Newslaundry Hindi
कोरोना वायरस और लॉकडाउन: बैंड-बाजा-बारात की बज गई बैंड
भारत में अप्रैल-मई का समय शादियों का होता है. इस दौरान बड़े पैमाने पर शानो-शौकत के साथ शादियां होती हैं. भारतीय शादी का जश्न कई समुदायों में हफ्तों तक चलता है. इसके इर्द-गिर्द एक लंबी-चौड़ी अर्थव्यवस्था काम करती है, मसलन हलवाई, कैटरर्स, टेंट, लाइट, शादी के कार्ड, ज्वैलर्स, बैंक्वेट हॉल आदि. भारतीय शादियों में मोटा खर्च, मेहमानों की लंबी सूची, कई दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम और सैकड़ों तरह के पकवान के कारण यहां की 'बिग फैट इंडियन वेडिंग' दुनिया भर में मशहूर हैं.
भारतीय शादियों में औसतन 5 लाख से लेकर 5 करोड़ तक की रकम खर्च होती है. एक अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल लगभग एक करोड़ शादियां होती हैं और इनका सालाना बाजार लगभग एक लाख करोड़ रुपए का है. भारत को, अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे महंगा और बड़ा वेडिंग मार्केट माना जाता है. रीसर्च संस्था केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन वेडिंग इंडस्ट्री का साइज 40-50 बिलियन डॉलर यानि लगभग 3 लाख करोड़ करोड़ रुपए का है.औरअमेरिका का वेडिंग मार्केट एसका लगभग दोगुना यानि 70 बिलियन डॉलर के आसपास है.
विशेषज्ञों का मानना है कि शादी ऐसा अवसर होता है जब आमतौर पर मितव्ययी स्वभाव वाला आम भारतीय बजट को लेकर ज्यादा परवाह नहीं करता और खुलेहाथ से खर्च करता है. एक साधारण शादी में भी यहां 800-1000 मेहमान शरीक होते हैं. अगर हाई-प्रोफाइल शादियों की बात हो तो ये आंकड़ा दस हजार तक भी पहुंच जाता है.
जाहिर है इतने महत्वपूर्ण अवसर के चलते इससे जुड़ा एक लंबा-चौड़ा बाजार भी है. इसमें लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए हैं. हालांकि इस उद्योग का ज्यादातर हिस्सा अभी भी असंगठित क्षेत्र में आता है. शादियों का मौसम इससे जुड़े लोगों के लिए अच्छी कमाई का मौसम होता हैऔर ये इसमें पूरी तरह व्यस्त रहते हैं.
तकनीक के विस्तार के चलते अब शादियों के व्यापार में ऑनलाइन कंपनियां भी शामिल हो गई हैं. इनमें जोड़े मिलाने वालों से लेकर शादी के तमाम आयोजन करने वाली ईवेंट मैनेजमेंट कंपनियां मैदान में कूद पड़ी हैं. लेकिन साल 2020 इन सबके लिए बहुत बुरा साबित हुआ है. ऐन शादियों का सीजन शुरू होने से पहले दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस ने बाकी उद्योग धंधों की तरह ही शादियों के सीज़न को भी बर्बाद कर दिया. इस उद्योग से जुड़े लोगों की हालात देशव्यापी तालाबंदी ने खस्ता कर दी है.
लॉकडाउन के चलते तमाम किस्म के प्रतिबंध लगाए गए थे जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के जुटने, उत्सव और आयोजन से बचने की सलाह थी. इसके मद्देनज़र लोगों ने अप्रैल-मई-जून-जुलाई में होने प्रस्तावित हजारों शादियों को नवंबर-दिसबंर या फिर अगले साल के लिए टाल दिया. जिससे इनका कारोबार लगभग चौपट हो चुका है. कुछ लोगों ने इस व्यापार से अपने हाथ भी खींच लिए हैं.और लाखों लोग आजीविका चलाने के लिए जबरदस्त संघर्ष से दो-चार हैं. इससे जुड़े लोग लॉकडाउन की सरकारी नीतियों को इस दुर्दशाके लिए जिम्मेदार मानते हैं.
