Newslaundry Hindi
हाथरस गैंगरेप: इलाहाबाद हाईकोर्ट का मीडिया से भी रिपोर्ट सौंपने का आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कथित हाथरस गैंगरेप मामले में गुरुवार को स्वत: संज्ञान लिया. इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि इन घटनाओं ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है. न्यायालय ने इस तथ्य पर भी संज्ञान लिया कि राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों ने समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बयान दिया है कि परिवार के सदस्यों की सहमति से पीड़िता का दाह संस्कार किया गया था और वे इस दौरान मौजूद थे.
कोर्ट ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी लॉ एंड आर्डर और हाथरस के जिलाधिकारी व एसपी से आगामी 12 अक्टूबर को पूरे मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही हाई कोर्ट ने विभिन्न अखबारों और न्यूज चैनलों से जो इस घटना को कवर कर रहे हैं, कहा कि घटना के बाबत उनके पास जो भी मैटीरियल है वे उसे पेन ड्राइव या सीडी में रख लें.
कोर्ट के आदेश में लिखा है, “लखनऊ के सूचना निदेशक इस आदेश को द टाइम्स ऑफ इंडिया, द इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, अमर उजाला, इंडिया टीवी, आजतक, एनडीटीवी, टीवी टुडे और टाइम्स नाउ को भेजें. और उनसे अनुरोध करें की इस केस से संबंधित जो कुछ उन्होंने सही रिपोर्ट की हैं उसे किसी पेन ड्राइव या कोमपेक्ट डिस्क में सेव कर लें. जिससे की कोर्ट को इस मामले में सहायता मिल सके.” हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस नोटिस में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की एक अक्टूबर की रिपोर्टिंग का हेडलाइन के साथ प्रशासन द्वारा पीड़िता का रात में जबरदस्ती अंतिम संस्कार करने का जिक्र भी किया है. इसमें मुख्यत: इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'आज की बात' अमर उजाला, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्टिंग का नोटिस में जिक्र है.
कोर्ट ने लिखा है, “अखबार की रिपोर्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कार्यक्रम और वीडियो क्लिपिंग से पता चलता है कि परिवार के लोग पार्थिव शरीर की मांग
करते रहे और अधिकारियों को यह भी बताया कि परंपराओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद और दिन निकलने से पहले दाह संस्कार नहीं किया जा सकता है, फिर भी, जिला अधिकारियों ने परंपराओं के विपरीत दाह संस्कार कर दिया. हाईकोर्ट ने मामले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि "वह देखेगी कि कहीं पीड़िता की गरीबी या सामाजिक स्तर के कारण तो उसके साथ सरकारी मशीनरी ने यह अत्याचार तो नहीं किया"
Also Read
-
7 FIRs, a bounty, still free: The untouchable rogue cop of Madhya Pradesh
-
‘Waiting for our school to reopen’: Kids pay the price of UP’s school merger policy
-
Putin’s poop suitcase, missing dimple, body double: When TV news sniffs a scoop
-
The real story behind Assam’s 3,000-bigha land row
-
CEC Gyanesh Kumar’s defence on Bihar’s ‘0’ house numbers not convincing