Newslaundry Hindi
क्या बाढ़ में डूबा हुआ असम ही इसकी सच्चाई है?
वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के फैलाव से जनजीवन बेतरह प्रभावित हुआ है, बड़ी मात्रा में लोगों ने अपनी जान गंवाई है. भारत भी इसी महामारी से जूझ रहा है, लड़ रहा है. लेकिन उत्तर पूर्वी भारत का असम राज्य इसी महामारी के बीच नई परेशानियों से घिर गया है. वह है सैलाब, बाढ़, भारी बारिश. इससे असम के लाखों लोगों के जीवन बद से बदतर हो गया हैं.
इस महामारी के दौरान सरकार लोगों को घरों में रहने के लिए प्रेरित कर रही है, 'सोशल डिस्टेंसिंग' जैसे नियमों का पालन करने को कह रही है. ऐसे में असम में आई बाढ़ ने लोगों को घर से बेघर कर दिया. लोग जान और माल से हाथ धो बैठे हैं. करीब 24 से 25 लाख लोग ऐसे हैं जो अब तक बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. लगभग 87 लोगों की मौत की ख़बर आ चुकी है. वही हज़ारों की तादाद में इंसान और जानवर लापता हैं.
हालांकि असम में बाढ़ का आना नया नहीं है. बारिश का मौसम शुरू होते ही असम से बाढ़ की ख़बर आना शुरू हो जाती है. आखिर क्यों हर साल असम में बाढ़ आती है? सरकार तो बदलती है लेकिन असम बाढ़ का मुद्दा जस का तस बना रहता है. क्यों?
बाढ़ की चपेट में क्यों आता है हर साल असम?
हर साल बाढ़ आती है, इसके बावजूद कुछ नहीं बदलता. इस साल हालत और ज़्यादा गंभीर बताएं जा रहे हैं. असम भारत का उत्तर पूर्वी राज्य में आता है जिसमें लगभग 33 ज़िले शामिल हैं. बाढ़ आने के कारणों को हम दो स्तर से देख सकते हैं. एक प्राकृतिक और दूसरा मानव-निर्मित.
प्राकृतिक स्तर पर हम नदी, बारिश और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों की बात करते हैं. और मानव निर्मित जो हम खुद निर्मित (पैदा) करते हैं जैसे बांध का बनाना और उसका टूट जाना, बेतरतीब शहरों का विस्तार, प्रकृति से खिलवाड़ आदि शामिल है. बढ़ते प्रदूषण और तापमान से हिमालयी ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं. जिससे नदियों का जल स्तर बढ़ रहा है. असम में बाढ़ आने का सबसे बड़ा कारण ब्रह्मपुत्र नदी है. यह नदी चीन, तिब्बत, भारत तथा बांग्लादेश से होकर बहती है. यह एक 'ट्रांसनेशनल रिवर' है. इसका एक लंबा इतिहास है.
आखिर क्यों असम बाढ़ प्रदेश बना हुआ है? हमें बाढ़ को समझने के लिए इस नदी को समझना होगा, उसके इतिहास को समझना होगा. क्योंकि इस नदी को लेकर 'जियो पालिटिक्स' होती रही है. हर साल दूसरे देशों से पानी छोड़ा जाता है जिससे बांध (तटबंध) टूट जाते हैं और बाढ़ आ जाती है. क्योंकि असम का उत्तरी हिस्सा भूटान और अरुणाचल प्रदेश से लगा हुआ है. दोनों ही पहाड़ी इलाके हैं. पूर्वी हिस्सा नागालैंड से मिलता है. पश्चिमी हिस्सा पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से मिलता है. असम का दक्षिणी हिस्सा त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम से मिलता है. इस असम में तिब्बत से निकलने वाली कई नदियां अरुणाचल प्रदेश आती हैं, जो बाढ़ लाती हैं. लेकिन हर बार यह मुद्दा वहीं रहता है. वही सवाल रहते हैं इसका स्थिर इलाज क्यों नहीं हो पाया है? सरकार बाढ़ को लेकर क्यों गंभीर नज़र नहीं आती. सरकार बाढ़ प्रभावितों का आंकलन कर ही रही होती है इतने में दूसरी बाढ़ आ जाती है. क्या हमें असम को एक बाढ़ प्रदेश के रूप में ही स्वीकार करना होगा?