अनलॉक के बाद गृह मंत्रालय ने कुछ दिशा-निर्देशों के अनुसार शादी समारोह करने की इजाजत जरूर दी लेकिन उसके नियम इतने कड़े थे कि लोगों ने अपनी शादियां आगे टालना ही मुनासिब समझा. गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान शादी समारोह में 50 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो पाएंगे. यानी वर और वधू पक्ष दोनों की तरफ से 25-25 लोग ही शादी में हिस्सा ले सकते हैं. जो शादी के बिजनेस को रिकवर करने के लिए अपर्याप्त है.
लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि भारतीय शादी बाजार एक बार फिर वापस पटरी पर लौट आएगा. लेकिन उससे पहले इसे उबारने के लिए सरकार को भी आगे आकर मदद करनी होगी. हमने इस कारोबार से जुड़े लगों से इसकी मौजूदा स्थिति का आकलन करने की कोशिश की.
वेडिंग प्लानर कंपनी पर कोरोना का असर
दिल्ली की मशहूर वेडिंग प्लानर कंपनी है “राशी एंटरटेंनमेंट”. इसके डायरेक्टर राजीव जैन से हमारी मुलाकात ग्रेटर कैलाश स्थित उनके घर पर हुई. राजीव जैन ने हमें बताया, “भारतीय शादी बाजार दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा शादियों का बाजार है. इसमें लगभग एक करोड़ लोग काम करते हैं. इनमें 35 प्रतिशत महिलाएं भी हैं. यह लगभग 3 लाख करोड़ प्रतिवर्ष के आस-पास है. पिछले 6 सालों में इस बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. हम देश ही नहीं पूरी दुनिया जैसे दुबई, अबुधाबी वगैरह में भी शादी का आयोजन कराते हैं. मैं महीने में दो बार विदेश जाता था. लेकिन पिछले 5 महीने से घर बैठा हूं.”
राजीव के मुताबिक पूरी दुनिया में कोरोना के असर को देखते हुए अब उनकी कंपनी ने अपना ध्यान भारत में ही केंद्रित करने का फैसला किया है. वो कहते हैं, “यहां भी काफी अच्छे शादी केस्पॉट हैं.”
राजीव आगे बताते हैं, “लॉकडाउन से इस बाजार को भारी नुकसान हो गया है. मेरी अपनी जानकारी है कि इस बिजनेस में लगी करीब 50 फीसदी कम्पनियां बंद हो चुकी हैं. हमारा धंधा भी कुछ महीने के लिए एकदम शून्य हो गया. इस माहौल में हम अपनी सेविंग और एफडी तोड़कर काम चला रहे हैं. छोटे कर्मचारी सबसे ज्यादा संकट में हैं. हम फिलहाल सोमवार, बुधवार और शुक्रवार तीन दिन ही अपना ऑफिस खोलते हैं. स्टाफ को 70 प्रतिशत सैलरी दे रहे हैं. जैसे-तैसे मैनेज कर रहे हैं. ड्राइवर को भी नहीं निकाला है. मुश्किल वक्त में कैसे इन्हें छोड़ दूं.”
“हमारे इवेंट एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन ने 306 पेज की एक एसओपी स्टेट मिनिस्टर सत्यानंद राय और बाकी अथॉरिटी के पास भेजी है. हमने कहा है कि हम पूरे प्रीकॉशन चाहे सोशल डिस्टेंसिंग हो, सैनेटाइजेशन हो या कुछ और, सबका पालन करते हुए अपना काम करेंगे. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. केंद्र सरकार ने कहा है कि अब 100 लोग शामिल हो सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार कह रही है कि हम स्थिति देखने के बाद इस पर फैसला लेंगे. सरकार हमारे ऊपर ध्यान दे,”राजीव ने कहा.
अंत में राजीव कहते हैं, “बाकि सब कुछ अभी होल्ड कर दिया है. नवंबर-दिसम्बर में उम्मीद है कि बिजनेस सुधरेगा. लेकिन तब तक बहुत से लोग भारी संकट में रहेंगे. इनके लिए सरकार को आगे आना पड़ेगा. और अगर ये नहीं हुआ तो लोग कोविड की जगह भूख से मर जाएंगे.”
