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महिला ने लगाया उत्पीड़न का आरोप, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने नौकरी से निकाला
भारत में कलाओं के क्षेत्र में शोध और शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रसार का प्रमुख केंद्र है इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए). इसका मुख्यालय दिल्ली में है जिसके उपकेंद्र पूरे देश में हैं. यह घटना इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के रांची केंद्र से जुड़ी है. यहां काम करने वाली एक महिला कर्मचारी ने संस्थान पर षडयंत्र के तहत उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने का आरोप लगाया है.
पीड़ित महिला अपर्णा झा का कहना है कि उसने कुछ दिन पहले अपने एक वरिष्ठ अधिकारी पर कामकाज के दौरान जानबूझकर मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. उसकी इस शिकायत से आईजीएनसीए, रांची केंद्र का प्रशासन नाराज हो गया और अंतत: उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर उसे नौकरी से बाहर कर दिया गया.
गौरतलब है कि अपर्णा की शिकायत के बाद आरोपित व्यक्ति को इस्तीफा देना पड़ा था. अपर्णा का आरोप है कि अब उसी के बदले की कार्रवाई के तहत उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर उसे भी सेवा से बाहर कर दिया गया है. एक आरोप यह भी है कि आरोपित राकेश पांडेय की आईजीएनसीए में शीर्ष लोगों से नजदीकी संबंध है. उसके ऊपर आईजीएनसीए के रांची और दिल्ली मुख्यालय से शिकायत वापस लेने का लगातार दबाव डाला जा रहा था. लेकिन उसने शिकायत वापस नहीं लिया. इसके बाद अपर्णा के खिलाफ रांची केंद्र में ही कार्यरत एक अन्य महिला कर्मचारी के साथ गलत बर्ताव और गलत शब्दों का इस्तेमाल करने को आधार बना कर उसका कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया गया.
अपर्णा अब इस केस को कोर्ट में ले जाने की बात कर रही है. उन्होंने पूर्व में पुलिस को दी गई शिकायत में भी अपने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने का डर जताया था. अपर्णा आईजीएनसीए के रांची केंद्र में सन 2017 से बतौर प्रोजेक्ट असिस्टेंट काम कर रही थी.
न्यूजलॉन्ड्री के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, अपर्णा ने अपने सीनियर राकेश पांडेय के खिलाफ 22 जनवरी, 2020 को पहली बार और फिर फरवरी में रीजनल डायरेक्टर रांची अजय कुमार मिश्रा को उत्पीड़न का शिकायती पत्र लिखा था. इस पर रीजनल डायरेक्टर ने ऑफिशियल स्तर पर इस केस को सुलझाने की कोशिश की. लेकिन मामला न सुलझने पर शिकायती पत्र को दिल्ली हेड ऑफिस भेज दिया.
पीड़िता का आरोप है कि शिकायत के बाद उसका कैरियर बर्बाद करने जैसी धमकियां दी गईं. इसकी पुष्टि हमसे संस्थान में कार्यरत एक अधिकारी ने भी किया लेकिन वो अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते. महिला ने आरोप लगाया है कि आईजीएनसीए के मेम्बर सेक्रेटरी सच्चिदानंद जोशी से नजदीकी की धौंस देकर राकेश पांडेय ने उसे ‘औकात’ दिखाने की बात कही थी. साथ ही एक अन्य स्टाफ मेम्बर अंजलि सिन्हा ने केस को आगे बढ़ाने पर मुश्किल में डाल देने की धमकी दी. जिसका ये परिणाम है.
इस बीच मई में पीड़िता के खिलाफ भी एक शिकायती पत्र रांची सेंटर से दिल्ली हेड ऑफिस भेजा गया. हैरानी की बात यह है कि यह शिकायत तत्कालीन रीजनल डायरेक्टर के बिना सीधे दिल्ली भेजा गया. जिस पर नाराजगी जताते हुए रीजनल डायरेक्टर अजय कुमार मिश्रा ने हेडऑफिस को मेल किया कि अगर मेरी बिना अनुमति के कोई शिकायत वहां आती है तो उसे अवैध माना जाए.
इसके बाद हेड ऑफिस से इन मामलों की जांच के लिए एक एक्सटर्नल जांच कमेटी का गठन हुआ जिसने 11 जून को कैम्पस में आकर केस की पड़ताल की.
अपर्णा ने कमेटी के गठन पर भी सवाल उठाते हुए उसके साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप लगाया और बताया कि कमेटी की रिपोर्ट की कॉपी भी उसे नहीं दी गई.
19 जून को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही आरोपी राकेश पांडेय ने इस्तीफा दे दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया. हालांकि राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस मसले पर संज्ञान लेते हुए रांची संस्थान को नोटिस जारी किया है.
अपर्णा के मुताबिक दिल्ली हेड ऑफिस से 31 जुलाई को अचानक उन्हें एक मेल उन्हें मिला जिसमें अपनी एक सहयोगी आदिवासी महिला बोलो कुमारी को ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगने के लिए कहा गया था.उन्होंने ऐसी किसी घटना से इंकार करते हुए माफी मांगने से मना कर दिया. इसे आधार बना कर 27 अगस्त को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
अपर्णा ने हमें बताया, “जिस दिन से मैंने अपने सीनियर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, तभी से यहां से लेकर दिल्ली हेड ऑफिस तक मुझे डरा-धमकाकर, केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था. मेरा कैरियर बर्बाद करने तो कभी झूठी शिकायत करने की धमकी दी गई. और जब मैंने नही किया तो इन लोगों ने उल्टा मेरे खिलाफ एक ट्राइबल लड़की को खड़ा कर उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के झूठे आरोप पर मेरा कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया.”
