Newslaundry Hindi
जया जेटली भी तहलका कांड में दोषी करार
शनिवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने साल 2001 में सामने रक्षा सौदों के भ्रष्टाचार के मामले में समता पार्टी (वर्तमान जनता दल यूनाइटेड) की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली, मेजर जनरल एसपी मुरगई (रिटायर्ड) और गोपाल पचेरवाल को दोषी करार दिया है. इनकी सज़ा का निर्णय कोर्ट 29 जुलाई को करेगी.
दिल्ली स्थित राऊज एवेन्यू कोर्ट में स्पेशल जज वीरेंद्र भट्ट ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस मामले की अंतिम सुनवाई की. जज ने अपने फैसले में लिखा कि तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120B (अपराध के साजिश शामिल होने) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 की धारा 9 के तहत दोषी पाया गया है.
क्या है पूरा मामला
साल 2001 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एनडीए ) की सरकार थी. उस वक्त मशहूर खोजी संस्था तहलका द्वारा एक छद्म हथियार विक्रेता कंपनी वेस्ट एन्ड के जरिये बड़ी संख्या में सेना के अधिकारियों और राजनेताओं का स्टिंग ऑपरेशन किया गया था. यह स्टिंग ऑपरेशन सेना के लिए हथियारों की खरीद फरोख्त में होने वाली घूसखोरी और कमीशनखोरी को सामने लाने के मकसद से किया गया था. इस स्टिंग ऑपरेशन ने पूरे देश में तहलका मचा दिया. इसके जारी होने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नान्डिस को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2001 में तहलका के तत्कालीन संपादक तरुण तेजपाल ने आठ महीनों तक चले अपने स्टिंग ऑपरेशन को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये सार्वजनिक किया था.
इस स्टिंग में तहलका के कुछ पत्रकार गुप्त कैमरे के साथ हथियारों के व्यापारी बनकर सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण, समता पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष जय जेटली से मिले थे. इस स्टिंग में ये तमाम नेता और अधिकारी हथियारों की एक छद्म डील के लिए घूस लेते हुए दिखे थे.
मामला सीबीआई के पास
तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने रक्षा सौदे में सामने आई इस धांधली की जांच के लिए दो आयोगों का गठन किया, लेकिन 2004 में जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.
आजतक की एक खबर के अनुसार साल 2001 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने इसकी जांच के लिए वेंकटस्वामी आयोग बनाया. हालांकि जनवरी 2003 में जस्टिस के वेंकटस्वामी ने आयोग से इस्तीफा दे दिया.
के वेंकटस्वामी के इस्तीफा के बाद 2003 में ही जस्टिस एसएन फूकन आयोग बना. इस आयोग ने पहली रिपोर्ट में जॉर्ज फर्नाडिस को क्लीन चिट दी, लेकिन आयोग की अंतिम रिपोर्ट से पहले ही साल 2004 में सरकार बदल गई और सत्ता में लौटी मनमोहन सिंह की सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया.
जागरण की खबर के अनुसार मामला सीबीआई के पास जाने के बाद 2004 में केंद्र सरकार के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के अतिरिक्त सचिव ने सीबीआई में एक एफआईआर दर्ज कराया. दो साल बाद 18 जुलाई 2006 को सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दायर किया.
2006 में दायर चार्जशीट के अनुसार जया जेटली ने 2000-01 में एसपी मुरगई, सुरेंद्र कुमार सुरेखा और पचेरवाल के साथ मिलकर साजिश रची थी. इन्होंने खुद या किसी अन्य व्यक्ति के लिए दो लाख रुपये की रिश्वत ली जो काल्पनिक फर्म मेसर्स वेस्ट एन्ड इंटरनेशनल लंदन के प्रतिनिधि मैथ्यू सैमुअल ने दी थी. असल में मैथ्यू सैमुअल तहलका के ही पत्रकार थे. तब जया जेटली समता पार्टी की अध्यक्ष थीं.
वहीं इस मामले में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण 27 अप्रैल, 2012 दोषी साबित हो चुके हैं. उन्हें 4 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. वहीं इनके पूर्व निजी सचिव टी सत्यमूर्ति सरकारी गवाह बन गए तो उन्हें बरी कर दिया गया था.
सेना के अधिकारी रहे एसपी मुरगई को इसी मामले में बीते साल तीन साल की सज़ा हो चुकी है.
Also Read
-
Encroachment menace in Bengaluru locality leaves pavements unusable for pedestrians
-
Lucknow’s double life: UP’s cleanest city rank, but filthy neighbourhoods
-
Delays, poor crowd control: How the Karur tragedy unfolded
-
‘If service valuable, why pay so low?’: 5,000 MCD workers protest for permanent jobs, equal pay, leaves
-
Tata Harrier EV review: Could it be better than itself?