मानव के साथ' वाइल्ड लाइफ' का भी बुरा हाल
असम की बाढ़ से ना सिर्फ इंसान मुश्किलों में हैं बल्कि वन्य जीवन भी बड़े स्तर पर प्रभावित हो रहा है. असम के 33 जिलों में से 24 जिले बाढ़ प्रभावित हैं. देश का महत्वपूर्ण 'नेशनल पार्क काजीरंगा' जो कि असम में है वह 85 फीसदी पानी में डूब चुका है. जानवर डूब रहें हैं. असम सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 10 गैंडों के साथ 100 के आसपास हिरणों की पानी में डूबने से मौत हो गई है. लोगों के बचाव में जुटे अधिकारियों के मुताबिक, प्रशासन पहले ही कोरोना संकट के चलते काफी दबाव में है. बाढ़ ने संकट को और बढ़ा दिया है. बाढ़ ने जंगल और रिहाइशी, दोनों इलाकों में मुसीबत पैदा की है. जानवर भी खासे परेशान हैं. डूबकर मर रहे हैं. उनको भी बचाया जाना ज़रूरी है.
लोगों के जीवन हुआ अस्त व्यस्त
असम में बाढ़ से जहां लोग मर रहे हैं वही बचे हुए लोगों के पास कुछ नहीं बचा है. घर और सामान्य ज़रूरत का सामान सब नष्ट हो गया है. असम एक पहाड़ी इलाक़ा है जहां ज़्यादातर लोग खेतीबाड़ी करते हैं. बाढ़ आने से खेत और फसल सब बर्बाद हो गई है. असम सरकार के अनुसार 50 हज़ार लोग प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बने 276 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं. कोरोना के इस संकट में कैसे 'सोशल डिस्टेंसिंग' का होना संभव होगा? वहीं 1 लाख हेक्टेयर भूमि की फसल भी बर्बाद हो गई है. लोगों का रोज़गार खत्म हो गया. भुखमरी का वायरस और फैल गया है.
हालांकि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी संस्थाएं काम कर रही है. ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी और बढ़ जाती है. सरकार कितनी चिंतित हैं और क्या-क्या योजना बना रही है इसकी जानकारी सबको होनी चाहिए. शिविरों में रुके हुए लोगों को कितनी सुविधाएं वक्त पर मिल पा रही है,यह बात पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए.
मीडिया की कवरेज से क्यों ओझल है असम बाढ़
बाढ़ से असम के हालात काफी गम्भीर हैं. लोग और जानवर मर रहे हैं, डूब रहे हैं. फ़सल और घर बर्बाद हो रहे हैं. लेकिन मुख्यधारा के मीडिया से असम की बाढ़ लगभग नदारद है. उससे जुड़े तमाम सवाल गायब हैं. यह वही असम है जिसको नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बहस का मुद्दा बनाया गया था. लेकिन बाढ़ के मामले में असम पर बात नहीं हो रही है.
हर साल असम में बाढ़ आती है लेकिन मुख्यधारा का मीडिया तमाम तरह के राजनीतिक, विभाजनकारी, हिन्दू और मुस्लिम जैसे मुद्दों में उलझा रहता है. मुख्यधारा मीडिया की कवरेज को देखें तो असम की खबरें बिल्कुल न के बराबर हैं.अखबार के पेज से असम गायब है. क्या असम के लोगों से सही संपर्क हो पा रहा है? यह सवाल मीडिया से गायब है इसका मुख्य कारण मीडिया का एक शहर और क्षेत्र विशेष में केंद्रित होना है.
Also Read
-
TV Newsance 307: Dhexit Dhamaka, Modiji’s monologue and the murder no one covered
-
Hype vs honesty: Why India’s real estate story is only half told – but fully sold
-
2006 Mumbai blasts: MCOCA approval was based on ‘oral info’, ‘non-application of mind’
-
4 decades, hundreds of ‘custody deaths’, no murder conviction: The curious case of Maharashtra
-
Reporters Without Orders Ep 378: Elite impunity, makeshift detention centres in NCR