राजीव की 50 प्रतिशत कंपनी बंद होने की बात हमें तब सही साबित होती नजर आई जब हम ग्रेटर कैलाश-2 में ही एक अन्य वेडिंग प्लानर कंपनी “एल्योर इवेंट” के दफ्तर में पहुंचे. वहां हमें इस नाम की कोई कम्पनी नहीं मिली बल्कि किसी अन्य कंपनी का दफ्तर वहां खुल चुका था. इसके अलावा गूगल पर दिल्ली की टॉप 20 वेडिंग प्लानर कंपनी खोजने पर आश्चर्यजनक रूप से 13 कंपनियों पर closed, temporarily closed और closes soon लिखा मिलता है. यह शादियों के बाजार पर पड़े कोरोना की मार की भयावह तस्वीर है.
शादी कार्ड कारोबार
शादियों से जुड़ा एक अहम कारोबार है कार्ड छपवाने का. पुरानी दिल्ली के चावड़ी बाजार इलाके में शादी के कार्ड का बड़ा बाजार है. यहां लगभग 3000 छोटी-बड़ी शादी कार्ड बनाने की दुकाने हैं. लेकिन लॉकडाउन में शादी-ब्याह पर लगे प्रतिबंध के चलते यह कारोबार बुरी तरह से ठप हो गया है. जब किसी को बुलाना ही नहीं है तो शादी के कार्ड किसके लिए छपेंगे. लिहाजा कोई कार्ड नहीं छपवा रहा है. साथ ही अब लोग ऑनलाइन कार्ड बनवा कर वाट्सएप ग्रुप बनाकर सबको निमंत्रण भेज दे रहे हैं.
भगवती मार्केट, चावड़ी बाजार में ‘वेडिंगकार्ड4यू’ के मालिक हिमांशु शर्मा ने कार्ड मार्केट की जर्जर हालत के बारे में हमें विस्तार से बताया.
हिमांशु कहते हैं, “हमारी मार्केट 6 महीने से बिल्कुल बंद है . छोटे दुकानदारों ने या तो दुकान बेच दी है या बंद कर दी है. यहां ज्यादातर होलसेलर हैं, इनसे गांवों में लोग माल ले जाते थे. पर अब सब बंद है तो जब पैसा आ ही नहीं रहा. लिहाजा लोगों को अपनी दुकानों का किराया तक चुकाना मुश्किल हो रहा है. कुछ बड़ी दुकानें खुल रही हैं. बाकि कुछ छोटे रिटेलर ने तो अपनी दुकाने बंद करके जूस की दुकानें शुरू कर दी हैं.”
हिमांशु आगे बताते हैं, “जिसके पास पैसा था वो तो फिलहाल दूसरे काम में लग गए हैं. हम ऑर्डर पर हाई एंड वेडिंग डिब्बे बनाते थे, जिनमें लोग काजू, बादाम रखकर शादी कार्ड देते हैं और पूरे देश में सप्लाई करते थे. ये काम तो 6 महीने से बिल्कुल ही ठप हो गया है. पिछले 6 महीने में सिर्फ 35 बॉक्स के ऑर्डर आए हैं. जबकि पहले प्रतिमाह 200-300 बॉक्स के ऑर्डर आ जाते थे. शादियों के सीजन में ये आंकड़ा 1000 तक पहुंच जाता था. इस कारण हमने भी खिलौनों का नया काम शुरू किया है.”
“यहां किराया भी काफी ज्यादा है. 15 हजार से लेकर 60-70 हजार महीने तक. जबकि मेन रोड की दुकानें 50 हजार से ढाई लाख रूपए तक किराए पर हैं. हमारी तो अपनी दुकान है, लेकिन जिसकी अपनी नहीं है वे कहां से किराया देंगे, मजबूरन उन्होंने बंद कर दी. कुछ हद तक हमारा काम व्हाटसएप ने प्रभावित किया था, अब कोविड ने उसे बिल्कुल ही खत्म कर दिया, ”हिमांशु ने कहा.
