यकर्ता है. उनका कहना है, ''मैं यहां बतौर किसान पंजाब के लिए आया हूं.''
यहां मिले ज़्यादातर किसान कहते हैं कि जब वे पंजाब और हरियाणा में बीते दो महीने से प्रदर्शन कर रहे थे तो सरकार ने उनकी एक बात नहीं सुनी और अब इस बड़े से ग्राउंड में रखकर हमारी मांग को भूल जाएंगे. हमारे ग्राउंड में बैठने से किसी को क्या ही परेशानी होगी. किसान बताते हैं कि सिंधु बॉर्डर से करीब 12 से 13 किलोमीटर तक सोनीपत की तरफ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर हैं. दिल्ली के बाकी बॉर्डर पर भी हमारे किसान भाई पहुंच चुके हैं. हम दिल्ली को चारों तरफ से जब तक घेरेंगे नहीं तब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी.
यहां मिले पंजाब के एक निजी विश्वविधालय के प्रोफेसर जसवंत सिंह गजमाजरा न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए किसान एक जगह इकठ्ठा होंगे तो उसके आसपास फ़ोर्स लगा दी जाएगी तो कई महीने का संघर्ष वहां हो जाएगा. ये हमारे देश का मुख्य मार्ग है. हम यहां बैठे हैं. हमारे किसानों की मांग अब इतनी बड़ी रोड जाम करने के बाद नहीं मानी जाएगी तो एक ग्राउंड में बैठके कैसे मान ली जाएगी. हमारा किसानों का यहीं फैसला है कि हमारी मांगे जब तक नहीं मानी जाती हैं तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे.’’
भारतीय किसान यूनियन के पंजाब अध्यक्ष जगजीत सिंह, निरंकारी ग्राउंड में जमा होने के बाद बातचीत को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के पेशकश पर मीडिया को दिए बयान में कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने एक शर्त पर मिलने की बात की है. यह सही नहीं है. उन्हें बिना किसी शर्त के बातचीत की पेशकश करनी चाहिए. उनके बयान पर हम अपना पक्ष रविवार को बैठक के बाद देंगे.’’
वहीं निरंकारी ग्राउंड में जाने के सवाल पर भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के प्रवक्ता राकेश कुमार न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘अभी हम सिंधु बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. जहां तक रही ग्राउंड में जाने की बात तो अभी तक इसपर फैसला नहीं हुआ. मीटिंग होने वाली उसके बाद ही इसपर कोई फैसला होगा. हालांकि जनभावना यही है कि जब तक सरकार कानून को वापस नहीं लेती है तब तक हम यहीं बैठे रहेंगे और जैसे ही इसे वापस लिया गया हम उठ जाएंगे.’’
सूचना- यह खबर एक दिसंबर को अपडेट की गई है.
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‘‘अगर किसान यूनियन के लोग चाहते हैं कि भारत सरकार जल्द बात करे. तीन तारीख से पहले इनसे बात करे तो मेरा आप सभी को यह आश्वासन है कि जैसे ही आप यहां शिफ्ट हो जाते हैं. एक स्ट्रक्चर्ड जगह पर अपने आंदोलन को शिफ्ट करते हैं और वहां आप अच्छे तरीके से बैठ जाते हैं उसके दूसरे ही दिन भारत सरकार आपके साथ आपकी समस्या और मांगों के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है. किसान यूनियन के सभी नेताओं को मैं यह कहना चाहता हूं कि आप सारे किसान भाइयों को लेकर जो स्थान दिल्ली पुलिस ने तय किया है वहीं पर आ जाइये.’’ यह कहना है गृहमंत्री अमित शाह का.
शुक्रवार को हरियाणा और पंजाब से चलकर किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पहुंचे. जो केंद्र सरकार किसी भी स्थिति में किसानों को दिल्ली नहीं आने देना चाहती थी. उन्हें रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और दिल्ली पुलिस समेत कई अर्धसैनिक बलों के सैकड़ों जवानों को बॉर्डर पर खड़ा कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने जगह-जगह बड़े बैरिकेड लगाए, सड़क काट दी लेकिन किसान सबको तोड़ते-भरते शुक्रवार को दिल्ली सीमा पर पहुंच गए. सिंधु बॉर्डर पर किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच संघर्ष हुआ. किसान बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. कुछ किसान जो पुलिस की पकड़ में आ गए उन्हें बुरी तरफ मारा भी गया. पुलिस की तरफ से भी पत्थरबाजी हुई तो किसानों ने भी पत्थरबाजी की.
बिगड़ते हालात को देखते हुए जो सरकार किसी भी स्थिति में किसानों को दिल्ली नहीं आने देना चाह रही थी उसी ने आनन-फानन में शाम होते-होते दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी ग्राउंड में जमा होने और शांतिमय ढंग से प्रदर्शन करने की इजाजत दे दी. सरकार की इजाजत मिलने के बावजूद इस ग्राउंड में किसान नहीं पहुंच रहे जिसके बाद शनिवार देर रात को गृहमंत्री अमित शाह ने उपरोक्त बयान जारी करके किसानों को ग्राउंड में जमा होने के लिए कहना पड़ा.
निरंकारी ग्राउंड में पुलिस है, नेता हैं पर किसान नहीं?
दोपहर के एक बज रहे हैं. निरंकारी ग्राउंड के गेट पर सैकड़ों पुलिसकर्मी सुरक्षा में तैनात नजर आते हैं. यहां आने वाले लोगों की गाड़ियों को पुलिस रोककर गेट के पास ही पार्क करने के लिए कहती दिखी. ग्राउंड के गेट पर आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक का पोस्टर लग चुका है जिसपर दिल्ली में उनका स्वागत किया जा रहा है.
ग्राउंड के अंदर जाने पर टेंट की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. सैकड़ों एकड़ में फैले इस बड़े ग्राउंड के एक कोने में कुछ ट्रैक्टर-ट्रॉली दिखाई देती हैं. करीब पांच से सात मिनट पैदल चलकर हम यहां पहुंचे. यहां 40 से 50 ट्रैक्टर और उसपर पहुंचे करीब 500 से 600 किसानों में से कोई नहाते हुए तो कोई खाना बनाते नजर आए. किसानों के साथ-साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे लोग भी यहां पहुंच चुके हैं.
थोड़ी-थोड़ी देर रुककर कुछ युवाओं किसानों का दल किसान एकता ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए इधर से उधर गुजरता है. इसी बीच स्थानीय विधायक संजीव झा अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ यहां पहुंचते हैं. वह यहां की तैयारियों पर मीडिया से बात कर ही रहे होते है तभी दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और राजेंद्र नगर से आप विधायक राघव चड्ढा अपने लाव-लश्कर संग पहुंच जाते हैं.
राघव घूम-घूमकर करीब एक घंटे तक तमाम मीडिया चैनलों से बात करते दिखते हैं. मीडिया से बात करने के बाद संजीव झा और बाकी विधायक साथियों संग कुर्सी पर बैठ जाते हैं. इसके बाद यहां कांग्रेस की नेता अलका लांबा और अभिषेक दत्त पहुंचते हैं. अलका लांबा बीजेपी और आम आदमी पार्टी पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाती हैं.
यहां दिनभर यह सिलसिला जारी रहता है. नेता आते हैं, जायजा लेने के साथ-साथ तस्वीरें लेते हैं और चले जाते हैं लेकिन यह ग्राउंड जिनको प्रदर्शन के लिए दिया गया है वे नहीं आए. जो किसान यहां आए हैं वो भी यहां रहना नहीं चाहते. वे बस अपने-अपने संगठनों के प्रमुखों की अनुमति का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि यहां से जा सके.
यहां हमारी मुलाकात फरीदकोट से आए भारतीय किसान सभा के नेता सरदार जसवीर सिंह से हुई. आंसू गैस से घायल अपना पैर दिखाते हुए ये कहते हैं, ‘‘दिल्ली पहुंचने के लिए हमने कई बैरिकेड तोड़े हैं और अब इस ग्राउंड में आकर बैठ जाए. यहां तो हम गलती से आ गए. इतने बड़े ग्राउंड में पुलिस हमें लाकर रख दी है. यहां सिर्फ दो गेट हैं. यहां हम बैठकर गए तो हमारी कौन सुनेगा. पंजाब में दो महीने से सड़कों पर बैठे रहे तो किसी को फर्क ही नहीं पड़ा यहां बैठने से भी किसी को नहीं पड़ेगा. मुझे तो डर है कि सरकार इस ग्राउंड में हमें भर के जलियांवाला बाग ना दोहरा दे. इसलिए हम यहां से जल्द से जल्द जाना चाहते है.’’