अपर्णा आगे बताती हैं, “इन सब लोगों ने गुट बनाकर ये सब कराया है, जिसका मुझे अंदेशा था. केस की जांच के लिए जो एंक्वायरी कमेटी बनाई उन्होंने भी मेरे साथ बदसुलूकी की. कमेटी के नाम पर तमाशा था. उसके बारे में मुझे कोई जानकारी भी नहीं थी. मुझे फोन करके बुलाया और जांच में क्या आया उसका भी लेटर नहीं मिला. हेड ऑफिस से आईं महिलाएं, जिनमें से एकरंजना कुमारी ने कहा कि हम एबीवीपी से हैं और मेम्बर सेक्रेटरी के संपर्क में हैं. इसके अलावा उन्होंने मुझे मुक्का दिखाया और कहा कि ये आपकी पहली और आखिरी जॉब है. मेरा फोन भी छीन लिया गया और रिकॉर्डिंग बंद कर दी गई. बिना मेरी इजाजत के मेरी फोटो खींची और मेरी पर्सनल लाइफ से जुड़े सवाल किए. सब षड़यंत्र था.यह सब मैंने डायरेक्टर को मेल करके बताया भी था.”
अपर्णा पर आरोप लगाने वाली महिला बोलो कुमारी जो वहीं प्रोजेक्ट असिस्टेंट हैं, से हमने उनकी शिकायत के बारे में बात की. काफी हीलहुज्जत के बाद उन्होंने कहा पहले मैं अपने सर (डायरेक्टर) से पूछ लूंगी तब आपसे बात करूंगी.
हमने कहा कि जब आपके साथ अगर कुछ गलत हुआ है और आपने शिकायत की है तो फिर बताने में क्या दिक्कत है. तो उन्होंने कहा कि मैं आपको जानती भी नहीं हूं आप अपनी डिटेल भेजो. हमने उन्हें डिटेल भेजने का वादा किया.
इसके बाद बोलो ने एक अजीब सवाल हमसे पूछा- “सर आपको इस केस के बारे में पता कैसे चला.” हमने इसका सीधा सा जवाब यही दिया कि पत्रकार का काम ख़बर ढूंढ़ना है, तो हमें पता चल गया.
इसके बाद हमने अपनी डिटेल भेजकर जब अगले दिन बात करने के लिए उन्हें फोन किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. हमने व्हाटसएप पर उनसे इस बाबत पूछा तो उन्होंने माफी मांगते हुए लिखा कि मैं इस बारे में आपसे बात नहीं कर सकती. आप चाहें तो दिल्ली हेडऑफिस में इस बारे में बात कर सकते हैं.
इस पर हमने दिल्ली हेड ऑफिस में आईजीएनसीआर के डायरेक्टर आरए रांगनेकर को फोन किया.
रांगनेकर ने भी पहले परिचय को लेकर संशय दिखाया लेकिन कुछ देर बाद संतुष्ट होकर बोले, “सॉरी सर, ऐसे मैं आपको कुछ नहीं बता सकता.”
हमने उन्हें थोड़ा केस की डिटेल बताई तो उनका फिर से वही जवाब था, “सर ऐसे हम आपको कोई भी डिटेल नहीं दे सकते.”हमने पूछा फिर कैसे बताएंगे. उन्होंने कहा,“देखिए जो न्यायिक कार्यवाही है उसके साथ हमारा काम चल रहा है.”
इस पर हमने उनसे हेड ऑफिस में मिलने का प्रस्ताव रखा लेकिन उन्होंने कहा, “नहीं देखिए जर्नलिस्ट को हम कैसे इस मामले की कोई डिटेल दे दें.”
रांगनेकर आगे कहते हैं, “देखिए ये बातें पब्लिक डोमेन में कहां से आई हैं, उसका भी मुझे नहीं पता. तो इसका हम ऐसे जवाब नहीं दे सकते, हम फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कह सकते. अभी हमारे यहां कोई इवेंट है और मैं अपनी हायर ऑथिरिटी से डिस्कस कर बताऊंगा.”
कोई जवाब न मिलने पर हमने आईजीएनसीआर के मेम्बर सेक्रेटरी डॉ. सच्चिदानंद जोशी को फोन किया तो उन्होने हमारा फोन रिसीव नहीं किया.
आईजीएनसीए प्रशासन से जुड़े लोगों में केस के बारे में बताने से ज्यादा इस बात में उत्सुक्ता थी कि हमें इसका पता कैसे चला.
हमने आईजीएनसीआर रांची के वर्तमान रीजनल डायरेक्टर संजय कुमार झा से इस केस के बारे में जानने के लिए फोन किया तो उन्होंने भी यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि मेरी अभी अगस्त में नई नियुक्ति हुई है,मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
अपर्णा झा ने बताया कि राज्य मानवअधिकार आयोग ने इस मसले को संज्ञान में लेते हुए रांची संस्थान को नोटिस जारी कर दिया है. और वे अब इस इस केस में रिट पेटिशन डालेंगी.
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