चावड़ी बाजार रोड स्थित लोहा भवन में 15 साल से यह काम कर रहे मित्तल कार्ड गैलरी के मालिक अनुभव मित्तल ने हमें बताया, “हमारा धंधा जीरो हो गया है. सेविंग से काम चला रहे हैं. आगे नवरात्र के बाद पता चलेगा कि कुछ होगा या नहीं.”
मैरिज हॉल पर प्रभाव
बसंत कुंज स्थित “एंड बैंक्वेट हॉल” के संचालक प्रवीण ने सुनसान पड़े बैंक्वेट हॉल का हवाला देते हुए कहा कोविड के कारण स्थिति खराब हो गई है. सारे बैंक्वेट हॉल बंद हैं. फ्लाइट बंद होने से गेस्ट रूम का बिजनेस भी बंद है. फिर सरकार की गाइडगाइन भी मुश्किल हैं, जो फॉलो करनी हैं. अब तो हम स्वीगी, जौमेटो के जरिए ऑनलाइन फूड बेचकर काम चला रहे हैं. पहले ऑफ सीजन में छोटी-मोटी रिंग सेरेमनी या बर्थडे पार्टी की बुकिंग आ जाती थी अब वह भी नहीं आती.”
रेडियंस मोटल, अंसल विला दिल्ली स्थित बैंक्वेट हॉल में जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हॉल तो बंद पड़ा था. अभी 19 अगस्त को आई गाइडलाइन के बाद खुला है, 5 महीने बाद. अभी कुछ कहने की स्थिति नहीं है. इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया.
हमने छतरपुर स्थित कई बैंक्वेट हॉल मालिकों से बात की. सबकी एक ही कहानी है. गूगल पर दिल्ली के 20 टॉप बैंक्वेट हॉल की लिस्ट में 9 अस्थायी क्लोज़ दिख रहे हैं.
शादी टेंट
शादियों के मौसम में कोरोना के प्रकोप ने टेंट वालों का व्यापार भी चौपट कर दिया है. खान मार्केट स्थित मलिक टेंट के मालिक रवि मलिक ने हमें बताया, “फिलहाल हमारा काम बिल्कुल बंद पड़ा है. अभी किसी फंक्शन की बुकिंग नहीं है. जो मई-जून की बुकिंग थीं वह नवंबर-दिसम्बर में चली गई हैं. ये सीजन तो पूरा ऐसे ही चला गया. अगर थोड़ा कोरोना कम हो जाए तो फिर नवंबर में काम चलने की उम्मीद है. और सब टेंट वालों की हालत यही है.”
वर्क्स और लेबर के सवाल पर 35 वर्षों से यह काम कर रहे रवि कहते हैं, “15-20 लोग अभी भी हैं, उनकी हम सैलरी दे रहे हैं. बाकि कुछ गांव जा चुके हैं. पहले कुल 60-70 वर्कर थे. क्योंकि हम बाहर विदेशों में भी काम कर चुके हैं. सरकार जिस तरह से इजाजत देगी उसी तरह हम काम करेंगे. बाकि अभी सबकी हालत खराब है, लेकिन थोड़ी हिम्मत तो करनी पड़ेगी.”
देशव्यापी तालाबंदी की सबसे बड़ी मार असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर ही पड़ी है. शादी बाजार भी एक ऐसा ही क्षेत्र है जिसमें काम करने वाले अधिकतर लोग अनौपचारिक होते हैं. संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अप्रैल में जारी रिपोर्ट में पहले ही चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी के कुचक्र में फंस सकते हैं. मौजूदा हालात में लगता है कि संयुक्त राष्ट्र की यह चेतावनी सच हो रही है.