आखिर किसान निरंकारी ग्राउंड में क्यों नहीं आना चाहते. उन्हें किस बात का डर है?
शाम के चार बज रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर बैरिकेड के एक तरफ दिल्ली पुलिस के जवान जमीन पर या जिसे जहां जगह मिली हुई है वहां बैठकर आराम कर रहे हैं. कुछ पुलिसकर्मी प्रदर्शन करने आए लोगों से बातचीत करते हुए भी नज़र आते हैं. बैरिकेड के एक कोने में थोड़ी सी जगह छोड़ दी गई जहां से पैदल आने-जाने वाले नज़र आते हैं. इस गली से हरियाणा में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के वो प्रवासी मज़दूर जाते नज़र आते हैं जो यहां धान कटाई और निकलाई के लिए आए थे. बैरिकेड के दूसरी तरफ किसान एक साथ में खड़े नज़र आते हैं. पंजाब के मशहूर सिंगर बब्बू मान और क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह यहां अपना समर्थन किसानों को देने पहुंचे हुए हैं.
यहां हमारी मुलाकात करनाल जिले के बल्ला गांव से आए 45 वर्षीय राममेहर सिंह से हुई. सात एकड़ के किसान राममेहर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं, लेकिन हरियाणा की बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों के साथ जो व्यवहार किया और अब जो केंद्र सरकार कर रही है उससे ये नाराज़ हैं. न्यूजलाउंड्री से बात करते हुए राममेहर सिंह कहते हैं, ‘‘बीजेपी से खट्टर सरकार ने जो हमारे साथ किया उससे नाराजगी तो ज़्यादा है. सरकार हमें भुखमरी के कगार पर लाकर छोड़ देना चाहती है. सरकार एमएसपी की गारंटी दे क्यों नहीं रही है. तीन कानून बनाई है एक कानून और बना दें. उसे एक और कानून बनाने का किस बात का डर है.’’
किसानों के आंदोलन के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एक बयान दिया और कहा कि अगर किसानों के एमएसीपी से साथ कुछ हुआ तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. अगर मुख्यमंत्री राजनीति छोड़ने की बात कर रहे हैं फिर भी आपको भरोसा क्यों नहीं है? इस सवाल के जवाब में राममेहर थोड़े नाराज होकर कहते हैं, ‘‘मनोहरलाल जी की राजनीतिक हैसियत ही क्या है. उन्हें तो मोदी जी ने हरियाणा पर थोप दिया है. अपने दम पर तो वे पंचायत चुनाव तक नहीं जीत सकते हैं. पहली बार जब मुख्यमंत्री बने तो रामविलास शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा था. अबकी बार राष्ट्रीय मुद्दों का सहयोग मिला तब भी पार्टी खुद पूर्ण बहुमत नहीं ला पाई. जब इतना भरोसा उन्हें एमएसपी नहीं हटने का है तो लिखित में क्यों नहीं दे देते हैं.’’
राममेहर सिंह से हमने निरंकारी ग्राउंड नहीं जाने को लेकर जब सवाल किया तो वे कहते हैं, ‘‘हमारे संघर्ष के किसान भाइयों को अंदेशा है कि हमारे को सरकार वहां एकत्रित करके अस्थायी जेल बनाकर हमारे आंदोलन को असफल करना चाहती है. हमें जो जगह मुहैया कराई गई उससे सरकार की किसी ना किसी षड्यंत्र की बू आ रही है. इसलिए हम वहां नहीं जाना चाहते हैं. हम यहीं पर अपना धरना प्रदर्शन जारी रखकर यहीं से अपनी गतिविधयों को चलाकर सरकार को घुटने टेकने पर मज़बूर कर देंगे और जो ये तीन काले कानून लेकर आई जो किसान के हक़ में नहीं हैं. जो एमएसपी है उसे सरकार जैसे के तैसे रखे. सरकार तीन कानून बेशक लेकर आए लेकिन एसएसपी की गारंटी दी जाए और कोई भी एमएसपी से कम रेट पर खरीदारी करे उसे सजा का प्रावधान किया जाए.’’
