Newslaundry Hindi
कफील खान: ‘‘एसटीएफ ने नंगा करके मारा, जेल में अपने कपड़े चूसकर मिटाया भूख’’
उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सितंबर 2020, को अपने महत्वपूर्ण आदेश में डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा करने का हुक्म दिया. और उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया.
जनवरी 2019 में डॉ खान को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए विरोधी भाषण देने के कारण गिरफ़्तार किया गया था. यह भाषण कफील खान ने दिसंबर 2019 में दिया था. गिरफ्तारी के बाद इनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) भी लगा दिया गया. अदालत ने एनएसए हटाते हुए कहा था, ‘‘यह इरादतन किया गया. इनके भाषण में देश विरोधी कुछ भी नहीं था.’’
पेशे से चाइल्ड पीडियाट्रीशियन डॉक्टर खान साल 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में हुए हादसे के बाद से सरकार के निशाने पर हैं. गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में सैकड़ों बच्चे ऑक्सिजन के अभाव में मर गए थे. इस मामले में पहले कफील हीरो बने, लेकिन बाद में उन्हें योजनाबद्ध तरीके से विनलेन बना दिया गया. उन्हें जेल भी जाना पड़ा. कफील बताते हैं, ‘‘सरकार असली आरोपियों को पकड़ना नहीं चाह रही है इसलिए मुझे पकड़ लिया. अब तक उस मामले में कई जांच हो चुकी है और मैं किसी मामले में दोषी नहीं पाया गया.’’
बीआरडी हादसे ने कफील को एक डॉक्टर से एक्टिविस्ट बना दिया. उसके बाद वे देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर अपनी बात रखने लगे. इसी दौरान सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में दिए गए भाषण को आधार बनाकर उन्हें न सिर्फ जेल में डाल दिया गया बल्कि एनएसए जैसी गैरजमानती धाराएं थोप दी गईं. कफील बताते हैं, ‘‘इससे पहले जब भी मैं जेल गया, मानसिक रूप से परेशान ज़रुर किया गया पर मारा नहीं गया था, लेकिन इस बार एसटीएफ के लोगों ने नंगा करके मारा. इतना मारा कि मैं बैठ नहीं पाता था. भूखे रहने पर मज़बूर किया गया. जेल में मुझे खाना नहीं मिलता था तो मैं अपने कपड़े चूसकर भूख मिटाया करता था. पीने के लिए पानी तक नहीं दिया जाता था.’’
मथुरा जेल से निकलने के बाद कफील अपने घर गोरखपुर जाने तक बजाय राजस्थान चले गए. राजस्थान जाने के पीछे कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को बताया गया. ये बात कफील भी स्वीकार करते हैं. लेकिन इसके बाद कफील के कांग्रेस में शामिल होने की भी ख़बरें आने लगी. इस पर उन्होंने बताया, ‘‘मैं किसी भी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहा हूं. मैं बच्चों का डॉक्टर हूं और बच्चों का इलाज करना मुझे पसंद है. जहां तक रही यूपी आने की बात तो मैं जल्द ही यूपी जाऊंगा. मैंने किसी डर से यूपी नहीं छोड़ा है.’’
पूरी बातचीत के लिए आप उनका वीडियो देखें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें.
उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सितंबर 2020, को अपने महत्वपूर्ण आदेश में डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा करने का हुक्म दिया. और उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया.
जनवरी 2019 में डॉ खान को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए विरोधी भाषण देने के कारण गिरफ़्तार किया गया था. यह भाषण कफील खान ने दिसंबर 2019 में दिया था. गिरफ्तारी के बाद इनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) भी लगा दिया गया. अदालत ने एनएसए हटाते हुए कहा था, ‘‘यह इरादतन किया गया. इनके भाषण में देश विरोधी कुछ भी नहीं था.’’
पेशे से चाइल्ड पीडियाट्रीशियन डॉक्टर खान साल 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में हुए हादसे के बाद से सरकार के निशाने पर हैं. गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में सैकड़ों बच्चे ऑक्सिजन के अभाव में मर गए थे. इस मामले में पहले कफील हीरो बने, लेकिन बाद में उन्हें योजनाबद्ध तरीके से विनलेन बना दिया गया. उन्हें जेल भी जाना पड़ा. कफील बताते हैं, ‘‘सरकार असली आरोपियों को पकड़ना नहीं चाह रही है इसलिए मुझे पकड़ लिया. अब तक उस मामले में कई जांच हो चुकी है और मैं किसी मामले में दोषी नहीं पाया गया.’’
बीआरडी हादसे ने कफील को एक डॉक्टर से एक्टिविस्ट बना दिया. उसके बाद वे देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर अपनी बात रखने लगे. इसी दौरान सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में दिए गए भाषण को आधार बनाकर उन्हें न सिर्फ जेल में डाल दिया गया बल्कि एनएसए जैसी गैरजमानती धाराएं थोप दी गईं. कफील बताते हैं, ‘‘इससे पहले जब भी मैं जेल गया, मानसिक रूप से परेशान ज़रुर किया गया पर मारा नहीं गया था, लेकिन इस बार एसटीएफ के लोगों ने नंगा करके मारा. इतना मारा कि मैं बैठ नहीं पाता था. भूखे रहने पर मज़बूर किया गया. जेल में मुझे खाना नहीं मिलता था तो मैं अपने कपड़े चूसकर भूख मिटाया करता था. पीने के लिए पानी तक नहीं दिया जाता था.’’
मथुरा जेल से निकलने के बाद कफील अपने घर गोरखपुर जाने तक बजाय राजस्थान चले गए. राजस्थान जाने के पीछे कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को बताया गया. ये बात कफील भी स्वीकार करते हैं. लेकिन इसके बाद कफील के कांग्रेस में शामिल होने की भी ख़बरें आने लगी. इस पर उन्होंने बताया, ‘‘मैं किसी भी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहा हूं. मैं बच्चों का डॉक्टर हूं और बच्चों का इलाज करना मुझे पसंद है. जहां तक रही यूपी आने की बात तो मैं जल्द ही यूपी जाऊंगा. मैंने किसी डर से यूपी नहीं छोड़ा है.’’
पूरी बातचीत के लिए आप उनका वीडियो देखें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें.
Also Read
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का सार: क्रेडिट मोदी का, जवाबदेही नेहरू की