Also Read: कोरोना: महामारी को धर्म से जोड़ने का इतिहास
Also Read: फिल्मी कारोबार को लगा कोरोना का टोना
भारत में अप्रैल-मई का समय शादियों का होता है. इस दौरान बड़े पैमाने पर शानो-शौकत के साथ शादियां होती हैं. भारतीय शादी का जश्न कई समुदायों में हफ्तों तक चलता है. इसके इर्द-गिर्द एक लंबी-चौड़ी अर्थव्यवस्था काम करती है, मसलन हलवाई, कैटरर्स, टेंट, लाइट, शादी के कार्ड, ज्वैलर्स, बैंक्वेट हॉल आदि. भारतीय शादियों में मोटा खर्च, मेहमानों की लंबी सूची, कई दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम और सैकड़ों तरह के पकवान के कारण यहां की 'बिग फैट इंडियन वेडिंग' दुनिया भर में मशहूर हैं.
भारतीय शादियों में औसतन 5 लाख से लेकर 5 करोड़ तक की रकम खर्च होती है. एक अनुमान के मुताबिक, देश में हर साल लगभग एक करोड़ शादियां होती हैं और इनका सालाना बाजार लगभग एक लाख करोड़ रुपए का है. भारत को, अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे महंगा और बड़ा वेडिंग मार्केट माना जाता है. रीसर्च संस्था केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन वेडिंग इंडस्ट्री का साइज 40-50 बिलियन डॉलर यानि लगभग 3 लाख करोड़ करोड़ रुपए का है.औरअमेरिका का वेडिंग मार्केट एसका लगभग दोगुना यानि 70 बिलियन डॉलर के आसपास है.
विशेषज्ञों का मानना है कि शादी ऐसा अवसर होता है जब आमतौर पर मितव्ययी स्वभाव वाला आम भारतीय बजट को लेकर ज्यादा परवाह नहीं करता और खुलेहाथ से खर्च करता है. एक साधारण शादी में भी यहां 800-1000 मेहमान शरीक होते हैं. अगर हाई-प्रोफाइल शादियों की बात हो तो ये आंकड़ा दस हजार तक भी पहुंच जाता है.
जाहिर है इतने महत्वपूर्ण अवसर के चलते इससे जुड़ा एक लंबा-चौड़ा बाजार भी है. इसमें लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए हैं. हालांकि इस उद्योग का ज्यादातर हिस्सा अभी भी असंगठित क्षेत्र में आता है. शादियों का मौसम इससे जुड़े लोगों के लिए अच्छी कमाई का मौसम होता हैऔर ये इसमें पूरी तरह व्यस्त रहते हैं.
तकनीक के विस्तार के चलते अब शादियों के व्यापार में ऑनलाइन कंपनियां भी शामिल हो गई हैं. इनमें जोड़े मिलाने वालों से लेकर शादी के तमाम आयोजन करने वाली ईवेंट मैनेजमेंट कंपनियां मैदान में कूद पड़ी हैं. लेकिन साल 2020 इन सबके लिए बहुत बुरा साबित हुआ है. ऐन शादियों का सीजन शुरू होने से पहले दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस ने बाकी उद्योग धंधों की तरह ही शादियों के सीज़न को भी बर्बाद कर दिया. इस उद्योग से जुड़े लोगों की हालात देशव्यापी तालाबंदी ने खस्ता कर दी है.
लॉकडाउन के चलते तमाम किस्म के प्रतिबंध लगाए गए थे जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के जुटने, उत्सव और आयोजन से बचने की सलाह थी. इसके मद्देनज़र लोगों ने अप्रैल-मई-जून-जुलाई में होने प्रस्तावित हजारों शादियों को नवंबर-दिसबंर या फिर अगले साल के लिए टाल दिया. जिससे इनका कारोबार लगभग चौपट हो चुका है. कुछ लोगों ने इस व्यापार से अपने हाथ भी खींच लिए हैं.और लाखों लोग आजीविका चलाने के लिए जबरदस्त संघर्ष से दो-चार हैं. इससे जुड़े लोग लॉकडाउन की सरकारी नीतियों को इस दुर्दशाके लिए जिम्मेदार मानते हैं.
अनलॉक के बाद गृह मंत्रालय ने कुछ दिशा-निर्देशों के अनुसार शादी समारोह करने की इजाजत जरूर दी लेकिन उसके नियम इतने कड़े थे कि लोगों ने अपनी शादियां आगे टालना ही मुनासिब समझा. गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान शादी समारोह में 50 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो पाएंगे. यानी वर और वधू पक्ष दोनों की तरफ से 25-25 लोग ही शादी में हिस्सा ले सकते हैं. जो शादी के बिजनेस को रिकवर करने के लिए अपर्याप्त है.
लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि भारतीय शादी बाजार एक बार फिर वापस पटरी पर लौट आएगा. लेकिन उससे पहले इसे उबारने के लिए सरकार को भी आगे आकर मदद करनी होगी. हमने इस कारोबार से जुड़े लगों से इसकी मौजूदा स्थिति का आकलन करने की कोशिश की.
वेडिंग प्लानर कंपनी पर कोरोना का असर
दिल्ली की मशहूर वेडिंग प्लानर कंपनी है “राशी एंटरटेंनमेंट”. इसके डायरेक्टर राजीव जैन से हमारी मुलाकात ग्रेटर कैलाश स्थित उनके घर पर हुई. राजीव जैन ने हमें बताया, “भारतीय शादी बाजार दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा शादियों का बाजार है. इसमें लगभग एक करोड़ लोग काम करते हैं. इनमें 35 प्रतिशत महिलाएं भी हैं. यह लगभग 3 लाख करोड़ प्रतिवर्ष के आस-पास है. पिछले 6 सालों में इस बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. हम देश ही नहीं पूरी दुनिया जैसे दुबई, अबुधाबी वगैरह में भी शादी का आयोजन कराते हैं. मैं महीने में दो बार विदेश जाता था. लेकिन पिछले 5 महीने से घर बैठा हूं.”
राजीव के मुताबिक पूरी दुनिया में कोरोना के असर को देखते हुए अब उनकी कंपनी ने अपना ध्यान भारत में ही केंद्रित करने का फैसला किया है. वो कहते हैं, “यहां भी काफी अच्छे शादी केस्पॉट हैं.”
राजीव आगे बताते हैं, “लॉकडाउन से इस बाजार को भारी नुकसान हो गया है. मेरी अपनी जानकारी है कि इस बिजनेस में लगी करीब 50 फीसदी कम्पनियां बंद हो चुकी हैं. हमारा धंधा भी कुछ महीने के लिए एकदम शून्य हो गया. इस माहौल में हम अपनी सेविंग और एफडी तोड़कर काम चला रहे हैं. छोटे कर्मचारी सबसे ज्यादा संकट में हैं. हम फिलहाल सोमवार, बुधवार और शुक्रवार तीन दिन ही अपना ऑफिस खोलते हैं. स्टाफ को 70 प्रतिशत सैलरी दे रहे हैं. जैसे-तैसे मैनेज कर रहे हैं. ड्राइवर को भी नहीं निकाला है. मुश्किल वक्त में कैसे इन्हें छोड़ दूं.”
“हमारे इवेंट एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन ने 306 पेज की एक एसओपी स्टेट मिनिस्टर सत्यानंद राय और बाकी अथॉरिटी के पास भेजी है. हमने कहा है कि हम पूरे प्रीकॉशन चाहे सोशल डिस्टेंसिंग हो, सैनेटाइजेशन हो या कुछ और, सबका पालन करते हुए अपना काम करेंगे. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. केंद्र सरकार ने कहा है कि अब 100 लोग शामिल हो सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार कह रही है कि हम स्थिति देखने के बाद इस पर फैसला लेंगे. सरकार हमारे ऊपर ध्यान दे,”राजीव ने कहा.
अंत में राजीव कहते हैं, “बाकि सब कुछ अभी होल्ड कर दिया है. नवंबर-दिसम्बर में उम्मीद है कि बिजनेस सुधरेगा. लेकिन तब तक बहुत से लोग भारी संकट में रहेंगे. इनके लिए सरकार को आगे आना पड़ेगा. और अगर ये नहीं हुआ तो लोग कोविड की जगह भूख से मर जाएंगे.”
