Newslaundry Hindi
नवभारत टाइम्स की उलटबांसी: बीजेपी को बचाने के फेर में ख़बर को बदल दिया
शुक्रवार को नवभारत टाइम्स (एनबीटी) डिजिटल की एक ख़बर सोशल मीडिया पर खूब साझा हुई. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह समेत कांग्रेस और सपा के कई नेताओं ने इस ख़बर को साझा किया. मेरठ से आई इस ख़बर का शीर्षक था- ‘बीजेपी नेता छपवा रहा था NCERT की ‘नकली किताबें’, 35 करोड़ का माल बरामद’.
21 अगस्त को प्रकाशित इस ख़बर का ब्लर्ब था- ‘मेरठ के बीजेपी नेता के प्रिंटिंग प्रेस में एनसीईआरटी की नकली किताबों की छपाई धड़ल्ले से चल रही थी. इस मामले की जानकारी आर्मी इंटेलिजेंस की ओर से दी गई.’
लेकिन 22 अगस्त को इस ख़बर का शीर्षक, ब्लार्ब और लगे हाथ अंदर की पूरी ख़बर में भी आमूलचूल बदलाव कर दिया गया. ख़बर के शीर्षक से लेकर अंदर तक बीजेपी का जिक्र हर जगह से हटा दिया गया. अब यहब ख़बर एनबीटी के पाठकों के लिए नए शीर्षक- ‘STF छापे में NCERT की 35 करोड़ की किताबें बरामद, 1 दर्जन हिरासत में.’ कर दिया गया.
पुरानी खबर के ब्लर्ब में बीजेपी नेता के प्रिंटिंग प्रेस में नकली किताबें छापने का जिक्र था, जबकी बदली हुई ख़बर में लिखा गया- ‘मेरठ में एक प्रिंटिंग प्रेस में एनसीईआरटी की किताबों की अवैध छपाई का काम धड़ल्ले से चल रहा था. इस मामले की जानकारी आर्मी इंटेलिजेंस की ओर से दी गई थी. इसके बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम ने छापा मारा और 35 करोड़ की किताबें बरामद की.’
यानी यहां से भी ‘बीजेपी नेता’ को गायब कर दिया गया. वेबसाइट पर यह खबर हिमांशु तिवारी के नाम से दिख रही है.
सिर्फ शीर्षक या ब्लर्ब से ही नहीं पूरी ख़बर से बीजेपी शब्द गायब
सिर्फ ख़बर के शीर्षक और इंट्रो से ही ‘बीजेपी नेता’ सब नहीं हटाया गया बल्कि पूरी ख़बर से ही हटा दिया गया. 21 अगस्त को ख़बर की शुरुआत कुछ यूं की गई थी-
‘उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त छापेमारी में 35 करोड़ रुपये की एनसीआरटी की किताबें मिली हैं. ये किताबें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रिंटिंग प्रेस में छापी जा रही थीं. इस कार्रवाई के दौरान 6 प्रिटिंग मशीनें भी मिली हैं. आरोप है कि बीजेपी नेता एनसीईआरटी की नकली किताबों की छपाई करता था. इसके साथ ही मेरठ से इन किताबों की सप्लाई कई दूसरे राज्यों जैसे उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान में हो रही थी. इसके अलावा यूपी के कई जिलों में भी ये नकली किताबें भेजी जा रही थीं.’
22 अगस्त को ख़बर की शुरुआत को बदल दिया गया. अब ये कुछ यूं उपलब्ध है-
‘उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त छापेमारी में 35 करोड़ रुपये की एनसीईआरटी की किताबें मिली हैं. ये किताबें एक प्रिंटिंग प्रेस में अवैध तरीके से छापी जा रही थीं. इस कार्रवाई के दौरान 6 प्रिटिंग मशीनें भी जब्त की गई हैं. बताया जा रहा है कि मेरठ से इन किताबों की सप्लाई कई दूसरे राज्यों जैसे उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान में हो रही थी. इसके अलावा यूपी के कई जिलों में भी ये किताबें भेजी जा रही थीं.’
यानी ख़बर से ही बीजेपी नेता का जिक्र पूरी तरह हटा दिया गया. यही नहीं आगे भी कुछ ऐसा ही बदलाव देखने को मिला. एनबीटी, 21 अगस्त की प्रकाशित अपनी ख़बर के आखिरी में लिखता है,
और नजरों के सामने से निकल गया आरोपी
‘जब प्रिंटिंग प्रेस में सीओ और एसटीएफ ने छापेमारी की उस दौरान वहां पर बीजेपी नेता और प्रिटिंग प्रेस का मालिक मौजूद था. वह बीजेपी का झंडा लगी क्रेटा गाड़ी में बैठकर बड़े इत्मिनान से फरार हो गया. बीजेपी का झंडा लगा होने के कारण पुलिस ने भी कार को रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई. यह प्रिटिंग प्रेस थाना परतापुर के गगोल के काशी गांव में चल रहा था.’
22 अगस्त को जब ख़बर में बदलाव किया गया तो इस पूरे हिस्से को ही ख़बर से हटा दिया गया.
