Newslaundry Hindi
हाथरस पर चुप रहने वाले अखबारों ने, साजिश की खबर को दी प्रमुखता से जगह
हाथरस मामले में शुरुआत से ही मीडिया दलित परिवार के प्रति उदासीन रहा. परिवार की तरफ से कई बार मीडिया संस्थानों को इस घटना के बारे में बताया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब घटना ने तूल पकड़ा तो सभी मीडिया चैनलों ने हाथरस में डेरा डाल दिया.
पीड़िता के भाई ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा कि उन्होंने कई मीडिया संस्थानों को ट्वीटर पर टैग कर मैसेज किया, घटना की फोटो भेजी लेकिन किसी ने नहीं दिखाया. यह हाल सिर्फ टीवी मीडिया का नहीं है, कमोबेश यह हाल अखबार का भी है.
जिन अखबारों ने इस घटना को शुरुआती तौर पर अपने पहले पेज पर छापने के लायक नहीं समझा, वह सब पीड़िता के मौत के बाद पहले पन्ने पर जगह देने लगे. इन खबरों ने बड़ा आकार तब लिया, जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे.
राहुल गांधी के मिलने के बाद विपक्षी नेताओं का परिवार से मिलने का तांता लग गया, इस बीच लाठियां भी चलीं और कई नेताओं को मिलने से रोका गया. एक ओर जहां गांव में किसी नेता को नहीं जाने दिया गया, वहीं पीड़ित परिवार के कुछ ही दूर बीजेपी नेता के नेतृत्व में सवर्ण वर्ग के लोगों की बैठक चल रही थी. जिन्होंने इस पूरे मामले को साजिश बता दिया.
इन सबके बीच, खुफ़िया एजेंसियों ने सरकार को रिपोर्ट दी कि, उत्तर प्रदेश में हाथरस कांड के बहाने जातीय और सामाजिक उन्माद फैलाने की आशंका है. इस साजिश में पीएफआई समते कुछ संगठनों की भूमिका की जांच की जा रही है.
इस साजिश मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने, अफवाहों और फर्जी सूचनाओं के जरिए अशांति पैदा करने को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया.
हाथरस मामले को जिन अखबारों ने पहले जगह नहीं दी, उन अखबारों ने इस साजिश एंगल को पहले पन्ने पर जगह दी.
दैनिक जागरण ने इस मामले को पहले पन्ने पर जगह दी है इस खबर की हेडलाइन, “हाथरस कांड के बहाने योगी को बदनाम करने की साजिश”
इसमें बताया गया हैं कि एक न्यूज चैनल के फर्जी स्क्रीनशॉट के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सरकार को बदनाम करने की साजिश रचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. एडीजी प्रशांत कुमार के बयान को अखबार ने छापा हैं, जिसमें लिखा गया हैं “पीएफआई समेत कुछ अन्य संगठन प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रचते हैं. इस मामले में उनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है.”
हिंदुस्तान अखबार में हाथरस मामले को पहले पन्ने पर जगह तो दी है, लेकिन साजिश वाले एंगल को जगह नहीं दी है. हालांकि अखबार में चार लाइन में योगी आदित्यनाथ का एक बयान लिखा है. ‘योगी का विपक्ष पर वार’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्ष को विकास अच्छा नहीं लग रहा है. वह देश और प्रदेश में जातीय व सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहता है.
अमर उजाला अखबार ने हाथरस कांड के नाम से इस मामले को पहले पन्ने पर जगह दी है. इस खबर में सपा और रालोद कार्यकर्ताओं पर की गई पुलिस की बर्बरता का जिक्र किया गया है. साथ ही छोटे सी जगह में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर दर्ज किए गए केस की जानकारी दी.
यहां भी वही बात कहीं गई हैं, सीएम की छवि बिगाड़ने और जातीय हिंसा भड़ाकने की कोशिश. मामले में तीन टीमें बनाई गई हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान भी दिया गया है, जिसमें सीएम कहते हैं विपक्ष को विकास अच्छा नहीं लग रहा है, इसलिए वह जातीय-सांप्रदायिक दंगे कराने की साजिश कर रहे हैं. वह प्रदेश में दंगे कराना चाहता हैं.
दैनिक भास्कर अखबार ने भी इस मामले को अखबार में प्रमुखता से जगह दी. अखबार ने सीबीआई सिफारिश, सियासी दौरे और पीड़िता के भाई का बयान छापा. अखबार ने लिखा, “पीड़िता का परिवार ही नहीं चाहता सीबीआई की जांच”.
अखबार ने भी वही बात लिखी जो अन्य अखबारों में लिखी थी, साजिश की. पेपर में लिखा गया, हाथरस कांड के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय उन्माद फैलाने की साजिश.. सीएम योगी की भ्रामक तस्वीरें फैलाने पर एफआईआर दर्ज. इसके अलावा अखबार में विपक्षी नेताओं के मुलाकात और लाठीचार्ज की घटना को भी प्रमुखता से छापा गया.
बता दें कि इस मामले में जब से साजिश की घटना की जानकारी सामने आई हैं, तब से घटना को जातीय बनाकर पेश किया जाना शुरू हो चुका है. इस बीच पीड़िता के साथ रेप हुआ या नहीं उसको लेकर भी मेडिकल रिपोर्ट में अलग-अलग बात सामने आ रही हैं.
पुलिस एडीजी प्रशांत कुमार ने कुछ दिनों पहले ही कह दिया था कि पीड़िता लड़की से साथ रेप नहीं हुआ था.
लेकिन द वायर की इस रिपोर्ट के मुताबिक लड़की के साथ जबरदस्ती की गई थी. रिपोर्ट में अलीगढ़ के अस्पताल के एक डॉक्टर का बयान भी लिखा गया है जिसमें वह कहते हैं, शुरूआती जांच के बाद मेरी राय है कि लड़की के साथ फोर्स किया गया था, लेकिन एफएसएल रिपोर्ट में पता चल जाएगा की रेप हुआ था या नहीं.
Also Read
-
In Baramati, Ajit and Sunetra’s ‘double engine growth’ vs sympathy for saheb and Supriya
-
A massive ‘sex abuse’ case hits a general election, but primetime doesn’t see it as news
-
‘Vote after marriage’: Around 70 lakh eligible women voters missing from UP’s electoral rolls
-
Mandate 2024, Ep 2: BJP’s ‘parivaarvaad’ paradox, and the dynasties holding its fort
-
‘Not a family issue for me’: NCP’s Supriya Sule on battle for Pawar legacy, Baramati fight