राजीव की 50 प्रतिशत कंपनी बंद होने की बात हमें तब सही साबित होती नजर आई जब हम ग्रेटर कैलाश-2 में ही एक अन्य वेडिंग प्लानर कंपनी “एल्योर इवेंट” के दफ्तर में पहुंचे. वहां हमें इस नाम की कोई कम्पनी नहीं मिली बल्कि किसी अन्य कंपनी का दफ्तर वहां खुल चुका था. इसके अलावा गूगल पर दिल्ली की टॉप 20 वेडिंग प्लानर कंपनी खोजने पर आश्चर्यजनक रूप से 13 कंपनियों पर closed, temporarily closed और closes soon लिखा मिलता है. यह शादियों के बाजार पर पड़े कोरोना की मार की भयावह तस्वीर है.
शादी कार्ड कारोबार
शादियों से जुड़ा एक अहम कारोबार है कार्ड छपवाने का. पुरानी दिल्ली के चावड़ी बाजार इलाके में शादी के कार्ड का बड़ा बाजार है. यहां लगभग 3000 छोटी-बड़ी शादी कार्ड बनाने की दुकाने हैं. लेकिन लॉकडाउन में शादी-ब्याह पर लगे प्रतिबंध के चलते यह कारोबार बुरी तरह से ठप हो गया है. जब किसी को बुलाना ही नहीं है तो शादी के कार्ड किसके लिए छपेंगे. लिहाजा कोई कार्ड नहीं छपवा रहा है. साथ ही अब लोग ऑनलाइन कार्ड बनवा कर वाट्सएप ग्रुप बनाकर सबको निमंत्रण भेज दे रहे हैं.
भगवती मार्केट, चावड़ी बाजार में ‘वेडिंगकार्ड4यू’ के मालिक हिमांशु शर्मा ने कार्ड मार्केट की जर्जर हालत के बारे में हमें विस्तार से बताया.
हिमांशु कहते हैं, “हमारी मार्केट 6 महीने से बिल्कुल बंद है . छोटे दुकानदारों ने या तो दुकान बेच दी है या बंद कर दी है. यहां ज्यादातर होलसेलर हैं, इनसे गांवों में लोग माल ले जाते थे. पर अब सब बंद है तो जब पैसा आ ही नहीं रहा. लिहाजा लोगों को अपनी दुकानों का किराया तक चुकाना मुश्किल हो रहा है. कुछ बड़ी दुकानें खुल रही हैं. बाकि कुछ छोटे रिटेलर ने तो अपनी दुकाने बंद करके जूस की दुकानें शुरू कर दी हैं.”
हिमांशु आगे बताते हैं, “जिसके पास पैसा था वो तो फिलहाल दूसरे काम में लग गए हैं. हम ऑर्डर पर हाई एंड वेडिंग डिब्बे बनाते थे, जिनमें लोग काजू, बादाम रखकर शादी कार्ड देते हैं और पूरे देश में सप्लाई करते थे. ये काम तो 6 महीने से बिल्कुल ही ठप हो गया है. पिछले 6 महीने में सिर्फ 35 बॉक्स के ऑर्डर आए हैं. जबकि पहले प्रतिमाह 200-300 बॉक्स के ऑर्डर आ जाते थे. शादियों के सीजन में ये आंकड़ा 1000 तक पहुंच जाता था. इस कारण हमने भी खिलौनों का नया काम शुरू किया है.”
“यहां किराया भी काफी ज्यादा है. 15 हजार से लेकर 60-70 हजार महीने तक. जबकि मेन रोड की दुकानें 50 हजार से ढाई लाख रूपए तक किराए पर हैं. हमारी तो अपनी दुकान है, लेकिन जिसकी अपनी नहीं है वे कहां से किराया देंगे, मजबूरन उन्होंने बंद कर दी. कुछ हद तक हमारा काम व्हाटसएप ने प्रभावित किया था, अब कोविड ने उसे बिल्कुल ही खत्म कर दिया, ”हिमांशु ने कहा.