यहां हमारी मुलाकात पाकिस्तान बॉर्डर से लगे पंजाब के जिला तरनतारन के रहने वाले लखवीर सिंह से हुई. लखबीर सिंह के बड़े बेटे की आठ दिसंबर को शादी है लेकिन वे आंदोलन में आए हुए हैं. न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए सिंह कहते हैं, ‘‘सरकार हमारी बात मान लेती है तो ठीक नहीं तो हम यहीं जमे रहेंगे. मैं भले यहां हूं पर बेटे की शादी तो गांव के लोग मिलकर कर रहे हैं. कल तो गांव वालों ने मिलकर एक बकरा काट दिया है (हंसते हुए).’’
सरकार द्वारा तय ग्राउंड में आप लोग क्यों नहीं जाना चाहते हैं. इस सवाल के जवाब में लखबीर सिंह कहते हैं कि हम रोड पर ही डटे रहेंगे तभी सरकार हमारी बात जल्दी सुनेगी. सिंह हमसे बात कर ही रहे होते हैं तभी उनके बगल में बैठे नौजवान किसान सन्नी मेहता बोलने लगते हैं. पंजाब के दुसुया से आए सन्नी कहते हैं, ‘‘हम इस सरकार को एक सख्त संदेश देना चाहते हैं. किसी ऐसी जगह पर बैठ जाना जिससे किसी को फर्क न पड़े वैसे संदेश नहीं दिया जाता है. हम यहां पिकनिक मनाने नहीं आए हैं. हम लड़ाई लड़ने आए हैं और यह लड़ाई सड़क पर लड़ी जाएगी.’’
सन्नी पूर्व में एनएसयूआई से जुड़े रहे हैं और अभी कांग्रेस के कार्यकर्ता है. उनका कहना है, ''मैं यहां बतौर किसान पंजाब के लिए आया हूं.''
यहां मिले ज़्यादातर किसान कहते हैं कि जब वे पंजाब और हरियाणा में बीते दो महीने से प्रदर्शन कर रहे थे तो सरकार ने उनकी एक बात नहीं सुनी और अब इस बड़े से ग्राउंड में रखकर हमारी मांग को भूल जाएंगे. हमारे ग्राउंड में बैठने से किसी को क्या ही परेशानी होगी. किसान बताते हैं कि सिंधु बॉर्डर से करीब 12 से 13 किलोमीटर तक सोनीपत की तरफ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर हैं. दिल्ली के बाकी बॉर्डर पर भी हमारे किसान भाई पहुंच चुके हैं. हम दिल्ली को चारों तरफ से जब तक घेरेंगे नहीं तब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी.
यहां मिले पंजाब के एक निजी विश्वविधालय के प्रोफेसर जसवंत सिंह गजमाजरा न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आए किसान एक जगह इकठ्ठा होंगे तो उसके आसपास फ़ोर्स लगा दी जाएगी तो कई महीने का संघर्ष वहां हो जाएगा. ये हमारे देश का मुख्य मार्ग है. हम यहां बैठे हैं. हमारे किसानों की मांग अब इतनी बड़ी रोड जाम करने के बाद नहीं मानी जाएगी तो एक ग्राउंड में बैठके कैसे मान ली जाएगी. हमारा किसानों का यहीं फैसला है कि हमारी मांगे जब तक नहीं मानी जाती हैं तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे.’’
भारतीय किसान यूनियन के पंजाब अध्यक्ष जगजीत सिंह, निरंकारी ग्राउंड में जमा होने के बाद बातचीत को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के पेशकश पर मीडिया को दिए बयान में कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह ने एक शर्त पर मिलने की बात की है. यह सही नहीं है. उन्हें बिना किसी शर्त के बातचीत की पेशकश करनी चाहिए. उनके बयान पर हम अपना पक्ष रविवार को बैठक के बाद देंगे.’’
वहीं निरंकारी ग्राउंड में जाने के सवाल पर भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के प्रवक्ता राकेश कुमार न्यूजलॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘अभी हम सिंधु बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. जहां तक रही ग्राउंड में जाने की बात तो अभी तक इसपर फैसला नहीं हुआ. मीटिंग होने वाली उसके बाद ही इसपर कोई फैसला होगा. हालांकि जनभावना यही है कि जब तक सरकार कानून को वापस नहीं लेती है तब तक हम यहीं बैठे रहेंगे और जैसे ही इसे वापस लिया गया हम उठ जाएंगे.’’
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