हैरानी की बात है कि खबर में इतने बदलाव किए गए, लेकिन कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि इस ख़बर में बदलाव किया जा रहा है या अमुख कारणों से इस ख़बर को बदला गया है. जाहिर है यह पाठकों से ज्यादा एक राजनीतिक दल से घनिष्ठता और स्वामिभक्ति का मसला है.
न्यूजलॉन्ड्री ने एनबीटी ऑनलाइन के संपादक आलोक कुमार से इस बदलाव की बाबत जानकारी मांगी. उन्होंने ख़बर में बदलाव का कारण बताते हुए कहा, “दरअसल इस खबर में तथ्यात्मक त्रुटि थी जिस रिपोर्टर ने ख़बर भेजी थी उसने कहीं भी भाजपा नेता का नाम नहीं लिखा, हेडिंग के हिसाब से रिपोर्टर को ख़बर ओन करना चाहिए, क्रेटा गाड़ी में कमल के फूल का झंडा लगा था, इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं थी जिससे हम पहले की हेडिंग को जस्टिफाई कर सकें. इसलिए संपादन की आवश्यकता पड़ी.’’
क्या ख़बर में किए गए बदलाव की जानकारी पाठकों को दी गई या कोई स्पष्टीकरण एनबीटी ने जारी किया. इस सवाल का आलोक कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया.
क्या है मामला?
मेरठ में एनसीईआरटी की नकली किताबों की छपाई का शुक्रवार को एसटीएफ और स्थानीय पुलिस ने खुलासा किया था. पुलिस ने इसको लेकर छापेमारी की और लगभग 35 करोड़ की नकली किताबें बरामद की. पुलिस जब इस मामले में छापेमारी कर रही थी तो प्रिंटिंग प्रेस में आग लगाकर सबूत मिटाने की भी कोशिश की गई.
हिंदुस्तान अख़बार के अनुसार, ‘‘एनसीईआरटी की सरकारी किताबें फुटकर विक्रेताओं को 15 प्रतिशत कमिशन पर मिलती है. इसकी छपाई दिल्ली के अलावा कहीं और नहीं है. असली के लिए फुटकर विक्रेताओं को पूरी रकम एडवांस जमा करानी होती है. डुप्लीकेट किताबें 30 प्रतिशत कमीशन पर मिल जाती है. इस गिरोह से थोक और फुटकर विक्रेता भी मिले होते है.’’
एनबीटी ने भले ही अपनी ख़बर से बीजेपी नेता का जिक्र हटा दिया हो, लेकिन मेरठ के स्थानीय अख़बारों और कई वेबसाइट पर इस इस पूरी जालसाज़ी के पीछे बीजेपी के करीबी नेताओं के जुड़े होने का जिक्र है.
हिंदुस्तान हिंदी के मेरठ एडिशन ने छापा है- ‘‘एनसीईआरटी की डुप्लीकेट किताबें छापने का मास्टरमाइंड सचिन गुप्ता है. वह भाजपा नेता संजीव गुप्ता का बेटा है. प्रिंटिंग प्रेस में एसटीएफ को एक होर्डिंग मिला है. इसमें संजीव गुप्ता को भाजपा का महानगर उपाध्यक्ष बताया गया है. होर्डिंग पर भाजपा महानगर अध्यक्ष समेत कई जन प्रतिनिधियों के फोटो छपे है. पुलिस को यह भी सूचना मिली है कि सचिन पूर्व में यूपी बोर्ड की किताबें छाप चुका है.’’
दैनिक जागरण ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है, ‘‘एसटीएफ और परतापुर पुलिस ने अवैध तरीके से किताबें छापकर बाजार में बेचने वाले बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है. संयुक्त टीम ने शुक्रवार को परतापुर स्थित अछरोड़ा में सचिन गुप्ता के गोदाम और भाजपा के महानगर उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता की प्रिंटिंग प्रेस में छापा मारा. दोनों स्थानों से भारी मात्रा में एनसीईआरटी, एनसीईएलटी, निजी प्रकाशकों के नाम से किताबें, प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें और प्रिंटिंग प्रेस की छह आधुनिक मशीनें बरामद की.’’
अमर उजाला ने भी अपनी खबर में बताया कि भाजपा नेता के गोदाम में छपती थी एनसीईआरटी की फर्जी किताबें, ऐसे हुआ पर्दाफ़ाश, देखें तस्वीरें.
सचिन गुप्ता और बाकी अन्य लोगों के खिलाफ परतापुर थाने में एसटीएफ के सब इंस्पेक्टर ने मुकदमा दर्ज कराया है. उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस कोशिश कर रही है. वहीं बीजेपी ने संजीव गुप्ता को पार्टी के समस्त दायित्व से तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए पार्टी से निकाल दिया है.
Also Read
-
Long hours, low earnings, paying to work: The brutal life of an Urban Company beautician
-
Why are tribal students dropping out after primary school?
-
TV Newsance 304: Anchors add spin to bland diplomacy and the Kanwar Yatra outrage
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
July 7, 2025: The petrol pumps at the centre of fuel ban backlash