चावड़ी बाजार रोड स्थित लोहा भवन में 15 साल से यह काम कर रहे मित्तल कार्ड गैलरी के मालिक अनुभव मित्तल ने हमें बताया, “हमारा धंधा जीरो हो गया है. सेविंग से काम चला रहे हैं. आगे नवरात्र के बाद पता चलेगा कि कुछ होगा या नहीं.”
मैरिज हॉल पर प्रभाव
बसंत कुंज स्थित “एंड बैंक्वेट हॉल” के संचालक प्रवीण ने सुनसान पड़े बैंक्वेट हॉल का हवाला देते हुए कहा कोविड के कारण स्थिति खराब हो गई है. सारे बैंक्वेट हॉल बंद हैं. फ्लाइट बंद होने से गेस्ट रूम का बिजनेस भी बंद है. फिर सरकार की गाइडगाइन भी मुश्किल हैं, जो फॉलो करनी हैं. अब तो हम स्वीगी, जौमेटो के जरिए ऑनलाइन फूड बेचकर काम चला रहे हैं. पहले ऑफ सीजन में छोटी-मोटी रिंग सेरेमनी या बर्थडे पार्टी की बुकिंग आ जाती थी अब वह भी नहीं आती.”
रेडियंस मोटल, अंसल विला दिल्ली स्थित बैंक्वेट हॉल में जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हॉल तो बंद पड़ा था. अभी 19 अगस्त को आई गाइडलाइन के बाद खुला है, 5 महीने बाद. अभी कुछ कहने की स्थिति नहीं है. इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया.
हमने छतरपुर स्थित कई बैंक्वेट हॉल मालिकों से बात की. सबकी एक ही कहानी है. गूगल पर दिल्ली के 20 टॉप बैंक्वेट हॉल की लिस्ट में 9 अस्थायी क्लोज़ दिख रहे हैं.
शादी टेंट
शादियों के मौसम में कोरोना के प्रकोप ने टेंट वालों का व्यापार भी चौपट कर दिया है. खान मार्केट स्थित मलिक टेंट के मालिक रवि मलिक ने हमें बताया, “फिलहाल हमारा काम बिल्कुल बंद पड़ा है. अभी किसी फंक्शन की बुकिंग नहीं है. जो मई-जून की बुकिंग थीं वह नवंबर-दिसम्बर में चली गई हैं. ये सीजन तो पूरा ऐसे ही चला गया. अगर थोड़ा कोरोना कम हो जाए तो फिर नवंबर में काम चलने की उम्मीद है. और सब टेंट वालों की हालत यही है.”
वर्क्स और लेबर के सवाल पर 35 वर्षों से यह काम कर रहे रवि कहते हैं, “15-20 लोग अभी भी हैं, उनकी हम सैलरी दे रहे हैं. बाकि कुछ गांव जा चुके हैं. पहले कुल 60-70 वर्कर थे. क्योंकि हम बाहर विदेशों में भी काम कर चुके हैं. सरकार जिस तरह से इजाजत देगी उसी तरह हम काम करेंगे. बाकि अभी सबकी हालत खराब है, लेकिन थोड़ी हिम्मत तो करनी पड़ेगी.”
देशव्यापी तालाबंदी की सबसे बड़ी मार असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर ही पड़ी है. शादी बाजार भी एक ऐसा ही क्षेत्र है जिसमें काम करने वाले अधिकतर लोग अनौपचारिक होते हैं. संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अप्रैल में जारी रिपोर्ट में पहले ही चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी के कुचक्र में फंस सकते हैं. मौजूदा हालात में लगता है कि संयुक्त राष्ट्र की यह चेतावनी सच हो रही है.
Also Read: कोरोना: महामारी को धर्म से जोड़ने का इतिहास
Also Read: फिल्मी कारोबार को लगा कोरोना का टोना
Also Read
-
Hafta X South Central: Highs & lows of media in 2025, influencers in news, Arnab’s ‘turnaround’
-
2025 Rewind: TV Newsance Behind the Scenes Fun!
-
Is India’s environment minister lying about the new definition of the Aravallis?
-
How we broke the voter roll story before it became a national conversation
-
Hafta Letters: ‘Pointless’ Nikhil Kamath article, love for Dhanya and improving AQI