Newslaundry Hindi
किसानों के भारत बंद पर अखबारों ने लगाया सेंसर
कृषि बिल के विरोध में किसानों ने शुक्रवार यानी 25 सितंबर को भारत बंद किया. बिल के विरोध में किसानों ने कई राज्यों में चक्का जाम, रेल रोको आंदोलन चलाया. सोशल मीडिया पर अभी भी किसानों के प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो तैर रहे हैं. लोग अपने अपने अंदाज में किसानों के समर्थन में अपनी टाइमलाइन पर लिख रहे हैं. बता दें कि इस बिल के पास होने के बाद से ही किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन न तो टीवी मीडिया ने किसानों के मुद्दों को दिखाने लायक समझा न ही प्रिंट मीडिया इस आंदोलन की कवरेज में कोई खास दिलचस्पी दिखा रहा है.
सोशल मीडिया से लेकर आमजन की जुबान पर किसानों द्वारा शुक्रवार को हुए प्रदर्शन का जिक्र है. हिंदुस्तान अखबार ने इस खबर को अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
जबकि जागरण ने इसे पहले पन्ने पर तो जगह दी है लेकिन किसानों के प्रदर्शन और उनकी मांगों की बजाय प्रधानमंत्री मोदी के बयान को प्रमुखता से छापा है, कि वह इस आंदोलन पर क्या कहते हैं. जागरण ने किसानों के विरोध प्रदर्शन की ख़बर को कुछ इस तरह छापा है. "कृषि विधेयकों के विरोध में थमा पंजाब, हरियाणा में भी प्रदर्शन".
दैनिक भास्कर अखबार ने इस खबर को पहले पन्ने पर तो जगह दी है लेकिन इस खबर को लीड लायक नहीं समझा, खबर को नीचे दिया गया है.
वहीं अमर उजाला अखबार ने इस ख़बर को पहले पन्ने पर प्रमुखता के साथ छापा है. अखबार ने किसानों की भीड़ की एक तस्वीर के साथ लिखा है- "किसानों ने किया चक्काजाम". अखबार खुद को नंबर वन होने का दावा करता है लेकिन इनके लिए देश की सबसे बड़ी ख़बर नंबर वन नहीं बन पाती है.
आपको बता दें कि किसानों के भारी भरकम जमावाड़े की तस्वीरें सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर वायरल हैं. जबकि न्यूज चैनलों ने भी रह रहकर किसानों के आंदोलन की कवरेज की है. वहीं अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कृषि प्रधान देश के अखबारों का रवैया किसानों के प्रति उदासीन या कहें कि दुर्भावनापूर्ण है.
कृषि बिल के विरोध में भारत बंद का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में रहा. यूपी के भी कई इलाकों में इसका व्यापक असर दिखाई दिया. बृहस्पतिवार से पटरियों पर बैठे किसानों ने 29 सितंबर तक रेल रोकने का एलान किया है. कई जगहों पर इस प्रदर्शन के चलते पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया है. जबकि कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. किसान इस आंदोलन को लेकर पीछे हटते नहीं दिख रहे हैं. उन्होंने इस पर आर-पार की चेतावनी दी है.
Also Read: मंदी की मार पहुंची किसान के द्वार
Also Read
-
India’s lost decade: How LGBTQIA+ rights fared under BJP, and what manifestos promise
-
Another Election Show: Meet journalist Shambhu Kumar in fray from Bihar’s Vaishali
-
‘Pralhad Joshi using Neha’s murder for poll gain’: Lingayat seer Dingaleshwar Swami
-
Corruption woes and CPIM-Congress alliance: The TMC’s hard road in Murshidabad
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist